बीएमसी कहती है कि मॉनसून में होनेवाले जल जमाव के लिए एमएमआरडीए जिम्मेदार है। एमएमआरडीए के मोनो रेल और स्कायवॉक प्रॉजेक्ट जिम्मेदार हैं। सड़कों पर इन्हीं का काम चल रहा है जिसकी वजह से जल जमाव होता है। बीएमसी का कहना है कि उसने अपने हिस्से की 98.99 पर्सेंट नाला सफाई पूरी कर ली है, लेकिन विपक्ष ने बीएमसी की इस रिपोर्ट को बकवाक बताते हुए स्वीकार करने से इंकार कर दिया है। एमएमआरडीए के अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री हैं और बीएमसी में शिवसेना-बीजेपी की सत्ता है। दो सप्ताह पहले स्थायी समिति की बैठक में विपक्ष ने आरोप लगाया था कि नाला सफाई का काम सही ढंग से नहीं कराया गया है जिससे शहर में पानी भर रहा है। नाला सफाई के बारे में बीजेपी ने भी श्वेत पत्रिका जारी करने की मांग की थी। प्रशासन ने श्वेत पत्रिका जारी करने की बजाय 17 पेज की रिपोर्ट पेश की है जिसमें उन्होंने सभी सदस्यों के आरोपों का सिलसिलेवार जवाब दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दो साल में नाला सफाई पर 152.80 करोड़ रुपये खर्च किया जाना है। इस साल के लिए 76.40 करोड़ रुपये का प्रावधान है। नाला सफाई के बारे में बीएमसी का प्लान है कि मॉनसून से पहले 70 प्रतिशत नाला सफाई, बारिश के दरमियान 20 प्रतिशत और बारिश के बाद 10 प्रतिशत नाला सफाई की जाती है। बीएमसी प्रशासन की माने तो मॉनसून से पहले नाला सफाई के 70 फीसदी काम में से 98.99 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है। प्रशासन ने चुपके से रिपोर्ट पेश की। इससे सदस्यों को पढ़ने का अवसर ही नहीं मिला। विरोधी पक्ष नेता राजहंस सिंह ने रिपोर्ट को कोरी बकवास बताते हुए इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। उनका आरोप है कि यह पूरी रिपोर्ट ही गलत है। उनका कहना है कि प्रशासन ने महानगर में पानी भरने के लिए एमएमआरडीए को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि हिंदमाता, कुर्ला, एलबीएस मार्ग, भाडुंप, बोरिवली, विलेपार्ले व अन्य क्षेत्रों में कौन सा एमएमआरडीए का काम चल रहा है जहां घुटने भर पानी जमा हो रहा है। विपक्ष अगली बैठक में इसी मुद्दे पर प्रशासन से जवाब तलब करने वाला है।
Monday, June 20, 2011
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