आदर्श घोटाला महज दो-तीन महीने पहले सुखिर्यों में आया, लेकिन इस घोटाले से जुड़ी एक महत्वपूर्ण फाइल से पूरी नोटिंग गायब होने की कहानी सात साल पहले से जुड़ी हुई है। मुंबई क्राइम ब्रांच की अब तक की छानबीन में यह सनसनीखेज जानकारी सामने आई है। जिस फाइल से पूरी नोटिंग गायब है, वह फाइल शहरी विकास मंत्रालय से जुड़ी हुई है। इसी फाइल से पूरी नोटिंग के अलावा भी चार पेज गायब हैं। इस संबंध में क्राइम ब्रांच की यूनिट-वन की टीम अब तक करीब 30 लोगों से पूछताछ कर चुकी है। क्राइम ब्रांच के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस पूरे मामले में शक के घेरे में आए लोग सरकारी कर्मचारी हैं। हम उनसे आम अपराधियों जैसी पूछताछ नहीं कर सकते। इस केस को डिटेक्ट करने में इसलिए भी मुश्किल हो रही है। यहां सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि जो घोटाला सन् 2010 में सुखिर्यों में आया, उसका अंदेशा सात साल पहले किसी को कैसे हो गया था? क्राइम ब्रांच को यह भी शक है कि भले ही फाइल से पूरी नोटिंग सन् 2003 में गायब की गई हो, पर पूरी फाइल को सन् 2006 में गायब किया गया। संयोेग से उसी साल अंग्रेजी के एक अखबार में इस केस में अनियमितता से जुड़ी एक महत्वपूर्ण खबर छापी थी। इस पूरे मामले का एक और भी दिलचस्प पहलू है। क्राइम ब्रांच की छानबीन में पता चला है कि आरटीआई कार्यकर्ता कैप्टन बत्रा ने जून सन् 2010 में जब जानकारी मांगी थी, तो उन्हें शहरी विकास मंत्रालय से जुड़ी इस फाइल के बारे में बताया गया था कि यह फिलहाल नहीं मिल रही है, लेकिन अक्टूबर- नवंबर, 2010 में जब आदर्श घोटाला सुर्खियों में आया, तो यह फाइल अचानक सामने आ गई-पूरी नोटिंग और चार पेज गायब होने के साथ। यह कैसे हुआ, इस रहस्य से अभी भी पर्दा नहीं उठा है। फाइल से पूरी नोटिंग और 4 पेज गायब होने का यह मामला पिछले महीने जब मुंबई क्राइम ब्रांच के पास आया था, तो शुरूआत में क्राइम ब्रांच अधिकारियों को लगा था कि यदि फाइल से पूरी नोटिंग हाल के दिनों में गायब हुई होगी, तो पूरा केस सीसीटीवी फुटेज से सुलझ जाएगा। इसका कारण यह था कि मंत्रालय में काफी संख्या में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, लेकिन विडंबना देखिए कि जिस जगह पर यह फाइल आखिरी बार रखी गई थी, उस जगह पर कोई भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है।
Wednesday, January 5, 2011
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