वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने बजट भाषण में कहा, 'मुंबई के लिए मेट्रो-थ्री लाइन का काम शुरू किया जाएगा। इस शहर का बस इतना ही उल्लेख था उनके भाषण में। मुंबईकरों द्वारा सवाल यह पूछा जा रहा है कि जब मेट्रो-टू का ही काम अभी शुरू नहीं हुआ है तो थ्री का क्या भरोसा? टू में भी केंद्र सरकार द्वारा कुल लागत का 20 प्रतिशत पैसा वायबल गैप फंड के रूप में 1532 करोड़ मंजूर किया गया है। पर योजना अभी खटाई में होने के कारण राज्य सरकार के खाते में वह पैसा जमा नहीं हुआ है। अत: मेट्रो-थ्री की मंत्री की घोषणा को जानकार लोग बहुत गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। मुंबई में इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने के मामले में केंद्र एवं राज्य सरकार पूरी तरह निजी निवेश पर निर्भर हो गई है। उसके लिए अब सरकारी तिजोरी से पैसा आबंटित करने की प्रथा खारिज किए जाने के ही आसार ज्यादा हैं। मेट्रो योजना कार्यान्वित करने वाली एमएमआरडीए इस बात से खुश है कि बजट में मेट्रो-थ्री घोषणा से निजी कंपनियों का हौसला बढ़ेगा और कोलाबा-बांद्रा मेट्रो का काम जल्दी शुरू किया जा सकेगा। एमएमआरडीए के अधिकारी दिलीप कवठकर ने बताया कि मेट्रो टू और थ्री की दिशा अलग है। अत: दोनों का काम एक साथ शुरू करने में दिक्कत नहीं होगी। अधर में लटकी है मेट्रो-टू जानकारी के अनुसार, चारकोप से मानखुर्द तक बननेवाली मेट्रो-टू के लिए अभी जमीन जांचने का काम चल रहा है। उत्तर मुंबई के सांसद संजय निरूपम ने बताया कि गत सप्ताह सांसदों की बैठक में उन्होंने मेट्रो-टू अंडर ग्राउंड बनाने की जोरदार मांग की। मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण भी वह अंडर ग्राउंड बनाने के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।
Tuesday, March 1, 2011
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