मुंबई पुलिस ने वर्सोवा में रहने वाले दो लोगों को ब्लू फिल्म में ऐक्टिंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। यह फिल्म कुछ साल पहले एक एनआरआई ने बनाई थी। इस ब्लू फिल्म की सीडी कई इलाकों में पकड़ी गई थी। अधिकारियों के मुताबिक, तीन महिलाओं और एक पुरुष ने इस ब्लू फिल्म में काम किया था। इसके लिए उन्हें कुछ हजार रुपए भी दिए गए थे। पुलिस ने ब्लू फिल्म की सीडी फुटपाथ पर रहने वाले एक शख्स से बरामद की। ब्लू फिल्म में काम करने वाली प्रमुख महिला को पहचानने में पुलिस को ज्यादा वक्त नहीं लगा। दरअसल यह महिला एक स्थानीय हिस्ट्रीशीटर की बीवी है और जब भी पुलिस उसके पति को पकड़ती थी तो वह अपने पति से मिलने थाने आती थी। पूछताछ में इस महिला ने बताया कि यह फिल्म करीब पांच साल पहले मीरा रोड के एक फ्लैट में शूट की गई थी। उसने यह भी बताया कि फिल्म में नजर आने वाली एक महिला की पहले ही मौत हो चुकी है। फिल्म में दिखने वाले पुरुष को भी पुलिस ने खोज लिया है लेकिन तीसरी महिला का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है। क्या यह ब्लू फिल्म किसी बड़े रैकेट का हिस्सा थी? पूछताछ में पता चला कि कि उस एनआरआई ने अपने भाई के जरिए उन लोगों से सपंर्क किया और उन्हें फोटो खिंचवाने के लिए राजी किया। गिरफ्तार किए गए 'ऐक्टरों' को यह नहीं पता था कि उनकी ब्लू फिल्म बनाई जा रही है। अधिकारी अब इस बात की जांच में जुटे हैं कि कहीं यह ब्लू फिल्म किसी बड़े रैकेट का हिस्सा तो नहीं थी। जोनल डीसीपी निकेत कौशिक ने कहा, 'यह फिल्म कुछ साल पहले बनी थी। हमें इसके बारे में हाल ही में पता लगा है।' वर्सोवा थाने के सीनियर इंस्पेक्टर सुरेश नलवड़े ने बताया कि इन लोगों के खिलाफ अश्लीलता का मामला दर्ज किया गया है और यह पता लगा है कि फिल्म बनाने वाला एआरआई अमेरिका में रहता है।
Sunday, December 27, 2009
नवी मुम्बई के लिए प्रस्तावित 18 किलोमीटर लंबी मेट्रो रेल का काम जल्द शुरू होगा।
नवी मुम्बई के लिए प्रस्तावित 18 किलोमीटर लंबी मेट्रो रेल का काम जल्द शुरू होगा। यह जानकारी कोंकण रेल के निर्माता और दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन (डीएमआरसी)के प्रबंध निदेशक ई. श्रीधरन ने यहां आयोजित एक विशेष समारोह में दी। मेट्रो इस क्षेत्र में बिछी मौजूदा पटरियों के लंबवत चलेगी, इसपर ढाई सौ करोड़ का खर्च आने का अनुमान है। श्रीधरन ने इस परियोजना का कार्यकारी संक्षिप्त विवरण (एक्ज्क्यूटिव समरी)हमने (डीएमआरसी) सिडको को सौंप दिया है। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) 15 जनवरी तक सौंप दी जाएगी। श्रीधरन ने बताया कि हमने सिडको को (जो इस क्षेत्र के विकास के लिए अधिकृत है) सुझाव दिया है कि इस परियोजना को 'टर्न-की' आधार पर डीएमआरसी को सौंप दे।' सिडको ने इसपर विचार करने का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि अगर हमें 'हरी झंडी' मिल जाती है, तो अगले मार्च-अप्रैल में काम शुरू हो जाएगा और साढ़े तीन साल में यह पूरा हो जाएगा।' मुम्बई मेट्रो के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि 'मुम्बई में इस पूरी परियोजना पर एमएमआरडीए काम कर रही है। हमने उनके लिए सिर्फ इसकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की है, इसके आगे हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। उन्होंने बताया कि राजधानी दिल्ली में हवाई अड्डे को विभिन्न स्थानों से जोड़ने वाली दिल्ली मेट्रो के दूसरे चरण के तहत 125 किलोमीटर का विस्तार और निर्माणाधीन परियोजना अगले साल होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों से पहले सितंबर महीने तक पूरी हो जाएगी।
Sunday, December 20, 2009
हर घटना या बात को राजनीतिक चश्मे से देखने की उन्हें आदत नहीं।
राजनीतिक तिकड़म उन्हें न भाती है, न आती है। घंटे भर बात करो तो नितिन गडकरी की बात में या तो महाराष्ट्र सरकार के विविध घोटालों का जिक्र होता है या विकास के प्लान! हिंदुत्व का जिक्र भी बहुत कम होता है। हर घटना या बात को राजनीतिक चश्मे से देखने की उन्हें आदत नहीं। इसीलिए दिल्ली के राजनीतिक हलकों में यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि बीजेपी के नए अध्यक्ष बने नितिन गडकरी बीजेपी का बिखरा घर शायद ही संवार पाएं! कद में भले हैवी हों, राजनीतिक लिहाज से गडकरी को कद्दावर नहीं माना जाता। पर उनकी इसी कोरी छवि ने गडकरी को उस पद पर बिठाया है जिसकी खुद उन्होंने कल्पना नहीं की थी। गडकरी की इमेज विकास से जुड़ी है और ताजा राजनीतिक माहौल में यही उनका यूएसपी साबित हुआ है। यंग और विकास की बातें करने वाले गडकरी बीजेपी को नई धारा में ले जा सकते हैं, क्योंकि वे हिंदुत्व के एजेंडा से कतई जुड़े नहीं हैं। गडकरी की विकास की धुन यंग जनरेशन को पार्टी से जोड़ सकती हैं। परंपरागत मानक के अनुसार, गडकरी जन नेता नहीं हैं। उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा। 27 साल से वे विधानपरिषद के सदस्य है। जब प्रमोद महाजन जीवित थे, तब महाराष्ट्र बीजेपी पर उन्हीं का नियंत्रण था। उनके निधन के बाद गोपीनाथ मुंडे सर्वेसर्वा रहे हैं हालांकि गडकरी प्रदेशाध्यक्ष थे। यदि महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना की सत्ता आती तो उपमुख्यमंत्री गडकरी नहीं मुंडे ही हो सकते थे। अब गडकरी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाने से मुंडे का पार्टी में वजन कम हो गया है। बहरहाल कुछ दिन पहले एनबीटी कार्यालय को भेंट देने आए गडकरी ने कहा था 'मैंने तय किया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाने के बाद लोकसभा का चुनाव लडूंगा।' पर चुनाव अभी पांच साल दूर है। पत्रकारों से घंटे भर के संवाद में उन्होंने बिजली का उत्पादन बढ़ाने, किसानों की उपज के लिए सही दाम दिलाने और दलितों की उन्नति के रोड मैप की चर्चा की। उन्होंने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि बीजेपी की इमेज और वास्तविकता में बड़ा फर्क है। मीडिया में उसके बारे में कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं। उसे गलत परिपेक्ष्य में देखा जाता है। गडकरी के सामने सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी की इमेज बदलना है। खाने पीने के शौकीन गडकरी बिल्कुल सीधे और खरे शख्स हैं। जो मन में है वही बात जबान पर होती है, इसीलिए कई बार मुश्किल में आ गए हैं। किसी भी प्लान या घोटाले की बारीकी से जांच करके लंबा चौड़ा प्रेजेंटेशन करने में माहिर है।
Wednesday, December 16, 2009
धनंजय जायसवाल के मर्डर की पृष्ठभूमि म्हाडा की जमीन पर बनने वाले अवैध निर्माण से जुड़ी है।
गोरेगांव में सोमवार को हुए धनंजय जायसवाल के मर्डर की पृष्ठभूमि म्हाडा की जमीन पर बनने वाले अवैध निर्माण से जुड़ी है। सीनियर इंस्पेक्टर फिरोज पटेल, महेश तावडे और रवींद्र पाटील की टीम ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। क्राइम ब्रांच सूत्रों के अनुसार मोहम्मद सईद उर्फ सोनू व माजिद अली शेख नामक आरोपियों की पृष्ठभूमि तो आपराधिक है ही, मारे गए जायसवाल के खिलाफ भी कई मामले दर्ज हैं। पुलिस के अनुसार गिरफ्तार आरोपी म्हाडा की जमीन पर अवैध निर्माण करते थे। यही काम जायसवाल भी करता था। तीनों लोगों के बीच अवैध निर्माण से मिलने वाले रुपयों की हिस्सेदारी को लेकर जब-तब झगड़ा होता रहता था। करीब छह महीने पहले आरोप है कि जायसवाल ने गिरफ्तार दोनों आरोपियों पर इसी विवाद को लेकर रात में हमला भी किया था। तब से ही मोहम्मद सईद और माजिद अली नामक आरोपियों ने फैसला कर रखा था कि वे जायसवाल पर रात में नहीं, बल्कि दिन में हमला करेंगे। सोमवार को अपनी इस रंजिश को उन्होंने अंजाम पर पहुंचा दिया।
Sunday, December 13, 2009
उलेमा मुसलमानों की समस्याओं पर विमर्श करेंगे
ऑल इंडिया इत्तेहाद-ए-मिल्लत कन्वेंशन में आज मुंबई के होटल बल्वास इंटरनैशनल में होने वाले जलसे में देश भर के उलेमा और बुद्धिजीवी जुटेंगे। सभी उलेमा मुसलमानों की समस्याओं पर विमर्श करेंगे और इस राय पर एकमत होंगे कि मुसलमान अपने-अपने फिरकों में रहते हुए एक दूसरे की समस्याओं को निबटाने की दिशा में आगे बढ़ें। इत्तेहाद-ए-मिल्लत कन्वेंशन हिन्दुस्तानी मुसलमानों में एकता स्थापित करने के लिए देश भर में जलसों का आयोजन कर उलेमा और बुद्धिजीवियों को एक प्लेटफॉर्म पर लाने का काम कर रहा है। इत्तेहाद-ए-मिल्लत कन्वेंशन के अध्यक्ष सिराज मेंहदी ने बताया कि लखनऊ में दो कामयाब जलसों के बाद मुंबई में जलसा करने का फैसला किया गया है। 13 दिसम्बर को मुंबई में होने वाले जलसे में नदवतुल उलेमा के प्रिंसिपल मौलाना डॉ. सईदुर्रहमान आजमी नदवी, लखनऊ के इमामे जुमा मौलाना कल्बे जवाद, जामा मस्जिद दिल्ली के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी, ऐशबाग ईदगाह लखनऊ के नायब इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगीमहली, हैदराबाद के अल्लामा एजाज फर्रुख, जौनपुर के इमाम-ए-जुभा मौलाना महनूदुत हसन, बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमिटी के संयोजक और वरिष्ठ वकील जफरयाब जीलानी, अन्तरराष्ट्रीय शायर और वरिष्ठ पत्रकार हसन कमाल आदि शिरकत करेंगे।
Tuesday, December 8, 2009
दुनिया भर के दर्शकों का दिल जीतने के बाद ऑस्कर लाइब्रेरी में जगह बनायी
मुन्नाभाई ने दुनिया भर के दर्शकों का दिल जीतने के बाद ऑस्कर लाइब्रेरी में जगह बनायी और फिर 'लगे रहो मुन्नाभाई' डॉयलॉग की लोकप्रियता का क्या कहना । इंतजार तो था सिर्फ एक किताब का । निर्देशक राज कुमार हीरानी , निर्माता विधु विनोद चोपड़ा और मुन्नाभाई की पूरी टीम के लिए सोमवार शाम को एक खास मौका था जब इसकी पटकथा को ओम बुक्स इंटरनेशनल की मदद से एक किताब की शक्ल में पेश किया गया । इस मौके पर फिल्म के कलाकार संजय दत्त , विद्या बालन , अरशद वारसी , बोमन ईरानी भी मौजूद थे ।
सब्जियां सस्ती हो गई हैं।
हरी सब्जियों की आसमान छूती कीमतों से पिछले दो महीनों से सामान्य नागरिकों का बुरा हाल था। पर अब नई फसल के आगमन से महंगाई को विदा करते हुए सब्जियां सस्ती हो गई हैं। वाशी थोक मंडी में कई दिनों बाद चार सौ का आंकड़ा पार करते हुए पिछले शुक्रवार को 439 गाड़ियों में हरी सब्जियों की आवक हुई थी। उसके बाद लगातार अच्छी आवक से सब्जियों के भाव घटते गये। अब फूल गोभी 20 से 25 रुपये से घटकर 5 से 7 रुपये प्रति किलो थोक भाव पर आ गई है। पत्ता गोभी 15 से 20 रुपये से घटकर 4 से छह प्रति रुपये प्रति किलो, टमाटर 35 रुपये से घटकर अब दो से तीन रुपये प्रति किलो थोक भाव से बिक रहा है। हरी मटर 70 से 80 रुपये प्रति किलो से उतरकर 30 से 35 रुपये प्रति किलो, शेवगा 70 से 100 रुपये से घटकर 38 से 46 रुपये, फरसबी 50 से 60 रुपये से घटकर 20 से 38 रुपये प्रति किलो थोक भाव से बिक रही है। नींबू 60 से 80 रुपये प्रति 100 नग बिक रहा है। थोक व्यापारियों ने बताया कि ठंडी बढ़ते ही और फसलों की आवक बढ़ेगी और सब्जियां और सस्ती होंगी। पर इतना भाव गिरने के बाद भी खुदरा सब्जी विक्रेता अपने मनमानी भाव पर सब्जियों को बेचते हैं और ग्राहकों को इसका पूरा फायदा नहीं मिल पाता।
Monday, December 7, 2009
'लाई डिटेक्टर टेस्ट' के दौरान कई सवालों का झूठा जवाब देते हुए पाया गया
अभिनेता कुणाल सिंह की हत्या के आरोप में गिरफ्तार बॉलिवुड अदाकारा लवीना भाटिया पर इस हत्या के बारे में किए गए 'लाई डिटेक्टर टेस्ट' के दौरान कई सवालों का झूठा जवाब देते हुए पाया गया है। पुलिस के मुताबिक लवीना को 24 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। टेस्ट के दौरान कुणाल की हत्या की जांच को पटरी से उतारने की कोशिश करने को लेकर उसे गिरफ्तार किया गया। वर्सोवा पुलिस थाने के निरीक्षक कल्पना गाडकर ने बताया कि जांच रिपोर्ट ने उस पर शिकंजा कसने के लिए हमें ठोस सबूत दिए। कई भोजपुरी फिल्मों और बॉलिवुड के एक फिल्म में भूमिका निभाने वाले कुणाल को पिछले साल फरवरी महीने में उपनगरीय वर्सोवा इलाके में स्थित किराए के प्रथम मंजिल के अपार्टमेंट में पंखे से फंदा लगाकर लटका हुआ पाया गया था। उसकी मित्र और सहायक अदाकारा लवीना उस वक्त इस मकान में थी, जब यह घटना हुई थी। गाडकर ने बताया कि उस दिन जो कुछ भी हुआ, उस बारे में वह अभी भी कुछ नहीं बता रही है। पुलिस के मुताबिक टेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक घटना के बारे में पूछे गए लगभग सभी सवालों का उसने गलत जवाब दिया।
Friday, December 4, 2009
पुलिस की लाठियों से कई लोग जख्मी हुए।
मुंबई महानगरपालिका (मनपा)के सामने पानी कटौती के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया, जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। विरोध प्रदर्शन का आयोजन कांग्रेस नेता नारायण राणे के बेटे नीतीश राणे ने एनजीओ स्वाभिमान के बैनर तले किया था। मुंबई के विभिन्न उपनगरों से दोपहर से ही प्रदर्शनकारी आकर मुंबई मनपा के सामने इकट्ठा होने लगे। वे मुंबई मनपा द्वारा पानी सप्लाई में 15 फीसदी कटौती करने की घोषणा का विरोध कर रहे थे।
लाल झंडे हाथों में लिए और मनपा के खिलाफ नारे लगाते लोगों ने पुलिस का घेरा तोड़ दिया और मनपा भवन के अंदर घुसने लगे। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज किया। पुलिस की लाठियों से कई लोग जख्मी हुए। एक युवक ढोलकिया की हालत गंभीर थी। उसे तुरंत जीटी हॉस्पिटल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
लाल झंडे हाथों में लिए और मनपा के खिलाफ नारे लगाते लोगों ने पुलिस का घेरा तोड़ दिया और मनपा भवन के अंदर घुसने लगे। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज किया। पुलिस की लाठियों से कई लोग जख्मी हुए। एक युवक ढोलकिया की हालत गंभीर थी। उसे तुरंत जीटी हॉस्पिटल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
Wednesday, December 2, 2009
अलर्ट से पता चलता है होना था हमला
26/11 हमलों की जांच करने वाले राम प्रधान ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शहर में हमलों की आशंका जताने वाले केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के अलर्ट पर कार्रवाई को लेकर महाराष्ट्र सरकार में टोटल कन्फ्यूजन था। मुंबई पुलिस के आला अफसरों ने ऐसी स्थिति से निपटने की तय प्रक्रिया ( एसओपी ) में बहुत ही लापरवाही दिखाई। इस पर रिपोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि ऐसे में एसओपी का क्या मतलब है , जब 166 लोग मारे गए। अलर्ट से पता चलता है होना था हमला : रिपोर्ट कहती है कि इंटेलिजेंस अलर्ट के कुल मिलाकर असेसमेंट से यही पता चलता है कि आतंकवादी मुंबई में किसी बड़े हमले की तैयारी में थे। ऐसी परिस्थिति से निपटने का मौजूदा सिस्टम नाकाफी था। रिपोर्ट के मुताबिक , डीजीपी , एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड या राज्य के गृह विभाग की ओर से सभी इंटेलिजेंस अर्लट्स संबंधित ऑपरेशनल यूनिटों को भेजे जाते हैं। लेकिन रिपोर्ट में पाया गया कि ऐसे अलर्ट से निपटने में राज्य सरकार के बीच पूरी तरह भ्रम की स्थिति थी। महाराष्ट्र के डीजीपी को 26/11 से पहले आईबी और रॉ से आतंकवादी हमले के सुराग मिले थे। लेकिन हैरत की बात यह है कि उन्होंने यह जानकारी राज्य के इंटेलिजेंस चीफ को दी ही नहीं।
पूरी रिपोर्ट पढ़ें : रामप्रधान रिपोर्ट (एक्सक्लूसिव)
अगर नहीं मानना तो क्यों है एसओपी : रिपोर्ट कहती है कि मुंबई पुलिस कमिश्नर को कमांड पोजिशन में रहना चाहिए था। इससे सुरक्षाबलों को बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता था और विभिन्न पुलिस यूनिटों के कामों में दोहराव नहीं होता। लेकिन तत्कालीन कमिश्नर हसन गफूर ने जॉइंट कमिश्नर राकेश मारिया को कंट्रोल रूम का इनचार्ज बनाकर पहले से तय स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रैक्टिस ( एसओपी ) का माखौल उड़ाया है। एसओपी के तहत ऐसी हालत में जॉइंट कमिश्नर ( कानून - व्यवस्था ) क्राइसिस मैनेजमेंट कमांड , जॉइंट कमिश्नर ( क्राइम ) उस दौरान एटीएस के जॉइंट कमिश्नर के साथ मिलकर काम करेंगे। लेकिन 26/11 की रात ये इंस्ट्रक्शन नहीं माने गए। होटलों ने सुरक्षा सलाहों को नहीं माना : जॉइंट कमिश्नर क्राइम राकेश मारिया को कंट्रोल रूम की कमान सौंपी गई। जबकि एसओपी के तहत उन्हें एटीएस चीफ हेमंत करकरे के साथ ग्राउंड पर होना चाहिए था। मारिया की जगह अगर जॉइंट कमिश्नर लॉऐंड ऑर्डर होते तो वह बेहतर तरीके से सुरक्षाबलों का इस्तेमाल कर सकते थे , क्योंकि वह सभी पुलिस स्टेशनों के इनचार्ज भी होते हैं और उन्हें फोर्स के बंटवारे के बारे में गहराई से पता होता है। हालांकि रिपोर्ट में मारिया को सराहा गया। राम प्रधान कमिटी यह भी कहती है कि ओबेरॉय और ताज होटलों के मैनेजमेंट हमलों से पहले मुंबई पुलिस से मिली सुरक्षा सलाहों को लागू करने में नाकाम रहा , जो दुखद साबित हुआ।
एटीएस में स्टाफ की कमी :
रिपोर्ट ने सिफारिश की है कि एटीएस को महाराष्ट्र के अलावा मुंबई की सभी आतंकवादी गतिविधियों की पड़ताल करनी चाहिए , लेकिन इसके बावजूद यह फोर्स अब भी स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। इस बल में फिलहाल 300 कमीर् हैं। आईबी ने यहूदी पूजाघरों पर हमले की तीन बार चेतावनी दी थी लेकिन कोई भी उस अलर्ट को समझ नहीं पाया और नरीमन हाउस पर हमला हुआ।
पूरी रिपोर्ट पढ़ें : रामप्रधान रिपोर्ट (एक्सक्लूसिव)
अगर नहीं मानना तो क्यों है एसओपी : रिपोर्ट कहती है कि मुंबई पुलिस कमिश्नर को कमांड पोजिशन में रहना चाहिए था। इससे सुरक्षाबलों को बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता था और विभिन्न पुलिस यूनिटों के कामों में दोहराव नहीं होता। लेकिन तत्कालीन कमिश्नर हसन गफूर ने जॉइंट कमिश्नर राकेश मारिया को कंट्रोल रूम का इनचार्ज बनाकर पहले से तय स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रैक्टिस ( एसओपी ) का माखौल उड़ाया है। एसओपी के तहत ऐसी हालत में जॉइंट कमिश्नर ( कानून - व्यवस्था ) क्राइसिस मैनेजमेंट कमांड , जॉइंट कमिश्नर ( क्राइम ) उस दौरान एटीएस के जॉइंट कमिश्नर के साथ मिलकर काम करेंगे। लेकिन 26/11 की रात ये इंस्ट्रक्शन नहीं माने गए। होटलों ने सुरक्षा सलाहों को नहीं माना : जॉइंट कमिश्नर क्राइम राकेश मारिया को कंट्रोल रूम की कमान सौंपी गई। जबकि एसओपी के तहत उन्हें एटीएस चीफ हेमंत करकरे के साथ ग्राउंड पर होना चाहिए था। मारिया की जगह अगर जॉइंट कमिश्नर लॉऐंड ऑर्डर होते तो वह बेहतर तरीके से सुरक्षाबलों का इस्तेमाल कर सकते थे , क्योंकि वह सभी पुलिस स्टेशनों के इनचार्ज भी होते हैं और उन्हें फोर्स के बंटवारे के बारे में गहराई से पता होता है। हालांकि रिपोर्ट में मारिया को सराहा गया। राम प्रधान कमिटी यह भी कहती है कि ओबेरॉय और ताज होटलों के मैनेजमेंट हमलों से पहले मुंबई पुलिस से मिली सुरक्षा सलाहों को लागू करने में नाकाम रहा , जो दुखद साबित हुआ।
एटीएस में स्टाफ की कमी :
रिपोर्ट ने सिफारिश की है कि एटीएस को महाराष्ट्र के अलावा मुंबई की सभी आतंकवादी गतिविधियों की पड़ताल करनी चाहिए , लेकिन इसके बावजूद यह फोर्स अब भी स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। इस बल में फिलहाल 300 कमीर् हैं। आईबी ने यहूदी पूजाघरों पर हमले की तीन बार चेतावनी दी थी लेकिन कोई भी उस अलर्ट को समझ नहीं पाया और नरीमन हाउस पर हमला हुआ।
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