हजारों करोड़ रुपए के तेलगी स्टैंप घोटाले के सिलसिले में लंबा समय
जेल में बिताकर लौटे निर्दलीय विधायक अनिल गोटे ने बुधवार को अपने अनुभवों से
महाराष्ट्र विधानसभा को स्तब्ध कर दिया। गोटे से सदन में गृहमंत्री आर.आर. पाटील
को चुनौती देकर सनसनी फैला दी। जलगांव के इस विधायक ने कहा कि अगर पाटील उन्हें
पांच लाख रुपए दें, तो
जेल में सेंध लगाकर दिखा सकते हैं।
जेलों के भीतर कैदियों के पास मोबाइल पहुंचने के मामले में पुणे की बीजेपी विधायक माधुरी मिसाल के प्रश्न पर चर्चा चल रही थी। गृहमंत्री जेलों में जैमर और सीसीटीवी लगाने की घोषणा कर रहे थे। अपनी साफगोई और बेबाकी के लिए मशहूर रहे गोटे ने वर्षों बाद चर्चा में हस्तक्षेप किया और पूरा मामला ही उलट दिया। विधायक ने चार साल जेल में बिताने के अनुभव का दाखिला दिया। गोटे ने कहा कि जेलों में क्या होता है, मुझे सब पता है।
क्योंकि मैं चार साल पुणे की येरवडा जेल में रह चुका हूं। उन्होंने कहा कि कुख्यात गुंडों की टोली जेलर व पुलिस वालों को वेतन देती है। जेलर को हर माह 25 हजार रुपये बतौर हफ्ता दिए जाते हैं। दूसरों को भी उनके पद के हिसाब से पैसे दिए जाते हैं। जबकि कार्रवाई केवल सिपाहियों के खिलाफ होती है। इस लिए पुलिस व जेल कर्मचारियों के वेतन का अंतर कम किया जाना चाहिए। इससे पहले, पाटील ने मूल प्रश्न के उत्तर में जेलों में मोबाइल फोन होने की खबर का साफ तौर पर खंडन दिया था। उन्होंने कहा था कि जेल में प्रवेश करने वाले हर कर्मचारी, हर कैदी की कड़ाई से झड़ती ली जाती है। उन्होंने अभिनेता संजय दत्त का नाम लिए बिना बताया कि जिस एक कैदी का डिब्बा हाईकोर्ट के आदेश पर जेल के भीतर जाता है, उसकी भी कड़ाई से जांच की जाती है।
जेलों के भीतर कैदियों के पास मोबाइल पहुंचने के मामले में पुणे की बीजेपी विधायक माधुरी मिसाल के प्रश्न पर चर्चा चल रही थी। गृहमंत्री जेलों में जैमर और सीसीटीवी लगाने की घोषणा कर रहे थे। अपनी साफगोई और बेबाकी के लिए मशहूर रहे गोटे ने वर्षों बाद चर्चा में हस्तक्षेप किया और पूरा मामला ही उलट दिया। विधायक ने चार साल जेल में बिताने के अनुभव का दाखिला दिया। गोटे ने कहा कि जेलों में क्या होता है, मुझे सब पता है।
क्योंकि मैं चार साल पुणे की येरवडा जेल में रह चुका हूं। उन्होंने कहा कि कुख्यात गुंडों की टोली जेलर व पुलिस वालों को वेतन देती है। जेलर को हर माह 25 हजार रुपये बतौर हफ्ता दिए जाते हैं। दूसरों को भी उनके पद के हिसाब से पैसे दिए जाते हैं। जबकि कार्रवाई केवल सिपाहियों के खिलाफ होती है। इस लिए पुलिस व जेल कर्मचारियों के वेतन का अंतर कम किया जाना चाहिए। इससे पहले, पाटील ने मूल प्रश्न के उत्तर में जेलों में मोबाइल फोन होने की खबर का साफ तौर पर खंडन दिया था। उन्होंने कहा था कि जेल में प्रवेश करने वाले हर कर्मचारी, हर कैदी की कड़ाई से झड़ती ली जाती है। उन्होंने अभिनेता संजय दत्त का नाम लिए बिना बताया कि जिस एक कैदी का डिब्बा हाईकोर्ट के आदेश पर जेल के भीतर जाता है, उसकी भी कड़ाई से जांच की जाती है।
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