Monday, April 29, 2013

अध्यादेश की अवधि और छह महीने बढ़ा़ई जा रही है


महाराष्ट्र की ढाई लाख सहकारिता सोसायटियों के कामकाज को पारदर्शी बनाने एवं सदस्यों के अधिकार बढ़ाने के लिए प्रस्तावित संशोधन विधेयक को विधानमंडल ने हरी झ़ंडी नहीं दिखायी अत: अध्यादेश की अवधि और छह महीने बढ़ा़ई जा रही है। साईन के लिए अध्यादेश राज्यपाल के शंकरनारायणन् को भेजा गया है। 
सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने विधेयक के मामले में सरकार से जवाबतलब करने के लिए सहकारिता मंत्री हर्षवर्धन पाटील को बुलाया था। चूंकि राज्य का कानून केंद्र के कानून से पहले लाना जरूरी था, महाराष्ट्र सरकार ने गत फरवरी में पहला अध्यादेश जारी किया था।
 
राज्य के एक्ट में संशोधन करने के लिए गत सत्र में विधेयक रखा गया था। पर विपक्ष एवं जानकार सदस्यों द्वारा अनेक आशंकाएं एवं मुद्दे उपस्थित किये जाने के कारण वह 19 सदस्यों की साझा प्रवर समिति के विचारार्थ भेजने का निर्णय हुआ है। समिति के अध्यक्ष एवं सहकारिता मंत्री हर्षवर्धन पाटील ने आगामी 7 मई को समिति की बैठक बुलाई है।
 
उन्होंने बताया कि सहकारिता सोसायटियों का कामकाज ज्यादा आसान, लोकाभिमुख और पारदर्शी बनाने के लिए मौजूदा कानून में संशोधन का प्रस्ताव था पर वह विधेयक पास न होने के कारण इस क्षेत्र में संभ्रम का वातावरण छाया हुआ है। सरकार चाहेगी कि आगामी मानसून सत्र में वह पारित हो जाये।
 
महाराष्ट्र में 52 प्रकार की कुल ढाई लाख सहकारिता सोसायटियां है।
 
विशिष्ट अवधि में इनके चुनाव कराने के लिए सहकार चुनाव प्राधिकरण नियुक्त किया गया है।
 
पूर्व आईएस (65 वर्ष से कम उम्र)अधिकारी को चुनाव आयुक्त बनाया जायेगा।
 
जिन सोसायटियों की अवधि 31 दिसंबर को खत्म हो रही है, उनके चुनाव तत्काल कराये जाएंगे।
 
नये संशोधन से सोसायटियों के कामकाज में सरकारी हस्तक्षेप कम हो जायेगा पर प्रबंधन समितियों की जिम्मेदारी बढ़ जायेगी।
 
समिति
 के सदस्यों के प्रशिक्षण के लिए सरकार नई अथॉरिटी गठित 

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