Sunday, September 13, 2009

सरकारी एजेंसियों की ओर से मुक्त कराए गए, चार बाल श्रमिकों की मौजूदा स्थिति पर रिपोर्ट मांगी।

बंबई हाई कोर्ट ने शुक्रवार को, हाल ही के समय में सरकारी एजेंसियों की ओर से मुक्त कराए गए, चार बाल श्रमिकों की मौजूदा स्थिति पर रिपोर्ट मांगी। अदालत बाल श्रमिकों के मुद्दे पर एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जस्टिस बिलाल नाजकी और जस्टिस ए. आर जोशी की खंडपीठ ने इस मामले में अदालत की मदद कर रहे दो वकीलों से मुक्त कराए गए मुम्बई निवासी चार बच्चों के घर का दौरा करने तथा यह रिपोर्ट तैयार करने को कहा कि क्या वे स्कूल जा रहे हैं, क्या उन्हें किसी सरकारी एजेंसी या गैर-सरकारी संगठन से कोई मदद मिल रही है और उनकी आमदनी का जरिया क्या है। इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 15 सितंबर तय की गई है। इससे पहले सुनवाई के दौरान अतिरिक्त लोक अभियोजक अरुणा पई कामत ने अदालत से कहा कि मुक्त कराए गए बच्चों को आर्थिक मदद नहीं मिल रही है। न्यायाधीशों ने पूछा, 'तो फिर वे स्कूल कैसे जाएंगे।' अदालत ने गुरुवार को टिप्पणी की थी कि बिना शैक्षणिक अवसर मुहैया कराए महज बच्चों को मुक्त कराना एक निरर्थक कवायद है। आधिकारिक आंकड़े के अनुसार बाल श्रमिकों को मुक्त कराने के लिए राज्य सरकार की ओर से गठित एक विशेष कार्यबल ने गत 30 जून तक शहर में 810 बच्चों को मुक्त कराया है। इसके अलावा अन्य सरकारी एजेंसियों ने भी ऐसे 672 बच्चे मुक्त कराए हैं।

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