Monday, September 29, 2014

महालक्ष्मी , महासरस्वती और महाकाली

शीतल वायु और लहरों का शोर मंदिर के घंटनाद से मिलकर कानों तक पहुंचता है और मन को भीतर तक तृप्त कर जाता है। महालक्ष्मी मंदिर के श्रद्धालुओं की लंबी कतारों पर इन दिनों अतिरिक्त सीसीटीवी और बांब डिटेक्शन व डॉग स्क्वाड्स के साथ पांच सौ वर्दीधारी पुलिसवालों और चार सौ सिक्युरिटी ग्रुप और एनजीओ के कार्यकर्ताओं का पहरा है। तीन ओर समुद्र से घिरे, एक ही रास्ते वाले मंदिर तक पहुंचना हो तो टेढ़ी-बिड़ंगी गलियों, भिखारियों, जबर्दस्ती गले पड़ जाने वाले दुकानदारों व जेबकतरों जैसी बाधाओं को पार करना पड़ेगा। मंदिर के चीफ एग्जेक्यूटिव ऑफिसर शरदचंद्र वी. पाध्ये बताते हैं, 'नवरात्र के इन दस दिनों में कम से कम दस लाख श्रद्धालु जरूर यहां आते होंगे।' मंगल, शुक्र, रविवार और छुट्टियों के दिन यहां लंबी कतारें लगती हैं। विजय स्वीट के रामगोपाल ने फरमाया, 'स्टील के जंगलों और बाहर ढाई-तीन घंटे पंक्तिबद्ध रहने के बाद ही यह सौभाग्य मिल पाता है।' चैत्र व मौजूदा अश्विन नवरात्र के गरबे वाले और दीवाली के आने वाले दिनों और मार्गशीष मास में-महालक्ष्मी के आस-पास किसी भी वक्त आपको ट्रैफिक पुलिस की जहमत बढ़ाते हुए सैकड़ों वाहन पार्क मिल जाएंगे। 
नकद व अन्य चढ़त के लिहाज से महालक्ष्मी सिद्धि विनायक, बाबुलनाथ व मुंबादेवी के साथ शहर के सबसे कमाऊ मंदिरों में से है। इसके 12-13 करोड़ रुपये के वार्षिक चढ़ावे का बड़ा हिस्सा पांच सदस्यीय ट्रस्टी बोर्ड हर वर्ष चुनिंदा शैक्षिक, धार्मिक, चैकित्सिक संस्थाओं, अनाथालयों, वृद्धाश्रमों, अंध-मूक-वधिर सहायता संगठनों, विकलांगों, मानसिक रूप से बाधितों व अन्य एजीओ को अनुदान में देता है। जरूरतमंद मरीजों के लिए तीन करोड़ और जरूरतमंद मेधावी छात्रों को दो करोड़ रुपये की सालाना मदद और वजीफे व हिंदू धर्म पर पुस्तकों के हिंदी-मराठी-गुजराती अनुवाद के लिए अनुदान और अकाल व प्राकृतिक आपदा जैसे समय मदद भी। मंदिर का अपना चिकित्सालय यूनिट है। डेंटल क्लिनिक, पैथ लैब, डायलिसिस सेंटर जैसी उसकी योजनाएं लालफीताशाही के जाल फंसी हैं। 
बॉम्बे गजेटियर्स में मुंबई की अधिष्ठात्री शक्ति स्वरूपा के इस विख्यात मंदिर की निर्माण अवधि 1761 से लेकर 1771 के बीच मानी गई है। द्वीपों के बीच बसी मुंबई में यह मंदिर एक द्वीपनुमा पहाड़ी पर बसा था। गिरगांव-मलबार हिल से वर्ली को जोड़कर वर्ली कॉजवे बनाने का ठेका ब्रिटिश सरकार ने रामजी शिवजी प्रभु नामक कंट्रैक्टर को दिया। प्रभु की टीम दिन में जो कुछ बनाती रात को आए ज्वार में बह जाया करता। एक दिन विलायत से आए इंजिनियर ने भी हाथ ऊंचे कर दिए। तय था कि योजना अब त्याग दी जाएगी, तभी एक रात प्रभु को स्वप्न में महालक्ष्मी, महासरस्वती व महाकाली के दर्शन हुए। आदेश मिला, 'हम समुद्र में पड़ी हैं। हमें वहां निकालकर यहीं एक मंदिर बनाकर प्रतिष्ठापित करो।' आतताइयों के हमलों से डरकर समुद्र में विसर्जित कर दी गई इन प्रतिमाओं को जब वापस निकाला गया, तो तूफानी लहरों के कारण महीनों से असफल हो रहा निर्माण पूरा हो गया। 80 हजार रुपये की लागत से पहाड़ी पर मंदिर बना जिस पर प्रसन्न गवर्नर लॉर्ड हॉर्नबी ने प्रभु को डेढ़ एकड़ का यह पूरा परिसर ही भेंट कर दिया। इधर, वर्षों से प्रभु परिवार के बारे में कोई सूचना नहीं है। जिन मछुआरों ने समुद्र से तीनों प्रतिमाओं का उद्धार किया उनकी 13वीं पीढ़ियां इस वक्त मौजूद हैं, जिनकी आजीविका के लिए कुछ दुकानें निर्धारित की गई हैं। 
देश का यह संभवतर् अकेला ऐसा मंदिर है जहां महालक्ष्मी , महासरस्वती और महाकाली - ये तीनों जागृत ज्योतिस्वरूपाएंएक साथ विद्यमान हों। दोनों नवरात्रों में उदीयमान सूर्य की रश्मियां सीधे उन्हें स्नान कराती हैं। गर्भगृह का रजत सिंहासन ,ध्वजस्तंभ , सभामंडप , मुख्य द्वार और बाहर गणपति , विठ्ठल - रुक्मिणी और जय - विजय की प्रतिमाएं और श्रीयंत्र ,सन्मुख स्तंभों पर हाथी और मोर की आकृतियां - मंदिर की अन्य विशेषताएं हैं। बलि , मद्य और तांत्रिक पूजाएं  बहुत वर्षोंसे बंद हैं। पिछले कई दशकों से यह केवल वेदोक्त और षोडशोपचार पूजाओं का केंद्र है। लॉइव डेबिट कॉर्ड स्वाइप डोनेशन , ऑन लाइन पूजा बुकिंग के साथ नए अवतार में। 1950 में , जबसे यहांचोरी हुई है , भगवती के बहुमूल्य आभूषण केवल दुर्लभ अवसरों पर ही निकाले जाते हैं। सिर पर भारी  भरकम चोपड़े लादेबहुत सेठिए विष्णुप्रिया की दिव्य दृष्टि से छुआ कर उन्हें पारस बनाने के लिए कभी भी दिख जाएंगे। कार्तिक पूर्णमासीअन्नकूट संभवत : यहां का सबसे महत्वपूर्ण उत्सव है। 

अक्सर ऐसा होता जब मंदिरों में दर्शनों के वक्त आने वाला , भाटे के वक्त सागर की छाती पर उभरी सड़क पर पांव  पांवठीक सामने आठ सौ साल पुरानी हाजी अली दरगाह को मत्था नवाने भी जाए और हाजी अली का भक्त महालक्ष्मी।फूलमालाओं और प्रसाद विक्रेताओं की ' आओ सेठ ' की पुकारों के बीच सुंदर सीढ़ियों पर चढ़ते वक्त सबसे पहले भव्यकंगूरों के दर्शन होते हैं। सामने दो दीपाधार और अगल - बगल दर्शन के बाद थोड़ा सुस्ताने और टेक लगाने की जगहें , थोड़ानीचे गणपति और हनुमान के दो छोटे मंदिर और हैं। कुछ सीढ़ियां उतरकर पहले समुद्र की इठलाती लहरों के बीच जा सकतेथे। यह इसे घेर दिया गया है। मंदिर का वर्तमान रूप जो भी दिखता है वह 1978 से लगातार चल रहे सुधार कार्यों कानतीजा है। 

Friday, September 26, 2014

महाराष्ट्र में दो पुराने गठबंधन ढेर

बीजेपी और शिवसेना के 25 साल पुराने गठबंधन के टूट जाने के बाद दोनों पार्टियों ने गठबंधन के अपने छोटे सहयोगियों से विधानसभा चुनाव में समर्थन करने की अपील की है। रामदास अठावले की रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया (आरपीआई) ने कहा कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने विधानसभा चुनावों के लिए समर्थन का अनुरोध किया है। उद्धव ठाकरे से मुलाकात करने के बाद अठावले ने कहा, 'उद्धव ने गठबंधन तोडने के लिए बीजेपी से नाखुशी जताई और कहा कि शिवसेना हमेशा गठबंधन को कायम रखना चाहती थी। उन्होंने मुझसे चुनावों में शिवसेना को समर्थन देने का अनुरोध किया।'
इससे पहले महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष देवेंद्र फड़नवीस ने कहा था कि बीजेपी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अपने छोटे सहयोगियों के साथ लड़ेगी। अठावले ने कहा कि वह एक बार फिर बीजेपी और शिवसेना के बीच मतभेद दूर करने का प्रयास करेंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तो किसी एक पार्टी को समर्थन करने के बारे में आखिरी फैसला अपने दल के कार्यकर्ताओं के साथ विचार विमर्श के बाद ही करेंगे।
विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर महाराष्ट्र में दो पुराने गठबंधन ढेर हो चुके हैं। जहां बीजेपी ने शिवसेना के साथ 25 साल पुराना गठजोड़ खत्म कर लिया, वहीं एनसीपी ने भी कांग्रेस से 15 साल से चला आ रहा रिश्ता तोड़ लिया। इससे राज्य में राज ठाकरे की एमएनएस सहित दूसरे छोटे दलों की अहमियत बढ़ गई है। शिवसेना और बीजेपी का 25 साल पुराना गठजोड़ गुरुवार को टूट गया। यह देश में दो दलों के बीच सबसे पुरानी पार्टनरशिप में से एक थी। अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में चौतरफा मुकाबला होगा। महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष देवेंद्र फड़नवीस और विधान परिषद में विपक्ष के नेता विनोद तावड़े ने गुरुवार शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बीजेपी अब छोटे सहयोगी दलों के साथ मिलकर शिवसेना से अलग चुनाव लड़ेगी। तावड़े ने कहा, 'शिवसेना के साथ अलायंस तोड़ना मुश्किल फैसला था।'
ऐसा लगा कि एनसीपी को जैसे इसी का इंतजार था। उसने भी देर शाम को कांग्रेस के साथ रिश्ते तोड़ने का ऐलान कर दिया। इससे त्रिशंकु विधानसभा और चुनाव बाद गठबंधन की कई संभावनाएं बन गई हैं। एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार ने बीजेपी के शिवसेना से अलग होने के फैसले के थोड़ी देर बाद कहा, 'मुझे पृथ्वीराज चव्हाण सरकार में काम करने में बड़ी मुश्किल होती है। मैं गुरुवार रात या शुक्रवार की सुबह पद छोड़ दूंगा। कांग्रेस सीटों को लेकर जिद पर अड़ी है और हमने उसके साथ अलायंस तोड़ने का फैसला किया है।' शरद पवार की एनसीपी और राज ठाकरे की एमएनएस की अहमियत अब बढ़ गई है। चुनाव से पहले आपसी तालमेल और चुनाव बाद अलायंस के कई ऑप्शन इन दोनों क्षेत्रीय दलों के लिए खुल गए हैं। पवार पहले बीजेपी के साथ एनडीए का हिस्सा रह चुके हैं। उन्हें या राज ठाकरे के लिए राष्ट्रीय पार्टियों के साथ अलायंस में कोई अड़चन नहीं है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी शिवसेना के साथ रिश्ते तोड़ने का बहाना और मौका ढूंढ रही थी। हालांकि प्रदेश बीजेपी के नेताओं ने कहा कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व शिवसेना के साथ अलायंस नहीं तोड़ना चाहता था। उन्होंने इसके लिए पूरी तरह से उद्धव ठाकरे की पार्टी को कसूरवार ठहराया। बीजेपी ने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी, सीट शेयरिंग और कुछ विधानसभा क्षेत्रों को लेकर दोनों पार्टियों के बीच विवाद के चलते अलायंस टूटा है। महाराष्ट्र में शिवसेना बीजेपी की सीनियर पार्टनर थी। इसलिए उसने गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने पर दावा ठोका था। वह महाराष्ट्र चुनाव में अपने लिए 151 सीटें चाहती थी। हालांकि बीजेपी चाहती थी कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद के बारे में फैसला हो। उनका कहना था कि चुनाव बाद दोनों में से जिस पार्टी को अधिक सीटें मिलती है, मुख्यमंत्री उसका होना चाहिए।
बीजेपी का गुस्सा इस वजह से भी बढ़ा क्योंकि शिवसेना ने उसे जो सीटें ऑफर की थीं, उन पर अभी कांग्रेस और एनसीपी के दिग्गज नेताओं का कब्जा है। मिसाल के लिए नांदेड़ की भोकर फॉर्मर चीफ मिनिस्टर अशोक चव्हाण की सीट रही है। शिवसेना ने कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख की लातूर सीट और पूर्व होम मिनिस्टर आर आर पाटिल की तसगांव सीट भी बीजेपी को ऑफर की थी। बीजेपी के एक नेता ने बताया, 'उन्होंने हमें 130 सीटें ऑफर की थीं और सहयोगी दलों को इसी में अजस्ट करने को कहा था। हमने ऐसा करने की कोशिश की, लेकिन अगर हम अपने कोटे से 6 सीटें सहयोगी दलों को देते तो हमारे पास 124 सीट ही बचती। शिवसेना ने पिछली बार से हमें सिर्फ पांच सीटें अधिक ऑफर की थी।' माना जा रहा है कि पहले की महायुति के सभी छोटे दल बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।
हालांकि शिवसेना ने दावा किया कि ये वही सीटें हैं, जिनकी मांग बीजेपी कर रही थी। पार्टी के एक नेता ने कहा, 'वे हमसे उन 59 विधानसभा क्षेत्रों में से सीटें मांग रहे थे, जो हमने पिछले 25 साल में नहीं जीती हैं। हमने उन्हें वही सीटें दीं। अब उन्हें शिकायत नहीं करनी चाहिए।' दिलचस्प बात यह है कि राज्य में अलायंस टूटने के बावजूद केंद्र में उनके गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ा है। बीजेपी के अलायंस टूटने की घोषणा से पहले शिवसेना नेता और केंद्रीय हेवी इंडस्ट्री मिनिस्टर अनंत गीते ने रिपोर्टर्स से कहा कि उनके मोदी कैबिनेट से इस्तीफे की कोई वजह नहीं है और केंद्र में दोनों पार्टियों का गठबंधन बना रहेगा। केंद्र और राज्य स्तर पर इस विरोधाभास से कई संभावनाएं जन्म लेती हैं। शिवसेना समझौते की पहल कर सकती है और पहले की तरह चुनाव से पहले बीजेपी से अलायंस कर सकती है या चुनाव के बाद दोनों पार्टियां मिलकर सरकार बना सकती हैं।

Thursday, September 25, 2014

साहब अडिग हैं, दाल नहीं गलेगी

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की 'आक्रामक शैली' के आगे बीजेपी नेताओं की एक नहीं चल पाई। महाराष्ट्र की 288 सीटों में आधे की हिस्सेदारी मांग रही बीजेपी अपनी मंशा में सफल नहीं हो पाई है। पिछले बार के विधानसभा चुनाव की तुलना में पांच-सात ज्यादा सीटें ही उसके हिस्से आने की बात कही जा रही हैं। शिवसेना 150 सीटों के अपने आंकड़े को किसी हालत में कम करने को तैयार नहीं हुई। राजनीतिक हलकों में यह सवाल पूछा जा रहा है कि एक पखवाड़े की तनातनी क्या वाकई बीजेपी कुछ हासिल कर पाई है? 
शिवसेना भवन में पार्टी प्रत्याशियों को अधिकृत ए-बी फार्म बांटने का सिलसिला बुधवार को ही शुरू कर दिया गया। शिवसेना, बीजेपी और साथी दलों के बीच सीटों का बंटवारा देर रात तक तय नहीं पाया था। सुबह चुनिंदा गालियां देकर होटल सोफीटेल से निकले छोटे दलों के नेता शाम तक फिर चर्चा के लिए उपस्थित हो चुके थे। इस बीच, एकनाथ शिंदे, पूर्व महापौर सुनील प्रभू और दूसरे प्रमुख नेता खुद को शिवसेना उम्मीदवार घोषित करने वाला अधिकृत पत्र प्राप्त कर रहे थे।
शिवसेना के दूसरे श्रेणी के नेता बीजेपी और साथी दलों से बातचीत में मशगूल थे और ठाकरे परिवार तुलजा भवानी के दर्शन लेकर प्रचार शुरू करने की तैयारी में जुटा था। संदेश बहुत साफ था, समझौता हो या न हो शिवसेना मैदान में उतरने जा रही है। सूत्रों के अनुसार, अधिकांश उम्मीदवारों को गुरुवार को ही उम्मीदवारी का नामांकन दायर करने के निर्देश दिए गए हैं।
 
उद्धव ठाकरे को अच्छी तरह पता था कि महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर है। उपचुनाव में बीजेपी का ग्राफ गिरा और मोदी की लहर कमजोर पड़ने की चर्चा चल पड़ी है। लोकसभा चुनाव में इतनी भारी जीत के ठीक बाद कहीं महाराष्ट्र के चुनाव में गड़बड़ी हुई तो मोदी का जादू खत्म होने का शोर उठने में देर नहीं लगेगी। शिवसेना ने बीजेपी की इसी कमजोर नस को पकड़ लिया। लंबे समय ठोस बातचीत ही नहीं हुई। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की 'मातोश्री' यात्रा के बाद चर्चा शुरू भी हुई तो उद्धव ठाकरे के इकतरफा विश्वास के आगे बार-बार अड़चन में आई है।
 
छोटे दलों की नाराजगी चरम पर पहुंची, उद्धव टस से मस नहीं हुए। शिवसेना को 'मिशन 150' का लक्ष्य देकर उन्होंने एक तरह से अपनी अंतिम सीमा पहले ही निर्धारित कर दी थी। 144 सीटों की शुरुआती मांग बीजेपी को ही हर बार घटानी पड़ी है। 119 सीटों के पुराने आंकड़े में सात सीटें बीजेपी को देने की पेशकश शिवसेना पहले ही कर चुकी थी। समाचार लिखे जाने तक शिवसेना-बीजेपी और साथी दलों के बीच अंतिम आंकड़ा तय नहीं हो पाया था। अगर वाकई 'महायुति' के समझौते ने आकार लिया और 150:120:18 के फार्मूले में बदलाव हुआ तो भी 'त्याग' बीजेपी को करना होगा। अब तक का कहानी यही बयान करती है।
बीजेपी के आगे उद्धव ठाकरे जिस तरह अपनी बात रखने में सफल रहे हैं, इससे तो यही संकेत मिलता है कि चुनाव के बाद भी वे बीजेपी की शर्तें नहीं मानेंगे। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने खुद को महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर प्रॉजेक्ट कर दिया है। बीजेपी ने यह आस लगा रखी थी कि चुनाव में शिवसेना से ज्यादा सीटें पाने पर मुख्यमंत्री उसका होगा। यह उद्धव का दबाव ही है कि बीजेपी मुख्यमंत्री पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित करने से कतरा रही है।
राजनीतिक गलियारों में कयास लगाया जा रहा है कि बीजेपी को अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए शिवसेना के समर्थन की जरूरत पड़ी, तो इसे पाना आसान नहीं होगा। शरद पवार की एनसीपी, राज ठाकरे की एमएनएस, छोटे-मोटे दलों और निर्दलीयों की आस पर ही बहुमत के लिए जरूरी 144 सीटों का जुगाड़ करना पड़ेगा। वरना बीजेपी के ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद शिवसेना शायद इस बार न माने। बहुमत का आंकड़ा दूर रह गया तो उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने के अलावा शायद कोई विकल्प नहीं रह जाएगा। मातोश्री के सूत्रों का तो मत है कि 'साहेब ठाम आहेत, डाल शिजनार नाही

Wednesday, September 24, 2014

मुंबई से बैंकॉक और मुंबई से कोलंबो के लिए अतिरिक्त उड़ान

जेट एयरवेज अपनी उड़ानों की तादात बढ़ा रहा है। इस कड़ी में अब आबू धाबी के लिए विशेष सेवाएं शुरू की जाएंगी। जेट एयरवेज द्वारा शुरू की गई नई सेवाओं में कोच्चि से मुंबई (रोजाना पांचवीं उड़ान) और मुंबई, कोझिकोड व तिरुवनंतपुरम से दोहा के अलावा अहमदाबाद, लखनऊ व गोवा से अबू धाबी गेटवे के लिए उड़ान शामिल हैं।
विमानन कंपनी ने नवंबर से बैंकॉक होते हुए हो चि मिन्ह के लिए नई उड़ान सेवा की घोषणा पहले ही कर चुकी है। इसके अलावा वह मुंबई से बैंकॉक और मुंबई से कोलंबो के लिए अतिरिक्त उड़ान शुरू करेगी।

Monday, September 22, 2014

मीडिया गड़े मुर्दे न उखाड़े।

अपने बेलाग स्वभाव के लिए मशहूर उपमुख्यमंत्री अजित पवार चुनाव के दौरान उनकी पुरानी गलतियों को फिर से तूल देने से आहत हैं। उन्हेंने संडे को फेसबुक पर अपील की कि उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और मीडिया गड़े मुर्दे न उखाड़े।
पिछले साल सूखे के मुद्दे पर अपनी टिप्पणी को लेकर आलोचनाओं का सामना कर चुके पवार ने कहा है कि वे इसके लिए माफी मांगी मांग चुके हैं। दरअसल, पवार ने कहा था, 'यदि जलाशय में पानी नहीं है, तो क्या मैं जलाशय में पेशाब करुं या क्या करुं।' उनकी इस टिप्पणी के बाद बवाल हो गया था जिसके बाद उन्होंने माफी मांगी थी।
फेसबुक पर पवार के फॉलोअर्स द्वारा साझा किए गए बयान में पवार ने कहा है कि उन्हें ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी, लेकिन सोलापुर के किसान भैया देशमुख को मनाने के लिए सारी कोशिश नाकाम हो गई थी जो अनशन पर बैठे हुए थे। राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने सरकार को निशाना बनाने के लिए उनका इस्तेमाल किया जो किसानों को राहत मुहैया करने के लिए हर कोशिश कर रही थी। पवार ने कहा, 'आने वाले दिनों में जबरदस्त चुनावी राजनीति देखने को मिलेगी। कृपया अनुचित टिप्पणी न करें और बंद हो चुके अध्याय को दोबारा नहीं खोलें।'
उन्होंने कहा कि मीडिया 25 साल पहले इतनी आक्रामक नहीं थी जितनी की आज है। पवार ने कहा कि उन्होंने हाल ही में अपने बंगले पर पत्रकारों से एक अनौपचारिक बातचीत में कुछ व्यक्तिगत विचार जाहिर किए थे, लेकिन यह बातचीत खत्म होने से पहले ही इन बयानों को 'ब्रेकिंग न्यूज' बना दिया गया। उन्होंने पूछा, 'क्या अनौपचारिक बातचीत में कही गई कुछ बात को प्रचारित करना सही है?' दरअसल, वह अपने उस कथित बयान का हवाला दे रहे थे जिसके तहत उन्होंने कहा था कि यदि पृथ्वीराज चव्हाण दोबारा मुख्यमंत्री बने तो वह उपमुख्यमंत्री बनने को राजी नहीं होंगे।
 

Saturday, September 20, 2014

गठबंधन को लेकर अभी कुछ भी साफ नहीं

कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन को लेकर अभी कुछ भी साफ नहीं हो पाया है। पिछले सात दिन से एनसीपी कांग्रेस के न्योते का इंतजार कर रही पर कांग्रेस है कि उन्हें घास ही नहीं डाल रही है। हालांकि, एनसीपी की ओर से प्रयास जारी है कि गठबंधन का निर्णय जल्द से जल्द ले लिया जाएग, ताकि उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की जा सके।
शुक्रवार को एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा कि सात दिन पहले पार्टी ने सीट बंटवारे का फार्मुला कांग्रेस को दिया था, लेकिन उसके बाद कांग्रेस की ओर से कोई रिस्पांस नहीं आया। तटकरे के मुताबिक, एनसीपी को उम्मीद कि एक दो दिन में बातचीत का न्योता एनसीपी को मिल जाएगा, क्योंकि चुनाव की अधिसूचना शनिवार को जारी हो जाएगी और नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। उन्होंने साफ किया कि हमने चुनाव की तैयारी भी बखूबी की है।

विनय कोरे की पाटी के विधायक मालेगांव से विधायक मुफ्ती मोहम्मद इस्माईल ने शुक्रवार को एनसीपी का दामन थाम लिया। इस्माईल के साथ आल इंडिया मुस्लिम ओबीसी संघ के अध्यक्ष वाई एन मनिया, मालेगांव विकास आघाडी के सुनील गायकवाड़ सहित 4 नगरसेवकों ने एनसीपी में प्रवेश किया। इस अवसर पर सुनील गायकवाड ने दावा किया कि आने वाले दिनो में जल्द ही मालेगांव के 24 नगरसेवक एनसीपी में प्रवेश करेंगे। पार्टी में नए लोगों का स्वागत एनसीपी प्रमुख सुनील तटकरे, छगन भुजबल, नवाब मलिक व अन्य नेताओं ने किया। 

Wednesday, September 17, 2014

27 साल की एक महिला पेशंट रविवार को अचानक गायब

पिछले कई दिनों से बीएमसी के केईएम अस्पताल में इलाज करा रही 27 साल की एक महिला पेशंट रविवार को अचानक गायब हो गई। दो दिन बाद भी नवी मुंबई की रहने वाली इस मरीज की कोई जानकारी अस्पताल को नहीं लग पाई है। यह पहला वाक्या नहीं है जब अस्पताल से कोई पेशंट इस तरह गायब हो गया है। केईएम अस्पताल के मरीजों के गायब होने की शिकायत का रिकॉर्ड रखने वाले विभाग के अनुसार इस अस्पताल में औसतन हर दिन एक पेशंट के गायब होने की शिकायत दर्ज की जाती है।
पूजा तिवारी (27) केईएम अस्पताल के सायकायट्रिक विभाग में अपना इलाज ले रही थी। अस्पताल के वॉर्ड नंबर चार में ऐडमिट यह लड़की रविवार को अचानक अस्पताल से गायब हो गई और लड़की के परिजनों ने मामले की शिकायत अस्पताल में ही दर्ज कराई। केईएम अस्पताल के सहायक सुरक्षा अधिकारी, संदीप ए पाटिल का कहना है कि इस महिला के साथ उसके परिवार वाले मौजूद थे। ऐसे में अपने मरीज का ध्यान रखना उसके रिश्तेदारों का भी काम है। हम अस्पताल चला रहे हैं और हमारा काम चिकित्सा की सेवा देना है। इस तरह से लोगों का अस्पताल से जाना या गायब होना कोई नई बात नहीं है।
केईएम अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल के रिकॉर्ड में दर्ज ऐसे मामलों की बात करें तो यहां औसतन हर दिन एक मरीज के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज होती है। सहायक सुरक्षा अधिकारी संदीप पाटिल का कहना है कि कई बार पेशंट घर पहुंच जाता है और रिश्तेदार यहां पेशंट ढूंढते रहते हैं। इसके अलावा लंबी बीमारी के चलते भी कई मरीज परेशान हो कर अस्पताल से चले जाते हैं। वहीं अस्पताल की एक्टिंग डीन, डॉक्टर शुभांगी पारकर से इस विषय पर संपर्क नहीं हो पाया। गौरतलब है कि डॉक्टर पारकर उसी विभाग की हेड भी हैं, जिससे यह लड़की गायब हुई है। 

Monday, September 15, 2014

यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। कांग्रेस के लिए यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के सदमे से जहां कांग्रेस अब तक उबरी नहीं हैं वहीं एनबीटी के साथ बातचीत में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण महाराष्ट्र में कांग्रेस की वापसी को लेकर बेहद आशावादी नजर आए। उन्होंने मौजूदा राजनीतिक हालात और आगामी चुनावों से संदर्भ में लंबी चर्चा की।

Thursday, September 11, 2014

संदेहास्पद 'वस्तु' को लेकर अभी तक संशय बरकरार

बीते शनिवार 6 सितंबर को मुंबई की हवाई सीमा में मंडराई संदेहास्पद 'वस्तु' को लेकर अभी तक संशय बरकरार है। किसी भी एयरलाइन और एयर क्राफ्ट के रूट से मैच न होने और किसी भी फ्लाइट प्लान का हिस्सा न होने के कारण उड्डयन अधिकारी इसे दबे शब्दों में 'फॉल्स अलार्म' करार दे रहे हैं।
इस संदिग्ध तथाकथित विमान को एतिहाद एयरवेज के एक विमान ने देखा था, उसी ने मुंबई एयर ट्रैफिक कंट्रोल विभाग को इसकी शिकायत भी की थी। एयर ट्रैफिक कंट्रोल विभाग के मुताबिक उस तय समय में किसी भी अन्य एयर क्राफ्ट का फ्लाइट प्लान तय नहीं किया गया था, ऐसे में घटनास्थल से किसी विमान के गुजरने की संभावनाएं कम ही हैं। इस बाबत जब एनबीटी ने नागरिक उड्डयन नियामक डीजीसीए से संपर्क किया तो उन्होंने भी अभी तक कोई परिणाम नहीं निकल पाने की बात स्वीकारी।
डीजीसीए पश्चिम क्षेत्र के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक मामले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं। आगामी शनिवार तक किसी नतीजें पर पहुंचने की भी संभावना हैं।

एनबीटी के पूछे जाने पर एयर फोर्स ने इस घटनाक्रम पर अपनी अनभिज्ञता जाहिर की। उनके मुताबिक जिस क्षेत्र की बात की जा रही है वह हवाई संरक्षण के कार्य क्षेत्र में नहीं आता है। सुरक्षा इकाई में मुताबिक इस तरह की किसी भी घटना की रिपोर्ट एयर ट्रैफिक कंट्रोल को ही की जाती है, एतिहाद एयरवेज के मुताबिक यह विमान मुंबई से करीब 400 से 500 किलोमीटर की दूरी पर उड़ रहा था, जबकि एतिहाद का विमान इससे केवल 500 फीट की दूरी पर था। मुंबई एयर ट्रैफिक कंट्रोल के मुताबिक इस तरह का कोई भी एयर क्राफ्ट न तो उनके फ्लाइट प्लान में दर्ज था और न ही उनके राडार पर था।