Sunday, November 30, 2014

बीजेपी नेता कतई गंभीर नहीं

बीजेपी की तरफ से शिवसेना को सत्ता में शामिल करने के मामले पर हो रही देरी से शिवसेना नेताओं का संयम भी टूटने लगा है। अब वे खुलकर बीजेपी के खिलाफ बोलने लगे हैं। इस मामले में पहल की है शिवसेना के सबसे तेजतर्रार और फायर ब्रांड नेता रामदास कदम ने। कदम ने रविवार को मीडिया से कहा कि बीजेपी शिवसेना के साथ गठबंधन करना ही नहीं चाहती, वह सिर्फ शिवसेना को और राज्य की जनता को गुमराह कर रही है। बीजेपी नेता इस मामले में कतई गंभीर नहीं हैं।
कदम ने मीडिया से कहा कि आने वाले विधानसभा सत्र में किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर शिवसेना विधायक बीजेपी के खिलाफ आक्रामक हैं, इसीलिए बीजेपी ने अपने नेताओं को भेजकर दुबारा चर्चा के नाम पर शिवसेना को गुमराह करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि बीजेपी नेता सिर्फ चर्चा करने आते हैं, पर किस मुद्दे पर चर्चा करने आते हैं यह उन्हें भी नहीं पता होता। कदम ने मांग की कि बीजेपी खुलासा करे की उनके नेताओं ने मातोश्री पहुंच कर क्या चर्चा की।
मीडिया के साथ बातचीत में रामदास कदम ने राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे के खिलाफ भी जमकर बोला। उन्होंने कहा कि खडसे का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। खडसे कभी कहते हैं कि शिवसेना के विधायक उनके संपर्क में हैं, कभी कहते हैं कि एनसीपी के विधायक उनके संपर्क में हैं और कभी कहते हैं कि कांग्रेस के विधायक उनके संपर्क में हैं। कोई भी नेता मानसिक असंतुलन की हालत में ही ऐसा कर सकता है। कदम ने कहा कि सीएम न बनाए जाने की वजह से खडसे की यह हालत हो गई है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की सरकार अल्पमत में हैं, ऐसी सरकारें भ्रम के सहारे ही जीती हैं।

Saturday, November 29, 2014

नवी मुंबई के प्रस्तावित इंटरनैशनल एयरपोर्ट को साकार करने की गतिविधियों में तेजी

नवी मुंबई के प्रस्तावित इंटरनैशनल एयरपोर्ट को साकार करने की गतिविधियों में तेजी आती जा रही है। सिडको के वरिष्ठ सूत्रों के अनुसार पूर्व योजना के मुताबिक उम्मीद है कि अगले तीन महीनों में एयरपोर्ट को बनाने वाले ठेकेदार का चयन कर लिया जाएगा।
इस काम के लिए पात्र कंपनियों को 10 दिसंबर 2014 तक अपने टेंडर जमा करने हैं। इस दिनांक को पहले ही तीन बार आगे बढ़ाया जा चुका है और सिडको का कहना है कि अब इसे और आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।

मिली जानकारी के अनुसार 10 दिसंबर 2014 के टेंडर भरने की अंतिम दिनांक के बाद के तीन महीनों के भीतर सभी आवश्यक कार्रवाई करते हुए पात्र कंपनी को बतौर ठेकेदार नियुक्त कर लिया जाएगा।

Wednesday, November 26, 2014

भारत इस दर्द को भूला नहीं सकता

सार्क सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में आज ही के दिन छह साल पहले हुए आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि भारत इस दर्द को भूला नहीं सकता है। उन्होंने कहा कि सार्क देश भौगलिक रूप से आस-पास है, लेकिन समय की मांग है कि साथ-साथ रहें। उन्होंने सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश के लिए उपयुक्त माहौल बनाने को जोरदार वकालत की और कहा कि सार्क क्षेफ में आपसी मतभेद विकास में बाधक हैं। मोदी ने मरीजों और कारोबारियों के लिए वीजा प्रक्रिया को आसान बनाने का विचार रखा।
आर्थिक मोर्चे पर दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) देशों से प्रक्रिया सरल करने की मांग करते हुए मोदी ने कहा कि आपसी मतभेद विकास में बाधक हैं और इस वजह से हम आपस में क्षमता से काफी कम व्यापार करते हैं। उन्होंने कहा कि सार्क देशों के बीच वीजा की जगह बिजनेस ट्रैवल कार्ड होना चाहिए और कारोबार के नियम को आसान बनाने के लिए पहल करना होगा। 

इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए आंतकवाद के मुद्दे पर कुछ भी नहीं बोला था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान विवाद-मुक्त दक्षिण एशिया के लिए प्रतिबद्ध हैं, हमारी समस्याओं को सुलझाने के लिए विश्वास पर आधारित संबंधों की जरूरत है। चीन को सार्क में शामिल करने की पैरवी करते हुए शरीफ ने कहा कि पर्यवेक्षकों की सक्रिय भूमिका से इस तरह के संवाद से सार्क समूह को मदद मिलेगी।
चीन एक पर्यवेक्षक देश के तौर पर सार्क से 2005 में जुड़ा है। भारत नहीं चाहता कि चीन को सार्क का सदस्य बनाया जाए, क्योंकि उसे आशंका है कि वह इसका इस्तेमाल क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने के लिए करेगा। चीनी पूर्ण सदस्य न बनने की स्थिति में सार्क प्लस वन देश या फिर सार्क में डायलॉग पार्टनर की भूमिका के लिए दबाव डालता रहा है।
कल मोदी के काठमांडू पहुंचने के बाद दोनों देशों ने 11 समझौतों पर दस्तखत किए। इनमें नेपाल को एक अरब डॉलर के कर्ज, मोटर वीइकल्स समझौता, बनारस और काठमांडू के बीच ट्विन सिटी को-ऑपरेशन और पुलिस सहयोग के समझौते शामिल हैं। इस मौके पर मोदी ने भारत की ओर से काठमांडू में बनाए गए 200 बिस्तरों वाले ट्रॉमा सेंटर को भी नेपाल को सौंपा।
भगवान बुद्ध के जन्मस्थल लुंबिनी, जनकपुर और मुक्तिनाथ न जाने के अपने निर्णय के बारे में मोदी ने कहा कि समय कम होने के कारण वह वहां नहीं जा सके। उन्होंने दावा किया कि पिछले 25 वर्षों से रुके हुए द्विपक्षीय फैसलों पर अब कदम बढ़ाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, 'मेरी पहली और दूसरी यात्रा के बीच नेपाल में जिंदगियां बदलने के लिए और भारत को खुशी देने के लिए फैसले किए गए हैं।'
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और 27 नवंबर को शिखर सम्मेलन में मोदी विभिन्न मुद्दों पर भारत की सोच सामने रखने के साथ ही अफगानिस्तान के राष्ट्रपित अशरफ गनी, बांग्लादेश की प्राइम मिनिस्टर शेख हसीना और श्रीलंका के राष्ट्रपि महिंदा राजपक्षे से मुलाकात करेंगे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने का मोदी का कोई कार्यक्र नहीं है। 

बीजेपी और शिवसेना फिर साथ

एक सप्ताह तक हुईं चर्चाओं के बाद महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना फिर साथ आती दिख रही हैं। सूत्रों के अनुसार, शिवसेना अगले कुछ दिनों में देवेंद्र फडणवीस सरकार का हिस्सा बन जाएगी। इसके अलावा पार्टी के सांसद अनिल देसाई भी केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार में बतौर राज्यमंत्री शामिल होंगे।
सूत्रों ने बताया कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और शिवसेना के मुखिया उद्धव ठाकरे में इस बात पर सहमति बनी है कि महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना के 10 मंत्री होंगे, जिसमें से कम-से-कम चार कैबिनेट स्तर के मंत्री होंगे। शिवसेना ने उपमुख्यमंत्री पद की अपनी पुरानी मांग छोड़ दी है, लेकिन यह तय हुआ है कि गृह मंत्रालय उसे मिलेगा।

गृह के अलावा बिजली, लोक निर्माण और ग्रामीण विकास मंत्रालय शिवसेना के कोटे में जाएंगे। केंद्रीय नेतृत्व में मोटी-मोटी बातों पर सहमति बनने के बाद बीजेपी ने छोटे-छोटे मुद्दे राज्य नेतृत्व को तय करने के लिए कह दिया है। शिवसेना ने केंद्र में मंत्रिमंडल विस्तार के लिए अपने सांसद अनिल देसाई का नाम दिया था। लेकिन, महाराष्ट्र में स्थिति स्पष्ट नहीं होने की वजह से पार्टी नेतृत्व ने अंतिम समय में देसाई को शपथ लेने से रोक दिया था और वह एयरपोर्ट से ही लौट आए थे।
शिवसेना से मनमुटाव दूर होने से बीजेपी को दिल्ली में संसद की कार्यवाही में फायदा होगा। लोकसभा में शिवसेना के 18 और राज्यसभा में तीन सांसद हैं। शिवसेना ने बीमा संशोधन विधेयक का विरोध किया है, लेकिन समझौता होने की स्थिति में बीजेपी को दोनों सदनों में कई मुद्दों पर सहयोगी पार्टी का समर्थन मिलेगा और सरकार को अपने अजेंडा आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
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सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी के 122 सदस्य है, जबकि शिवसेना के विधायकों की संख्या 63 है। समझौता दोनों पार्टियों को फायदे का सौदा लग रहा है। बीजेपी शिवसेना के बिना विधानसभा में बहुमत नहीं पा सकती है, दूसरी तरफ शिवसेना केंद्र में सरकार में है और ऐसे में राज्य में दमदार विपक्ष की भूमिका नहीं निभा सकती है। 

Monday, November 24, 2014

अब बीजेपी उसे सरकार में शामिल करने के लिए बेकरार

हाल तक महाराष्ट्र की सत्ता में शामिल होने के लिए शिवसेना बेकरार थी और बीजेपी उसे टहला रही थी। अब बीजेपी उसे सरकार में शामिल करने के लिए बेकरार है, मगर शिवसेना विपक्ष में ही बैठने के संकेत दे रही है। उद्धव ठाकरे बीजेपी की ओर हाथ बढ़ाने के मूड में नहीं हैं।
दरअसल एनसीपी का समर्थन लेने और बहुमत साबित करने के लिए ध्वनि मत के चोर दरवाजे का साहरा लेने से बीजेपी की जिस तरह से थू-थू हुई है, उसने शिवसेना को नई ऊर्जा दी है। अब शिवसेना को लग रहा है कि बीजेपी से कुछ अच्छे मंत्रालय झटकने का यह अच्छा मौका है।
रविवार को शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कहा कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में शिवसेना मुख्य विपक्ष की भूमिका अदा करेगी। पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के निर्देश पर विधानसभा में विपक्ष के नेता एकनाथ शिंदे इन दिनों राज्यव्यापी दौरे पर हैं। उद्धव ने अपने सभी 63 विधायकों को भी अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं को विधानसभा सत्र में अक्रामक ढंग से उठाने का निर्देश दिया है।
शिवसेना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बीजेपी नेता सरकार में शामिल होने के बारे में उद्धव ठाकरे से बात करना चाहते हैं, लेकिन उद्धव कोंकण के दौरे पर निकल गए हैं। उन्होंने रविवार को सिंधुदुर्ग में बीजेपी सरकार में शामिल होने के मुद्दे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है। उनके इस रुख से बीजेपी बेचैन है।
शिवसेना के बदले रुख से राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार टलता जा रहा है। पहले यह विस्तार 20 नंबवर के बाद होना था। फिर 22 से 25 नवंबर की तारीख तय की गई। लेकिन उद्धव 25 नवंबर तक मराठवाडा के दौरे पर हैं। इस बीच बीजेपी के साथ चुनाव से पहले गठबंधन करने वाले छोटे दल राष्ट्रीय समाज पार्टी (आरएसपी), स्वाभिमानी शेतकारी संगठन और शिवसंग्राम जल्दी मंत्रिमंडल विस्तार करने का दबाव बना रहे हैं।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से सरकार की स्थिरता बनाए रखने की योजना पर चर्चा की। इधर, मुख्यमंत्री न बनाए जाने से नाराज राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे अब भी शिवसेना को अलग-थलग रखने की बात करके फडणवीस की मुश्किलें बढ़ा रहेहैं

Friday, November 21, 2014

जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में शिवसेना उम्मीदवार

महाराष्ट्र में खुद को बीजेपी के हाथों ठगा गया महसूस कर रही शिवसेना बीजेपी से अपना बदला चुकाने के लिए दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवार उतार सकती है। इसके अलावा राजस्थान में भी 74 स्थानीय निकाय चुनावों में भी शिवसेना अपने उम्मीदवार उतार रही है। दिल्ली और जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनावों में शिवसेना उम्मीदवार उतारेगी और उनमें से कितने जीत पाएंगे यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन शिवसेना के उम्मीदवार जितने भी वोट पाएंगे वे बीजेपी के उम्मीदवार को ही नुकसान पहुंचाएंगे। शिवसेना का मत है कि बीजेपी का रुख हिंदुत्व के मुद्दे पर दिन-ब-दिन कमजोर पड़ता जा रहा है। ऐसे में यह सोच जोर पकड़ रही है कि शिवसेना अपने उम्मीदवार खड़े करती है तो आक्रामक हिंदुत्व के मुद्दे पर उसे अच्छा समर्थन मिलेगा। उत्तर भारत के कई राज्यों में वर्षों से शिवसेना की यूनिटें काम कर रही हैं। यह बात अलग है कि शिवसेना नेतृत्व ने उन्हें कभी गंभीरता से नहीं लिया है। दिल्ली, यूपी, एमपी और राजस्थान में शिवसेना को मानने वाले अपने स्तर पर ही पार्टी का कामकाज चला रहे हैं। हालांकि शिवसेना ने अपने संगठन में राज्य संपर्क प्रमुखों को नियुक्त कर रखा है। अब जब शिवसेना-बीजेपी के बीच गठबंधन खत्म हो चुका है राज्यों में कार्यरत शिवसेना के कार्यकर्ता शिवसेना नेतृत्व से चुनाव लड़ने की अनुमति मांग रहे हैं।
शिवसेना भवन के एक सूत्र का कहना है कि दिल्ली और जम्मू से रोज फोन और फैक्स आ रहे हैं। जिनमें कार्यकर्ता चुनाव का टिकट देने की मांग कर रहे हैं। सूत्र का तो यहां तक कहना है कि ज्यादातर कार्यकर्ता सीधे उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे से बात करना चाहते हैं।
शिवसेना के एक पूर्व संपर्क प्रमुख ने कहा कि दूसरे राज्यों में कार्यरत शिवसैनिक 'एकलव्य' की तरह निस्वार्थ शिवसेना का काम कर रहे हैं। वे आंदोलन करते हैं, अपने पैसों से केस लड़ते हैं और जब टिकट मांगने मुंबई आते हैं तो उनके हाथ निराशा लगती है। इसकी वजह शिवसेना का बीजेपी प्रेम था। दिवंगत बीजेपी नेता प्रमोद महाजन हर बार हिंदुत्व की एकजुटता का हवाला देकर शिवसेना को चुनाव न लड़ने के लिए राजी कर लेते थे, लेकिन अब वैसी स्थिति नहीं है। कहने वाले तो यहां तक कहते हैं कि बीजेपी नेताओं ने सुरक्षा का हवाला देकर बालासाहेब को महाराष्ट्र से बाहर नहीं निकलने दिया।

खबर है कि युवा सेना के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे इस दिशा में काम कर रहे हैं। वे शिवसेना को राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय करने के पक्ष में बताए जाते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर दौरा करने की भी उनकी तैयारी है। अगर आदित्य के प्रयासों को पार्टी समर्थन देती है तो हो सकता है उद्धव ठाकरे भी अन्य राज्यों में शिवसेना के चुनाव लड़ने की अधिकृत घोषणा कर दें। सूत्रों की जानकारी है कि उद्धव ठाकरे शिवसेना के ही एक कार्यक्रम में दिसंबर में माउंट आबू (राजस्थान) जाने वाले हैं हो सकता है वहीं से पार्टी के राष्ट्रीय विस्तार की कोई बड़ी घोषणा करें।

Tuesday, November 18, 2014

मुंबई क्राइम ब्रांच ने उसके कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया

डॉन रवि पुजारी फिल्म निर्माता-निर्देशक महेश भट्ट की हत्या करना चाहता था। इससे पहले कि वह इस साजिश को अंजाम दे पाता, मुंबई क्राइम ब्रांच ने उसके कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन 13 लोगों में छह वे आरोपी भी हैं, जो 23 अगस्त को जुहू में मोरानी ब्रदर्स के घर के बाहर हुई गोलीबारी में शामिल थे।
मुंबई क्राइम ब्रांच चीफ सदानंद दाते ने कहा कि हमने गिरफ्तार आरोपियों के पास से 4 पिस्टल, 15 कारतूस के अलावा कई मोबाइल भी जब्त किए हैं।
महेश भट्ट और उनका परिवार खार में रहता है। क्राइम ब्रांच सूत्रों का कहना है कि रवि पुजारी ने अपने शूटरों को बोल रखा था कि यदि महेश भट्ट न मिलें , तो उनके भाई मुकेश भट्ट और बेटे राहुल को भून दो। डॉन ने शूटरों से कहा कि मोरानी ब्रदर्स के दफ्तर के बाहर हुई गोलीबारी का कोई इम्पैक्ट नहीं हुआ है, इसलिए इस बार प्योर शॉट मारो। रवि पुजारी ने करीब छह साल पहले भी महेश भट्ट के दफ्तर के बाहर गोलियां चलवाई थीं। तब वह बाल -बाल बच पाए थे।
क्राइम ब्रांच सूत्रों का कहना है कि महेश भट्ट और उनके परिवार को ट्रेस करने के लिए रवि पुजारी ने फिरोज सैयद नामक आरोपी को उनकी बिल्डिंग में बतौर वॉचमैन नौकरी करने को भी कहा था। फिरोज ने इस वास्ते बिल्डिंग के एक वॉचमैन से दोस्ती भी कर ली थी, ताकि उसे जॉब मिलने में कोई दिक्कत न हो।
मोरानी ब्रदर्स पर हुई फायरिंग के बाद मुंबई क्राइम ब्रांच की लगभग डेढ़ दर्जन यूनिट्स को आरोपियों को ढूंढने के काम पर लगाया गया था, पर सफलता इंस्पेक्टर जगदीश साहिल और धीरज कोइल कोली की टीम को मिली। रवि पुजारी ने मोरानी ब्रदर्स व महेश भट्ट की सुपारी के रूप में अपने शूटरों को कुल 11 लाख रुपये दिए थे। इनमें पांच लाख रुपए अकेले मोरानी फायरिंग से जुड़े आरोपियों को मिले थे। मोरानी के यहां फायरिंग के लिए एक बाइक पर आजम खान, अशफाक रशीद और आसिफ खान घर के बाहर आए थे। आजम गाड़ी चला रहा था, आसिफ बीच में बैठा था। अशफाक ने तीन राउंड गोलियां चलाई थीं। इस गोलीबारी के बाद रवि पुजारी ने फिल्म अभिनेता शाहरूख खान के प्रोडेक्शन हाउस रेड चिली में भी फोन किया था।

रवि पुजारी ने उसी दौरान एक अंग्रेजी अखबार से जुड़े पत्रकार की भी सुपारी दी थी। इस पत्रकार ने अपनी किसी खबर में रवि पुजारी को चिंदी डॉन के रूप में परिभाषित किया था। डीसीपी धनंजय कुलकर्णी के अनुसार, सभी आरोपियों को 24 नवंबर तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है। चूंकि यह केस एसीपी रैंक के ऑफिसर सुनील देशमुख को आगे की जांच के लिए ट्रांसफर कर दिया गया है, इसलिए माना जा रहा है कि सभी गिरफ्तार 13 आरोपियों पर बहुत जल्द मकोका लगाया जाएगा। मकोका में एसीपी रैंक से नीचे का अधिकारी जांच ही नहीं कर सकता।

Monday, November 17, 2014

87 वर्षीय डॉ. रुस्तम पी. सोनावाला को धनवंतरी अवॉर्ड

लगभग 6 दशक से चिकित्सा जगत में अपनी सेवाएं देने वाले और गायनकलॉजी से जुड़े कई उपकरणों और तकनीक को भारत में लाने वाले 87 वर्षीय डॉ. रुस्तम पी. सोनावाला को रविवार को एक भव्य समारोह में धनवंतरी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उन्हें यह अवॉर्ड महाराष्ट्र के गर्वनर, सी विद्यासागर राव और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे के हाथों दिया गया। सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज, वाडिया मटरनिटी होम मुंबई और वेलकेयर हॉस्पिटल, दुबई में गायनकलॉजी विभाग के हेड रह चुके डॉ़ सोनावाला को सन 1973 में शुरू होने वाला, 42 वां धनवंतरी अवॉर्ड दिया गया है। इस मौके पर धनवंतरी मेडिकल फाउंडेशन के फाउंडर प्रेसिडेंट, डॉ़ बी के गोयल, महाराष्ट्र युनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस (एमयूएचएस) के वाइस चांसलर डॉ़ अरुण जामकर आदि मौजूद थे।
चिकित्सा और शिक्षा में चाहिए विकास
डॉ़ सोनावाला ने इस मौके पर कहा कि 58 साल पहले जब मैंने मेडिकल की पढ़ाई पूरी की थी, तब हमारे पास तकनीकों को बहुत अभाव था, लेकिन आज मेडिकल क्षेत्र में कई तरह की नई तकनीक आ गई हैं। इन तकनीकों में रोबोटिक्स का नाम सबसे ऊपर है जो आने वाले समय में मेडिकल साइंस में क्रांति लाएगी। डॉ़ सोनावाला ने कहा कि चिकित्सा और शिक्षा, यह दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें विकास होने पर देश का विकास संभव है।

इस अवसर पर महाराष्ट्र के गवर्नर सी विद्यासागर ने डॉ सोनावाला को बधाई देते हुए कहा कि आज ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में डॉक्टरों और अच्छी मेडिकल सुविधाओं की बहुत कमी है। इसके लिए सरकार और मेडिकल क्षेत्र के लोगों को मिलकर साथ आने की जरूरत है। धनवंतरी मेडिकल फाउंडेशन के फाउंडर प्रेसिडेंट, डॉ़ बी के गोयल ने इस मौके पर कहा कि धनवंतरी अवॉर्ड केवल अलोपैथी ही नहीं, बल्कि चिकित्सा की हर पद्धति के डॉक्टरों को सम्मान देता है। वहीं लगभग 40 धनवंतरी अवॉर्ड फंक्शन का हिस्सा रहे सुशील कुमार शिंदे का कहना था कि सफलता के लिए डॉ़ सोनावाला ने जो नियम बताए हैं, उनपर चलकर हर डॉक्टर सफल हो सकता है।

Saturday, November 15, 2014

आठवले खुद को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं

चुनाव से पहले महायुति में से शिवसेना के अलग होने के बाद आरपीआई को अपने साथ जोड़े रखने के लिए बीजेपी ने रामदास आठवले से कुछ वादे लिखित में किए थे। इस पत्र पर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष देवेंद्र फडणवीस ने हस्ताक्षर किए हैं। अब जब आठवले ने फडणवीस का यह पुराना पत्र देखा तो खुद को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक फडणवीस के हस्ताक्षर वाला जो पत्र आठवले को दिया गया था उसमें सबसे पहला वादा रामदास आठवले को केंद्र में मंत्री पद देने से संबंधित है। लेकिन जब हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया, तो बीजेपी आठवले को भूल गई। इसके बाद जब आठवले ने वह पुराना पत्र निकाल कर दोबारा पढ़ा तो तब उनकी समझ में आया कि असल में क्या खेल हुआ है। फडणवीस के हस्ताक्षर से उन्हें जो पत्र दिया गया है उसमें कहा गया है, 'केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए उनके नाम की सिफारिश की जाएगी।' बताया जाता है आठवले को लगने लगा है कि मुख्यमंत्री बनाने से पहले किए गए फडणवीस के वादे को लेकर बीजेपी गंभीर नहीं है।

इस पत्र में जो अन्य वादे किए गए हैं उनमें राज्य की सत्ता में 10 पर्सेंट हिस्सेदारी और महामंडलों में उचित प्रतिनिधित्व देने का वादा भी किया गया है। मजे की बात तो यह है कि बीजेपी ने इसी तरह के वादे अन्य छोटे दलों से भी किए हैं। सूत्र बताते है कि ठगे जाने का अहसास होते ही जब आठवले के पत्र का और शिवसंग्राम पार्टी के नेता विनायक मेटे को दिए गए पत्र मिलान करवाया गया तो दोनों पत्र एक से ही निकले। फर्क सिर्फ इतना था कि मेटे के पत्र में केंद्रीय मंत्री पद की सिफारिश वाली लाइन नहीं थी।
गुरुवार को आरपीआई नेता रामदास आठवले ने एक संवाददाता सम्मेलन लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में मंत्री पद देने के वादे को पूरा नहीं करने के आरोप लगाते हुए बीजेपी को चेतावनी दी कि वह इस पर गौर करे अथवा 'महायुति' के टूटने का खतरा है। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें उनका हक नहीं मिला तो वे 'महायुति' से अलग हो जाएंगे। उन्होंने कहा, 'लगता है कि बीजेपी अपनी शानदार जीत में छोटे दलों की भूमिका को भूल गई है। अगर वास्तव में वे हमारे महत्व को भूल गए हैं तो मैं उन्हें याद दिलाता हूं कि निकट भविष्य में चार महत्वपूर्ण कार्पोरेशन के चुनाव हैं।'
उन्होंने कहा, 'निकट भविष्य में कल्याण-डोंबिवली और नवी मुंबई कार्पोरेशन चुनाव होने हैं और 2017 में ठाणे और मुंबई महानगर पालिका के चुनाव होंगे। अगर बीजेपी अब भी हमारे महत्व को तरजीह नहीं देती और हमारा उचित हिस्सा नहीं देती तो इन चुनावों में हम दूसरों से गठबंधन करने को बाध्य होंगे।' उन्होंने कहा, 'अगर हमने विधानसभा चुनावों में शिवसेना से गठबंधन किया होता तो बीजेपी को कम से कम 20 से 25 सीटों का नुकसान होता जिसका फायदा शिवसेना को मिलता।'
देवेंद्र फडणवीस सरकार के ध्वनि मत से विश्वास मत जीतने के बारे में पूछने पर अठावले ने कहा कि यह 'असंवैधानिक' है। उन्होंने कहा, 'विधानसभा अध्यक्ष को नियमों का पालन सुनिश्चत कराना चाहिए था। जो चीज असंवैधानिक है उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।'
आठवले ने इंदु मिल में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के स्मारक के लिए सरकार को 5 दिसंबर की डेडलाइन दी। उन्होंने कहा, 'हमने राज्य सरकार से मांग की है कि बाबासाहब आंबेडकर के स्मारक के निर्माण के लिए हमें इंदु मिल की जमीन मुहैया कराई जाए। अगर पांच दिसंबर तक हमें जमीन मुहैया नहीं कराई जाती तो हम इंदु मिल परिसर में घुस जाएंगे और परिसर में जबरन काम शुरु कर देंगे।'

Wednesday, November 12, 2014

फडणवीस सरकार ने ध्वनि मत से विश्वास मत हासिल कर लिया

महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी की 12 दिन पुरानी फडणवीस सरकार ने ध्वनि मत से विश्वास मत हासिल कर लिया। शिवसेना के विधायक इस दौरान वेल में हंगामा करते दिखे। जानकारी के मुताबिक एनसीपी के विधायकों ने ध्वनि मत में हिस्सा नहीं लिया। शिवसेना के विधायक एकनाथ शिंदे विधानसभा में विपक्ष के नेता हो सकते हैं। 
शिवसेना से समझौता नहीं होने की वजह से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के लिए विश्वास मत हासिल करने को लेकर कई तरह के कयास थे। शिवसेना सुबह ही साफ कर चुकी थी कि वह विश्वास मत के विरोध में वोट करेगी। हालांकि, एनसीपी 'बिन मांगी मदद' के साथ तैयार थी और इसलिए इस बात की पूरी संभावना थी कि फडणवीस सरकार विश्वास मत हासिल कर लेगी। 
दोपहर साढ़े बारह बजे के करीब बीजेपी विधायक आशीष शेलार ने विधानसभा में विश्वास मत पेश किया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष हरिभाऊ बागडे ने सदस्यों से ध्वनि मत के जरिए मत विभाजन करवाया और विश्वास मत के पारित होने की घोषणा कर दी है। किसी भी पार्टी की ओर से विश्वास मत पर वोटिंग की मांग नहीं की गई। हालांकि, अध्यक्ष की ओर से प्रस्ताव पारित होने के बाद शिवसेना विधायक वेल में आकर जोरदार हंगामा करने लगे। 
इससे पहले वरिष्ठ बीजेपी विधायक हरिभाऊ बागडे सर्वसम्मति से महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष चुन लिए गए। नवगठित महाराष्ट्र विधानसभा में बागडे के नाम की घोषणा अस्थायी अध्यक्ष जिवा पांडु गावित ने की। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने देर रात शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से फोन कर विश्वासमत और अध्यक्ष पद के चुनाव में समर्थन की अपील की थी। 
सुबह इसका आंशिक असर दिखा शिवसेना के विजय कुमार औटी ने अपना नाम वापस ले लिया और बाद में कांग्रेस की वर्षा गायकवाड़ भी रेस से हट गईं। इस तरह बीजेपी विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में शक्ति परीक्षण से बच गई और परंपरा के मुताबिक हरिभाऊ बागडे सर्वसम्मति से विधानसभा अध्यक्ष चुन लिए गए। विश्वास मत को लेकर सुबह भी बीजेपी और शिवसेना की बातचीत जारी रही, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला। 
शिवसेना के विरोध और एनसीपी के समर्थन के बिना विश्वास मत हासिल करके मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने फिलहाल बड़ी राहत पा ली है। अगर बीजेपी को एनसीपी का समर्थन लेना पड़ता तो उसके लिए अजीब स्थिति पैदा हो सकती थी। बीजेपी ने पूरे चुनाव अभियान के दौरान एनसीपी के खिलाफ तीखा हमला बोला था और उसे नैचरल करप्ट पार्टी बताया था।

Tuesday, November 11, 2014

देवेंद्र फडणवीस ने जेड प्लस सुरक्षा हटाने की मांग की

राज्य के मुख्यमंत्री को जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई है, परंतु नए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जेड प्लस सुरक्षा हटाने की मांग की है। उन्होंने जेड प्लस की जगह वाई सुरक्षा की मांग की है। यहीं नहीं, मुख्यमंत्री ने अपनी बेटी को सुरक्षा न देने की बात कहीं है। गृह विभाग को लिखे पत्र में फडणवीस ने कहा है कि उनकी सुरक्षा कम की जाए। 
फिलहाल गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री के ही पास है। अब मंत्रालय उनकी इस मांग पर समीक्षा करके फैसला करेगा। फडणवीस ने स्पेशल सरकारी विमान से नागपुर जाने से भी इनकार कर दिया था। 
गौरतलब है कि सुरक्षा सुनिश्चित तय करने के लिए राज्य के मुख्य सचिव के नेतृत्व में एक सुरक्षा समिति है, जो तय करती है कि किसे, किस तरह की सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। फडणवीस ने पत्र में लिखा है कि उन्हें जेड प्लस स्तर की सुरक्षा की कोई जरूरत नहीं है। उनकी बेटी को भी जो सुरक्षा मुहैया कराई गई है, उसकी भी कोई आवश्यकता नहीं है। 
देवेंद्र फडणवीस ने 31 अक्टूबर को महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। फडणवीस इस पद की शपथ लेने वाले बीजेपी के पहले नेता हैं। बीजेपी विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद से फडणवीस की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। तब से उन्हें जेड प्लस सुरक्षा दी जा रही है।

Sunday, November 9, 2014

बीजेपी विधानसभा का अध्यक्ष पद शिव सेना को दे

शिव सेना-बीजेपी के बीच रिश्तों की सबसे बड़ी अड़चन बनी एनसीपी पर रविवार को शिव सेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने जमकर निशाना साधा। एनसीपी के समर्थन के बल पर शिव सेना को दरकिनार कर रही बीजेपी को घेरने के लिए उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व के अजेंडा को आगे करते हुए बीजेपी से सवाल किया कि क्या वह उस एनसीपी से समर्थन लेना चाहती है जिसके नेता हिंदुत्व को 'भगवा आतंकवाद' कहते हैं?

उद्धव ने कहा कि एनसीपी नेता शरद पवार ही वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने सबसे पहले भगवा आतंकवाद कहकर हिंदुत्व की तौहीन की थी। उद्धव ठाकरे ने बीजेपी नेताओं को यह भी याद दिलाया कि अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार गिराने वालों में शरद पवार ही प्रमुख थे। उद्धव ने कहा कि आज जब सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि पूरे देश में हिंदुत्व विरोधी शक्तियां एकजुट हो रही हैं, शिव सेना सिर्फ सत्ता पाने के लिए हिंदुत्व का साथ नहीं छोड़ सकती। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुत्ववादी शक्तियों को विभाजित नहीं होना चाहिए।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिव सेना कभी भी सत्ता के लिए लाचार नहीं है। अगर हम सत्ता के लिए लाचारी दिखाते तो जो मंत्री पद मिल रहे थे उन्हें चुपचाप स्वीकार कर लेते। केंद्र में मंत्री पद न ठुकराते। उद्धव ने कहा कि सत्ता के लिए बीजेपी के हर फैसले का हम समर्थन नहीं कर सकते। मुंबई को अलग करने और महाराष्ट्र के विभाजन जैसे मुद्दों पर हमारा विरोध है और हमेशा रहेगा। अगर सम्मान के साथ सत्ता में हिस्सेदारी नहीं मिली तो हम विपक्ष में बैठेंगे और विपक्ष की भूमिका को अंजाम देंगे। शिव सेना महाराष्ट्र के अधिकारों और न्याय के लिए लड़ती रहेगी।
विधानसभा अध्यक्ष के पद के लिए होने वाले चुनाव के बाद शिव सेना बीजेपी को समर्थन देने ये न देने का फैसला लेगी। उद्धव ठाकरे ने कहा कि बीजेपी किसका नाम अध्यक्ष पद के लिए आगे करती है इस पर बहुत कुछ निर्भर होगा। उन्होंने यह संकेत भी दिया कि हो सकता है अध्यक्ष पद के लिए शिव सेना अपना उम्मीदवार भी उतारे। इसका मतलब यह है कि शिव सेना चाहती है कि बीजेपी विधानसभा का अध्यक्ष पद शिव सेना को दे।

Saturday, November 1, 2014

बीजेपी की नैया एनसीपी के बिना पार नहीं

अल्पमत वाली बीजेपी की नैया एनसीपी के बिना पार नहीं होगी। उपरी सदन यानी विधान परिषद में एनसीपी सबसे बड़े दल के रूप में है। बिना उसके सहयोग से ऊपरी सदन में बीजेपी कुछ भी नहीं कर सकेगी इसलिए चुनावों में भले ही वह एनसीपी को खोटी सुना रही थी, लेकिन सरकार बनाने के बाद बीजेपी खामोश रहेगी। वैसे भी नीचले सदन में वह बहुमत सिद्ध करने के लिए एनसीपी की मदद अपरोक्ष तरीके से ही ले ही रही है।

विधानपरिषद में कुल 78 सदस्य है। एनसीपी के 26 सदस्य, कांग्रेस के 22, बीजेपी के 11, शिवसेना के 6 और निर्दलीय 7 सदस्य है। बीजेपी शिवसेना के साथ भी लेती है जो भी वह एनसीपी के कम ही रहेगी। गौर करने की बात यह है कि एनसीपी में अजित पवार, सुनील तटकरे और छगन भुजबल ही बीजेपी के निशाने पर रहे हैं और उन्हीं सुनील तटकरे के सहयोग से बीजेपी का कमल उपरी सदन में खिलेगा क्योंकि माना जा रहा है कि एनसीपी विरोधी दल नेता के रूप में तटकरे को नियुक्त करने वाली है।