Monday, November 30, 2009

स्मिता ठाकरे ने कहा , ' मैं सोनिया गांधी और राहुल गांधी की बड़ी प्रशंसक बन गई

यह किसी की सोच से भी परे होगा कि ठाकरे परिवार का कोई सदस्य शिवसेना छोड़कर धुर विरोधी कांग्रेस में शामिल हो सकता है। लेकिन ऐसा हो रहा है। बाल ठाकरे की बहू स्मिता ठाकरे ने भगवा कैंप छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने का फैसला कर लिया है।
बाल ठाकरे की बहू स्मिता ठाकरे ने कहा , ' मैं सोनिया गांधी और राहुल गांधी की बड़ी प्रशंसक बन गई हूं और चाहती हूं कि देश के लिए जो अच्छा काम वे कर रहे हैं , मैं उसका हिस्सा बनूं। ' स्मिता के इस चौंकाने वाले फैसले के पीछे दो कारण हैं। पहला , स्मिता ठाकरे को लगता है कि शिवसेना अपनी संकुचित नीतियों के जरिए महाराष्ट्र के लोगों का अहित कर रही है। दूसरा , परिवार के भीतर वह खुद को अलग - थलग महसूस कर रही हैं। उन्होंने कहा , ' मैं यह घुटन अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती और इसलिए कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया है। कांग्रेस के पास राष्ट्रीय और वैश्विक सोच है और मैं इस पार्टी की विचारधारा से सहमत हूं। '
स्मिता ने आरोप लगाया कि उन्हें राज्यसभा में भेजने का वादा किया गया था लेकिन यह पूरा नहीं हुआ और पेशे से पत्रकार भरत कुमार राउत को राज्यसभा में भेजा गया। उन्होंने बताया कि विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट देने का वादा किया गया था लेकिन यह भी नहीं निभाया गया। और तो और सामना के लिए लिखे उनके लेख को , अखबार के संपादक बाल ठाकरे ने अस्वीकार कर दिया , जबकि उनका एक लेख पहले ही सामना में छप चुका था। स्मिता ने कहा , ' मुझे संदेश मिल गया था कि अब यहां मेरी कोई जगह नहीं है और मैंने वह आर्टिकल वहीं पर फाड़ कर फेंके दिया। मेरे लिए शिवसेना से अलग होना आसान नहीं है लेकिन अब मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा है। ' स्मिता ठाकरे ने सोनिया और राहुल की जमकर तारीफ की और कहा कि , ' व्यक्तिगत रूप से मैं सोनिया जी और जिस तरह से उन्होंने पार्टी और नेतृत्व किया है की प्रशंसक हूं। राहुल लो प्रोफाइल बनाकर रखते हैं लेकिन वह देश के लिए काफी काम कर रहे हैं। ' स्मिता ठाकरे ने बताया कि वह राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस नेताओं के संपर्क में हैं और पार्टी में औपचारिक रूप से शामिल होना बस एक औपचारिकता रह गई है। इस सिलसिले में वह जल्दी ही सोनिया और राहुल गांधी से मुलाकात कर सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक , कांग्रेस के लिए ठाकरे परिवार के किसी सदस्य का पार्टी में शामिल होना , बड़ा अचीवमेंट होगा। ऐसा कहा जा रहा है कि स्मिता ठाकरे को पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। शिवसेना - बीजेपी शासन के दौरान स्मिता ठाकरे अहम पावर सेंटर थीं और आला अधिकारियों से लेकर व्यापार से जुड़े लोग उनके आगे - पीछे घूमते रहते थे। उस समय यह कहा जाता था कि स्मिता अपने ससुर बाल ठाकरे के सबसे करीब हैं। उन्होंने बाल ठाकरे के दूसरे करीबी लोगों पर खुद को हाशिये पर भेजने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा , ' उन लोगों ने एक सामाजिक कार्यकर्ता और फिल्म प्रड्यूसर की मेरी पहचान को बिगाड़ने की कोशिश की। उन्होंने बॉलिवुड में लोगों को फोन पर धमकियां दीं और मुझसे कोई संबंध न रखने को कहा। ' स्मिता बाल ठाकरे के बड़े बेटे जयदेव की पत्नी हैं। उन्होंने कहा कि वह राज ठाकरे की नीतियों का समर्थन नहीं करतीं और इसलिए एमएनएस में जाने का उन्हें ख्याल भी नहीं आया। उन्होंने कहा , ' मुझे गर्व है कि मैं मराठी हूं और घर पर मराठी में ही बात करती हूं लेकिन मैं यह भी चाहती हूं कि समय के साथ मराठी भी बदलें। आज के जमाने में अंग्रेजी को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता। चीन के लोग भी यह बात जानते हैं। मैं चाहती हूं कि मराठी सिर्फ पी . एल . देशपांडे का साहित्य न पढ़ें बल्कि प्रेमचंद और दूसरी भाषाओं के साहित्यकारों को भी पढ़ें। ' उद्धव ठाकरे के बारे में स्मिता ने कहा कि , ' मुझे लगता है कि बालासाहब ने उन्हें बहुत जल्दी , बहुत बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी। यह जिम्मेदारी देने से पहले उन्हें राजनीति में और ट्रेनिंग देनी चाहिए थी।

Friday, November 27, 2009

अजमल आमिर कसाब के वकील अब्बास काजमी ने हमलों के मामले की सुनवाई कर रही ट्रायल कोर्ट से माफी मांगी।

मुंबई हमले में जिंदा गिरफ्तार किए गए पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब के वकील अब्बास काजमी ने हमलों के मामले की सुनवाई कर रही ट्रायल कोर्ट से माफी मांगी। उन्होंने अपनी इस टिप्पणी के लिए शुक्रवार को बिना शर्त माफी मांग ली कि वह अभियोजन पक्ष की ओर से पेश गवाहों के हलफनामों की परवाह नहीं करते। जज एम. एल. तहलियानी ने भी काजमी की माफी को मंजूर करते हुए अपनी यह टिप्पणी वापस ले ली कि काजमी झूठे हैं। काजमी ने इस बात से इनकार किया था कि विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने 8 मई को अपने शुरुआती संबोधन में कहा था कि वह गवाहों के हलफनामे दाखिल करेंगे। इस पर जज ने गुरुवार को उन्हें झूठा कहा था। कसाब के वकील ने शुक्रवार को कहा कि यह एक ऐतिहासिक मुकदमा है और मैं आरोपित का बचाव करने के लिए अपनी ओर से बेहतरीन कोशिश कर रहा हूं। गुरुवार को जो कुछ हुआ, वह जज्बात में बहकर हुआ और मैं बिना शर्त माफी मांगता हूं। तहलियानी ने कहा कि मैं भी काजमी के बारे में अपनी टिप्पणियां वापस लेता हूं, क्योंकि मैं चाहता हूं कि यह मुद्दा सौहार्दपूर्ण ढंग से हल कर लिया जाए।

Wednesday, November 25, 2009

शिवसेना के पूर्व सांसद मोहन रावले ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर गावस्कर को नहीं, तेंडुलकर को भारत रत्न देने की मांग की थी।

इन दिनों जब शिवसेना भारत के दो महान क्रिकेटरों सचिन तेंडुलकर और सुनील गावस्कर को केवल मराठी पहचान तक सीमित करके उनके बीच बदमजा तुलना कर रही है, तब यह जानना दिलचस्प होगा कि कुछ दिनों पहले ही शिवसेना के पूर्व सांसद मोहन रावले ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर गावस्कर को नहीं, तेंडुलकर को भारत रत्न देने की मांग की थी। 6 नवंबर 2009 को रावले ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि क्रिकेट में सचिन के महान योगदान के देखते हुए इस शीतकालीन सत्र के दौरान संसद के सेंट्रल हॉल में सचिन को आमंत्रित करके उन्हें सम्मानित किया जाना चाहिए। सचिन के रेकॉर्डों का विस्तार से वर्णन करते हुए उन्हें भारतरत्न देने की भी मांग की। सचिन द्वारा खुद को मराठी से पहले भारतीय बताने पर शिवसेना ने जब उन पर आरोपों की बौछार शुरू कर दी, तो रावले खामोश हो गए। वह शिवसेना से सबसे ज्यादा पांचबार लोकसभा पहुंचे हैं। वह पहली बार 2009 में ही हारे हैं। शिवसेना के पूर्व सांसद ने जिसके लिए भारत रत्न की मांग की, उसी का खुद को भारतीय बताना अब शिवसेना को रास नहीं आ रहा। सचिन पर शिवसेना में मतभेद : सचिन को लेकर शिवसेना में अंदर ही अंदर मतभेद उभर रहे हैं। मंगलवार को शिवसेना सांसद संजय राउत के निवास पर शिवसेना सांसदों का डिनर था। वहां कुछ सांसदों ने कहा कि सचिन को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। वह महाराष्ट्र के युवाओं का आदर्श हैं। यह भी कहा जा रहा है कि गावस्कर के लिए शिवसेना का यह कहना कि उन्होंने महाराष्ट्र के खिलाड़ियों को तरजीह दी, उत्तर भारत के उन क्रिकेटरों के आरोपों की पुष्टि है जो यह कहते रहे हैं कि उनके साथ क्षेत्रीय आधार पर भेदभाव हुआ। एक क्रिकेटर सांसद ने कहा कि बिशन सिंह बेदी और कपिल देव के कप्तान बनने के बाद मुंबई के बाहर के क्रिकेटरों को मौका मिलना शुरू हुआ। गावस्कर के समय में भारतीय टीम में 8-8 महाराष्ट्रीय खिलाड़ी खेले।

Monday, November 23, 2009

मराठी के बाद हिंदी का स्थान आना चाहिए,

मराठी में शपथ नहीं लेने को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा में एमएनएस के हमले का सामना करने वाले समाज वादी पार्टी विधायक अबू आसिम आजमी अगले साल टीवी पर एक डिबेट में राज ठाकरे का मराठी में सामना कर सकते हैं। आजमी ने मराठी सीखने के लिए एक टीचर रखा हुआ है। उन्होंने कहा, 'मैंने पांच साल पहले भी मराठी सीखने के लिए एक टीचर रखा था। लेकिन उस वक्त मैं संसद सदस्य था और मराठी की जरूरत नहीं थी।' उन्होंने कहा, 'अब राज्य विधानसभा का सदस्य बनने के बाद मुझे लगता है कि मराठी अवश्य सीखनी चाहिए। मैं इसे रोजाना लगभग एक घंटे सीखता हूं।' आजमी ने कहा, 'महाराष्ट्र के विधायक को मराठी जानना जरूरी है। लेकिन राज्य में मराठी के बाद हिंदी का स्थान आना चाहिए, क्योंकि यहां बड़े पैमाने पर यह भाषा भी बोली जाती है।'

Sunday, November 22, 2009

बीएसई मराठी में वेबसाइट बनाने के लिए तो राजी हो गया

अपने 'मराठी फैलाओ' अभियान में राज ठाकरे और उनकी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को दो बड़ी स
फलताएं मिलीं। एक तो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज उनकी मांग के आगे झुक गया। दूसरे, महाराष्ट्र के सीएम अशोक चव्हाण ने भी उनकी एक बड़ी मांग का समर्थन कर दिया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को चिट्ठी लिखकर कहा था कि वह अपनी वेबसाइट मराठी में बनाए। इस बात के लिए बीएसई राजी हो गया है। एमएनएस ने धमकी भरे अंदाज में कहा था कि शुक्रवार तक मराठी में वेबसाइट बना ली जानी चाहिए। बीएसई मराठी में वेबसाइट बनाने के लिए तो राजी हो गया है, लेकिन वह शुक्रवार तक वेबसाइट तैयार कर पाएगा या नहीं, इस बारे में अभी कुछ नहीं बताया गया है। बीएसई मैनेजमेंट ने एमएनएस से वादा किया है कि जल्दी ही मराठी में वेबसाइट लॉन्च की जाएगी। उधर, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने शनिवार को रेलवे से कहा कि ज्यादा से ज्यादा मराठियों की भर्ती करे। चव्हाण ने रेल मंत्री ममता बनर्जी से यह अपील की है कि और ज्यादा स्थानीय लोगों को रेलवे में नौकरियां दी जाएं। ऐसा लगता है कि मराठी राग अलापते हुए चव्हाण राज ठाकरे की राह पर चल पड़े हैं।

Monday, November 16, 2009

सचिन और बाल ठाकरे के बोल

मैं मराठी हूं और मुझे इस पर गर्व है। लेकिन मैं पहले भारतीय हूं और मुंबई सभी भारतीयों की है।(शनिवार को मीडिया से बातचीत में सचिन तेंडुलकर ने यह बयान दिया था।) ऐसा बयान देकर सचिन ने एक फालतू रन ले लिया, लेकिन मराठी मानूस के दिलोदिमाग की पिच से वह रन आउट हो गए। जब मराठी मानूस को मुंबई मिली, तब तुम पैदा भी नहीं हुए थे। इसे पाने के लिए 105 मराठी लोगों ने बलिदान दिया। तुम्हारे क्रीज छोड़कर पॉलिटिक्स की पिच में घुसने से मराठियों का दिल दुखा है। -बाल ठाकरे (सचिन के बयान का जवाब शिव सेना के मुखपत्र 'सामना' में दिया) यह वही भाषा है, जो मोहम्मद अली जिन्ना बोलते थे। शिव सेना के नेता और राज ठाकरे की पाटीर् के नेताओं को छोड़कर पूरा भारत और सारे मराठी तेंडुलकर के साथ हैं।

पुलिस ने इस मामले में 12 शिवसैनिकों को हिरासत में लिया है।

भोजपुरी गायक और स्टार मनोज तिवारी के वर्सोवा स्थित दफ्तर पर कुछ अज्ञात लोगों ने सोमवार को हमला किया और तोड़फोड़ की। तोड़फोड़ की इस कार्रवाई को मुंबई में शिवसेना और एमएनएस के उत्तर भारतीयों के खिलाफ जारी अभियान से जोड़कर देखा जा रहा है। पुलिस ने इस मामले में 12 शिवसैनिकों को हिरासत में लिया है। मनोज तिवारी ने इस पर हैरानी जताई है। उधर, पुलिस मामले की जांच कर रही है। गौरतलब है कि मनोज तिवारी यूपी के गोरखपुर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े थे। वह पहले भी राज ठाकरे की एमएनएस और शिवसेना के निशाने पर रहे हैं।

Sunday, November 15, 2009

सचिन सरीखा बनें नेक नैनों का तारा

राज ठाकरे जैसे कट्टरपंथी नेता जब मराठी मानुष के नाम पर राजनीति करते हैं , तो अक्सर प्रसिद्ध मराठी हस्तियों की राय पूछी जाती है। ज्यादातर हस्तियां इस बात से कन्नी काटती रही हैं। लेकिन सचिन तेंडुलकर ने इस मुद्दे पर बोलने की हिम्मत दिखाई है। हालांकि , सेफ खेलते हुए उन्होंने बीच का रास्ता अपनाया है। सचिन तेंडुलकर ने कहा है कि मुंबई भारत की है। उन्होंने कहा कि मैं मराठी हूं , मुझे मराठी होने पर गर्व है लेकिन मुंबई पूरे भारत की है और मैं भारत के लिए खेलता हूं। तेंडुलकर 15 नवंबर को क्रिकेट में अपने 20 साल पूरे कर रहे हैं। इसके लिए आजकल वह कई कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। ऐसे ही एक कार्यक्रम में जब उनसे मराठी मानुष के मुद्दे पर पूछा गया तो उन्होंने यह बात कही। सचिन ने कहा कि मैं मराठी हूं और इस पर मुझे गर्व है , लेकिन मैं भारतीय भी हूं। मुंबई में शुक्रवार को मीडिया से मुखातिब सचिन तेंडुलकर ने बहुत की खूबसूरती से पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए। वे हिंदी , मराठी और अंग्रेजी में सवालों के जवाब ठीक उसी तरह दे रहे थे जैसे क्रिकेट के मैदान में शॉट खेलते हैं। करीब दो दशक पहले कराची के नैशनल स्टेडियम में सर्दियों की एक सुबह सचिन ने अपने सपनों सरीखे क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी।
कवि की चुटकी : सचिन सरीखा बनें नेक नैनों का तारा बकौल सचिन वह लम्हा उनके क्रिकेट जीवन का सबसे खुशगवार क्षण था। सचिन तेंडुलकर कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण ( डेब्यू ) उनके लिए एक सपने जैसा था , जिसे आज भी वह जी रहे हैं। सचिन यहीं नहीं रुकते। जब बात क्रिकेट और देश की हो रही हो तो सचिन चुप भी कैसे रहें। उन्होंने कहा , '' भारतीय क्रिकेट टीम की कैप पहनने के बाद मैंने जो कुछ भी हासिल किया वह सब देश के लिए था। क्रिकेट को पसंद करने वालों का प्यार मेरे लिए सबसे अहम है। आप को अपनी कामयाबी की खुशी बांटने के लिए लोगों की जरूरत महसूस होती है और मेरे पास एक अरब से ज़्यादा लोग हैं और ये मेरे लिए काफी है। '' कामयाबी का मंत्र क्या है ? सचिन ने इस सवाल का जवाब दिया कि घर में एक अलिखित नियम था : लोगों को भूत ( जो बीत गया ) के बारे में बात करने दो , आप सिर्फ आगे की सोचो। सचिन ने इस मौके पर पूरे धीरज के साथ मीडिया के सवालों का घंटों सामना किया। जितनी देर वह मीडिया से मुखातिब रहे , आमतौर पर , उतनी देर में वह क्रिकेट मैदान पर सैकड़ा ठोक देते हैं। लेकिन मास्टर ब्लास्टर घबराए नहीं और सवालों के सटीक जवाब दिए।

Thursday, November 12, 2009

एमएनएस की आधिकारिक वेबसाइट तो यही कहती है।

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे हिटलर और महात्मा गांधी, दोनों से कैसे प्रेरित हैं, इसका जवाब यह है कि दोनों नेताओं ने समाज को हिलाकर रख दिया और एक तरह से नया हल्लाबोल पैदा किया। एमएनएस की आधिकारिक वेबसाइट तो यही कहती है। हालांकि सोमवार को महाराष्ट्र असेंबली में जो दिखा वह फ्यूरर की प्रेरणा से था। गौरतलब है कि हिटलर जब जर्मनी का नेता चुना गया तो उसे फ्यूरर कहा जाने लगा था। वेबसाइट में कई सारे रोचक सवाल-जवाबों का मिश्रण है। जैसे कि सवाल पूछा गया है कि जब आप अहिंसा के पुजारी गांधी को मानते हैं, तो आपके अनुयायी हिंसक क्यों होते हैं? इसके जवाब में कहा गया कि आपको अपने विपक्षियों से उसी भाषा में बात करने की जरूरत होती है, जो वह महसूस करते हैं। राज यह जवाब देकर अपने लोगों को यही बताना चाहते हैं कि आजमी हिंसा की भाषा ही समझते हैं। हिटलर के लोगों ने यहूदियों और उन लोगों का दमन किया जिन्होंने हिटलर का विरोध किया। एमएनएस ने जबसे उत्तर-भारतीयों के खिलाफ हल्ला बोला, तबसे ही राज और आजमी एक-दूसरे के कट्टर विरोधी हैं। 2005 में एक इंटरव्यू में राज ने कहा था कि यहूदियो के दमन को छोड़ दें तो हिटलर में कई ऐसी खासियत रही हैं, जिन्हें किसी भी नेता को अपनाना चाहिए।

Friday, November 6, 2009

आजमी ने भिवंडी सीट खाली करने का फैसला किया

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी(एसपी) से 2 सीटों पर जीत हासिल करने वाले अबु आ

सिम आजमी ने भिवंडी सीट खाली करने का फैसला किया है। आजमी मानखुर्द से एसपी विधायक बने रहेंगे। प्रेस कॉन्फ्रंस आयोजित कर आजमी ने कहा कि मैं किसी दबाव की परवाह किए बगैर महाराष्ट्र विधानसभा में राष्ट्रभाषा हिंदी में ही शपथ ग्रहण करूंगा। वह मेरा अधिकार है, जो संविधान द्वारा मुझे प्राप्त है। एमएनएस प्रमुख पर पलटवार करते हुए आजमी ने कहा कि राज ठाकरे की विधिमंडल में अंग्रेजी चलती है, लेकिन राष्ट्रभाषा हिंदी से उनका विरोध है। उनके मुताबिक यदि राज ठाकरे मराठी भाषा को लेकर वास्तव में गंभीर हैं, तो महाराष्ट्र के ही गोंदिया जिले में नगरपरिषद का कामकाज मराठी में कराएं, जहां सारा कामकाज हिंदी में होता है। गोंदिया ही नहीं, बल्कि मराठवाडा और विदर्भ के कई शहरों में लोग हिंदी में ही एक-दूसरे से संवाद करते हैं। आजमी ने यह भी कहा कि मराठी भाषा के प्रति मुझमें अति आदर व सम्मान है। अब मैं मराठी सीख भी रहा हूं और जल्द ही विधानसभा में मराठी में भाषण करूंगा।

Tuesday, November 3, 2009

अंधेरी के मल्टीप्लेक्स फन रिपब्लिक में मामी मंगलवार की सुबह मराठी फिल्म 'विहिर'

अंधेरी के मल्टीप्लेक्स फन रिपब्लिक में मामी (मुम्बई एकेडमी ऑफ मूविंग इमेज) द्वारा आयोजित 11वें मुम्बई फिल्म महोत्सव के दौरान मंगलवार की सुबह मराठी फिल्म 'विहिर' (कुआं) देखने के लिए उमड़े दर्शकों में से ज्यादातर के मन में कहीं न कहीं उत्सुकता जरूर थी कि अमिताभ बच्चन की प्रोडक्शन कम्पनी ए.बी.कॉर्प्स ने आखिर क्या सोचकर इस फिल्म में पैसे लगाए हैं! क्या रह-रह कर क्षेत्रीयतावादी तत्वों के निशाने पर रहे बिग बी ने विवादों का मुंह बंद करने के लिए मराठी फिल्म का निर्माण किया है? 'नहीं', कहना है 'विहिर' के युवा निर्देशक उमेश विनायक कुलकर्णी का, 'इस फिल्म की योजना काफी पहले बनी थी। स्क्रिप्ट पूरी होने के बाद पिछले साल सितम्बर में शूटिंग शुरू हुई थी।' पुणे फिल्म संस्थान से प्रशिक्षित उमेश कुलकर्णी की डिप्लोमा फिल्म 'गिरणी' ने राष्ट्रपति का गोल्ड मेडल जीता था। कठिन संघर्ष के बाद मित्रों के सहयोग से बनी उनकी पहली फीचर फिल्म 'वळू' (सांड) ने अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में खूब प्रशंसा पाई। पुणे फिल्म संस्थान के पूर्व छात्रों के एक मिलन समारोह में उमेश जब जया बच्चन से मिले तो जया ने उन्हें वहीं फिल्म बनाने का ऑफर दे डाला। उमेश ने अपने बचपन की घटनाओं से प्रेरित 'विहिर' की आउटलाइन जया को सुनाई, जो उन्हें पसंद आई और गिरीश कुलकणीर् तथा सती भावे ने पटकथा लेखन शुरू कर दिया। जया और अमिताभ बच्चन इससे पहले अपने मेकअप मैन दीपक सावंत की मराठी फिल्म 'अक्का' में अतिथि भूमिका कर चुके हैं। फिल्म निर्माण में ए.बी.कॉर्प्स के दुबारा सक्रिय होने के बाद 'विहिर' उनकी पहली प्रदर्शित फिल्म है। 'विहिर' दरअसल बचपन और जवानी के दोराहे पर खड़े दो नौजवानों समीर और नचिकेत के भावनात्मक रिश्तों पर आधारित संवेदनशील फिल्म है। गांव के जिस कुएं में समीर तैराक बनने की प्रैक्टिस किया करता था, उसी कुएं में उसके सबसे घनिष्ट मित्र नचिकेत की डूबने से मौत हो जाती है। जीवन में किसी अंतरंग की मौत का पहला-पहला अनुभव समीर को विचलित कर देता है। उसकी भटकी मनोदशा उसके घर के लोग नहीं समझ पाते लेकिन उसे जीवन का मर्म समझाने में सफल रहता है सुदूर गांव का एक गरेड़िया। 'विहिर' को पुसान और लंदन के फिल्म समारोहों में भी अच्छी सराहना मिली है। मामी के मेले में 'विहिर' के अलावा और भी कई मराठी फिल्में दर्शकों के मन को छूने में कामयाब रहीं। 'इंडियन फ्रेम' खंड में शामिल रेणुका शहाणे निर्देशित 'रीता', सचिन कुंडालकर निर्देशित 'गंधा', सुमित्रा भावे एवं सुनील सुखठणकर निर्देशित 'एक कप च्या' को सबने पसंद किया। विश्व सिनेमा के पटल पर मराठी फिल्मों के बढ़ते कदम मराठी सिनेमा के लिए शुभ एवं सकारात्मक संकेत हैं।

Sunday, November 1, 2009

राज ठाकरे ने अमिताभ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।


बॉलिवुड के मेगास्टार अमिताभ बच्चन पर कभी महाराष्ट्र के बजाय उत्तर प्रदेश पर अधिक ध्यान देने का आरोप लगाने वाली राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) अब उनकी तारीफ करते नहीं थक रही है। ऑस्कर के लिए भारत की ओर से नॉमिनेट की गई मराठी फिल्म के प्रचार में अमिताभ द्वार मदद की पेशकश करने के बाद से एमनएस उनसे काफी खुश है। एमएनएस के महासचिव शिरीष पारकर ने बताया कि यह अच्छी बात है कि अमिताभ ऑस्कर के लिए इस फिल्म को सहयोग देंगे। हम उनके इस प्रयास की सराहना करते हैं। गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में राज ठाकरे ने अमिताभ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
उन्होंने कहा था वह मुंबई में स्टार बने लेकिन उनकी दिलचस्पी उत्तर प्रदेश में है। इसीलिए वह महाराष्ट्र के बजाय उत्तर प्रदेश का ऐंबैसडर बनने की कोशिश करते हैं। एमएनएस कार्यकर्ताओं ने उन दिनों रिलीज हुई अमिताभ की फिल्म 'लास्ट लीयर' के पोस्टर भी फाड़ दिए थे। अमिताभ ने एमएनएस कार्यकर्ताओं को शांत करने के लिए एक संवाददाता सम्मेलन में और अपने ब्लॉग पर माफी मांगी थी। तब कहीं जा कर एमएनएस ने अपना अभियान बंद किया था। हालांकि यह पहला अवसर नहीं है जब बिग बी ने किसी मराठी फिल्म की मदद की पेशकश की है। नवंबर 2004 में अमिताभ ने ऑस्कर में भारत की ओर से नॉमिनेट मराठी फिल्म के निर्माताओं को एक लाख रुपये की मदद दी थी। अमिताभ की कंपनी एबी कॉरपोरेशन ने एक मराठी फिल्म भी बनाई है, जो रिलीज के लिए तैयार है।