Wednesday, October 29, 2014

पवार और गडकरी अच्छे दोस्त

मोदी सरकार के वरिष्ठ मंत्री नितिन गडकरी ने देवेंद्र फडनवीस की राह में आते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा पेश किया था, लेकिन इसके पीछे की कहानी कुछ अलग है। यह केवल उनकी व्यक्तिगत इच्छा या महत्वाकांक्षा नहीं थी, बल्कि गडकरी को अपने 'अच्छे मित्र' और एनसीपी चीफ शरद पवार का इसके लिए समर्थन हासिल था। पवार ने राज्य में सरकार बनाने के लिए बीजेपी को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की थी।
पता चला है कि 18 अक्टूबर को एनसीपी की ओर से बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा करने के कुछ ही दिनों में परदे के पीछे काफी हलचल हुई थी। महाराष्ट्र एनसीपी के सूत्रों ने ईटी को बताया कि 21 अक्टूबर को पवार के एक वरिष्ठ सहयोगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संपर्क कर गडकरी को मुख्यमंत्री बनाने की एनसीपी की इच्छा जाहिर की थी।

उस समय 63 विधायकों वाली शिव सेना ने गठबंधन में अपनी पूर्व सहयोगी बीजेपी को समर्थन नहीं दिया था, जो बहुमत से 23 सीटें पीछे थी। माना जा रहा है कि एनसीपी की ओर से समर्थन देने की पेशकश बीजेपी को शिव सेना के मोलभाव का मुकाबला करने में मदद के लिए थी, लेकिन पवार के दूत की गडकरी को मुख्यमंत्री बनाने की एनसीपी की इच्छा जाहिर करने से यह संकेत मिल रहा है कि पवार बिना शर्त समर्थन के पीछे अपनी एक चाहत पूरी करवाने के लिए भी जोर डाल रहे थे। पवार और गडकरी अच्छे दोस्त माने जाते हैं और सूत्रों का कहना है कि एनसीपी की लीडरशिप महाराष्ट्र में सरकार चलाने के लिए गडकरी को बेहतर मानती है।
सूत्रों ने बताया कि मोदी ने पवार के दूत की एनसीपी की पसंद की बात सुनी, लेकिन उन्होंने अपना फैसला नहीं बताया। इससे अगले दिन गडकरी ने अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए 40 से अधिक बीजेपी विधायकों को नागपुर में अपने निवास पर बुलाया था। इन विधायकों ने उनसे मुख्यमंत्री बनने की गुजारिश की थी। इससे बीजेपी की टॉप लीडरशिप भी हैरानी में पड़ गई थी और अटकलें लगने लगी थी कि आरएसएस गडकरी का समर्थन कर सकता है। गडकरी की वरिष्ठता और मुख्यमंत्री बनने की उनकी चाहत किसी से नहीं छिपी थी और नागपुर से ही संबंध रखने वाले फडनवीस के साथ उनका छत्तीस का आंकड़ा भी रहता है। पार्टी के पूर्व प्रेजिडेंट राजनाथ सिंह ने आरएसएस के कद्दावर नेता सुरेश सोनी के कहने पर फडनवीस को महाराष्ट्र बीजेपी का प्रमुख बनाया था और इस कदम को राज्य की राजनीति में गडकरी के पर कतरने के तौर पर देखा गया था।
हालांकि मोदी के फडनवीस को पसंद करने और आरएसएस के भी मोदी की इच्छा के साथ जाने से पवार और गडकरी का यह खेल कमजोर पड़ गया। इसके बाद शिव सेना ने भी मौके की नजाकत को भांपते हुए घोषणा कर दी कि वह बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री के लिए चुने गए किसी भी व्यक्ति को अपना समर्थन देगी। इसके साथ ही एनसीपी की राज्य में सरकार बनाने के लिए मोलभाव करने की कोशिश भी बेकार हो गई।
महाराष्ट्र में बीजेपी-शिव सेना के सत्ता में दोबारा एक साथ आने से एनसीपी की उपयोगिता लगभग खत्म हो जाएगी। पवार ने सोमवार को ईटी से कहा था कि बीजेपी को सरकार बनाने में मदद करने के लिए उनकी पार्टी विश्वास मत के दौरान वोटिंग में मौजूद नहीं रहेगी।

Monday, October 27, 2014

वोटिंग हो तो उनकी पार्टी इसमें हिस्सा नहीं लेगी

एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा है कि वह महाराष्ट्र में सरकार गठन में न तो बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं और न ही विरोध। उन्होंने कहा कि बहुमत साबित करने के लिए होने वाली वोटिंग में एनसीपी हिस्सा नहीं लेगी।
पवार ने उन खबरों को बेबुनियाद बताया है कि महाराष्ट्र में बीजेपी को बिना शर्त समर्थन का प्रस्ताव देने के पीछे उनकी मंशा कथित वित्तीय अनियमितताओं में शामिल अपनी पार्टी के नेताओं को नई सरकार की जांच से बचाना था। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के पीछे एक ही वजह थी क्योंकि वह महाराष्ट्र में एक स्थाई सरकार देखना चाहते थे।
हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को दिए इंटव्यू में जब पवार से पूछा गया कि क्यों एनसीपी ने बीजेपी को एकतरफा और समर्थन देने की घोषणा की, तो पवार ने कहा, 'हम न ही (बीजेपी का) समर्थन कर रहे हैं और न ही विरोध।' पवार ने कहा कि अगर ऐसी स्थिति आई कि विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए वोटिंग हो तो उनकी पार्टी इसमें हिस्सा नहीं लेगी।
उन्होंने कहा कि हम ऐसा करने के लिए मजबूर हैं अन्यथा महाराष्ट्र में सरकार का गठन नहीं हो पाएगा और छह महीने में ही यहां फिर से चुनाव कराने पड़ेंगे। हमें महाराष्ट्र में एक स्थाई सरकार के गठन पर खुशी होगी लेकिन शिवसेना और बीजेपी नई सरकार के गठन के लिए साथ आते दिखाई नहीं दे रहे हैं।
जब उनसे पूछा गया कि पृथ्वीराज चव्हाण ने एनसीपी और बीजेपी के बीच साठगांठ का आरोप लगाया था ताकि एनसीपी नेताओं को वित्तीय अनियमितताओं के आरोपो से बचाया जा सके, इस पर पवार ने कहा, 'पृथ्वीराज तीन साल तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। तब वह क्या कर रहे थे? क्या वह सो रहे थे?'
यह पूछे जाने पर कि कुछ एनसीपी नेताओं ने हाल ही में कहा था कि बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए कांग्रेस आपकी पार्टी के साथ मिलकर शिवसेना को समर्थन देना चाहती है। क्या आप ऐसे किसी समझौते की तरफ बढ़ रहे हैं?
इस पर पवार ने कहा, 'मैं यहां इस तरह की संभावनाओं क जवाब देने के लिए नहीं हूं। हो सकता है कि कुछ कांग्रेसी नेताओं ने ऐसा सोचा हो, लेकिन पार्टी ऐसा नही सोचती है। अगर वे (कांग्रेसी नेता) इस बात के प्रति गंभीर हैं तो उन्हें सार्वजनिक तौर पर इसे बोलने दीजिए। इसके बाद हम इस पर चर्चा करेंगे। मुझे नहीं लगता कि उस स्थिति में भी हमें पर्याप्त संख्याबल मिल पाएगा।'

Friday, October 24, 2014

दीवाली की खुशहाली में हर मुंबईकर शिद्दत से शामिल हुआ

दीवाली की खुशहाली में हर मुंबईकर शिद्दत से शामिल हुआ। बच्चों में जहां मिठाइयों, आतिशबाजी को लेकर उत्सुकता दिखी, वहीं बड़े एक-दूसरे को बधाई संदेश एवं तोहफे देने में व्यस्त रहे। युवाओं, विद्यार्थियों के साथ विदेशी स्टूडेंट्स भी दीवाली की रौनक में शरीक हुए।
खुशियों और उमंगों से लबरेज प्रकाश पर्व दीवाली को मनाने वाले स्टूडेंट्स उस वक्त खुशी से झूम उठे, जब मुंबई यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर, प्रो-वाइस चांसलर, डीन और कई विभागों के हेड बुधवार देर शाम उनके साथ दीवाली का जश्न मनाने में जुटे थे। भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत दीवाली के त्योहार का आयोजन मुंबई यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी कल्याण विभाग की ओर से मरीन लाइंस स्थित स्पोट्‌र्स संकुल में आयोजित था। हर साल की तरह इस बार भी वाइस चांसलर डॉ. राजन वेलुकर, प्रो-वाइस चांसलर डॉ. नरेश चंद्रा, स्टूडेंट्स वेलफेयर के डीन डॉ. मृदुल निले, पीआरओ लीलाधर बन्सोड, यूनिवर्सिटी अधिकारी एवं कर्मचारी सहित सैकड़ों विदेशी स्टूडेंट्स मौजूद थे।
वीसी डॉ. वेलुकर ने विदेशी स्टूडेंट्स को भारतीय संस्कृति, तीज-त्योहार और प्रकाश पर्व की उपयोगिता, महत्ता, संस्कृति और पंरपरा के बारे में जानकारी दी। डॉ. नरेश चंद्रा ने स्टूडेंट्स को दीवाली मनाए जाने के ऐतिहासिक पहलुओं के बारे में बताया। विदेशी स्टूडेंट्स के साथ वीसी, प्रो-वीसी, डीन और एचओडी ने फुलझड़ियां जलाईं और एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाकर शुभकामनाएं दीं। इस मौके पर इंडियन कल्चर से जुड़े हुए गानों और गजलों की प्रस्तुति के साथ-साथ वेस्टर्न धुनों पर आधारित गाने गाए गए। स्टूडेंट्स ने कई वाद्य यंत्रों पर आधारित धुन भी सुनाए। देर रात तक स्टूडेंट्स ने गीत-संगीत और आतिशबाजी का आनंद लिया।

यूं तो अनाथों, अपंगो और अपाहिजों के साथ कुछ एक गैर-सरकारी संगठन या स्टूडेंट्स के चुनिंदे समूह ही दीवाली मनाते हैं। मगर, इस बार महाराष्ट्र के राज्यपाल सी़ विद्यासागर राव ने दीवाली के दिन सुबह-सुबह अस्पतालों, अनाथालयों और अन्य जगहों पर जाकर बुजुर्गों, अंपगों, बीमारों और अनाथ बच्चों के साथ दीवाली मनाई। राज्यपाल के साथ मनाए दीवाली जश्न के बाद मरीजों, बुजुर्गों, अपंगों और अनाथों की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। उन लोगों से बात करने पर पता चला कि उन्हें तो उम्मीद भी नहीं थीं कि एक दिन उनसे राज्यपाल मिलने के लिए आएंगे।
कई अनाथ बच्चे तो राज्यपाल का नाम या उन्हें जानते भी नहीं थे। राजभवन से मिली जानकारी के मुताबिक, गुरुवार की सुबह राज्यपाल सी़ विद्यासागर राव पत्नी विनोदा के साथ महाल‌‌‌क्ष्मी स्थित किंग जॉर्ज पंचम मेरोरियल कैंपस गए। इस दौरान वे कैंपस में ही मौजूद आनंद निकेतन में जाकर वृद्धाश्रम में मौजूद महिलाएं, बुजुर्गों, अंपगों के साथ दीवाली मनाए। उनका हालचाल जानने के बाद वे वात्सल्य बालगृह जाकर अनाथ बच्चों से मिले और उन्हें मिठाइयां खिलाईं। राज्यपाल के साथ बीएमसी आयुक्त सीताराम कुंटे, संस्था के अधिकारी डी.एम. सुखटनकर, आर.एच. मेंडोसा और अन्य कई पदाधिकारी मौजूद थे।

Wednesday, October 22, 2014

शुभेच्छा

सभी पाठकों को दीपावली की हार्दिक शुभेच्छा ।


(डॉ. राजेन्द्र कुमार गुप्ता)

200 उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा पाए

ठाणे जिले के 18 विधानसभा सीटों से चुनाव मैदान में रहे 238 में से 200 उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा पाए हैं। इस चुनाव में खास बात यह रही कि जिले के 16 निवर्तमान विधायकों में से 7 को हार का मुंह देखना पड़ा है। इसके अलावा इस चुनाव से जिले से कांग्रेस तथा एमएनएस पूरी तरह बाहर हो गई है। प्रमुख पार्टियों में एमएनएस के 13, कांग्रेस के 17 उम्मीदवारों, शिवसेना तथा बीजेपी के तीन-तीन और एनसीपी के 12 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है। शिवसेना, कांग्रेस तथा एनसीपी ने सभी 18, एमएनएस ने 14 तथा बीजेपी ने 17 स्थानों पर उम्मीदवार उतारा था।
प्रमुख उम्मीदवारों में एनसीपी के निरंजन डावखरे, हनुमंत जगदाले, महेश तपासे, कांग्रेस के अब्दुल राशीद ताहीर मोमिन, प्रभात पाटील, मोहन तिवारी तथा नारायण पवार शिवसेना मनोज काटेकर तथा प्रभाकर म्हात्रे, एमएनएस के सुधाकर चव्हाण, निलेश चव्हाण, हरिश्चंद्र पाटील, सेजल कदम तथा प्रकाश भोईर अपनी जमानत बचाने में असफल रहे हैं। लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में ठाणे जिले के लोगों ने कांग्रेस तथा एमएनएस को पूरी तरह से नकार दिया है। कांग्रेस के पास जिले में भिवंडी की एकमात्र विधानसभा सीट थी और सुरेश टावरे विधायक थे, लेकिन कांग्रेस ने इस बार एकमात्र सीट को भी गंवा दिया।

एमएनएस के पास विधानसभा की दो सीटें थी, इस चुनाव में कल्याण रूरल तथा कल्याण वेस्ट दोनों से एमएनएस को हार का सामना करना पड़ा है। जिले में 16 निवर्तमान विधायक चुनाव मैदान में थे, जिसमें से 9 फिर से विधानसभा में पहुंचने में सफल हुए, लेकिन 7 को हार का सामना करना पड़ा। दुबारा जितने वालों में शिवसेना के एकनाथ शिंदे, प्रताप सरनाईक, बालाजी किणीकर, रुपेश म्हात्रे, एनसीपी के जीतेंद्र आव्हाड, संदीप नाईक, बीजेपी के रवींद्र चव्हाण, रुपेश म्हात्रे, किसन कथोरे तथा निर्दलीय विधायक गणपत गायकवाड का समावेश है। जिन विधायकों को हार का सामना करना पड़ा है, उनमें रमेश पाटील, कुमार आयलानी, प्रकाश भोईर, गणेश नाईक, गिल्बर्ट मेंडोसा, राशिद ताहीर मोमिन, दौलत दरोडा का समावेश है।

Tuesday, October 21, 2014

एनसीपी को निशाने पर लिया

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए बीजेपी के साथ सरकार में शामिल होने के संकेत दे रही एनसीपी को अपने निशाने पर लिया है। सामना के ताजे संपादकीय में शिवसेना ने एनसीपी को अवसरवादी बताया है।
सामना में कहा गया है कि एनसीपी के लिए कल तक बीजेपी एक सांप्रदायिक ताकत थी और इसके नेताओं का हाफ पैंट पहनने वाले कहकर मजाक उड़ाया जाता था। एनसीपी ने संघ की वेशभूषा का मजाक उड़ाकर हिंदुत्व का अपमान किया था। क्या अब वे वाकई महाराष्ट्र को स्थायित्व देना चाहते हैं। एनसीपी सिर्फ घोटालों में शामिल रहे अपने नेताओं को बचाने की कोशिश कर रही है। और महाराष्ट्र की 13वीं विधानसभा के चुनावों में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने का कई पार्टियां फायदा उठाने की कोशिश कर रही हैं।
सामना में एनसीपी प्रमुख शरद पवार समेत प्रफुल्ल पटेल को भी निशाने पर लिया गया है। शिवसेना के मुताबिक एनसीपी जब कांग्रेस के साथ गठबंधन में थी तो बीजेपी को सांप्रदायिक पार्टी कहती थी। अब एनसीपी का बीजेपी को लेकर बदलाव समझ में नहीं आ रहा है।
पीएम मोदी ने भी महाराष्ट्र की चुनाव रैलियों में एनसीपी के खिलाफ जमकर प्रचार किया था और उसे राज्य को लूटने वाली 'नैचरली करप्ट पार्टी' बताया था। बीजेपी के नेता विनोद तावड़े ने तो कांग्रेस-एनसीपी के भ्रष्ट नेताओं को जेल भेजने का वादा किया था। और जो पार्टी विपक्ष का दर्जा हासिल करने लायक सीटें भी नहीं ला सकी वह इतना अवसरवाद दिखा रही है।
हालांकि शिवसेना का रुख बीजेपी पर थोड़ा नरम हुआ है और उसने अपनी पूर्व सहयोगी पार्टी को शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल की पॉलिटिक्स से बचने को कहा है। शिवसेना ने कहा है कि बीजेपी को विदर्भ में काफी समर्थन मिला है लेकिन हम मानते हैं कि यह समर्थन विदर्भ को अलग राज्य बनाने के लिए नहीं है।
बीजेपी के पास सरकार बनाने के लिए जरूरी सीटों से 22 सीटें कम हैं। चुनाव से ठीक पहले अलग हुए शिवसेना और बीजेपी के भी साथ आने के आसार हैं लेकिन एनसीपी भी सरकार को बाहर से समर्थन देने के संकेत दे चुकी है।

Monday, October 20, 2014

सबसे बड़ी पार्टी - बीजेपी

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं और साफ हो गया है कि बीजेपी 122 सीटों (एक सीट सहयोगी पार्टी को मिली है) के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। हालांकि, वह बहुमत से 22 सीट दूर है और उसे सरकार बनाने के लिए किसी एक पार्टी के समर्थन की जरूरत पड़ेगी। शिवसेना को 63, कांग्रेस को 42 और एनसीपी को 41 सीटों पर जीत मिली है।
अब ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या बीजेपी और शिवसेना का अलग-अलग लड़ने का फैसला सही था? और क्या होता अगर महाराष्ट्र में दोनों गठबंधन नहीं टूटे होते? हालांकि यह एक काल्पनिक सवाल है लेकिन राज्य की राजनीतिक तस्वीर को समझने के लिए इसका जवाब खोजा जाना जरूरी है।
अगर बीजेपी, शिवसेना साथ मिलकर लड़तीं तो उनकी झोली को कम-से-कम 18 सीटें और आतीं, जबकि ऐसी स्थिति में कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर लड़ने से भी दोनों पार्टियों को नौ सीटें कम मिलतीं। यह आकलन चारों पार्टियों को विधानसभा क्षेत्रों में मिले वोटों को जोड़कर किया गया है। हालांकि, यह वास्तविक स्थिति की सही तस्वीर नहीं पेश करती है क्योंकि राजनीति में अलायंस होने और उम्मीदवार के नाम जाति आदि के आधार पर एक दूसरी तस्वीर बनती है और उससे वोटिंग का पैटर्न भी बदल जाता है।
इस तथ्य को नजरंदाज करके चारों पार्टियों को मिले वोटों के आधार पर इसे देखें और यह मान लें कि दोनों गठबंधन बने रहने पर भी वोटिंग पैटर्न यही रहता तो बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन 203 सीटें जीत लेता, जबकि अलग लड़कर दोनों पार्टियों ने 186 सीटों पर जीत दर्ज की है। कांग्रेस और एनसीपी को साथ रहने पर 74 सीटों पर जीत मिल सकती थी। अलग-अलग लड़ने पर दोनों पार्टियों ने कुल 83 सीटें जीती हैं।
इस में एक पहलू जोड़ते हैं कि बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन टूटने के बाद कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन बना रहता तो कैसी तस्वीर सामने आती। इस स्थिति में कांग्रेस-एनसीपी के खाते में 118 सीटें जातीं, अभी मिलीं सीटों से 35 ज्यादा। इस परिस्थिति में बीजेपी को 102 सीटों पर और शिवसेना को 51 सीटों पर जीत मिलती।

Thursday, October 16, 2014

मुंबई में करीब 55 पर्सेंट मतदान

सुरक्षा बलों की भारी निगरानी में बुधवार को मुंबई व आसपास के क्षेत्रों में छिटपुट घटनाओं के साथ मतदान संपन्न हो गया। मुंबई में करीब 55 पर्सेंट मतदान हुआ है, जबकि साल 2009 में हुए मतदान में 46.10 पर्सेंट मतदान हुआ था। पूर्वी उपनगर में 53 पर्सेंट और मुंबई शहर में 54.33 पर्सेंट मतदाताओं ने मतदान किया।
मुंबई उपनगर में सबसे ज्यादा दहिसर में औसतन 60.68 पर्सेंट और सबसे कम 41.80 पर्सेंट मानखूर्द मतदान क्षेत्र में मतदान हुआ है। वहीं मुंबई शहर की कुल 10 सीटों में सबसे ज्यादा वडाला विधानसभा चुनाव क्षेत्र में 59.60 मतदान हुआ है और सबसे कम मतदान 47.59 कोलाबा विधानसभा चुनाव क्षेत्र में हुआ है। सुबह में मतदान धीमी गति से शुरू हुआ और दिन ढलने के साथ ही मतदान में गति आ गई।

चुनाव अधिकारी के घर ईवीएम मिलने की शिकायत ठाणे जिले वसई में चुनाव अधिकारी के घर पर चार ईवीएम मिलने की घटना सामनेआई। क्षेत्रीय अधिकारी अशोक मांद्रेकेघर पर चार ईवीएम रखेगए थे। इसकी शिकायत स्थानीय विधायक विवेक पंडित ने चुनाव आयोग केअधिकारियों से की है। वसई के तहसीलदार इन ईवीएम मशीनों को अपने कब्जे में ले लिया है। जबकि इस बारे में चुनाव आयोग का कहना है कि अधिकारी के घर पर रखी गई अतिरिक्त मशीनें थीं। इसमें कुछ भी गैरकानूनी नहीं है।

Tuesday, October 14, 2014

मुसलमान देशभक्त

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह भिवंडी शहर जिला कांग्रेस कमिटी द्वारा विधानसभा पश्चिम के प्रत्याशी शोएब खान व विधानसभा पूर्व के प्रत्याशी मो. फाजिल अंसारी के लिए आयोजित चुनावी सभा में पहुंचे। उन्होंने हिंदुस्तान के मुसलमानों को देशभक्त बताते हुए कहा है कि जिस विचारधारा ने महात्मा गांधी की हत्या की थी, उसी विचारधारा के लोग आज देश की सत्ता पर विराजमान हैं।
सिंह ने बीजेपी और कांग्रेस की तुलना करते हुए कहा कि जहां देश में बीजेपी जैसी पार्टियां हिंदू-मुसलमानों में दंगा कराकर राजनीतिक कुर्सियां हासिल करती हैं, वहीं कांग्रेस सेक्युलरिजम की लड़ाई लड़ती है। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता को देश की एकता बताते हुए कहा कि सोनिया गांधी का इतिहास त्याग का इतिहास है।

दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर सीधा हमला साधते हुए कहा कि बीजेपी दो मुंहा सांप है। बीजेपी के नेता मोदी जी कहते हैं कि महाराष्ट्र नहीं बंटेगा, लेकिन यहां के बीजेपी नेता कहते हैं कि विदर्भ राज्य बनेगा। सिंह ने कहा, मोदी जी को इतिहास, भूगोल की जानकारी भी नहीं है। उन्हें तो झूठ बोलने में महारत हासिल है।
सिंह ने आगे कहा कि मीडिया और कॉर्पोरेट जगत के सहारे प्रधानमंत्री बनने वाले मोदी ने झूठ बोलकर देश को ठगा है। उन्होंने भिवंडी के विकास के लिए पश्चिम विधानसभा के कांग्रेस प्रत्याशी शोएब खान व विधानसभा पूर्व के प्रत्याशी मो. फाजिल अंसारी को भारी मतों से जिताने की अपील की।

Thursday, October 9, 2014

उद्धव की कमजोर राजनीतिक समझ' का नमूना

एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार जल्द ही नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर बन सकते हैं। यह दावा किया है महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के चीफ राज ठाकरे ने। ठाकरे ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना का 25 वर्षों से चला आ रहा गठबंधन टूटने के पीछे पवार का ही हाथ है।
विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान में ठाकरे ने अब तक दो ही राजनेताओं पर तीखे हमले किए हैं। इनमें एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं और दूसरे हैं दमदार मराठा नेता पवार। इकनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में ठाकरे ने दावा किया कि मोदी कभी नहीं चाहते थे कि बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन बना रहे और पवार के साथ उनकी कई बार हुई बातचीत के बाद गठबंधन तोड़ने का प्लान बनाया गया। ठाकरे ने दावा किया कि पवार ने इसके बाद कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन तोड़कर प्रदेश में चतुष्कोणीय मुकाबले की जमीन तैयार कर दी।

ठाकरे ने यह दावा भी किया कि इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान ही पवार एनडीए में शामिल होने वाले थे। ठाकरे ने कहा, 'हालांकि आरएसएस ने इसका विरोध किया, जिसके चलते पवार एनडीए में नहीं आ सके। मुझे पता चला है कि पवार और मोदी की कम से कम तीन बैठकें हुई थीं। हो सकता है कि इससे ज्यादा भी हुई हों, जिसका पता हमें न हो। आपको हैरत नहीं होनी चाहिए अगर चुनाव बाद पवार एनडीए सरकार में मंत्री के रूप में दिखें।
पवार ने ही बीजेपी से कहा था कि अगर वह शिवसेना से गठबंधन तोड़ ले तो एनसीपी कांग्रेस का साथ छोड़ देगी।' ठाकरे ने आरोप लगाया कि मोदी प्रधानमंत्री की अपनी जिम्मेदारी को नजरंदाज कर महाराष्ट्र में इस तरह चुनाव प्रचार कर रहे हैं, मानो वह यहां मुख्यमंत्री पद के कैंडिडेट हों। एमएनएस चीफ ने कहा, 'सीमा पर सैनिक शहीद हो रहे हैं, लेकिन पीएम महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव प्रचार में बिजी हैं।' ठाकरे ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने शिवसेना को चुनाव बाद सपोर्ट देने का ऑफर दिया था। उन्होंने कहा कि वह तो केवल यह कह रहे थे कि राज्य के हितों की रक्षा मिलजुलकर की जानी चाहिए।
एमएनएस चीफ ने कहा कि शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से नाता टूटने के बावजूद केंद्रीय मंत्री अनंत गीते को इस्तीफा देने को नहीं कहा है और बृहनमुंबई म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन में बीजेपी से गठजोड़ बनाए रखा है। ठाकरे ने कहा, 'यह उद्धव की कमजोर राजनीतिक समझ' का नमूना है।

Wednesday, October 8, 2014

सबसे बड़ी पार्टी के स्टेटस - बीजेपी

सट्टेबाजों ने लोकसभा चुनाव के दौरान बिल्कुल सटीक अनुमान लगाया था कि बीजेपी को बहुमत मिलेगा, लेकिन महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव के बारे में वे बीजेपी पर इतना भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। उनका मानना है कि बीजेपी के स्टार कैंपेनर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार अभियान में देर से एंट्री की है और इसका असर यह होगा कि 288 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को बहुमत नहीं मिलेगा और उसे सबसे बड़ी पार्टी के स्टेटस से ही संतोष करना पड़ेगा।
ये सट्टेबाज बीजेपी को 110-115 सीटें मिलने पर दांव लगा रहे हैं। यह आंकड़ा हालांकि चार दूसरे प्रतिद्वंद्वी दलों के लिए जताए जा रहे अनुमान से काफी आगे है। बुकीज का मानना है कि कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना में से हर एक को 40-50 सीटें मिल सकती हैं, जबकि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना 15-20 सीटों के साथ इस सियासी जंग में पांचवें स्थान पर रहेगी।
बुकीज का कहना है कि अगर पीएम इस चुनाव प्रचार में पहले उतर गए होते तो बीजेपी अपने दम पर बहुमत हासिल कर सकती थी। उनका कहना है कि मोदी स्टाइल में धुआंधार कैंपेनिंग से भी बीजेपी का बहुमत के लिए जरूरी 145 सीटों का आंकड़ा पार करना संभव नहीं दिख रहा है क्योंकि पीएम ने इस जंग में उतरने में देर कर दी।
पीएम को महाराष्ट्र के साथ हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भी प्रचार करना है। दोनों राज्यों में मतदान 15 अक्टूबर को होगा और मतगणना 19 अक्टूबर को होगी। मुंबई के बुकीज का मानना है कि शिवसेना चुनाव बाद बीजेपी के साथ जा सकती है, भले ही इस वक्त दोनों एक-दूसरे पर तीखे बयानों के तीर चला रही हों। बुकीज का हालांकि कहना है कि बीजेपी अगर 145 के आंकड़े के करीब पहुंच गई तो वह निर्दलीयों का साथ ले सकती है।
दिलचस्प बात यह है कि बुकीज शिकायत कर रहे हैं कि राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता उन पर दबाव डाल रहे हैं कि वे ऐसे अनुमान जताएं जो उनकी पाटी को बढ़त दिखाने वाले हों। लोकसभा चुनाव में मुंबई के बुकीज के सटीक अनुमान के बाद उन पर पार्टियों का भरोसा बढ़ा है। चुनाव नतीजों की भविष्यवाणी करने वाली ज्यादातर एजेंसियों ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत से कम सीटें मिलने का अनुमान दिया था।
बुकीज का अनुमान है कि कांग्रेस और एनसीपी भले ही अलग-अलग हो गई हों, उन्हें सत्ता विरोधी रुझान का सामना करना ही पड़ेगा और इसके अलावा अल्पसंख्यक समुदाय के मतों में बिखराव से भी उनकी दिक्कत बढ़ेगी। बुकीज का कहना है कि चुनाव बाद सरकार बनाने में इन दोनों ही दलों की कोई भूमिका नहीं रह जाएगी। उनका अनुमान है कि अकेले चुनाव लड़ने का फायदा शिवसेना के भी नहीं मिलने वाला है।

Tuesday, October 7, 2014

शिवसेना अपनी पुरानी सहयोगी बीजेपी को बख्शने के मूड में नहीं

विधानसभा चुनावों के लिए रास्ते अलग होने के बाद शिवसेना अपनी पुरानी सहयोगी बीजेपी को बख्शने के मूड में नहीं है। शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पीएम नरेंद्र मोदी की तुलना 17वीं सदी में शिवाजी के राज्य पर हमले करने वाले औरंगजेब के सेनापति अफजल खान और बीजेपी की तुलना अफजल खान की फौज से की है। शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि, महाराष्ट्र में प्रचार कर रहे मोदी के मंत्री अफजल खान की फौज की तरह ही हैं जो राज्य को तोड़ने आए हैं।
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने तुलजापुर की एक रैली में बीजेपी की तुलना अफजल खान की फौज से की। उन्होंने सवाल किया कि नरेंद्र मोदी अब तक कहां थे, पहले वे आए और फिर उनका पूरा कैबिनेट प्रचार करने आ गया है। वे विकास के नाम पर महाराष्ट्र के टुकड़े करने आए हैं। ठाकरे ना कहा, जो महाराष्ट्र के जमींदोज करने आए हैं, मैं उन्हें जमींदोज कर दूंगा।
ठाकरे ने 25 साल पुराना गठबंधन तोड़ने के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया। शिवसेना अध्यक्ष ने कहा कि बीजेपी के पास मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं है। इसलिए नरेंद्र मोदी को महाराष्ट्र में सभाएं करनी पड़ रही हैं। दिल्ली के बादशाह औरंगजेब ने शिवाजी को हराने के लिए अफजल खान के नेतृत्व में फौज भेजी थी। बारात के बहाने शिवाजी ने पुणे के महल में घुसकर अफजल को घेर लिया था और खिड़की से कूदकर भाग रहे अफजल खान की उंगलियां काट डाली थीं।
उद्धव ने कहा, हमने लोकसभा में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का सपना देखा था। यह सपना पूरा भी हुआ। अब विधानसभा में महायुति की सरकार बनाने का सपना देखा। लेकिन उन्होंने पता नहीं क्या सोचा कि उन्होंने (बीजेपी ने) युति ही तोड़ दी। अब उन्हें कुर्सी मिल गई, इसलिए शिवसेना की उन्हें जरूरत नहीं रही। उन्होंने शिवसेना का इस्तेमाल किया है।

Saturday, October 4, 2014

गरीब और पिछड़े वर्ग मुंडे के संघर्ष के सफर के केंद्र में

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गरीबों और अन्य पिछड़े वर्ग के कल्याण में दिवंगत बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे के योगदान की याद करते हुए शुक्रवार को भरोसा जताया कि उनकी बेटी पंकजा मुंडे उनके काम और उनकी विरासत आगे बढ़ाएंगी। शाह ने अहमदनगर के पथार्डी तालुका के भगवानगढ़ में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, 'हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम पंकजा के नेतृत्व में सभी पिछड़ी जातियों के लिए न्याय पाने का कार्य जारी रखेंगे।'
शिवसेना के साथ बीजेपी के 25 साल पुराने रिश्ते टूटने के बाद यह शाह की पहली सार्वजनिक रैली थी। महाराष्ट्र विधानसभा के लिए 15 अक्टूबर को चुनाव होगा। शाह ने कहा, 'बीजेपी ने पिछड़े वर्ग के एक शख्स को प्रधानमंत्री बनाया। इस सरकार की एक प्रमुख नीति पिछड़े वर्गों के लिए काम करने की है। आने वाले दिनों में हम महाराष्ट्र में भी इस नीति को आगे बढ़ाएंगे।'
उन्होंने कहा, 'मैं चोंडी गया था और अब मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने भगवानगढ़ में हूं जहां मुंडे ने अपनी आखिरी सार्वजनिक सभा को संबोधित किया था। गरीब और पिछड़े वर्ग बीड से दिल्ली तक मुंडे के संघर्ष के सफर के केंद्र में थे।'
दरअसल शाह भीड़ की मांग पर बोल रहे थे जो विधानसभा चुनाव के बाद पंकजा के लिए सीएम पद चाहती है। शाह ने कहा, 'यह नहीं सोचें कि नेतृत्व आपके ख्यालों से अवगत नहीं है।' बाद में रैली में पंकजा ने कहा कि उनके पिता भगवानगढ़ के आठ दिन के स्वर्ण जयंती समारोह में मोदी को आमंत्रित करना चाहते थे। यह समारोह 30 दिसंबर को शुरू होने वाला है।
बीजेपी अध्यक्ष ने आश्वासन दिया कि प्रधानमंत्री स्वर्ण जयंती पर जरूर भगवानगढ़ आएंगे। शाह ने कहा, 'मोदी ने कहा था कि मुंडे को ग्रामीण विकास विभाग दिया गया क्योंकि कोई अन्य गांव के लोगों का ज्यादा ख्याल नहीं रखता।'
पार्ली विधानसभा सीट से बीजेपी की उम्मीदवार पंकजा ने कहा कि उनके पिता हर साल दशहरा के अवसर पर भगवानगढ़ आते थे। राष्ट्रीय समाज पार्टी नेता महादेव जनकर ने कहा, 'जिस तरह आपने मोदी को प्रधानमंत्री बनाया, आपको पंकजा मुंडे को भी महाराष्ट्र में आगे लाना चाहिए। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ राष्ट्रीय समाज पार्टी का चुनावी तालमेल है।'

Wednesday, October 1, 2014

आम आदमी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा

आम आदमी पार्टी की महाराष्ट्र इकाई की संयोजक अंजलि दमानिया और प्रदेश सचिव प्रीति शर्मा मेनन ने निजी कारणों का हवाला देते हुए आम आदमी पार्टी की महाराष्ट्र इकाई की संयोजक अंजलि दमानिया और प्रदेश सचिव प्रीति शर्मा मेनन ने निजी कारणों का हवाला देते हुए पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है।प्रेस रिलीज के मुताबिक दमानिया ने महाराष्ट्र प्रदेश कार्यसमिति को लिखे इस्तीफे में कहा, 'मैं प्रदेश के संयोजक पद, प्रदेश कार्यसमिति की सदस्यता और महाराष्ट्र में पार्टी की प्रवक्ता की जिम्मेदारी छोड़ रही हूं। मैं आपसे तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त करने का अनुरोध करती हूं। जैसा कि मैंने हमेशा कहा है कि मेरा दिल और आत्मा हमेशा 'आप' के साथ हैं और रहेंगे।' 

प्रीति ने अपने इस्तीफे में कहा है कि वह 'आप' की समर्थक रहेंगी। उन्होंने लिखा, 'मुझे निजी जीवन में ध्यान देने की जरूरत है और इसलिए मैं तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त होना चाहूंगी। आप जिसे कहेंगे, मैं अपनी सभी जिम्मेदारियां उसे दे दूंगी।' 'आप' पहले ही स्पष्ट कह चुकी है कि वह महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में किस्मत नहीं आजमाएगी।