शहरों की चकाचौंध का अंदाजा वहां होने वाले डिवेलपमेंट से लगता है, लेकिन मेट्रोपॉलिटन ग्लैमर के साथ बढ़ती भीड़ से कई समस्याएं भी होती हैं। इन्हीं समस्याओं पर गौर करने और उनके उपायों के लिहाज से माटंुगा के वीर जीजामाता टेक्नॉलजिकल इंस्टिट्यूट के स्टूडेंट्स एक प्रदर्शनी आयोजित कर रहे हैं। 'टेक्नॉवांजा-2011' के रूप में आयोजित यह प्रदर्शनी 4 से 6 फरवरी तक चलेगी, जिसमें शहरों से जुड़ी समस्याओं व उनके समाधानों का चित्रण किया जाएगा। स्टूडेंट्स परोसेंगे हाई-टेक सिटी का मॉडल 'टेक्नॉवांजा-2011' के दौरान हाई-टेक आधुनिक शहरों की रेप्लिका (प्रतिमूर्ति) का प्रदर्शन किया जाएगा, जो स्टूडेंट्स की कल्पना पर आधारित होगी। इस इंस्टिट्यूट के कुछ इंजिनियरिंग स्टूडेंट्स एक स्काई-क्रेपर सिटी और एक फ्लोटिंग सिटी के मॉडल को बनाने में जुटे हैं। स्क्रेपर सिटी बनाने का मकसद एक बहुत बड़े क्षेत्र पर बिल्डिंग्स की भीड़ को कम करना है और एक स्थान पर सारे शहर को लाना है। इंस्टिट्यूट के एक छात्र का कहना था कि हमारा विचार एक ऐसे स्काई-क्रेपर बनाने का है, जो आत्मनिर्भर हो और जहां लोगों की आवश्यकतानुसार सभी सुख-सुविधाएं हों। इस तरह के निर्माण से 50,000 से अधिक लोगों को निवास मिल सकता है, जो एकसाथ रह सकते हैं। इसमें कमर्शल और रेजिडेंशल बिल्डिंग्स शामिल होंगी। ईको-फ्रेंडली बिल्डिंग्स में तमाम सुविधाएं स्टूडेंट्स का कहना है कि उनके शहरी मॉडल में एंटरटेनमेंट हब, हॉस्पिटल्स, शिक्षा संस्थान, सिक्युरिटी और ट्रांसपोर्ट की सुविधाएं भी होंगी। उन्होंने कमरों को शत प्रतिशत फॉयर प्रूफ बनाने पर भी विचार किया है, साथ ही बिल्डिंग्स को ईको-फ्रेंडली बनाने के लिए बॉयोगैस प्लांट्स, विंड टरबाइंस, रेन वॉटर हॉर्वेस्टिंग तथा सोलर प्लांट्स के उपयोग जैसी सुविधाओं को मुहैया कराने पर भी विचार किया है। इतना ही नहीं, बल्कि सिटी में ग्रीन हाउसेस भी देखने को मिलेंगे। इसके अलावा कुछ स्टूडेंट्स ने फ्लोटिंग सिटी का मॉडल भी तैयार किया है, जिसके तहत एक ऐसे शहर का निर्माण किया जाएगा, जो समुद्र पर तैरेगा। यह सिटी ऊर्जा पैदा करने के लिए परंपरागत स्रोतों जैसे सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा का इस्तेमाल भी करेगी। बेहतरीन तो है, पर महंगा है प्रॉजेक्ट फ्लोटिंग सिटी में रेजिडेंशल एरिया, मल्टिलेवल फार्मिंग एरिया, शिक्षा संस्थान, हॉटेल, पार्क, इंडस्ट्रीज, ऐलिवेटेड सड़कें भी होंगी। इस पर एक स्टूडेंट ने बताया कि इस सिटी में यातायात के लिए सोलर टैक्सी के अलावा मेट्रो ट्रेनें भी शामिल हैं। इस प्रकार की फ्लोटिंग सिटी शहर के लोगों को फेरी और नावों की मदद से दूसरे शहर तक जोड़ेंगी। जाहिर है कि इस तरह के प्रॉजेक्ट्स पर काफी लागत आएगी और जहां तक फ्लोटिंग सिटी की बात है, तो वह बहुत मंहगा पड़ेगा। यह दोनो मॉडल 'टेक्नॉवांजा-2011' में प्रदर्शित किए जाएंगे।
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