मुंबई के सेवरी में एक युवती को सरेआम निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले में 11 महिलाओं
और एक पुरुष को 2 साल की कैद की सजा सुनाई गई है। घटना वर्ष 2010
की है, जब आरोपियों ने सड़क पर लाकर 22
साल की युवती के कपड़े फाड़ कर निर्वस्त्र कर दिया था।
अदालत ने इस मामले में मुमताज शेख, शबीना शेख, रेहाना शेख, कमरुन्िनसा खान, मालाताई
भगत, रबिया कोयारी, लालमुनि बरेथा,
अनीता वघेला, कल्पना कोयारी, दामोदर मूले, शारदा यादव और सुनीता मिश्रा को दोषी
ठहराते हुए सजा सुनाई। इसके साथ ही सभी दोषियों पर एक-एक हजार रुपए का जुर्माना भी
लगाया।
सेशन कोर्ट ने बचाव पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें
दलील दी गई थी कि एक महिला को दूसरी महिला की इज्जत लूटने के आरोप में सजा नहीं दी
जा सकती है। आईपीसी की धारा 354 में केवल पुरुषों को ही
शामिल किया गया है।
कोर्ट ने फैसले में कहा कि आईपीसी की धारा आठ में पुरुषवाचक सर्वनाम का
प्रयोग किया गया है और इसका किसी भी व्यक्ित के लिए है, चाहें
वह पुरुष हो या महिला। आईपीसी की धारा 354 में जो पुरुष
सर्वनाम की बात की गई है, उसे आईपीसी की धारा आठ के साथ
जोड़कर पढ़ने की जरूरत है। आईपीसी की धारा आठ के आधार पर महिला और पुरुष दोनों ही
आरोपी हो सकते हैं।
इसलिए आईपीसी की धारा 354 भी पुरुष और महिलाओं दोनों पर लागू
होगी। गौरतलब है कि युवती का भाई 4 साल की लड़की के साथ दुष्कर्म
के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आरोपी के परिजनों को सबक सिखाने के लिए महिलाओं
ने जून 2010 में युवती को सड़क पर ले जाकर उसे निर्वस्त्र
कर दिया था।
कोर्ट ने कहा कि यह बहुत ही घृणित अपराध था। यह अपराध लड़की को अपमानित
करने और उसके परिवार को सबक सिखाने के लिए किया गया था। कोर्ट के लिए यह तय करना
जरूरी था कि समाज में ऐसा संदेश न जाए कि घृणित अपराध करके कोई बच निकल सकता है।
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