एक तरफ जहां राज्य के शहरों में बसे 2000 तक के झोपड़ों को रेगुलराइज करने का फरमान जारी किया है , तो वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार लोगों को सस्ती कीमतों पर घर (अफोर्डेबल हाउसिंग) उपलब्ध कराने पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है, जिसके लिए बडे़ पैमाने पर हाउसिंग सर्वे कराने का काम शुरू है। सरकारी सूत्रों की माने तो राज्य के कई बड़े शहरों में ऐसे सर्वे के अमल में लाने के बाद काफी हद तक घरों की समस्या का समाधान हो जाएगा। हाउसिंग डिपार्टमेंट से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इन बड़े शहरों में सबसे पहले यह पता लगाया जाएगा कि अमुक शहरों में वास्तव में कितने अफोर्डेबल घरों की जरूरत है और फिर उसी के अनुसार आगे का काम आगे बढ़ाया जाएगा। सर्वे का काम शुरू है और इसी साल दिसंबर तक इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाएगी। इसके लिए मुम्बई के अलावा पुणे, नागपुर, नाशिक, औरंगाबाद और अमरावती जैसे हर शहरों के दो क्षेत्रों का चुनाव किया जाएगा। ऐसा अनुमान है कि सर्वे में पहले उन एरिया का चुनाव होगा जहां सस्ते घरों का निर्माण होगा और जहां पर सस्ते रेट पर लैंड उपलब्ध हो। इसके बाद इस सर्वे में इस तथ्य पर भी गंभीरतापूर्वक विचार होगा कि किन-किन जगहों पर स्थाई घर और किन-किन जगहों पर किराए वाले घर (रेंटल हाउसिंग) उपलब्ध कराए जा सकेंगे। रिपोर्ट के अंतिम हिस्से में घरों की कीमत, उनके एरिया जैसे महत्वपूर्ण विषयों का समावेश होगा।
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