बोरिवली के सेशंस कोर्ट ने 38 साल की महिला पत्रकार के उस आरोप को फर्जी पाया है , जिसमें उसने बांद्रा बार एसोसिएशन के प्रेजिडेंट पर धोखा देकर उसके साथ बलात्कार करने का केस दाखिल किया था। कोर्ट ने अपनी छानबीन में पाया कि 38 वर्षीय पत्रकार ने एडवोकेट रमाकांत पांडेय पर जो भी इल्जाम लगाए हैं , पूरी तरह से निराधार हैं और इससे कानून का पूरी तरह से दुरुपयोग करने की कोशिश की गई है। इससे शिकायतकर्ता महिला से खफा जज डी . एच . शर्मा ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह महिला के खिलाफ कानून के अनुसार समुचित कार्रवाई करे। उल्लेखनीय है कि अपनी शिकायत में गोरेगांव की महिला ने श्री पांडेय के ऊपर आरोप लगाया था कि साल 2006 में उन्होंने उससे शादी की थी और अब वे उसे अपनी पत्नी का दर्जा देने से मना कर रहे हैं। इसे साबित करने के लिए महिला ने दोनों की एक साथ खींची गई तस्वीर और एक पुजारी को गवाह बताया था। कोर्ट ने अपनी जांच में पाया कि जो ब्लैक एंड ह्वाइट तस्वीर पेश की गई है वह दो फोटो को मिलाकर बनाई गई है। बाद में पुजारी ने भी दोनों में से किसी की भी शादी कराने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने श्री पांडेय के उस बचाव को भी सही पाया जिसमें उन्होंने कहा था कि वह महिला पत्रकार उन्हें ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रही है। श्री पांडेय ने इसकी शिकायत 2006 में ही पुलिस से कर दी थी। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि कानून के दुरुपयोग को कोर्ट आंख मूंदकर कभी भी बर्दाश्त नहीं कर सकती। इस फैसले पर खुशी जताते हुए श्री पांडे ने कहा कि उनके ऊपर पांच साल से लगा दाग धुल गया है और यह फैसला एक ऐसी मिसाल बन सकता है जिससे कोई महिला कानून का दुरुपयोग करने से डरेगी।
Monday, February 14, 2011
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