डिवेलपमेंट फंड कम करने से कॉर्पोरेटर्स बेहद खफा हैं। विपक्ष जहां इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने जा रहा है, वहीं सत्तापक्ष कॉर्पोरेटर फंड को 35 लाख से बढ़ाकर 60 लाख रुपये करने को अपनी जीत बता रहा है। जबकि, समझौता करने में विपक्ष और सत्तापक्ष के कॉर्पोरेटर्स एकसाथ कमिश्नर के पास बैठे थे। वैसे, स्टैंडिंग कमिटी ने बजट में करीब 75 लाख रुपये का बदलाव किया है। साल 2011-12 का कुल बजट 21000 करोड़ रुपये का है। शनिवार को स्टैंडिंग कमिटी ने बजट मंजूर करने से पहले 75 करोड़ रुपये का बदलाव किया। करीब 58 करोड़ रुपये कॉर्पोरेटर्स फंड में डाल दिया गया, बाकी बचा 17 करोड़ रुपये गोवंडी अस्पताल को सुपर स्पेशिऐलिटी अस्पताल बनाने के लिए दो करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया है। गेटवे ऑफ इंडिया में त्रिमूर्ति शिल्प, बिड़ला क्रीड़ा केंद्र, मरिन अक्वेरियम, अंतरराष्ट्रीय स्तर का फुटबाल मैदान बनाने, महाराष्ट्र राइफल रेंज के नवीनीकरण, मराठी भवन बनाने, पवई जलाशय में भारत माता की प्रतिमा बनाने जैसे कामों पर खर्च करने के लिए नए सिरे से बजट में प्रावधान किया है। बजट में कॉर्पोरेटर्स को जो सबसे नागवार लग रहा है, वह है फंड कम करना। अगले साल नगरसेवकों के चुनाव होने हैं और उससे पहले उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में विकास कार्य करना था, मगर इस साल फंड ही कम कर दिया गया। फंड कम करने के बाबत सभागृह नेता सुनील प्रभु ने बताया कि कॉर्पोरेटर फंड बढ़ाकर 60 लाख रुपये कर दिया गया और आने वाले साल में भी यह कायम रहेगा। दूसरी बात, वार्ड में विकास कार्यों के लिए 513 करोड़ रुपये रखे हैं, जिससे मुंबईकरों को बुनियादी सुविधाएं दे सकेंगे। कुल मिलाकर बजट में जो भी प्रावधान किया है, वह सभी के हित में हैं। विरोधी पक्ष नेता राजहंस सिंह ने फंड करने के बाबत सत्तापक्ष को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि सत्तापक्ष शिवसेना-बीपेजी का नेतृत्व कमजोर हैं, वर्ना कमिश्नर के सामने ये लोग यू नहीं गिड़गिड़ाते, बल्कि ताल ठोकर फंड बढ़वाते। आने वाले दिनों में चुनाव है नगरसेवक कैसे अपने क्षेत्र का विकास करेगा। कांग्रेस के कॉर्पोरेटर शशिकांत पाटील का कहना है कि वे पार्टी में इस मामले को रखेंगे, वर्ना उनके चुनाव क्षेत्र का विकास कार्य कैसे होंगे।
Monday, February 28, 2011
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