राज्य में अनुसूचित जाति, जनजाति
तथा अन्य पिछडे वर्ग के स्टूडेंट्स को दी जाने वाली स्कॉलरशिप में 4,000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप
बुधवार को विपक्ष ने लगाया। इस मुद्दे पर हुई बहस के दौरान सरकार ने इस मामले की
जांच सीबीआई और एसीबी से कराने की बात कही। माना जा रहा है कि इस जांच से राज्य
में कई शिक्षा माफियाओं से चेहरे से नकाब उठेगा। बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान
विधायक अनिल बाबर, जयंत
पाटील, अजित पवार, राजेश टोपे, विरोधी पक्ष नेता राधाकृष्ण
विखेपाटील, अतुल भातखलकर व अन्य सदस्यों ने
अनुसूचित जाति,
जनजाति तथा अन्य पिछड़े
वर्ग के स्टूडेंट्स को दी जाने वाली स्कॉलरशिप की रकम के बारे में सवाल उठाया।
उन्होंने कहा कि कई वर्षों से स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप की रकम नहीं मिल रही है।
सामाजिक न्याय राज्य मंत्री दिलीप
कांबले ने इसका जवाब देते हुए विधानसभा में कहा कि स्कॉलरशिप की रकम हड़पने वाली
शैक्षणिक संस्थाओं की जांच सीबीआई और एसीबी को सौंपी गई है। उन्होंने कहा कि राज्य
में किसी भी वर्ग के हकदार स्टूडेंट्स को सरकार स्कॉलरशिप से वंचित नहीं रहने देगी
और शैक्षणिक सत्र खत्म होने से पहले स्कॉलरशिप के आबंटन का प्रबंध करेगी। राज्य
मंत्री ने यह भी साफ किया कि जब तक स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप की रकम नहीं दे दी
जाती, तब तक राज्य के सभी शैक्षणिक
संस्थानों को यह निर्देश दिए जाएंगे कि वे स्कॉलरशिप के हकदार स्टूडेंट्स से फीस न
लें। हालांकि उनके जवाब से विपक्षी विधायक संतुष्ट नहीं हुए। वे सरकार से यह
जानकारी देने की मांग कर रहे थे कि कितने साल से और स्कॉलरशिप की कितनी रकम
स्टूडेंट्स को नहीं बांटी गई गई है।
ओबीसी छात्रों के क्रीमिलेयर की
सीमा भी सरकार ने बढ़ाने का निर्णय लिया है। राज्य मंत्री कांबले ने कहा कि राज्य
सरकार ओबीसी छात्रों को मिलने वाली स्कॉलरशिप की सुविधा का दायरा यानी क्रीमिलेयर 4.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये करेगी। उन्होंने कहा कि
जल्द ही इसका एक प्रस्ताव राज्य मंत्रिमंडल के सामने रखेंगे। अभी तक सालाना 4.5 लाख रुपये या इससे ज्यादा की आय
वाले ओबीसी परिवारों को क्रीमी लेयर का हिस्सा माना जाता रहा है और उन्हें किसी
तरह का फायदा नहीं दिया जाता है।