Saturday, January 31, 2015

राष्ट्रभाषा प्रचार समिति में 10 हजार करोड़ का शिक्षा घोटाला

महाराष्ट्र में अब तक का सबसे बड़ा एजुकेशन घोटाला सामने आया है। करीब दस हजार करोड़ रुपये के इस घोटाले में अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस केस में महाराष्ट्र के एक पूर्व मंत्री भी जांच के दायरे में हैं। इस घोटाले में महाराष्ट्र सरकार के दो विभागों के खजाने से प्रति स्टूडेंट के नाम पर 48 हजार रुपये निकाल लिए गए पर इन स्टूडेंट्स को खुद पता नहीं कि वे किस कॉलेज में पढ़ते हैं।
गढ़चिरौली के स्पेशल क्राइम ब्रांच यूनिट के इंस्पेक्टर रवींद्र पाटील ने शुक्रवार को एनबीटी को विस्तार से इस घोटाले की जानकारी दी। श्री पाटील के अनुसार, वर्धा में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति है जिसकी स्थापना महात्मा गांधी ने की थी। महाराष्ट्र की एक पावरफुल महिला के एक बेहद करीबी ने इंडिया नॉलेज कॉर्पोरेशन और राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के बीच एक अग्रीमेंट करवाया। इस अग्रीमेंट के बाद एक नई समिति का गठन हुआ जिसका नाम रखा गया- राष्ट्र भाषा प्रचार समिति ज्ञान मंडल।
राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ने यूजीसी से पांच टेक्निकल कोर्सज की डिस्टेंश एजुकेशन की परमिशन मांगी। यूजीसी ने पांच साल के लिए यह परमिशन दे भी दी। परमिशन के तहत ये कोर्स राष्ट्रभाषा प्रचार समिति को शुरू करवाने थे पर राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ने यह अधिकार अपनी मर्जी से राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ज्ञान मंडल को दे दिया।
राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ज्ञान मंडल ने इसके लिए कागज पर पूरे महाराष्ट्र में 262 स्टडी सेंटर दिखाए। यूजीसी परमिशन के तहत एक स्टडी सेंटर अपने सेंटर में एक कोर्स के लिए अधिकतम 60 स्टूडेंट्स रख सकता था। इस तरह हर सेंटर में अधिकतम 300 स्टूडेंट्स होने चाहिए थे पर कई स्टडी सेंटर ने अपने यहां एसटी, एससी, ओबीसी व ऐंटी टीडी आरक्षण के तहत 600-600 स्टूडेंट्स तक रेकॉर्ड में दिखाए। हालांकि हकीकत में एक भी स्टूडेंट नहीं था। यहां तक कि किसी भी स्टडी सेंटर के लिए कॉलेज जैसा कोई परिसर भी नहीं था। अलबत्ता, किसी भी हाउसिंग सोसाइटी में छोटे-छोटे एक या दो घर ले लिए गए थे जहां एक-दो चपरासी और चंद अन्य लोग रखे गए थे।
हर टेक्निकल कोर्स की फीस प्रति स्टूडेंट प्रति साल 48 हजार रुपये थी पर इस स्टडी सेंटर में आरक्षित श्रेणी के स्टूडेंट की पूरी फीस सरकार को भरनी थी। एसटी श्रेणी के स्टूडेंट की फीस भरने का यह जिम्मा महाराष्ट्र सरकार के विभाग अकादमिक आदिवासी विकास प्रकल्प कार्यालय के पास था जबकि एसटी को छोड़कर शेष एससी, ओबीसी व ऐंटि टीडी आरक्षित श्रेणियों के स्टूडेंट की फीस समाज कल्याण विभाग को देनी होती है।
इस 48 हजार रुपये में 2300 रुपये की रकम सीधे स्टूडेंट के अकाउंट में, 9,000 रुपये राष्ट्रभाषा प्रचार समित ज्ञान मंडल के अकाउंट में जबकि शेष करीब 35 हजार रुपये की रकम स्टडी सेंटर के अकाउंट में ट्रासंफर होनी थी। यह सारी रकम दोनों सरकारी विभागों से ट्रांसफर हुई भी पर हकीकत यह है कि इन किसी भी 262 स्टडी सेंटर में कोई भी स्टूडेंट पिछले पांच साल में कभी पढ़ा ही नहीं।
तो यह रकम सरकार से ली कैसे गई? इंस्पेक्टर रवींद्र पाटील ने एनबीटी को बताया कि राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ज्ञान मंडल के लोगों ने पूरे महाराष्ट्र में अपने एजेंट गांव गांव में भेजे। इन एजेंटों ने आरक्षित श्रेणी के लोगों से किसी सरकारी स्कीम के बहाने जरूरी दस्तोवज लिए और फिर उनकी झेराक्स करवाकर दोनों सरकारी विभागों अकादमिक आदिवासी विकास कार्यालय व समाज कल्याण विभाग को भेज दिए। फिर इन दस्तावेजों के आधार पर इन दोनों सरकारी विभागों से रकम रिलीज की जाती रही।
यदि कायदे से देखा जाए तो इस घोटाले में सिर्फ राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ज्ञान मंडल ही आरोपी माना चाहिए पर हकीकत में दोनों सरकारी विभाग भी उतने ही दोषी हैं। इसकी वजह है स्टूडेंट के अकाउंट नंबर जिसमें प्रति स्टूडेंट 2300 रुपये जमा होने थे। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ज्ञान मंडल वालों ने दोनों सरकारी विभागों को स्टूडेंट के जो बैंक अकाउंट नंबर दिए, वे सब अंदाज से दिए नंबर थे जिनके आखिरी अंक 11-11 या 12-12 से खत्म होते थे।
जब इन अकाउंट में चेक भेजे गए तो स्वाभाविक है वे रिटर्न हो गए। रिटर्न होकर ये चेक आए इन दो सरकारी विभागों में ही, जहां से ये जारी किए गए थे। ऐसे में इन सरकारी विभागों के कुछ क्लर्कों ने राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ज्ञान मंडल के लोगों से कुछ फर्जी अकाउंट खुलवाए और फिर उसमें यह रकम ट्रांसफर की गई। इंस्पेक्टर रवींद्र पाटील के अनुसार, यदि पिछले 5 साल से सभी 262 सेंटर का पूरा हिसाब लगाया जाए और इन 262 सेंटरों के 600 स्टूडेंट्स के नाम पर प्रति स्टूडेंट 48 हजार रुपये का पूरा गुणा किया जाए तो यह घोटाला कई कई हजार हजार करोड़ रुपये का बैठता है।

अकादमिक आदिवासी विकास कार्यालय व समाज कल्याण विभाग पूर्व में जिस मंत्री के अंडर में आते हैं, जांच चल रही है कि कहीं उनकी तो इस घोटाले में कोई भूमिका तो नहीं थी। उम्मीद की जा रही है कि नई सरकार यह केस स्टेट सीआईडी को ट्रांसफर कर सकती है। पूर्व मंत्री, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ज्ञान मंडल से जुड़े बड़े लोगों और महाराष्ट्र की एक पॉवरफुल महिला व उसके करीबी से पूछताछ उसी के बाद होने की संभावना है।

आपसी सहमति के लिए समन्वय समिति बनाने का फैसला

शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा किसानों की आत्महत्या के मामले में बीजेपी सरकार की कड़ी आलोचना के बाद बीजेपी रक्षात्मक हो गई है पार्टी ने शिवसेना और बीजेपी के बीच मुद्दों पर आपसी सहमति के लिए समन्वय समिति बनाने का फैसला किया है। 

बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष रावसाहेब दानवे ने इस संबंध में विचार विमर्श के लिए शुक्रवार शाम शिवसेना नेताओं- सुभाष देसाई और अनिल देसाई- से मुलाकात की। हालांकि इससे पहले जब उद्धव ठाकरे ने दिवंगत शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब की जंयती पर षण्मुखानंद सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में जब केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ बयान दिया था तब राज्य के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने शिवेसना-बीजेपी के बीच कामकाजी रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए समन्वय समिति स्थापित किए जाने का सुझाव दिया था।
लेकिन तब न तो सरकार ने और न ही संगठन ने इस पर ध्यान दिया था। अब जब खुद सीएम शिवसेना के टारगेट पर आ गए हैं तो पार्टी ने समन्वय समिति बनाने का फैसला किया है।

Thursday, January 29, 2015

मिलिंद देवड़ा मुंबई कांग्रेस के अगले अध्यक्ष

केंद्रीय मंत्री रह चुके मिलिंद देवड़ा मुंबई कांग्रेस के अगले अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की शर्मनाक हार के बाद से ही मुंबई और महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष बदले जाने की चर्चा चल रही थी। सूत्रों के अनुसार, विधायक आरिफ नसीम खान, पूर्व सांसदों संजय निरुपम और एकनाथ गायकवाड़ के नाम इस पद के लिए जा रहे थे। बताया जाता है कि कि खान का नाम इस पद के लिए लगभग निश्चित किया जा चुका था। अब चर्चा है कि खान ने पद लेने से इनकार करते हुए मिलिंद देवड़ा का नाम आगे बढ़ा दिया था।
मिलिंद के दिवंगत पिता मुरली देवड़ा ने मुंबई अध्यक्ष के तौर पर 24 वर्षों की रेकॉर्ड पारी पूरी की थी। सीनियर देवड़ा की मृत्यु के बाद 'जूनियर' देवड़ा का नाम इसी पद के लिए उबरना इत्तेफाक से कम नहीं है। मुंबई कांग्रेस की राजनीति पिछले कुछ दशकों से देवड़ा गुट और देवड़ा-विरोधी गुट की धुरियों पर बंटी रही है। कांग्रेस के केंद्रीय महासचिव गुरुदास कामत पिछले दो दशकों से देवड़ा-विरोधी गुट का नेतृत्व करते रहे हैं। बहरहाल, सीनियर देवड़ा की लंबी पारी के बाद से यह पद बारी-बारी दोनों गुटों में बांटा जाता रहा है।
देवड़ा के बाद कामत ने खुद मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद संभाला। फिर देवड़ा गुट के समर्थन से कृपाशंकर सिंह और उनके बाद कामत गुट के समर्थन से मौजूदा अध्यक्ष जनार्दन चांदूरकर इस पद पर आसीन हुए। वैसे, बीच में इन दोनों गुटों की परिधि के बाहर प्रिया दत्त, कृपाशंकर और निरुपम ने अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाने का प्रयास किया। मगर रस्साकशी में लगभग सभी छोटे गुट बड़ी विभाजन रेखा में किसी एक तरफ का पल्ला पकड़ने को मजबूर हो गए।

एक आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि कामत के अध्यक्ष पद के कार्यकाल में बनाए गए पदाधिकारी बदले नहीं गए है। कृपाशंकर को पुरानी लिस्ट को छुए बिना दो-चार पदाधिकारी जोड़ने का मौका मिला। चर्चा है कि मौजूदा अध्यक्ष चांदूरकर को तो यह मौका भी नसीब नहीं हुआ। मुंबई कांग्रेस मुख्यालय 'राजीव गांधी सदन' में खुले आम ही यह चर्चा है कि अधिकांश पदाधिकारी पिछले कुछ महीनों से इस दिशा में फिरके तक नहीं है। कामत की 'कोर टीम' ही अकेले दम पर कार्यालय का रोजमर्रा का कामकाज संभाले हुए है। कामत गुट के नेतृत्व में बुधवार को आजाद मैदान में हुए प्रदर्शन को उनका 'व्यक्तिगत शक्ति प्रदर्शन' ठहराते हुए देवड़ा गुट और फिलहाल उनके साथ जुड़े गुटों के बड़े नेता शामिल नहीं हुए।

मिलिंद देवड़ा मुंबई कांग्रेस के अगले अध्यक्ष

केंद्रीय मंत्री रह चुके मिलिंद देवड़ा मुंबई कांग्रेस के अगले अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की शर्मनाक हार के बाद से ही मुंबई और महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष बदले जाने की चर्चा चल रही थी। सूत्रों के अनुसार, विधायक आरिफ नसीम खान, पूर्व सांसदों संजय निरुपम और एकनाथ गायकवाड़ के नाम इस पद के लिए जा रहे थे। बताया जाता है कि कि खान का नाम इस पद के लिए लगभग निश्चित किया जा चुका था। अब चर्चा है कि खान ने पद लेने से इनकार करते हुए मिलिंद देवड़ा का नाम आगे बढ़ा दिया था।
मिलिंद के दिवंगत पिता मुरली देवड़ा ने मुंबई अध्यक्ष के तौर पर 24 वर्षों की रेकॉर्ड पारी पूरी की थी। सीनियर देवड़ा की मृत्यु के बाद 'जूनियर' देवड़ा का नाम इसी पद के लिए उबरना इत्तेफाक से कम नहीं है। मुंबई कांग्रेस की राजनीति पिछले कुछ दशकों से देवड़ा गुट और देवड़ा-विरोधी गुट की धुरियों पर बंटी रही है। कांग्रेस के केंद्रीय महासचिव गुरुदास कामत पिछले दो दशकों से देवड़ा-विरोधी गुट का नेतृत्व करते रहे हैं। बहरहाल, सीनियर देवड़ा की लंबी पारी के बाद से यह पद बारी-बारी दोनों गुटों में बांटा जाता रहा है।
देवड़ा के बाद कामत ने खुद मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद संभाला। फिर देवड़ा गुट के समर्थन से कृपाशंकर सिंह और उनके बाद कामत गुट के समर्थन से मौजूदा अध्यक्ष जनार्दन चांदूरकर इस पद पर आसीन हुए। वैसे, बीच में इन दोनों गुटों की परिधि के बाहर प्रिया दत्त, कृपाशंकर और निरुपम ने अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाने का प्रयास किया। मगर रस्साकशी में लगभग सभी छोटे गुट बड़ी विभाजन रेखा में किसी एक तरफ का पल्ला पकड़ने को मजबूर हो गए।

एक आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि कामत के अध्यक्ष पद के कार्यकाल में बनाए गए पदाधिकारी बदले नहीं गए है। कृपाशंकर को पुरानी लिस्ट को छुए बिना दो-चार पदाधिकारी जोड़ने का मौका मिला। चर्चा है कि मौजूदा अध्यक्ष चांदूरकर को तो यह मौका भी नसीब नहीं हुआ। मुंबई कांग्रेस मुख्यालय 'राजीव गांधी सदन' में खुले आम ही यह चर्चा है कि अधिकांश पदाधिकारी पिछले कुछ महीनों से इस दिशा में फिरके तक नहीं है। कामत की 'कोर टीम' ही अकेले दम पर कार्यालय का रोजमर्रा का कामकाज संभाले हुए है। कामत गुट के नेतृत्व में बुधवार को आजाद मैदान में हुए प्रदर्शन को उनका 'व्यक्तिगत शक्ति प्रदर्शन' ठहराते हुए देवड़ा गुट और फिलहाल उनके साथ जुड़े गुटों के बड़े नेता शामिल नहीं हुए।

Tuesday, January 27, 2015

नवी मुंबई एयरपोर्ट का काम बहुत ही धीमी गति से

नवी मुंबई एयरपोर्ट का काम बहुत ही धीमी गति से चल रहा है। एयरपोर्ट के काम से प्रभावित 10 गांवों के किसान सरकार के रवैए से बेहद ही नाराज हैं। उनकी शिकायत है कि सरकार ने जो उनसे वादा किया था वह पूरा नहीं किया। अब वे सरकार से लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं।
गौरतलब है कि सरकार ने एयरपोर्ट से प्रभावित किसानों को उनका घर बनाने के लिए 1000 रुपये प्रति वर्ग फुट देने का वादा किया था। घर बनाने के लिए अधिकतम 750 वर्ग फुट जमीन देने का आश्वाशन दिया था। जिन किसानों की जमीनें एयरपोर्ट बनाने में गई हैं। उन्हें अधिकतम 22.5 एकड़ जमीन देने का वादा किया था। साथ ही प्रभावित परिवारों के सदस्यों को एयरपोर्ट में नौकरी और एयरपोर्ट का 100 शेयर एट पार वैल्यू (10 रुपये) देने वाली थी।
प्रभावित किसानों की संस्था के पदाधिकारी किणी कहते हैं कि सरकार छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं दे रही है। सरकार ने जॉब देने का वादा किया था। उसके लिए पर्याप्त ट्रेनिंग नहीं दे रही है। यहां पर कपड़े सिलने का प्रशिक्षण बेमन से दिया जा रहा है। ऐसे प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं जिनका एयरपोर्ट में कोई उपयोग नहीं है। किणी कहते हैं, जहां सरकार शिफ्ट कर रही है वहां पानी जैसी मूलभूत सुविधा नहीं है। ऐसे में वहां कौन जाएगा।
किणी कहते हैं कि जिन परिवारों के एक से ज्यादा घर हैं उन्हें एक ही घर दिया जा रहा है। ऐसे में परिवार के दूसरे सदस्य कहा जाएंगे। वे बताते हैं कि हमारे लोगों को यहां से दूसरी बार शिफ्ट किया जा रहा है। कई साल पहले नवी मुंबई शहर को बसाने के लिए हमारी जमीनें ली गईं और अब फिर से हमारी जमीन सरकार ले रही है और हमें यहां से हटा रही है।
अपनी मांगों को लेकर ग्रामीणों के यूनियन नेताओं ने कई बार अधिकारियों और नेताओं के साथ बैठकें कीं लेकिन छोटे-मोटे मामले हल नहीं हुए। एयरपोर्ट बनाए जाने से यहां के लोगों में खुशी का माहौल है। लोग दिल से चाहते हैं कि यहां जल्द से जल्द एयरपोर्ट बने और जहाज उड़ें, पर उनकी यही मांग है कि सरकार उनका उचित पुनर्वसन्न करे ताकि वे भी विकास के सहभागी बन सकें।

इस बारे में सरकार की ओर से बताया गया कि प्रभावित 10 गांवों में से एक गांव को शिफ्ट किया है। बाकी के नौ गांवों को शिफ्ट करने का करीब 90 फीसदी काम पूरा हो गया है। जमीन अधिग्रहण करने के बाद जहां पर हवाई पट्टी बनाना है, वहां पर आठ मीटर तक भरनी करनी होगी। साथ ही वहां टाटा पावर और महाराष्ट्र बिजली के खंभे हटाने होंगे। नवी मुंबई एयरपोर्ट बनाने के लिए देश-विदेश की 20 नामी गिरामई कंपनियों ने बोली लगाई है।

Thursday, January 22, 2015

आम उत्पादक किसानों में जश्न का माहौल

यूरोपीय देशों के संगठन (यूरोपीय यूनियन) द्वारा हापुस आमों के आयात पर लगी पाबंदी उठा लिए जाने की खबर मिलने से वाशी स्थित थोक फलमंडी तथा कोंकण क्षेत्र के हापुस आम उत्पादक किसानों में जश्न का माहौल है। हापुस आमों के साथ-साथ यूरोपीय यूनियन ने चार सब्जियों पर लगी पाबंदी भी हटा दी है जिससे इन सब्जियों के निर्यातक व्यापारी व किसानों में भी खुशी की लहर दौड़ गई है।
यूरोपीय यूनियन से जुड़े 28 देशों के संगठनों ने कुछ सब्जियों और फलों में कीटाणु मिलने पर पिछले साल आमों सहित 4 सब्जियों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इनमें हापुस आम समेत सब्जियों में बैंगन, परवल, करेला व अरबी के पत्ते शामिल थे। इन पर लगा प्रतिबंध भारत के कृषि व्यवसाय व निर्यात व्यापार के लिए एक बड़ा आघात था।
इस प्रतिबंध के लगते ही केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले अपेडा (ऐग्रिकल्चरल ऐंड प्रोसेस्ड फूड प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट डिवेलपमेंट अथॉरिटी) के अधिकारियों ने यूरोप के ब्रुशेल्स में जाकर यूरोपीय यूनियन के फूड ऐंड वेटेनरी विभाग के अधिकारियों से मुलाकात कर उनकी शर्तों की जानकारी ली थी। इसके बाद इन्होंने भारत लौटकर मुंबई व नवी मुंबई स्थित थोक मंडियों का दौरा किया था। इस दौरे में अधिकारियों ने फल व सब्जी निर्यातक व्यापारियों को हापुस आमों व सब्जियों का निर्जंतुकरण करने व उनकी पैकिंग के लिए आवश्यक निर्देश दिए।
हापुस आमों के निर्जंतुकरण प्रक्रिया में तीन शर्तें शामिल हैं। आमों के निर्जंतुकरण करने हेतु शामिल तीन शर्तों का पालन करने वाले निर्यातकों को ही विदेशों में आम भेजने की अनुमति दी जाएगी। इनमें आमों को हॉट वॉटर ट्रीटमेंट (गर्म पानी से गुजारने की प्रक्रिया), वैपर हीट ट्रीटमेंट (अतिगर्म प्रक्रिया) तथा रेडिएशन प्रक्रिया से गुजरना होगा। इससे पहले बगीचा मालिकों द्वारा पेड़ों पर ही यूजोनॉल नामक दवा की चार बूंदों का प्रति 200 मिलीमीटर पानी में मिलाकर एक बार में 40 पेड़ों पर छिड़काव किया जाता है। निर्यातक व्यापारियों द्वारा यूरोपीय यूनियन की शर्तों की पूर्ति होते ही आखिरकार इस पाबंदी को हटा लिया गया।
हापुस आमों का निर्यात यूरोपीय देशों में 50 से 100 करोड़ रुपये से अधिक का बताया गया है। इसी तरह से अभी तक प्रतिबंधित सब्जियों का निर्यात भी 100 से 150 करोड़ रुपये से अधिक का बताया गया है। यूरोपीय देशों समेत पूरी दुनिया में हापुस व अन्य सभी किस्म के आमों का कुल करीब 300 करोड़ रुपये का निर्यात होता है। भारत से पूरी दुनिया में सभी किस्म की सब्जियों का निर्यात 400 करोड़ रुपये से अधिक का किया जाता है।

भारत से विश्वभर में आमों का निर्यात किया जाता है जिससे भारत को बहुमूल्य विदेशी मुद्रा मिलती है। विश्वभर में होने वाले निर्यात में सभी किस्म के आमों का करीब 7 से 10 फीसदी निर्यात अकेले 28 यूरोपीय देशों में होता है। इनमें भी सर्वाधिक निर्यात इंग्लैंड, नीदरलैंड व फ्रांस में किया जाता है।

Tuesday, January 20, 2015

उपचुनाव में शिवसेना को 3 तथा एनसीपी को 2 स्थानों पर विजय

ठाणे मनपा के 5 वॉर्डों के लिए रविवार को हुए उपचुनाव में शिवसेना को 3 तथा एनसीपी को 2 स्थानों पर विजय मिली। वागले इस्टेट परिसर की जो 3 सीटें शिवसेना की झोली में गईं, पहले वे तीनों कांग्रेस के पास थीं। मुंब्रा की जिन दो सीटों पर एनसीपी जीती है, वे पहले भी एनसीपी के पास थीं।
उपचुनाव में कांग्रेस को 3 सीटों का घाटा हुआ है। वागले इस्टेट के वॉर्ड क्रमांक 34अ से शिवसेना की जयश्री फाटक ने कांग्रेस की ललिता टाकलवार को 3410 मतों से हराया है। जयश्री फाटक को 5183 तथा ललिता टाकलवार को 1773 मत मिले हैं। वॉर्ड क्रमांक 34ब में शिवसेना के रविन्द्र फाटक ने कांग्रेस के अभिजीत पांचाल को 3205 मतों से पराजित किया। फाटक को 4109 तथा पांचाल को 1904 मत मिले। वॉर्ड क्रमांक 13अ में शिवसेना की कांचन चिंदरकर ने कांग्रेस की शीतल चव्हाण को 3858 मतों से हराया। चिंदरकर को 5121 और चव्हाण को 1263 मत मिले हैं।

गौरतलब है कि विगत विधानसभा चुनाव के दौरान रविन्द्र फाटक, जयश्री फाटक तथा कांचन चिंदरकर कांग्रेस छोड़ कर शिवसेना में शामिल हो गए थे और तीनों ने नगरसेवक पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से ये सीटें खाली पड़ी थीं।

Saturday, January 17, 2015

बीजेपी ने हमेशा हिंदुत्व के मुद्दे को हल्के से लिया

शिवसेना के पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को मुंबई में ऐलान किया कि शिवसेना दिल्ली विधानसभा के चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेगी। उनकी इस घोषणा से दिल्ली के शिवसैनिकों का उत्साह बढ़ गया है। उद्धव ठाकरे ने ऐलान किया कि शिवसेना दिल्ली के विधानसभा चुनाव में अपने स्वतंत्र उम्मीदवार खड़े करेगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के बारे में उनकी बीजेपी नेताओं के साथ कोई बातचीत नहीं हुई है।
बता दें कि शिवसेना की दिल्ली इकाई पहले ही शिवसेना के 10 उम्मीदवारों की सूची घोषित कर चुकी है। अब उद्धव की इस घोषणा से पार्टी के उम्मीदवारों को चुनाव में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के लिए जरूरी पार्टी का '' और 'बी' फॉर्म मिलने का रास्ता भी साफ हो गया है। उद्धव की इस घोषणा के बाद शिवसेना उम्मीदवारों के दूसरी सूची भी जल्दी जारी होने की संभावना है। हालांकि यह सूची भी तैयार हो चुकी है लेकिन उद्धव ठाकरे की मंजूरी के लिए रुकी हुई थी।
अपनी राष्ट्रीय राजनीतिक मर्यादाओं के कारण बीजेपी ने हमेशा हिंदुत्व के मुद्दे को हल्के से लिया है। शिवसेना अपने उग्र हिंदुत्व के लिए जानी जाती है। उत्तर भारत में इन दिनों हिंदुत्व को लेकर जैसा उग्र माहौल है, उसमें कुछ वोटों का ध्रुवीकरण अगर शिवसेना के पक्ष में हो गया तो बीजेपी को वोट कटने का खतरा है।
दिल्ली में शिवसेना के उम्मीदवारों की जीत इस बात पर भी निर्भर करेगी कि पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने उम्मीदवारों का प्रचार करने दिल्ली जाते हैं या नहीं। अगर उद्धव प्रचार के लिए जाएंगे तभी शिवसेना के 18 सांसद और 63 विधायकों की फौज दिल्ली चुनाव में तन-मन-धन से जुटेगी। वर्ना दिल्ली के शिवसैनिक 'एकलव्य' की तरह चुनाव लड़ेंगे।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए लोकल ट्रेनों में सीटें आरक्षित रखने का आदेश

बॉम्बे हाई कोर्ट ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए लोकल ट्रेनों में सीटें आरक्षित रखने का आदेश दिया है। लोकल ट्रेनों में भीड़ ज्यादा होने के कारण उन्हें कई घंटे ट्रेनों में खड़े होकर सफर करना पड़ता है।
कोर्ट ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए हर लोकल ट्रेन में 14 सीटें रिजर्व रखने का आदेश दिया है, जिस पर 15 अप्रैल से अमल करना होगा। कोर्ट ने रेलवे अधिकारियों से यह भी कहा है कि वे यह सुनिश्चित करें कि रिजर्व की हुई सीटें केवल वरिष्ठ नागरिकों के लिए ही उपयोग हों।

गौरतलब है कि लोकल ट्रेनों में महिलाओं के लिए अलग डिब्बे होते हैं और अपंग यात्रियों के लिए भी अलग डिब्बा होता है लेकिन वरिष्ठ नागरिक के लिए दोपहर में कुछ सीटें रिजर्व होती हैं। जबकि ज्यादा परेशानी पीक टाइम में होती हैं। हालांकि कई भले पैसेंजर अपने पास किसी सीनियर सिटीजन के खड़े होने पर अपनी सीट दे देते हैं लेकिन यह हर बार संभव नहीं होता है।
न्यायाधीश अभय ओक ने कहा कि द्वितीय श्रेणी डिब्बे में उनके लिए कुछ सीटें रिजर्व होती हैं लेकिन यह देखा गया है कि उनका उपयोग वे नहीं कर पाते। उन्होंने यह भी कहा कि सीटों पर साफ-साफ लिखा होना चाहिए कि वे सीनियर सिटीजन के लिए हैं। कोर्ट को यह निर्णय स्वतंत्रता सैनानी और सीनियर सिटीजन ए. बी. ठक्कर की याचिका पर देना पड़ा है।

Thursday, January 15, 2015

स्मार्ट कार्ड के लिए आगे आए 3000 ऑटो चालक

नवी मुंबई में शुरुआती विरोध के बाद ऑटो रिक्शा चालकों ने स्मार्ट ID कार्ड अपनाना शुरू कर दिया है। 3000 से अधिक ऑटो चालकों ने अपने ऑटो में स्मार्ट ID कार्ड लगवाने के लिए RTO से संपर्क किया है।
इस स्मार्ट ID कार्ड की वजह से कोई भी अनुशासनहीन ऑटो चालक अपनी मनमानी नहीं कर सकेगा। पीड़ित ऑटो यात्री इसी स्मार्ट ID कार्ड की सहायता से अपनी शिकायत RTO प्रशासन से तत्काल कर सकेंगे। विशेषकर महिला यात्री अब अकेले ऑटो में यात्रा करते समय खुद को सुरक्षित महसूस कर सकेंगी।
वाशी और पनवेल RTO विभाग के अंतर्गत कुल 15,058 ऑटो रिक्शा चालक पंजीकृत हैं। स्मार्ट ID कार्ड योजना को अनिवार्य किया गया है। इसके लिए प्रति चालक 100 रुपये शुल्क लिया जा रहा है। ऑटो यात्रियों को इस स्मार्ट कार्ड की सुविधा का लाभ लेने के लिए अपने एंड्रॉयड फोन पर safejourney नामक ऐप डाउनलोड करना होगा।
इसके बाद ऑटो रिक्शा की पिछली सीट के सामने लगे स्मार्ट कार्ड पर छपे QR कोड को सेफजर्नी ऐप के माध्यम से स्कैन करना होगा। इसके तुरंत बाद यात्री को ऑटो रिक्शा चालक का नाम, चालक का फोटो, चालक के लाइसेंस, ऑटो रिक्शा, परमिट, फोन नंबर की पूरी जानकारी मिल जाएगी। स्मार्ट ID कार्ड के चलते मिली इस जानकारी का उपयोग ऑटो यात्री किसी भी आपात स्थिति में अपनी और अपने सामान की सुरक्षा के लिए कर सकेंगे।

Sunday, January 11, 2015

बढ़े हुए मेट्रो किराए पर कमिटी का कोई भी असर होने की संभावना नहीं

मुंबई मेट्रो को लेकर उठे बवंडर के बाद केंद्र सरकार ने इसका किराया तय करने के लिए कमिटी बना दी है। बढ़े हुए मेट्रो किराए पर इसका कोई भी असर होने की संभावना नहीं है। आगे भविष्य में अगर आगे कभी फिर किराया बढ़ता है, तब जाकर इस 'टैरिफ फिक्सेशन कमिटी' का काम शुरू होगा।
'
एनबीटी' ने किराया वृद्धि को लेकर सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए थे। विशेषज्ञों की यह राय है कि अगर ये कमिटी पहले बना दी गई होती तो मेट्रो का किराया बढ़ाना इतना आसान नहीं होता। ताजा तथ्य ये उभरे हैं कि कम से कम दो बार महाराष्ट्र सरकार ने इस किराया समिति के लिए नाम भेजे थे। मगर केंद्र सरकार ने इस बारे में निर्णय ही नहीं किया। पहले सुबोध कुमार का नाम महाराष्ट्र सरकार ने इस कमिटी की अध्यक्षता के लिए भेजा था। मगर यह प्रस्ताव प्रलंबित पड़ा रहा। फिर केंद्र की नई बीजेपी सरकार को यह नाम पसंद नहीं आया। इसके बाद, दूसरी बार मुख्य सचिव रहे जयंत बांठिया का नाम कमिटी की अध्यक्षता के लिए भेजे जाने की खबर है। इस नियुक्ति पर भी दिल्ली ने किसी तरह की खास रुचि नहीं दिखाई।

Friday, January 9, 2015

मुंबई में दफ्तरों में काम के समय को बदल दिया जाए


मुंबई की लोकल ट्रेनों में पीक आवर्स के दौरान भीड़ कम करने के लिए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने एक शानदार नुस्खा सुझाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सुझाव दिया है कि अगर मुंबई में दफ्तरों में काम के समय को बदल दिया जाए, तो लोकल में एक ही समय पर होने वाली भीड़ को नियंत्रित किया जा सकता है। 

मुंबई की लोकल ट्रेन की समस्याओं के बारे में गुरुवार को रेल मंत्री और मुख्यमंत्री की मौजूदगी में मंत्रालय में एक हाई लेवल मीटिंग हुई। इस मीटिंग में रेल मंत्री ने कहा कि सरकारी और निजी कंपनियों के दफ्तरों में कामकाज का समय एक ही होने के कारण एक ही समय पर लोकल में भीड़ रहती है। अगर राज्य सरकार दफ्तरों के कामकाज का समय अलग-अलग कर दे, तो लोकल ट्रेनों में भीड़ का बोझ कम हो सकता है। भीड़ नियंत्रित होने से लोकल ट्रेनों में होने वाले हादसों में भी कमी आएगी। रेलवे से जुड़े तमाम कार्यों को गति देने के उद्देश्य से सुझाए गए नया प्राधिकरण बनाने पर सीएम ने अपनी रजामंदी जताई है। इस मीटिंग में परिवहन मंत्री दिवाकर रावते, मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रीय और रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ए.के. मित्तल समेत सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे के जीएम तथा एमआरवीसी के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। 

Thursday, January 8, 2015

मुंबई मेट्रो का किराया शुक्रवार से दोगुना

मुंबई मेट्रो का किराया शुक्रवार से दोगुना हो जाएगा। बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को रिलायंस की मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड (एमएमओपीएल) को वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर का किराये का स्लैब 10-40 रुपये करने की इजाजत दे दी। 
एमएमआरडीए ने किराया न बढ़ाने की अपील की थी जिसे सिंगल जज द्वारा खारिज कर दिया गया था। इस आदेश के खिलाफ की गई अपील को गुरुवार को चीफ जस्टिस मोहित शाह और बर्गीज कोलाबावाला की बेंच ने भी खारिज कर दिया। 

हाई कोर्ट ने गुरुवार को एमएमआरडीए की तीन हफ्ते तक मेट्रो किराया 10 से 20 रुपये रखे जाने की अपील भी खारिज कर दी। एमएमआरडीए का कहना था कि अगर तीन हफ्ते तक किराया नहीं बढ़ाया गया तो इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी जाएगी। हाई कोर्ट में एमएमओपीएल ने एमएमआरडीए की इस अपील का विरोध किया था।
किराया बढ़ाने के बारे में शुक्रवार शाम तक एमएमओपीएल की ओर से अंतिम फैसला ले लिए जाने की उम्मीद है। 
हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से गठित मेट्रो फेयर फिक्सेशन कमिटी को भी तीन महीनों में किराये का ढांचा तय करने निर्देश दिया। अगर कमिटी का तय किया गया किराया एमएमओपीएल के प्रस्तावित किराए से कम हुआ तो यात्रियों को इसका नफा-नुकसान मिलेगा। 
जून 2014 से मुबंई में मेट्रो चलाने वाले एमएमओपीएल ने वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर रूट पर शुरुआती किराया 10 से 40 रुपये रखा था, लेकिन एमएमआरडीए इसके खिलाफ हाई कोर्ट में चला गया था। एमएमआरडीए का कहना था कि किराया समझौते के मुताबिक 9 से 13 रुपये के बीच रहना चाहिए। 

Tuesday, January 6, 2015

कैलाश सत्यार्थी ने खुलकर तो नहीं लेकिन इशारों इशारों में पीएम मोदी की तारीफ की


नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने खुलकर तो नहीं लेकिन इशारों इशारों में पीएम मोदी की तारीफ की है। 102वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस से इतर उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि देश अभी सक्षम हाथों में है।
शांति का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सत्यार्थी ने कहा कि वह भारत की युवा वैज्ञानिक प्रतिभाओं से प्रभावित हैं और इस बात को मानते हैं कि देश सक्षम हाथों में है। उन्होंने कहा, 'विज्ञान और प्रौद्योगिकी का महत्व बढ़ रहा है तथा समय की जरूरत है कि इससे गरीबी में जीवन बिता रहे बच्चों की मदद की जाए।' गरीबी में जीवन बिता रहे बच्चों को परेशानियों से निकालने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में मानव संपर्क सतही रह गया है। सत्यार्थी ने कहा, 'विज्ञान, ज्ञान का सबसे शुद्ध रूप है और ज्ञान सार्वभौमिक है। डिजिटल विषमता और असमानता बढ़ रही है। डिजिटल संपर्क के युग में हम मानवीय संपर्क तथा एक दूसरे के प्रति दया और सम्मान की भावना खो रहे हैं। डिजिटल युग में मानव संपर्क सतही रह गया है।'
सत्यार्थी ने बच्चों की शिक्षा में निवेश बढ़ाने की जरूरत बताते हुए कहा, 'दुनिया में 17 करोड़ से ज्यादा बाल श्रमिक हैं। छह करोड़ बच्चे कभी स्कूल नहीं गए तो15 करोड़ बच्चों ने प्राइमरी स्कूल के बाद पढ़ाई नहीं की।' उन्होंने कहा, 'हम मंगल के बारे में संभवत: सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान कर रहे हो सकते हैं लेकिन अब भी लाखों बच्चे हैं जिन्हें पशुओं से कम दाम पर खरीदा और बेचा जाता है।'