Monday, April 25, 2011

पाइप लाइन से होने वाले पानी के लीकेज की मरम्मत कर उसे रोकने के लिए विशेष अभियान

बीएमसी का वाटर डिपार्टमेंट 25 अप्रैल से 9 मई तक 'लीकेज रोको, पानी बचाओ' नामक पंद्रह दिवसीय मुहिम की शुरूआत करेगा। इस दौरान पाइप लाइन से होने वाले पानी के लीकेज की मरम्मत कर उसे रोकने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस अभियान के तहत बीएमसी के सहायक इंजिनियर अपने-अपने संबंधित डिपार्टमेंट ऑफिस में सर्वेक्षण करेंगेे। लीकेज की जानकारी मिलते ही डिप्युटी कमिश्नर, असिस्टेंट कमिश्नर और ट्रैफिक पुलिस अधिकारी को बताया जाएगा, और उनके निरीक्षण में लीकेज की मरम्मत का काम चलेगा। इसके अलावा अगर प्रशासन के पास मरम्मत के औजार यदि नहीं मिलता है तो कार्यकारी इंजिनियर इसका इंतजाम ठेकेदारों की मदद से करेंगे। मंुबई को पानी की सप्लाई करने वाली झीलों में इस समय बीते साल की तुलना में अधिक पानी है। प्रशासन का कहना है कि मंुबई में 15 जुलाई तक पानी की कमी नहीं होगी। हालांकि इसके बावजूद कई इलाकों में आज भी पानी की सप्लाई सही ढंग से नहीं होती है। कई जगहों पर तो पानी एकदम गंदा आता है या तो आता ही नहीं। इसी सिलसिले में बीएमसी की साधारण सभा में कई बार नगरसेवकों ने हंगामा भी किया।

Sunday, April 24, 2011

साईं बाबा के पार्थिव शरीर को दर्शन के लिए शाम छह बजे से पुट्टपर्थी के साईं कुलवंत हॉल में रखा जाए

पिछले 28 दिनों से पुट्टपर्थी के अस्पताल में मौत से जूझ रहे सत्य साईं बाबा का निधन हो गया है। श्री सत्य साईं इंस्टिट्यूट ऑफ हायर मेडिकल साइंसेज के मुताबिक बाबा ने श्वसन तंत्र निष्क्रिय होने के बाद सुबह 7.40 बजे अंतिम सांस ली।

साईं बाबा के पार्थिव शरीर को दर्शन के लिए शाम छह बजे से पुट्टपर्थी के साईं कुलवंत हॉल में रखा जाएगा। भक्त उनके शरीर का दो दिन तक दर्शन कर सकेंगे। उनका अंतिम संस्कार बुधवार को राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। आंध्र प्रदेश सरकार ने चार दिन के शोक की घोषणा की है। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और कई अन्य ने उनके निधन पर शोक जताया है।

बाबा के निधन के खबर से उनके भक्तों में शोक की लहर लौड़ गई है। भक्त बड़ी तादाद में पुट्टपर्थी में आश्रम के बाहर जमा हो रहे हैं। पुलिस ने वहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम भी कर दिए हैं। देश-विदेश से साईं के भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है।

साईं बाबा के भक्तों में देश के कई बड़े राजनेता , सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्टों के जज , सेना के अधिकारियों के अलावा व्यापार , खेल और फिल्म जगत की कई बड़ी हस्तियां शामिल हैं।

86 वर्षीय साईं बाबा को हृदय और सांस संबंधी तकलीफों के बाद 28 मार्च को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद से उनकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। हालत नाजुक होने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। लो ब्लड प्रेशर और लिवर बेकार होने से उनकी हालत और चिंताजनक हो गई थी। इसके बाद उनके शरीर के लगभग सभी अंगों पर दवाइयां बेअसर साबित हो रही थीं।

बाबा के निधन के बाद उनके जन्मस्थान पुट्टपर्थी की सभी दुकानों को बंद करवा दिया गया है और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। लगभग 6 हजार सुरक्षाकर्मियों को पुट्टपर्थी में तैनात किया गया है। स्थिति बेकाबू होने के डर से शहर में धारा 144 लागू कर दी गई है।

बाबा का जन्म सन् 1926 में पुट्टपर्थी में हुआ था। यह तब आंध्र प्रदेश के पिछड़े माने जाने वाले अनंतपुर जिले का एक छोड़ा सा कस्बा हुआ करता था। साईं बाबा का असली नाम सत्यनारायण राजू था। 14 साल की उम्र में खुद को भगवान का अवतार घोषित करने और अपने चमत्कारिक कारनामों से लोगों का उनमें विश्वास बढ़ता चला गया। लेकिन जब उन पर जब जादू के जरिए यह सब करने के आरोप लगे , तो उन्होंने चमत्कार दिखाने बंद कर दिए। इसके बाद उन्होंने अपना पूरा ध्यान सामाजिक कार्यों पर फोकस कर दिया।

Thursday, April 14, 2011

निर्माण कार्य शुरू करने से पहले वहां पर लेबर कैंप बनाने अनिवार्य होंगे

महानगर को डिवेलप करने वाले बिल्डरों के सामने बीएमसी नई शर्त रखने जा रही है। डिवेपलर्स को निर्माण कार्य शुरू करने से पहले वहां पर लेबर कैंप बनाने अनिवार्य होंगे, वर्ना बीएमसी बिल्डिंग बनाने की अनुमति नहीं देती। यह शर्त छोटे व मीडियम बिल्डरों के लिए एक मुसीबत बन जाएगी। नई शर्त जोड़ने से प्रॉजेक्ट लागत में निश्चित ही बढ़ोतरी होगी जिसकी वसूली बिल्डर घर खरीदने वालों से ही करेगी। इससे मकानों की कीमतें बढ़ जाएगी। इस बाबत बीएमसी के डायरेक्टर अशोक शिंत्रे ने बताया कि आईओडी (इंटीमेशन ऑफ डिसअप्रूवल) में यह नई शर्त जोड़ने के बाबत खाका तैयार किया जा रहा है। इस बारे में डिवेलपमेंट प्लान डिपार्टमेंट नियम कानून बना रहा है। दरअसल, पिछले दिनों शहर का एक नामी बिल्डर अपनी योजना मंजूरी कराने के लिए कमिश्नर सुबोध कुमार के पास आया। बिल्डर ने अपने प्रॉजेक्ट का नक्शा कमिश्नर के सामने रखा। उस बिल्डर का बड़ा प्रॉजेक्ट था और उसने अपने प्रोजेक्ट में लेबरों के लिए लेबर कैंप बनाने का प्रावधान कर रखा था। लेबर कैंप के बात कमिश्नर के दिमाग के घर कर गई। बिल्डर जैसे की उनके दफ्तर से बाहर निकला वैसे ही उन्होंने डायरेक्टर अशोक शित्रे को बुलाया। उन्होंने शित्रे को आदेश दिया कि वे आईओडी में लेबर कैंप बनाने की शर्त अनिवार्य करें। कमिश्नर के आदेश का पालन करते हुए डिवेलपमेंट प्लान डिपार्टमेंट के अधिकारी माथापच्ची कर रहे हैं। इन अधिकारियों का कहना है कि बड़े प्रॉजेक्ट में लेबर कैंप बनाया जा सकता है मगर छोटे प्रॉजेक्ट में यह संभव ही नहीं है। हालांकि, छोटे व मीडियम प्रॉजेक्ट में लेबर के लिए सहूलियत दी जाती है और हमारे असिस्टेंट इंजिनियर निर्माण कार्य स्थल पर जाकर खुद मुआयना करते हैं और उसे मंजूर भी करते हैं। उन्होंने बताया कि लेबर कैंप अस्थायी होता है जैसे ही बिल्डिंग बन कर तैयार हो गई वैसे ही डिवेलपर्स लेबर कैंप को हटा देगा। अधिकारियों ने स्वीकार किया कि लेबर कैंप अनिवार्य करने से निर्माण खर्च बढ़ेगा जिसकी वसूली बिल्डर घर खरीदने वालों से ही करेगा। लेबर कैंप में मजदूरों को बुनियादी सुविधा मुहैया कराई जाती है। खाना बनाने के लिए कमरे , शौचालय और नहाने के लिए कमरे , उनके बच्चों को पढ़ाई - लिखाई की सुविधा , मेडिकल सुविधा जैसी अन्य सुविधा कराना होता है। यह लेबर कैंप तब तक के लिए रहता है जब तक कि निर्माण कार्य स्थल का काम पूरा नहीं हो जाता। जैसे ही निर्माण कार्य पूरा हुआ वैसे ही इसे तोड़ कर गिरा दिया जाता है।