Friday, July 31, 2015

मेमन के प्रति दया दिखाने वाले देशद्रोही - शिवसेना

शिवसेना ने याकूब मेमन के प्रति नरमी दिखाने की मांग करने वालों पर निशाना साधते हुए आज कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ देश के शत्रु होने के मामले में मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
पार्टी ने सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि 1993 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों का दोषी याकूब लोगों की नजरों में शहीद ना बन पाए।
शिवसेना ने कहा कि 1993 में हुए बम विस्फोटों के पीड़ितों की आत्मा को तभी शांति मिलेगी जब इन विस्फोटों के मुख्य षडयंत्रकर्ता और मास्टरमाइंड टाइगर मेमन और दाउद इब्राहीम को देश वापस लाकर फांसी दी जाएगी।
शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में छपे एक संपादकीय में कहा कि करीब 50 लोगों ने याकूब मेमन के प्रति दया दिखाने की मांग करते हुए पत्र लिखा था। इन लोगों ने मुंबई हमलों में अपने किसी करीबी को नहीं खोया है और इसीलिए वे दया दिखाने की मांग कर रहे थे, लेकिन राष्ट्रपति और उच्चतम न्यायालय ने उनकी बात नहीं सुनी और देश के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए याचिकाएं खारिज कर दीं।
शिवसेना ने मांग की है कि जिन लोगों ने मेमन के प्रति दया दिखाए जाने की मांग की थी, उनके खिलाफ देश के दुश्मन होने का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
शिवसेना ने कहा, 'मेमन को फांसी दे दी गई है और अब सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए कि उसे लोगों के समक्ष बेगुनाह या शहीद दिखाने का प्रयास नहीं हो।' पार्टी ने कहा कि मुंबई में हुए सिलसिलेवार विस्फोट पाकिस्तान का देश पर किया गया हमला थे। पड़ोसी देश भारत के खिलाफ हमलों की लंबे समय से योजना बना रहा है।
शिवसेना ने संपादकीय में कहा, 'दाउद और टाइगर पाकिस्तान में हैं। याकूब भी पाकिस्तान भाग गया था और वह बाद में लौट आया। केवल इसलिए दया दिखाने में क्या औचित्य है कि वह भारत लौट आया? उसके खिलाफ मजबूत सबूत थे और उसके वकीलों ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की।' पार्टी ने इस विषय पर चर्चा करने का सुझाव दिया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे मौत की सजा सुनाए जाने के बावजूद अब तक जीवित हैं।
उसने कहा, 'असदुद्दीन ओवैसी ने जो बात उठाई है वह विचार करने योग्य है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे मौत की सजा सुनाए जाने के बावजूद जीवित हैं क्योंकि उनकी राज्य सरकारें उन्हें मृत्युदंड दिए जाने के खिलाफ हैं।'
शिवसेना ने कहा कि इस बात पर चर्चा हो सकती है और कानूनी लडाई भी लड़ी जा सकती है, लेकिन केवल इसी आधार पर उस व्यक्ति की दया याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती जो मुंबई बम विस्फोटों में सैकड़ों लोगों की मौत का जिम्मेदार है

Tuesday, July 28, 2015

भावपूर्ण श्रद्धांजलि – शत शत नमन

पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने जिस वक्त आखिरी सांस ली थी, उस वक्त उनके करीबी सहयोगी सृजन पाल सिंह वहीं थे। उन्होंने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर डॉक्टर कलाम के आखिरी पलों का जिक्र किया है। हम सृजन पाल सिंह की फेसबुक पोस्ट से उन पलों की कहानी आपके सामने रख रहे हैं:
"
हम लेक्चर हॉल में गए। वह लेट नहीं होना चाहते थे। वह हमेशा कहते थे कि छात्रों से इंतजार नहीं करवाया जाना चाहिए। मैंने तुरंत उनका माइक सेट किया, लेक्चर के बारे में थोड़ा ब्रीफ किया और कंप्यूटर संभाल लिया। जैसे ही मैंने उनका माइक सेट किया, वह मुस्कुराए और बोले, 'Funny Guy! सब ठीक है न?'
जब कभी वह Funny guy कहते, इसके कई मतलब निकलते। इसका मतलब इस बात पर निर्भर करता कि उनकी टोन कैसी थी और आपने क्या अंदाजा लगाया। इसका मतलब यह हो सकता है कि तुमने बहुत बढ़िया काम किया और यह भी कि तुमने कुछ गड़बड़ कर दी है। पिछले 6 सालों में मुझे 'Funny guy' का मतलब समझ आना शुरू हो गया था। इस बार इसे समझने का आखिरी मौका था।
'Funny guy!
सब ठीक है?', उन्होंने कहा। मैंने मुस्कुराते हुए कहा, 'जी हां।' ये उनके कहे आखिरी शब्द थे। मैं उनके पीछे बैठा था। उनके दो मिनट के भाषण के बाद मैंने कुछ महसूस किया कि उन्होंने कुछ ज्यादा ही लंबा ठहराव ले लिया है। जैसे ही मैंने उनकी तरफ नजर उठाई, तभी वह गिर गए।
हमने उन्हें उठाया। डॉक्टर दौड़ता हुआ आया और हमने वह सब कुछ किया, जो कर सकते थे। मैं उनकी बिल्कुल थोड़ी सी खुली आंखों का वह मंजर नहीं भूल सकता। एक हाथ से मैंने उनका सिर पकड़ा था। उनका हाथ मेरी उंगली पर भिंचा हुआ था। उनके चेहरे पर स्थितरता थी और उनकी उन खामोश आंखों से मानो ज्ञान की आभा बिखर रही थी।
उन्होंने कुछ नहीं कहा। उनके चेहरे पर दर्द का भी नामो-निशान तक नहीं था। पांच मिनट के अंदर हम नजदीकी अस्पताल में थे। कुछ ही मिनटों में उन्होंने हमें बताया कि मिसाइल मैन ने उड़ान भर ली है, हमेशा के लिए। मैंने आखिरी बार उनके चरण स्पर्श किए। अलविदा बुजुर्ग दोस्त! महान परमार्शदाता! विचारों में दर्शन करूंगा और अगले जन्म में मुलाकात।"


हमारी ओर से उस महान हस्ती को भावपूर्ण श्रद्धांजलि – शत शत नमन 

Monday, July 27, 2015

अंधविश्वास के कारण

आज की तारीख में अनेक बाबाओं और तांत्रिकों का धंधा अंधविश्वास के कारण ही चल रहा है। सच कहा जाए तो अंधविश्वास फैलाने वाले काफी संगठित और मजबूत हैं, तभी तो उनका विरोध करने पर नरेंद्र दाभोलकर जैसे लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। संविधान में वैज्ञानिक सोच को आगे बढ़ाने के संकल्प के बावजूद कार्यपालिका और विधायिका के स्तर पर अंधविश्वास से लड़ने की इच्छाशक्ति नहीं दिखाई देती।
महाराष्ट्र में भले इस मामले में कानून बन गया हो, लेकिन ज्यादातर राज्य इसे लेकर उदासीन हैं। अक्सर जाने-अनजाने प्रशासन ही इसे बढ़ावा देता रहता है। अंधविश्वास विकास और तरक्की के रास्ते में बड़ी बाधा है। सरकार को चाहिए कि वह अफवाह फैलाने वालों से सख्ती से निपटे और लोगों को जागरूक करे। आज अंधविश्वास और अवैज्ञानिक सोच के खिलाफ सामाजिक आंदोलन की जरूरत है। इसके लिए सरकार, सामाजिक-धार्मिक संगठनों और प्रबुद्ध वर्ग को एकजुट होना होगा।

समाज में आज भी अंधविश्वास की जड़ें बेहद मजबूत हैं। इन दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में सिलबट्टों को लेकर फैली एक अफ‌वाह के कारण लोगों में दहशत है। कहा जा रहा है कि रात में सिलबट्टों पर खुट-खुट की आवाज आती है और ये टंके हुए यानी ठोके हुए मिलते हैं। कुछ लोगों का कहना है यह काम कोई 'चुड़ैल' कर रही है।  लड़कियों को अंधविश्वास के कारण सगे-संबंधियों की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है सही डॉक्टर से सलाह नहीं ली जाती और महंदीपुर के हनुमान मंदिर में भूत प्रेत का इलाज करवाने के लिए हजारों रुपये नष्ट हो जाते हैं । जबकि वास्तविक्ता यह होती है कि बच्चों का होमोग्लोबिन कम होने से उन्हे चक्कर आने लगता है और पाचन तंत्र ठीक नहीं होने से पेट में जलन होने लगती है उसका उपचार न कराकर महंदीपुर के हनुमान मंदिर में भूत प्रेत का इलाज करवाने के लिए हजारों रुपये नष्ट करना कहाँ का विश्वास है ?
हैरानी की बात है कि इन सब में पढ़े-लिखे लोग भी शामिल हैं। निश्चय ही शरारती तत्वों ने शुरू में अफवाह फैलाई होगी और लोगों ने बिना सोचे-समझे उसे सच मान लिया। हालांकि इस बारे में सचाई का पता लगाने की कोशिश हो रही है। कुछ लोगों की राय है कि एक खास तरह का कीड़ा सिलबट्टों पर छेद कर रहा है। माना जाता है कि ज्यों-ज्यों जीवन में विज्ञान और तकनीक का दखल बढ़ेगा, हमारी सोच भी बदलेगी। पर इन दोनों में कोई सीधा और सरल संबंध नहीं है।
आज गांव-गांव में मोबाइल, जेनरेटर और दूसरे उपकरण पहुंच चुके हैं, पर इससे सोच में कोई बुनियादी बदलाव नहीं आया, बल्कि नई तकनीक के जरिए कठमुल्लापन को और आगे बढ़ाया जा रहा है। गांव तो गांव, शहरों से भी अंधविश्वास के कारण सगे-संबंधियों की हत्या किए जाने की खबरें अक्सर आती रहती हैं। दरअसल हमारी शिक्षा प्रणाली की सबसे बड़ी कमी यह है कि वह वैज्ञानिक सिद्धांतों के बारे में सब कुछ बता देती है, पर हमारे भीतर वैज्ञानिक सोच नहीं पैदा कर पाती। फिर अंधविश्वास का संबंध समाज के पावर स्ट्रक्चर से भी है। अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए एक ताकतवर तबके ने अंधविश्वास को पाल-पोसकर रखा है। बहुतों के लिए यह एक व्यवसाय है।

लीज भूखंडों को बेचा जा चुका

बीएमसी प्रशासन ने 4,200 भूखंडों को लीज पर दिया था। इनमें से 8 भूखंड बेचे जाने का मामला सामने आया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बीएमसी ने जिन किराएदारों को जमीनें लीज पर दी थीं, उन्होंने बिना बीएमसी को बताए उन भूखंडों को बिल्डरों के नाम कर दिया। दादर, मांटुगा, नागपाडा व मांडवी इलाके के 8 भूखंडों का लेन-देन किराएदारों द्वारा किए जाने का खुलासा हुआ है।

सूत्रों के मुताबिक, बीएमसी ने 1936 में 4,200 भूखंडों को 999 सालों के लिए लीज पर दिया था। दादर-माटुंगा में नगर भू-क्रमांक 210 'सी' 586.12 स्क्वेयर फीट और नगर भू- क्रमांक '' 1201.52 स्क्वेयर फीट, इन दोनों जमीनों को बीएमसी ने फरवरी 1936 में ही 999 सालों के लिए त्रयंबकलाल कुबेरदास कटाकिया को किराए पर दिया था। इन दोनों ही भूखंडों को 2008 में नीतनाव कंस्ट्रक्शन के नाम पर किया जा चुका है। मांडवी स्थित नगर भू-क्रमांक 1902 और 1903 को बीएमसी ने आमिर कानोरवाला और सिराज दोहाडवाला को 999 सालों के लिए लीज पर दिया था।
दादर-माटुंगा स्थित नगर भू-क्रमांक 321 ई और 321 एफ को भी नवनीतलाल कनकिया, जसवंतलाल कनकिया और तापिदास दलाल को 964 सालों के लिए लीज पर दिया गया था। इन चारों भूखंडों को फिलहाल भोपाल असोसिएट्स को बेचा जा चुका है। नागपाडा स्थित नगर भू-क्रमांक 51 और 52 को बीएमसी ने रेऊबेन जॅकब मॅथेलान और रावसाहेब देवजी धरसी को 999 सालों के लिए लीज पर दिया था। इन दोनों ही भूखंडों को लकडवाला डिवेलपर्स को बेच दिया गया है।

Thursday, July 23, 2015

जरा इधर भी नजर कीजिए

एक लड़की ने चुपचाप एक स्कूल टीचर को पिछले हफ्ते चिट्ठी दी थी। यह कोई साधारण खत नहीं था। इस खत के जरिए लड़की ने छुट्टी नहीं मांगी थी। इस हताश लड़की ने परेशान होकर टीचर को खत लिख मदद मांगी थी। लड़की ने चिट्ठी में लिखा था कि पिता उसके साथ रेप करता है। उसकी मां चुपचाप देखती है लेकिन कुछ करती नहीं।
टीचर ने खत पाने के बाद वाशी में एक लोकल एनजीओ से संपर्क साधा। एनजीओ ने उस विकृत माता-पिता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। पिछले हफ्ते आठवीं क्लास में पढ़ने वाली 13 साल की इस स्टूडेंट ने अपने टीचर को खत लिखा तो डराने वाला वाकया सामने आया। उसने लिखा था, मेरा पिता मुझसे रेप करता है और मां चुप रहती है।'
लड़की के खत को पढ़ने के बाद बुरी तरह से टूट चुके टीचर इस मामले में एक भी शब्द कहने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं। उन्होंने चिट्ठी को पढ़कर तत्काल फेंक दिया। उन्हें डर था कि उसकी चिट्ठी कोई और पढ़ सकता है। टीचर ने लोकल एनजीओ से संपर्क साधा था। एनजीओ की मदद से ही एफआईआर दर्ज की गई थी। सोमवार की रात पिता और लड़की की मां दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
पुलिस ने कहा, '45 साल के लड़की का पिता फल बेचता है। पुलिस को दिए बयान में लड़की ने कहा है, 'मां के सामने मुझसे मेरा पिता रेप करता है। रेप के बाद मेरी मां मुझे खाने के लिए कुछ दवाई देती थी। जब मैं सात साल की थी तब से ही मेरा बाप मेरे साथ रेप कर रहा है।'  शिकायत के बावजूद मेरी मां ने मदद करने से इनकार कर दिया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि वह प्रेगनेंसी से बचने के लिए मां की तरफ से दी जाने वाली दवाई की जांच कर रही है। रेप पीड़िता की एक बड़ी बहन और एक बड़ा भाई है। इसके साथ ही पीड़िता के दो और छोटे भाई हैं। पीड़िता ने दावा किया है कि जब भाई-बहन घर पर नहीं होते थे तब पिता रेप करता था।  उसने पुलिस से कहा, 'जब मेरे भाई घर पर नहीं होते थे तब पिता रेप करता था। मेरे भाई का घर पर न होना पिता के लिए रेप करने का सुरक्षित मौका होता था। मेरी मां के सामने वह घर में रेप करता रहा लेकिन मां ने मेरी कभी मदद नहीं की।' लड़की ने पुलिस से कहा कि उसने अपनी 17 साल की बहन को भी इस वाकये के बारे में बताया था।
पुलिस ने बताया कि उसकी बड़ी बहन परिवार के साथ नहीं रहती थी। लड़की ने बताया कि उसकी बड़ी बहन पर भी पिता ने यौन हमले किए थे। लड़की ने यह भी बताया कि उसने इससे पहले रेप के बारे में अपने पड़ोसियों को बताया था लेकिन उन्होंने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। पड़ोसियों ने कहा था कि वह खुद ही पुलिस से संपर्क साधे।
वाशी पुलिस स्टेशन के एक पुलिस ऑफिसर ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया, 'कुछ एनजीओ नवी मुंबई के स्कूलों में यौन उत्पीड़न पर काउंसलिंग क्लास शुरू की थी। इसी क्लास के दौरान लड़की ने महसूस किया कि उसे अपने पैरंट्स के खिलाफ बोलना चाहिए।'
पुलिस ने इस मामले में रेप पीड़िता की मां से पूछताछ की है। मां ने अपनी बेटी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। महिला ने दावा किया कि उसे 15 दिन पहले पता चला कि उसका पति बेटी के साथ रेप करता है। महिला ने कहा कि उसने जानने के बाद अपने पति को डांटा और बेटी से अलग रहने को कहा है। फिलहाल लड़की को एनजीओं के संरक्षण में रखा गया है।
लड़की के माता-पिता के खिलाफ इंडियन पिनल कोड के सेक्शन 376(रेप), सेक्शन 5 और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रोम सेक्शुअल ऑफेंस ऐक्ट के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। इस मामले अभी केवल पिता को अरेस्ट किया गया है। लड़की के पिता को थाणे कोर्ट में मंगलवार को पेश किया गया था। फिलहाल उसे गुरुवार तक के लिए पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है।
डेप्युटी कमिश्नर ऑफ पुलिस शाहजी उमा ने इस वाकये की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि इस मामले में पिता को अरेस्ट कर लिया गया है। शाह ने कहा कि इस वारदात में मां की भूमिका की जांच की जा रही है। पीड़िता ने दावा किया है कि उसकी मां के सामने रेप होता था और वह चुप रहती थी। पीड़ित लड़की ने मां पर रेप के बाद दवाई देने का भी आरोप लगाया है।

Wednesday, July 22, 2015

याकूब की फांसी का दिन तय

आतंकवाद निरोधी टाडा अदालत के फैसलों में ट्रैजेडी का एक रंग है। पहले अदालत ने रहीन मेमन को आजाद कर दिया और अब उसे विधवा होने की सजा दी है।
रहीन, याकूब मेमन की बीवी हैं। उनका कहना है कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के बाद से ही वह परेशान हैं। वह अभी तक इस फैसले को गले से नीचे नहीं उतार पा रही हैं। उन्होंने कभी इस तरह के फैसले की कल्पना भी नहीं की थी। रहीन को सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक बुरे और डरावने सपने की तरह लग रहा है।

याकूब मेमन को 27 जुलाई, 2007 को 1993 मुंबई बम धमाकों में शामिल होने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने उसकी माफी याचिका खारिज करते हुए उसकी फांसी का दिन 30 जुलाई को तय किया है।
पिछले कुछ दिनों से रहीन का यही हाल है। जब से याकूब की माफी याचिका पर सुनवाई की तारीख घोषित की गई थी, तब से ही रहीन परेशान थीं। हालांकि अब फैसला आ जाने के बाद वह कह रही हैं कि वह अपने पति के लिए लड़ेंगी। उन्होंने कहा कि उन्हें अल्लाह के साथ-साथ देश के कानून पर भी पूरा भरोसा है। और सबसे बढ़कर, रहीन का मानना है कि याकूब निर्दोष हैं। उनका कहना है कि याकूब ने अपनी बेटी की कसम खाकर कहा था कि वह बेगुनाह हैं। रहीन भरोसा दिलाती हैं कि अगर याकूब सच में दोषी होते, तो वह बहुत पहले ही उसका साथ छोड़ चुकी होतीं। 


रहीन को सबसे ज्यादा दुख इस बात का है कि याकूब खुद लौटकर कानूनी प्रक्रिया का सामना करने वापस लौटा था, लेकिन फिर भी उसे फांसी की सजा सुना दी गई है। उनका सवाल है कि अगर याकूब ना लौटा होता तो भी क्या उसके साथ यह सब होता।

'
क्या हम आदिम जमाने में रह रहे हैं? सिर्फ समाज के लिए ही क्या एक भाई को 14 साल तक जेल की सलाखों के पीछे रखना और अपने भाई के गुनाहों के लिए उसे फांसी दे देना सही है? याकूब को फांसी इसलिए हो रही है क्योंकि उसके नाम के साथ मेमन जुड़ा है। इस सरनेम ने उनको तबाह कर दिया,' रहीन ने कहा।
पहली बार मीडिया से बात करते हुए (आज तक मेमन परिवार के किसी भी व्यक्ति ने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया है), रहीन का कहना है कि उन्होंने पूरी कानूनी प्रक्रिया पर बहुत भरोसा किया था। वह कहती हैं कि याकूब हमेशा उनसे कहता था कि वह जेल से बाहर आ जाएगा क्योंकि वह बेगुनाह है। उनका सवाल है कि अगर याकूब दोषी होता तो वह लौटकर भारत क्यों आता और क्यों खुद को कानून के हवाले करता।
रहीन कहती हैं कि टाइगर और अयूब मेमन लौटकर नहीं आए क्योंकि वह जानते हैं कि उन्हें सजा जरूर होगी। मालूम हो कि टाइगर और अयूब को 1993 के मुंबई धमाकों का मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है। दोनों फरार हैं।
यह पूछे जाने पर कि आत्मसमर्पण के पहले क्या उनका सरकार के साथ कोई समझौता हुआ था, रहीन ने कहा कि वह लोग इसलिए लौटकर आए क्योंकि करांची में उन्हें नजरबंद रखा गया था। उन्हें वहां इस तरह रहना पसंद नहीं था। वह भारत को याद करते थे, अपना घर याद करते थे और बिना किसी गलती के गुनहगार बनकर शर्मिंदगी के साथ नहीं जीना चाहते थे। वह कहती हैं कि करांची में रहते हुए वह अक्सर याकूब से कहती थीं कि उन्हें माहिम की साड़ी पहनी हुई मछुवारनों को देखने जैसी छोटी-छोटी बातें याद आती हैं।
यह पूछे जाने पर कि आत्मसमर्पण के लिए उन्होंने एक साल तक इंतजार क्यों किया, रहीन बताती हैं कि वह ससही समय का इंतजार कर रहे थे। उनकी बेटी पैदा होने वाली थी जिसके कारण उन्होंने जल्द सबकुछ निपटाने का फैसला किया। वह कहती हैं कि असल में याकूब खुद ही 19 जुलाई 1994 को भारत लौट आया था, फिर भी पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने का दावा किया।

वह बताती हैं कि याकूब को अपनी बेगुनाही पर भरोसा था। उसे सीबीआई पर भी यकीन था। रहीन कहती हैं कि याकूब की गलती यह थी कि उसने कभी अबू सलेम की तरह लिखित तौर पर कोई शर्त नहीं रखी और न ही आश्वासन लिया।
यह पूछे जाने पर कि 12 मार्च 1993 को हुए धमाकों से केवल 2 दिन पहले ही क्यों उनका पूरा परिवार भारत छोड़ कर चला गया, रहीन बताती हैं कि उनके सास-ससुर और टाइगर-अयूब 10 मार्च को ही चले गए थे। अयूब ने दुबई से याकूब को फोन किया और कहा कि याकूब और रहीन भी उन्हीं के साथ ईद मनाएं। रहीन कहती हैं कि भारत से जाने का यही कारण था। वह कहती हैं कि वे लोग अक्सर दुबई जाते रहते थे। इसमें कोई नई बात नहीं है। वह कहती हैं कि एक महीने दुबई में रहने के बाद ही टाइगर के कहने पर वे लोग करांची चले गए थे।
यह पूछे जाने पर कि टाइगर का बर्ताव घर पर कैसा था, रहीन बताती हैं कि टाइगर मुश्किल ही घर पर रहता था। घर की 5वीं मंजिल पर वह अपनी पत्नी और 2 बच्चों के साथ रहता था। याकूब और रहीन 6ठी मंजिल पर याकूब के माता-पिता के साथ रहते थे। रहीन, टाइगर के बारे में बात करने से मना कर देती हैं। रहीन बताती हैं कि टाइगर ने अपने पिता की मौत के बाद फोन तक नहीं किया।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि उनके पास अन्य गवाहों के बयान के बाद सबूत है कि मुस्लिम युवाओं को हथियार की ट्रेनिंग के लिए भेजने के लिए टिकट लेकर आया था। अदालत ने माना कि याकूब ने अकाउंट से लेकर पैसे के लेन-देन का पूरा काम संभाला।
रहीन मानती हैं कि याकूब को टाइगर के स्मगलिंग बिजनस के बारे में पता था। वह कहती हैं कि पता होने के बावजूद याकूब कभी टाइगर के किसी दोस्त या परिचित के साथ बात नहीं करता था। वह कहती हैं कि याकूब के कई हिंदू दोस्त थे। अगर उसे टाइगर की साजिश के बारे में पता होता तो उसने सबसे पहले पुलिस को खबर दी होती।
यह पूछे जाने पर की फांसी का फैसला आने पर याकूब ने क्या कहा, रहीन बताती हैं कि याकूब ने जज को माफ कर दिया है क्योंकि वह नफरत के सिलसिले को खत्म करना चाहता है। रहीन कहती हैं कि याकूब लड़ते-लड़ते थक चुका है।
30
जुलाई को याकूब की फांसी का दिन तय हो चुका है, लेकिन अभी भी रहीन को उम्मीद है कि वह सही-सलामत जेल से बाहर आ जाएगा।

Tuesday, July 21, 2015

मुंबई का जनजीवन अस्त-व्यस्त

मुंबई की बारिश ने एक बार फिर अपना रंग दिखा दिया। मंगलवार को हुई भारी बारिश की वजह मुंबई का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। रेलवे स्टेशन लेकर सड़कों तक, लोगों और शहर की रफ्तार पर लगाम लग गई। कई सबअर्बन ट्रेनों के संचालन में देरी के साथ-साथ सड़कों पर यातायात में भी समस्या आई। एयरपोर्ट पर प्लेन की लैंडिंग के लिए भी पायलेट्स को कई बार ट्राइ करना पड़ा।
कई जगहों पर घरों और सड़कों पर जलभराव की भी समस्या आई। और तो और, कई जगहों पर दीवारें तक गिर गईं। मुंबई एयरपोर्ट पर उतरने वाली चार फ्लाइट्स के पायलेट को लैंडिंग के लिए दोबारा प्रयास करने के लिए कहा गया। मौसम इतना खराब था कि एक बार में सेफ लैंडिंग की गुंजाइश नहीं थी।
थाने आपदा प्रबंधन सेल ने शाम को पांच बजे के आसपास हाई टाइड की चेतावनी देते हुए लोगों को सुरक्षित रहने की सलाह दी है। तेज बारिश की वजह से मुंबई में सेंट्रल रेलवे की ट्रेनें आधे घंटे की देरी से चल रही हैं और वेस्टर्न रेलवे की ट्रेनें 15-20 मिनट की देरी से चल रही हैं। इसके अलावा बारिश के चलते खराब हुए मौसम की वजह से वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे पर भी यातायात प्रभावित हुआ।

Monday, July 20, 2015

किसान मौसम और कर्ज की मार से पीड़ित

मौसम और बाजार की मार के बेहाल किसानों को सरकार कर्ज मुक्त करेगी या नहीं, आज विधानसभा में इसका फैसला हो सकता है। बहुत संभव है कि सोमवार को मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर सदन में हुई बहस का जवाब देंगे  महाराष्ट्र की राजनीति और विधानमंडल के मॉनसून सत्र का भविष्य बहुत हद तक मुख्यमंत्री के जवाब से प्रभावित होने की संभावना है। क्योंकि एक तरफ विपक्ष किसानों की कर्ज माफी की मांग पर एकजुट है, तो सत्ता में शामिल शिवसेना भी किसानों की कर्जमुक्ति की मांग कर रही है। अगर मुख्यमंत्री ने किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी की मांग मानने से इनकार कर दिया, तो विपक्ष का आक्रामक होना लाजिमी है, लेकिन शिवसेना क्या रुख अख्तियार करेगी, इस बारे में अभी कुछ स्पष्ट नहीं है।
किसानों की कर्ज माफी के बारे में सदन के बाहर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे अपनी प्रतिकूलता दर्शा चुके हैं। इन दोनों के सदन से बाहर दिए गए बयानों से यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि सरकार किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी की मांग को नहीं मानेगी। अलबत्ता किसानों को आंशिक कर्ज माफी या ब्याज में माफी मिल सकती है। इसके अलावा सरकार किसानों को खुश करने के लिए विभिन्न तरह के अनुदान और अन्य सुविधाओं की घोषणा कर सकती है। इसमें फलदार पेड़ लगाने के लिए अनुदान, खाद, बीज और कृषि पंप और कृषि यंत्र खरीदने के लिए अनुदान भी शामिल हैं।
विपक्ष द्वारा किसानों की कर्ज माफी के प्रस्ताव पर बीते गुरुवार और शुक्रवार दो दिन विधानसभा में जोरदार बहस हुई है। इस बहस में विपक्ष के प्रमुख नेताओं ने किसानों की कर्ज माफी की जोरदार पैरवी की है।
'
कर्ज में डूबे होने के कारण किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं। महाराष्ट्र को कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां किसानों ने आत्महत्या नहीं की है। किसान अपने सूइसाइड नोट में सरकार की अंसवेदनशीलता को आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। अगर सरकार संवेदनशील है, तो तत्काल कर्ज माफी घोषित करे।
'
महाराष्ट्र का गन्ना उत्पादक किसान, कपास उत्पाद किसान, दूध उत्पादक किसान, फल उत्पादक किसान हर कोई मौसम और कर्ज की मार से पीड़ित है। उसे सरकारी सहारे की जरूरत है। वह मदद के लिए सरकार की ओर देख रहा है। उसे कर्ज से मुक्ति मिलनी चाहिए।   'सरकार कह रही है कि राज्य पर कर्जे का बोझ है और वह किसानों की कर्ज माफी से पढ़ने वाला बोझ नहीं उठा सकती, लेकिन आज कौन कर्ज में नहीं है। महाराष्ट्र पर आज जो कर्ज है, वह उसकी जीडीपी की तुलना में 17 पर्सेंट है। 24 पर्सेंट तक भी अगर यह कर्ज जाता है, तो महाराष्ट्र की अर्थ व्यवस्था में उसे चुकाने की क्षमता है। यह बात 13वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में कही गई है।
'2008
में जब किसानों को कर्ज मुक्ति दी गई थी तो उसका फायदा किसानों को नहीं, बल्कि सहकारी बैंकों को हुआ था। किसानों के कर्ज के रूप में सारा पैसा बैंकों के पास चला गया। आज अगर किसानों को कर्ज माफी दी गई, तो 24000 करोड़ रुपये कहां से आएंगे? इसलिए मुख्यमंत्री चाहते हैं कि किसानों की कर्ज माफी की बजाए उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने का काम किया जाए।
'
हम किसानों की वजह से ही सत्ता में आए हैं। 200 लोगों को किसानों ने विधायक बनाया है। हम किसानों को किंग कहते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा वहीं पीड़ित हैं। किसानों को कर्जमुक्ति मिलनी ही चाहिए।

Thursday, July 16, 2015

याकूब मेमन को इस महीने फांसी

1993 के मुंबई बम धमाकों में जिस याकूब मेमन को इस महीने फांसी दी जाएगी, उसकी व उसके परिवार की साजिश को शायद विफल कर दिया जाता, यदि पुलिस ब्लास्ट से एक दिन पहले मेमन परिवार की साजिश को भांप जाती।
मुंबई में 12 मार्च, 1993 को सीरियल बम धमाके हुए थे, पर इन धमाकों के लिए गाड़ियों में आरडीएक्स एक दिन पहले ही मेमन परिवार की माहिम स्थित बिल्डिंग में भरना शुरू कर दिया गया था। कुल 15 गाड़ियों में आरडीएक्स रखा गया था, इनमें स्कूटर, जिप्सी, कारें सब कुछ थीं। पर इन 15 गाड़ियों के अलावा भी वहां कई गाड़ियां जमा हुई थीं। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, इतनी गाड़ियों को देखने के बाद माहिम पुलिस को कुछ शक हुआ। फौरन एक हवलदार याकूब मेमन परिवार के घर भेजा भी गया, पर इस हवलदार को वहां याकूब द्वारा बोला गया कि आज हमारे यहां बर्थ डे पार्टी है, इसलिए यहां गाड़ियों से लोग आए हैं। हवलदार उनकी बातों में फंस गया और बिना शक किए वहां से वापस पुलिस स्टेशन आ गया। इसके अगले दिन ही मुंबई में एक दर्जन जगह बम धमाके हो गए।
इस केस की जांच से जुड़े रहे पूर्व एसीपी सुरेश वालीशेट्टी ने एनबीटी से कहा कि याकूब ने सीए की डिग्री ली हुई है और मेमन परिवार में सबसे पढ़ा लिखा हुआ है। 1993 का बम ब्लास्ट का यह केस जिस गाड़ी से ओपन हुआ, वह गाड़ी भी याकूब की पत्नी के नाम रजिस्टर्ड थी। दरअसल 12 मार्च के ब्लास्ट की पूरी साजिश 11 मार्च को रचने के बाद मेमन परिवार 11 मार्च की रात को ही मुंबई से भाग गया था। 12 मार्च को बम धमाकों की साजिश के साथ बीएमसी मुख्यालय में हैंडग्रेनेड व एके-56 से फिदायीन हमले की भी साजिश रखी गई थी। लेकिन जब हथियार व गोलबारूद से भरी यह गाड़ी माहिम से निकली, तो उसी दौरान पासपोर्ट ऑफिस के पास बम धमाका हो गया। इससे घबरा कर गाड़ी में बैठे लोग वरली टीवी सेंटर के पास वह गाड़ी खड़ी कर भाग गए। 12 मार्च की देर रात जब यह गाड़ी पुलिस को लावारिस पड़ी मिली, तो आरटीओ की मदद से गाड़ी मालिक के घर का अड्रेस निकाला गया। उसी में पता चला कि यह गाड़ी याकूब की पत्नी के नाम माहिम के पते पर रजिस्टर्ड है। इसी के बाद मेमन परिवार की खोजबीन शुरू हुई, पर तब तक ये लोग मुंबई से भाग चुके थे। याकूब को 1994 में नेपाल में पकड़ा गया था, हालांकि सीबीआई ने उसे अधिकृत रूप से दिल्ली में अरेस्ट दिखाया था।

इस केस की जांच से जुड़े एक और अधिकारी धनंजय दौंड के अनुसार, मुंबई भागने से पहले याकूब ने हैंडग्रेनेड से भरे दो बैग माहिम पुलिस स्टेशन के पास स्थित अपने एक दोस्त को दिए थे। याकूब मानकर चल रहा था कि जिस तरह जनवरी, 93 में मुंबई में सांप्रदायिक दंगे हुए थे, वैसे ही सांप्रदायिक दंगे मार्च, 93 के बम धमाकों के बाद भी होंगे, इसलिए याकूब की तैयारी यह थी कि ब्लास्ट के बाद जैसे ही मुंबई में दंगे होंगे, पुलिस पर इन हैंडग्रेनेड से हमला करवाया जाएगा। पर सौभाग्य से जब ऐसा हुआ नहीं, तो याकूब के इस दोस्त ने हैंडग्रेनेड से भरे इन दोनों बैगों को कोलाबा के अपने एक पहचान वाले ट्रेवल एजेंट को दे दिया। ट्रेवल एजेंट के जरिए फिर ये बैग किसी टैक्सी ड्राइवर तक पहुंचे और फिर इस टैक्सी ड्राइवर के जरिए पुलिस को मिले।

Tuesday, July 14, 2015

गणेश उत्सव हिंदुओं का प्रमुख उत्सव

रविवार को गणेश मंडलों को संबांधित करते हुए शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने कहा कि गणेश उत्सव हिंदुओं का प्रमुख उत्सव है। अगर यह हिंदुस्तान में नहीं मनाया जाएगा, तो क्या पाकिस्तान में मनाएंगे। उद्धव ने कहा कि मुंबईकर गणेशोत्सव जोरशोर से मनाएं, शिवसेना उनके साथ खड़ी है।
बांद्रा में अयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि उत्सव को उत्सव की तरह की मनाया जाना चाहिए। उस पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।
सड़क पर नमाज पढ़ने वालों के खिलाफ तो कोई कोर्ट नहीं गया परंतु अपने उत्सव का विरोध करने वाले अपने ही कोर्ट में जाते हैं।
उन्होंने कहा, गणेश उत्सव लोकमान्य तिलक ने शुरू किया किया था। वह दाऊद का उत्सव नहीं है जिसका विरोध किया जाए।
गणेश मंडल पर आरोप लगाने वालों के बारे में कहा कि पहले उन्हें उन मंडल का सामाजिक कार्य भी देखना चाहिए। उन्होंने गणेश उत्सव मंडल चढ़बढ़कर कर मनाए। शिवसेना उन मंडलों के पीछे खड़ी है।

Friday, July 10, 2015

'घूरने' के आरोप के आधार पर- हत्या

अहमदनगर जिले के एक स्कूल में बच्चों द्वारा कथित रूप से एक स्टूडेंट की हत्या करने का मामला सामने आया है। पुलिस ने बताया कि मृतक के स्कूल के साथियों ने कथित रूप से एक लड़की को 'घूरने' के आरोप के आधार पर ही 13 साल के किरण गोरक्ष सोनावने की हत्या कर दी। 
संगमनेर सिटी पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी के मुताबिक, 'संगमनेर तहसील के राजापुर के नूतन स्कूल में पढ़ने वाला किरण सातवीं कक्षा का छात्र था। उसके सर को पहले एक बेंच पर फिर एक पेड़ से मारा गया था। किरण पर आरोप था कि वह एक लड़की को घूरा करता था।' अधिकारी ने बताया, 'घटना 26 जून की है। हमले के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां 1 जुलाई को उसने दम तोड़ दिया। शुरु में इसे अकाल मृत्यु के केस के तौर पर लिया गया, लेकिन कल एक एफआईआर दर्ज की गई है।'
इस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। अधिकारी ने बताया, 'तीन स्टूडेंट का नाम सामने आया है। इन पर आईपीसी की धारा 302 (34) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। '5 से 6' स्टूडेंट की पहचान करना अभी बाकी है।'
इस बीच, किरण की मां का आरोप है कि उनके बेटे को 'बदले' की नीयत से मारा गया है। उन्होंने किरण द्वारा लड़की को 'घूरने' के आरोप से इनकार किया। उन्होंने कहा, 'किरन मुझे कहा करता था कि सभी लड़किया मेरी बहन की तरह हैं।'
हाल में घटित हुआ इस तरह का यह दूसरा मामला है। कुछ दिन पहले उत्तरी महाराष्ट्र के एक स्कूल में एक छात्र की मौत हो गई थी। जवाहर विद्यालय स्कूल में कुछ स्टूडेंट द्वारा हो-हल्ला मचाए जाने के बाद 11 साल के किशोर रघु चवाण को पचोरा के जिला अस्पताल ले जाया गया था, बाद में उसकी मौत हो गई थी। किशोर की मौत की वजह के बारे में पूछे जाने पर पुलिस अधिकारी ने बताया कि वह स्कूल में स्टूडेंट द्वारा की गई 'दंगा मस्ती' में शामिल था।

Wednesday, July 8, 2015

अज्ञात पुरुष की चार टुकड़ों में कटी हुई लाश

नवी मुंबई के बेलापुर स्टेशन के पूर्वी दिशा में मनपा की एक कचरापेटी में किसी 40 से 45 वर्षीय अज्ञात पुरुष की चार टुकड़ों में कटी हुई लाश मिली। लाश को चारों टुकड़ों में काटने के बाद प्लास्टिक की थैली में डालकर मनपा की कचरापेटी में फेंका गया था। इस संबंध में अज्ञात हत्यारे के खिलाफ बेलापुर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कर ली गई है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह कचरापेटी बेलापुर स्टेशन के पूर्वी दिशा में बाहर निकलते ही रेलवे स्टेशन की दीवार से सटकर रखी रहती है। व्यस्त स्टेशन होने के कारण लाश को टुकड़ों में करके संभवतः सोमवार देर रात किसी समय यहां लाकर फेंका गया होगा।
सूत्रों के अनुसार, इस बात का खुलासा तब हुआ जब मंगलवार सुबह मनपा की कचरा उठाने वाली गाड़ी आई। इस गाड़ी के साथ आए सफाई कर्मचारी ने जैसे ही प्लास्टिक की एक थैली को उठाया तो उसमें उन्हें कटा हुआ मानव सिर नजर आया। इसकी जानकारी बेलापुर पुलिस स्टेशन को दी गई। जल्द ही पुलिस की एक टीम वहां पहुंच गई। फिर जब कचरापेटी की पूरी तलाशी ली गई तो किसी पुरुष के कटे हुए दो हाथ, दो पैर व धड़ अलग-अलग मिले। धड़ व पैर जहां नग्न अवस्था में थे, वहीं कटे हुए हाथों पर धारीदार शर्ट के टुकड़े थे।

इस लाश के मिलते ही हरकत में आई बेलापुर पुलिस के अलावा क्राइम ब्रांच की टीम भी जांच में जुट गई है। लाश के सभी टुकड़ों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
आशंका है कि हत्यारों ने किसी घर में अज्ञात पुरुष को दो-तीन दिन पहले मारा होगा और फिर उसके टुकड़े करके सोमवार देर रात बेलापुर स्टेशन के बाहर लाकर फेंक दिया होगा। पुलिस की जांच टीम शहर भर में लापता हुए व लापता होने की शिकायत दर्ज कराए गए सभी मामलों की खोज में जुट गई है। इस संबंध में पुलिस सीसीटीवी कैमरों में दर्ज हुए फुटेज को भी खंगालते हुए अज्ञात मृत व्यक्ति की शिनाख्त व उसके हत्यारों की खोज में जुट गई है।

Monday, July 6, 2015

गजेंद्र चौहान तथा अन्य किसी भी सदस्य की नियुक्ति रद करने की मांग उन्हें बिल्कुल मान्य नहीं

फिल्म ऐंड टेलिविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) के छात्रों ने अपनी हड़ताल जारी रखने का फैसला किया है।  हड़ताली छात्रों के प्रतिनिधि यशस्वी मिश्रा ने रविवार की शाम फोन पर खास बातचीत में कहा, 'केंद्र सरकार के अड़ियल रुख के कारण वार्ता विफल हो गई है, लिहाजा 12 जून से जारी हमारा आंदोलन तब तक चलता रहेगा, जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं।'
गौरतलब है कि दिल्ली में FTII के छात्रों एवं पूर्व छात्रों के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता के दौरान केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि FTII की नई गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष पद पर गजेंद्र चौहान तथा अन्य किसी भी सदस्य की नियुक्ति रद करने की मांग उन्हें बिल्कुल मान्य नहीं, हां, संस्थान के विकास के मुद्दों पर सरकार की ओर से हर संभव सहयोग करने को वे पूरी तरह तैयार हैं।
रविवार को कैंपस में हुई बैठक के दौरान हड़ताली छात्रों ने इस बात पर असंतोष जताया कि केंद्र सरकार FTII की बिल्डिंग और सड़क बनवाने को तैयार है, क्लास रूम में एसी लगवाने को तैयार है, लेकिन अकैडमिक डिस्कोर्स के गंभीर मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने को तैयार नहीं है।
यशस्वी मिश्रा ने बताया कि सरकार हर वादा कर रही है, इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने की बात कर रही है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा और इसे विश्व स्तर का फिल्म प्रशिक्षण संस्थान बनाने के लिए कला क्षेत्र की किन विशिष्ट हस्तियों को जिम्मेदारी सौंपी जाए, इसकी चिंता उन्हें नहीं है, हमें एसी नहीं चाहिए, हम पेड़ के नीचे भी पढ़ लेंगे। बस, हमारा गुरु विद्वान और दमदार हो। मगर मंत्री जी हमारी बात सुनने को ही तैयार नहीं हैं। यही सबसे बड़ी बाधा है।'
छात्रों और सरकार के बीच विवाद में सैंडविच बने गजेंद्र चौहान (टीवी सीरियल 'महाभारत' के युधिष्ठिर) से रविवार की रात जब हमने पूछा कि क्या उन्हें पदभार ग्रहण करने के लिए दिल्ली से कोई निर्देश मिला है, तो उनका जवाब था, ' फिलहाल तो कोई निर्देश नहीं मिला है, मगर केंद्र सरकार ने स्पष्ट रूप से अपना रुख जाहिर कर दिया है कि नियुक्ति करना उसके अधिकार क्षेत्र में आता है और इसमे किसी तरह का हस्तक्षेप उसे स्वीकार्य नहीं।

Thursday, July 2, 2015

बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर

19 जून की भारी बारिश से जलमग्न हुई मुंबई और इस संदर्भ में सिविल-प्रशासनिक एजेंसियों की लापरवाही को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ऐडवोकेट अटल बिहारी दुबे के अनुसार, यह याचिका मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह की कोर्ट ने स्वीकार कर ली है और इस पर अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी।
याचिका में लिखा है कि मुंबई में बारिश और हाई टाईड आना कोई नई बात नहीं, लेकिन इस वजह से मुंबई का जो हाल 19 जून को हुआ उससे लगता है कि मुंबई की सरकारी और प्रशासनिक एजेंसियां इसके लिए तैयार नहीं थीं। यहां तक कि उस दिन बॉम्बे हाई कोर्ट को भी बंद करना पड़ा था। याचिका के अनुसार, बीएमसी का बजट 33,514 करोड़ रुपये है और उसके द्वारा नदी-नालों पर 3535 करोड़ रुपये खर्च करके 300 मिलीमीटर बारिश का भी मैनेजमेंट न कर पाना विचारणीय है।

Wednesday, July 1, 2015

50,000 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना

महाराष्ट्र सरकार ने अमेरिकी निवेश कंपनी ब्लैकस्टोन के साथ विभिन्न परियोजनाओं में 4,500 करोड़ रुपये की निवेश के करार किए हैं। इनसे 50,000 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। अमेरिका की एक सप्ताह की यात्रा पर गए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इसके अलावा कोका कोला ने भी महाराष्ट्र के चिपलुण एमआईडीसी के लोटे परशुराम औद्योगिक क्षेत्र में 500 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है।
फडणवीस ने न्यू यॉर्क में अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) से जुड़े अमेरिकी उद्योगों के सीईओ से भी बात की। उन्होंने महाराष्ट्र को निवेश की आकर्षक जगह के रूप में पेश किया। उन्होंने अमेरिकी कंपनियों को भरोसा दिलाया कि महाराष्ट्र में उन्हें 'लाल फीताशाही' नहीं, बल्कि 'लाल कालीन' मिलेगा।
निवेश कहां कितना ?
- 750 करोड़ रुपये: इओन फ्री जोन सेज, पुणे
- 1,200 करोड़ रुपये: हिंजेवाडी फेज-3
- 1,500 करोड़ रुपये: सेंट्रल मुंबई में आईटी पार्क
- 1,050 करोड़ रुपये: मुंबई में अन्य आईटी पार्क
कैसे ?
- महाराष्ट्र सरकार शहरीकरण पर जोर दे रही है
- राज्य में बंदरगाह, हवाई अड्डों, रेलवे व सड़क नेटवर्क और बिजली के क्षेत्र में काफी निवेश किया जाना है
- 'मेक इन इंडिया' के साथ-साथ 'मेक इन महाराष्ट्र' अभियान को भी बढ़ावा
- राज्य में व्यवसाय करने को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं
- उद्योग लगाने के लिए जरूरी मंजूरियां लेने की संख्या भी कम की है
- राज्य में मैन्युफैक्चरिंग, शहरी विकास, इन्फ्रास्ट्रक्चर और कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश की व्यापक संभावनाएं

- उद्योगों के लिए बिजली दर को 1.38 रुपये कम किया है। इसमें और कमी की उम्मीद है