मुंबई शहर के पालक मंत्री होने के नाते महानगर की सड़कों के गड्ढे दुरुस्त करने में जुटे जयंत पाटील अपने गृह जिले सांगली में कांग्रेस के लिए 'राजनीतिक गड्ढे' खोदने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। शुक्रवार को कांग्रेस के सात और नगरसेवक पार्टी छोड़कर एनसीपी के नेतृत्व वाली उनकी 'महाआघाडी' में शामिल हो गए। कांग्रेस-एनसीपी सरकार में मंत्री पद संभाल रहे जयंत पाटील पहले ही बीजेपी, जनता दल और शेकाप को अपने साथ जोड़कर कांग्रेस को सांगली महानगरपालिका से बाहर कर चुके हैं। दो साल पहले हुए चुनाव के बाद वहां की महानगरपालिका में कांग्रेस के 24 नगरसेवकों की तुलना में महाआघाडी में डबल यानी 50 नगरसेवक हो गए थे। शुक्रवार को कांग्रेस नगरसेवक तोड़ने के बाद महाआघाडी के सदस्यों की संख्या 57 हो गई है। सांगली में जयंत पाटील समर्थकों श्रीनिवास पाटील और पूर्व नगरसेवक संजय बजाज ने कांग्रेस नगरसेवकों की फूटने की अधिकारिक घोषणा की। फूटने वाले इन नगरसेवकों के गुट के मुखिया हनुमंतराव पवार ने दावा किया कि 'हमने बिना किसी अपेक्षा के जयंत पाटील के साथ सांगली के विकास के लिए काम करने का निर्णय लिया है'। हनुमंतराव के साथ पार्टी बदलने वाले नगरसेवकों के नाम हैं- प्रशांत पाटील-माजलेकर, बालाराम जाधव, मोहम्मद मणेर, सलीम सतामेकर, रूबाबी खतीब शरीफा महात। राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, जयंत पाटील सांगली में पूर्व मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटील परिवार के वर्चस्व को समाप्त करने में जुटे हैं। लोकसभा चुनाव में दादा के नाती प्रतीक प्रकाश पाटील सांगली से विजयी रहे थे और उन्हें शरद पवार के वर्चस्व वाले पश्चिम महाराष्ट्र के बीचोबीच कांग्रेस का यह गढ़ बचाए रखने के लिए इनाम के तौर पर केंद्र में राज्यमंत्री पद भी दिया गया। मगर इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-विरोधी दलों की अंदरूनी साठगांठ ने दादा के भतीजे मदन पाटील को विधानसभा चुनाव में पटखनी देने में सफल रही थी। इसके बाद तो एनसीपी, बीजेपी और शेकाप की 'महाआघाडी' खुलकर सामने आ गई। बताया जाता है कि ताजा फूट के लिए छह महीने से काम चल रहा था और कांग्रेसी नेता मदन पाटील धड़े के लिए भारी झटका माना जा रहा है।
Monday, August 2, 2010
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nice
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