Monday, December 31, 2012

नव वर्ष 2013 की शुभकामनायें

2012 को अलविदा --  तथा नव वर्ष 2013  की शुभकामनायें । इसी उम्मीद के साथ कि नव वर्ष महिला उत्पीड़न मुक्त हो । 

Thursday, December 20, 2012

पूर्व न्यायाधीश डी . आर . धानुकाने गैर सरकारी संगठनों और एनजीओ से अपील

बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश डी . आर . धानुकाने गैर  सरकारी संगठनों और एनजीओ से अपील की है कि वेसमाज के कमजोर और सामान्य वर्ग को कोर्ट  कचहरियों सेन्याय दिलाने में सहायता करें। धानुका लायंस क्लब ऑफलोखंडवाला द्वारा आयोजित ' आम जनता को न्याय ' विषयपर बोल रहे थे। लायंस गोविल के मुताबिक गोरेगांव में फ्रीलीगल ऐड ऐंड एडवाइस सेंटर को अब और मजबूत बनायाजाएगा। 

यहां
 हर संडे को कानूनी विषयों पर जानकारी दी जाती है।विद्यासागत एम . कानाडे ने बताया कि नागरिकों के सामने हर दिन नई चुनौतियां हैं जिनमें इंटरनेट संबंधीमामले भी हैं। नागरिकों को एक बेहतर जीवन जीने के लिए इन कानूनों की जानकारी होनी चाहिए

Sunday, December 16, 2012

मिनरल वॉटर की बोतल में मच्छर एवं अन्य कीटाणु


मिनरल वॉटर की बोतल में मच्छर एवं अन्य कीटाणु पाए जाने के मामले को फूड एंड ड्रग्स डिपार्टमेंट ने काफी गंभीरता से लिया है। डिपार्टमेंट ने पारोल गांव में पानी को बोतल बंद करने वाली कंपनी पर छापा मारकर भारी मात्रा में बोतलें, फिल्टर मशीन व अन्य सामान जब्त कर लिया है और एक्यूप्लस पानी का सैंपल जांच के लिए लैब में भेज दिया है। यह कार्रवाई आर. डी. पवार, आर. ए. समुद्रे एवं पी. एम. देशमुख की टीम ने की है। 

बता दें कि भिवंडी, वज्रेश्वरी, पड़घा एवं वाडा आदि इलाकों में बड़ी संख्या में मिनरल वॉटर बनाने वाली कंपनियां हैं जो शुद्ध पानी के नाम पर तमाम मानकों को दरकिनार करके काम कर रही हैं। शुद्धता के नाम पर बीमारी बेचने वाली इन कंपनियों की पोल कई बार खुल चुकी है। भिवंडी से सटे नैशनल हाइवे पर भारी संख्या में होटेल एवं ढाबे हैं जहां मिनरल वॉटर की मांग अधिक रहती है मिनरल वॉटर की मांग को देखते हुए कंपनियां जैसे-तैसे पानी भरकर बेच रही हैं। बताया जाता है कि भिवंडी में कई कंपनियां ऐसी भी हैं जो वराला तालाब से पानी भरकर उसे फिल्टर करके लोगों को पिला रही हैं।

Wednesday, December 5, 2012

'चैत्यभूमि' डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के स्मारक के नाम


 डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस से एक दिन पहले इंदु मिल की जमीन उनके स्मारक के नाम करने की रणनीति का वही असर हुआ, जिसकी सरकार को उम्मीद थी। 'चैत्यभूमि' से लगा शिवाजी पार्क इलाका उत्सव से गूंज उठा। आंबेडकरी अनुयायियों ने पटाखे फोड़े, मिठाइयां बांटीं और ढोल-ताशों की धुन पर समूह नाचने लगे। गुरुवार को 'महापरिनिर्वाण दिवस' के लिए हर साल की तरह लाखों का जनसैलाब यहां उमड़ेगा, तो हाल क्या होगा, इसके कयास लगाए जा रहे हैं। लगभग हर राजनीतिक दल ने 'चैत्यभूमि' से लगी इंदु मिल की जमीन बाबासाहेब के स्मारक को देने के केंद्र सरकार के निर्णय का स्वागत किया। पूरा देश में जहां संसद में एफडीआई की बहस और उस पर होने वाले मतदान को लेकर उत्सुकता बनी हुई थी, आंबेडकर अनुयायियों में स्मारक की घोषणा को लेकर कुतूहल बना हुआ था। घोषणा के तत्काल बाद मिल के भीतर जबरन घुसने की मंशा व्यक्त कर चुके दलित नेता रामदास आठवले समर्थकों के साथ इंदु मिल पहुंच गए। वहां टेलिविजन कैमरों से घिरे उनके समर्थकों ने जश्न मनाया। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री निवास 'वर्षा' पहुंचकर वहां पृथ्वीराज चव्हाण को पुष्पगुच्छ पेश करके उनका अभिनंदन किया। 

वहीं, आठवले के कट्टर प्रतिद्वंद्वी आनंदराज आंबेडकर भी इंदु मिल पहुंचे। उनके समर्थकों ने मिठाइयां बांटीं और उन्हें कंधे पर उठाकर नाचे। पिछले साल 6 दिसंबर को आनंदराज अपने समर्थकों के साथ मिल के भीतर घुस गए थे। कई दिन भीतर रहने के बाद सरकार के अनुरोध पर उन्होंने आंबेडकर और भगवान बुद्ध की प्रतिमाएं बंद पड़ी मिल के भीतर स्थापित करने के बाद कब्जा छोड़ दिया था। वे डॉ आंबेडकर के पौत्र हैं और अपने भाई पूर्व सांसद प्रकाश आंबेडकर की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए वर्ष भर से सक्रिय हुए हैं।
 

वैसे, महापरिनिर्वाण दिन लाखों की भीड़ के बावजूद हर वर्ष बेहद शालीन और अनुशासित सलीके से मनाया जाता है। डॉ आंबेडकर को भगवान का दर्जा देने वाले उनके अनुयायी एक कमरे के 'चैत्यभूमि' स्मारक के सामने मोमबत्तियां जलाते हैं। इनमें अधिकांश वंचित और गरीब वर्ग साधनविहीन वर्ग के लोग होते हैं। इनके लिए मुंबई के कई दर्जन संस्थाएं खाने से लेकर पानी की मुफ्त व्यवस्था करती हैं। औरतों और बच्चों के साथ हजारों परिवार शिवाजी पार्क मैदान और समुद्र के किनारे पर रात बिताते हैं। देशभर के दादर की और आनेवाली ट्रेनों में ठसाठस भरी आंबेडकर अनुयायियों की भीड़ रेलवे की नियमित व्यवस्था को हर बार ध्वस्त कर देती है। इनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राजनेता श्रेय लूटने के लिए किस तरह कोशिश करते हैं और जनसामान्यों का समूह इस पर कैसा प्रतिसाद देता है, यह गुरुवार को साफ होगा!