Saturday, February 27, 2010

बजट में टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत

वित्त मंत्री ने बजट में टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत दी है। टैक्स स्लैब में बदलाव का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि इससे 60 % टैक्स पेयर्स को राहत मिलेगी। अब वित्त मंत्री के नए ऐलान के अनुसार , अब 1 लाख 60 हजार रुपये से ज्यादा और 5 लाख रुपये तक की आमदनी पर 10 परसेंट टैक्स लगेगा। 5 लाख रुपये से 8 लाख रुपये तक की आमदनी पर 20 परसेंट टैक्स लगेगा और 8 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी पर 30 परसेंट टैक्स लगेगा। अब तक इंडिविजुअल को 1 लाख 60 हजार रुपये तक की आमदनी पर कोई टैक्स नहीं लगता है। 1 लाख 60 हजार रुपये से ज्यादा और 3 लाख रुपये तक की आमदनी पर 10 परसेंट टैक्स लगता है। 3 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की आमदनी पर 20 परसेंट टैक्स लगता है और 5 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी पर 30 परसेंट टैक्स लगता है। नए टैक्स स्लैब से 3 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी वालों को तो कोई फायदा नहीं होगा लेकिन इससे अधिक आमदनी वालों को काफी फायदा होगा। इतना ही नहीं , इनकम टैक्स की धारा 80 सी के तहत 1 लाख रुपये के निवेश पर अब तक टैक्स छूट है। अब वित्त मंत्री ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति इस निवेश के अलावा साल में 20 हजार रुपये का लॉन्ग टर्म इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड खरीदता है तो उसे इस खरीद पर टैक्स छूट मिलेगी। बजट में इनकम टैक्स के नए स्लैब इस प्रकार रखे गए हैं आम इंडिविजुअल टैक्सपेयर 1,60,000 रुपये तक : शून्य 1,60,001 रुपये से 5 लाख रुपये : 10 प्रतिशत 5,00,001 रुपये से 8,00,000 रुपये : 20 प्रतिशत 8,00,001 रुपये से अधिक : 30 प्रतिशत महिला टैक्सपेयर 1,90,000 रुपये तक : शून्य 1,90,001 रुपये से 5 लाख रुपये : 10 प्रतिशत 8,00,001 रुपये से अधिक : 30 प्रतिशत सीनियर सिटिजन 2,40,000 रुपये तक : शून्य 2,40,001 रुपये से 5 लाख रुपये : 10 प्रतिशत 8,00,001 रुपये से अधिक : 30 प्रतिशत

Tuesday, February 23, 2010

मैं यूपी में ही जाकर रहूं क्योंकि मैं महाराष्ट्र का नहीं हूं।

शाहरुख खान बनाम शिव सेना का मामला अभी ठीक से ठंडा भी नहीं पड़ा है कि है कि 'मराठी बनाम खान' का नया मामला सामने आ गया है। बिग बॉस-3 के चर्चित पार्टिसिपेंट कमाल खान ने आरोप लगया है कि मुंबई एयरपोर्ट पर मराठी अधिकारियों ने उनके साथ बदतमीजी की। कमाल खान ने कहा कि रविवार की रात दुबई से लौटने के दौरान मुंबई एयरपोर्ट पर मुझे ऐसा महसूस कराया गया है जैसे कि मैं देशद्रोही हूं। उन्होंने कहा कि उनके नाम के पीछे भी खान सरनेम लगा होना इस सारे हादसे की जड़ है। कमाल का कहना है कि वहां उन्हें इमिग्रेशन अधिकारियों ने घेर लिया। इनमें से 99 प्रतिशत अधिकारी मराठी थे। मुझसे धक्का-मुक्की की गई, गाली दी गई और मुंबई छोड़ कर जाने को कहा गया। ऐक्टर ने कहा,'अधिकारियों ने मुझसे पूछा कि मेरे पासपोर्ट पर यूपी का ऐड्रेस क्यों है। मैंने जवाब दिया कि इसलिए कि मैं वहीं का हूं और यह पासपोर्ट भी वहीं के आफिस से जारी किया गया है। इस पर एक अफसर ने मुझे सलाह दी कि मैं दिल्ली या यूपी के किसी हवाई अड्डे पर जाऊं।' कमाल ने कहा कि फिर मुझसे पूछा गया कि मैंने अपने गांव का नाम फुलास बताया है और फॉर्म में हुलास क्यों लिखा हुआ है। मैंने कहा कि इस गलती को दुरुस्त करते हुए मैं दूसरा फॉर्म भर देता हूं। पर चूंकि मैं 20 साल से अपने गांव नहीं गया हूं, इसलिए वहां का पिन कोड नंबर भूल गया। इस पर मुझसे फिर कहा गया कि मैं यूपी में ही जाकर रहूं क्योंकि मैं महाराष्ट्र का नहीं हूं। कमाल के मुताबिक इस बीच दो-तीन अफसरों ने उन्हें घेर लिया। एक ने तो यह तक कहा कि मुझे लगाओ दो-तीन थप्पड़ और नशे की तस्करी के आरोप में जेल में डाल दो। मैंने उनसे कहा कि आप यह कर सकते हैं तो कर दिखाइए। इस हंगामे के बाद कुछ सीनियर अफसरों के बीच-बचाव करने के बाद तड़के साढ़े चार बजे कमाल को जाने दिया गया।

Thursday, February 18, 2010

यह केवल शाहरुख की फिल्म पर हमला नहीं, बल्कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला है

यही सवाल कर रहे हैं देशभर में रहने वाले मराठी। पाकिस्तानी टीम के सपोर्ट वाले शाहरुख के बयान को लेकर शिवसेना और एमएनएस ने भले मुंबई को 'जंग' का मैदान बना दिया है। लेकिन देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले महाराष्ट्रियन का मानना है कि ठाकरे परिवार का यह रवैया व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है। अगर वह शाहरुख की किसी बात से सहमत नहीं भी हैं, तो उन्हें ऐसा कर मराठियों को बदनाम करने का कोई हक नहीं है। पिछले चार सालों से दिल्ली में रह रहे साहिल जोशी का कहना है, जब मैं मुंबई छोड़कर दिल्ली आया, तो मुझे यहां भी अपनापन मिला। लेकिन अगर शिवसेना और एमएनएस इसी तरह की हरकत करते रहे तो वह मराठी मानुष को बदनाम करेंगे। शाहरुख को किसी भी मुद्दे पर अपनी राय रखने का पूरा अधिकार है और सिर्फ उन्हें ही नहीं, किसी को भी यह अधिकार है। मैं उनके साथ हूं। पिछले 10 वर्षों से दिल्ली में रह रहे नासिक के वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि यह शिवसेना की मुंबई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में सत्ता बचाने की कवायद से ज्यादा और कुछ नहीं है। यह शर्मनाक है कि ठाकरे परिवार सेल्फ प्रोक्लेम्ड सेंसर बोर्ड बन गया है और मातोश्री नया थिएटर। शाहरुख देशभक्त हैं या नहीं, यह तय करने का अधिकार ठाकरे परिवार को किसने दिया। जहां तक मेरी जानकारी है शाहरुख के पिता जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी थे। शिवसेना इस देशभक्ति को नजरअंदाज नहीं कर सकती। यह केवल शाहरुख की फिल्म पर हमला नहीं, बल्कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला है, जो कि असंवैधानिक है।
एक मल्टी नैशनल कंपनी में काम करने वाले अचिन जावडेकर कहते हैं कि मैं शाहरुख का फैन नहीं हूं, फिर भी मुझे यह मंजूर नहीं कि शिवसेना या एमएनएस किसी की फिल्म रोकने जैसा काम करे। यह बेहूदापन है। ठाकरे परिवार ऐसे सिर्फ अपने स्वार्थ साध रहा है और मराठी मानुष का कोई भला नहीं कर रहा है। ऐसा ही सोचना प्रिया वानखड़े का भी है। वह कहती हैं कि मुंबई या महाराष्ट्र ठाकरे परिवार की जागीर नहीं है, जो वह अपनी दादागिरी थोप रहे हैं। अगर उन्हें शाहरुख की बातों से आपत्ति है, तो वह फिल्म ना देखें। किसी और को रोकने का उन्हें कोई अधिकार नहीं। शिवसेना से राज्य सभा सांसद भारत कुमार राउत सफाई में कहते हैं कि पार्टी के किसी भी नेता ने सिनेमा बंद करने को नहीं कहा। हमने सिर्फ बहिष्कार की अपील की है। महाराष्ट्र सरकार ने पांच-छह हजार पुलिसकर्मी सिनेमाघरों की सुरक्षा में लगा दिए हैं, उसके बाद भी अगर सिनेमा मालिक फिल्म दिखाने को तैयार नहीं और लोग देखने को, तो यह लॉ ऐंड ऑर्डर की विफलता है। जहां तक शाहरुख की फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन की बात है, तो शाहरुख से माफी की मांग करना भी शिवसैनिकों की फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन है।

Sunday, February 14, 2010

'मेरा कोई रुख नहीं है, कोई वैचारिक मुद्दा नहीं है। मैं सिर्फ एक ऐक्टर हूं। शाहरुख खान

अपनी फिल्म 'माई नेम इज खान' के प्रीमियर के लिए शाहरुख खान भले ही बर्लिन की सर्द हवाओं में हैं लेकिन उनका ध्यान मुंबई की 'गर्मी' पर है। मुंबई में तनाव खत्म करने को लेकर पहल करते हुए शाहरुख ने कहा कि उन्हें अहंकार नहीं है और वह शिवसेना सुप्रीमो से मिलकर गलतफहमी दूर करेंगे। शाहरुख खान ने कहा, 'मैं ईमानदारी से यह कह सकता हूं कि निजी स्तर पर मेरे सभी से अच्छे संबंध हैं और जहां किसी विचारधारा की बात है तो हम चर्चा करेंगे और बातों को सुलझाएंगे।' बॉलिवुड ऐक्टर ने कहा 'मैं बाला साहब और उद्धव ठाकरे को अच्छी तरह जानता हूं। अगर कोई गलतफहमी है तो मैं इसे दूर करूंगा। न तो मुझे अहंकार है और न ही झूठा आत्मसम्मान।' शाहरुख ने कहा, 'फिल्म माई नेम इज खान का अपना कोई रुख नहीं है। इसमें केवल समस्याएं दिखाई गई हैं। जब मैं राजनीति में शामिल होऊंगा तो मेरा एक रुख होगा। इंशाअल्लाह, मेरे वक्तव्यों को लेकर कोई मसला नहीं रहेगा, हम बातचीत से विवाद सुलझा सकते हैं।' अपनी फिल्म के प्रदर्शन पर थियेटरों पर किए गए हमले पर शाहरुख ने कहा, 'मेरा कोई रुख नहीं है, कोई वैचारिक मुद्दा नहीं है। मैं सिर्फ एक ऐक्टर हूं। यदि मेरे बयान से किसी को दुख पहुंचा है तो मैं माफी चाहता हूं। मैं लोगों को खुश करने के धंधे से जुड़ा हुआ हूं।' उन्होंने कहा, 'फिल्म में, थिएटर में, असल जिंदगी में और नजरिए में हमेशा ऐसी विचाराधाराएं होती हैं जिनमें मतभेद होते हैं। हमें उन्हें स्वीकार करना चाहिए और उसके साथ शांतिपूर्ण ढंग से जीना चाहिए। शाहरुख ने कहा, 'काफी कुछ लिखा गया, काफी कुछ बोला गया है और मेरे शहर मुंबई व मेरे देश सहित दुनिया में मौजूद हर व्यक्ति के प्रति सम्मान दर्शाते हुए मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगा कि अब मैं लाल कालीन पर चलना चाहता हूं, थोड़ी शैम्पेन पीना चाहता हूं, फिल्म का लुत्फ उठाना चाहता हूं और खुश रहना चाहता हूं। इंशा अल्लाह, आखिर में सब कुछ ठीक हो जाएगा।'

Wednesday, February 3, 2010

'मियांदाद को अपने घर बुला कर उसकी खातिरदारी करने के बाद कम से कम शिवसेनाप्रमुख को शाहरुख की देशभक्ति पर सवाल उठाने का हक नहीं

जहां शिवसेना ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों की तारीफ करने की वजह से शाहरुख खान के खिलाफ अपना अभियान तेज कर रखा है, वहीं अब यह सवाल उठ गया है कि शिवसेनाप्रमुख बाल ठाकरे ने पाकिस्तानी क्रिकेटर जावेद मियांदाद को अपने घर क्यों बुलाया? बुधवार को यहां से प्रकाशित एक अंग्रेजी अखबार में मियांदाद के ठाकरे के आवास मातोश्री जाने की खबर छपने के बाद यह मामला गरमा गया है। मामला 2004 का है, मगर मौजूदा माहौल में इसने शिवसेना के शाहरुख विरोधी अभियान पर सवाल उठा दिया है। एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि 'मियांदाद को अपने घर बुला कर उसकी खातिरदारी करने के बाद कम से कम शिवसेनाप्रमुख को शाहरुख की देशभक्ति पर सवाल उठाने का हक नहीं रह गया है।' शिवसेना सांसद भरत कुमार राउत ने इसे पुराना मामला बताते हुए कहा है कि 'मियांदाद पाकिस्तानी क्रिकेटर के रूप में नहीं बल्कि व्यक्तिगत रूप में ठाकरे से मिलने आए थे। ठाकरे ने उन्हें नहीं बुलाया था, खुद उन्होंने बाला साहेब से मिलने की इच्छा जताई थी।' राउत ने कहा कि 'साहेब मातोश्री में हर किसी से मिलते हैं। इसलिए मियांदाद से भी मिले तो इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है।'

युवा विवादित मुद्दों के समाधान के लिए पहल करें।

आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने युवाओं से आह्वान किया है कि विवादित मुद्दों के समाधान के लिए वे पहल करें। वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन ऑफ स्टूडेंट एंड यूथ (वूजी)के तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में श्री श्री रविशंकर ने कहा कि दुनिया में सभी स्तरों पर संघर्ष बढ़ रहे हैं। इसकी वजह से मानवता दांव पर है। आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि हमें इन संघर्षों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना होगा। दो दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में 50 से अधिक देशों के प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इससे पहले उद्घाटन सत्र में पूर्व विदेश सचिव शशांक ने कहा कि अगर हम आतंकवाद को हराना चाहते हैं तो हमें संघर्षरत समुदायों और देशों के बीच बातचीत की प्रक्रिया मजबूत करनी होगी। उन्होंने कहा कि वूजी जैसे संगठनों को इन मुद्दों पर युवाओं को संवेदनशील बनाने की जिम्मेदारी उठानी होगी, क्योंकि आज की युवा पीढ़ी कल जब नेतृत्व संभालेगी तो इनका समाधान बेहतर तरीके से निकाल पाएगी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील आंबेकर ने कहा कि उच्च शिक्षा के लिए भारत आने वाले विदेशी छात्रों की भारतीय संस्कृति और परंपार की सटीक जानकारी देने के लिए वूजी पिछले 25 सालों से काम कर रहा है। वूजी के चेयरमैन सुशील पंडित ने कहा कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है। हमें सभी विवादित मुद्दों का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से खोजना होगा।