जिया खान मामले में छह पेज के जिस लेटर कोआधार बनाकर जुहू पुलिस ने पिछले महीने सूरज पंचोली कोगिरफ्तार किया था , बॉम्बे हाईकोर्ट ने उस लेटर को जिया कासूइसाइड नोट मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने सोमवारको सूरज को जमानत पर छोड़ने का आदेश दिया। सूरज को50 हजार के निजी मुचलके पर बेल मिली।
बॉम्बे हाईकोर्ट की जज साधना जाधव ने साफ - साफ शब्दों मेंकहा कि जिया खान द्वारा ' आवेग ' में आकर की गई आत्महत्या के लिए सूरज को अकेले दोषी नहीं ठहराया जासकता। जिया खान ने 3 जून को जुहू स्थित सागर संगीत बिल्डिंग के अपने घर में खुदकुशी कर ली थी , पुलिस नेएक हफ्ते बाद 10 जून को सूरज को तब गिरफ्तार कर लिया था , जब जिया की मां रबिया ने जिया के कमरे मेंमिले छह पेज के एक लेटर को पुलिस को सौंपा था , जिसमें न तो जिया के दस्तखत थे और न ही कोई तारीखलिखी हुई थी।
जज ने पूछा , ' जो लिखित प्रति जिया के घर से बरामद की गई है वह सूरज के लिए लिखी गई है या वह उसकीडायरी का कुछ अंश मात्र है ? क्या इसे सूइसाइड नोट माना भी जा सकता है ? जब उस पर कोई तारीख ही नहींहै तो क्या इसे उस दिन से जोड़कर देखा जा सकता है , जिस दिन उसने आत्महत्या की ?'
अदालत ने यह भी कहा कि जिया द्वारा लिखा गया लेटर कभी भी सूरज तक पहुंचा ही नहीं। इसलिए यह नहींकहा जा सकता कि लेटर में जाहिर की गई भावनाएं कभी सूरज तक पहुंची भी थीं। जज ने यह भी कहा कि सूरजका ऐसा उद्देश्य कभी नहीं रहा कि जिया आत्महत्या कर ले। न्यायाधीश जाधव ने कहा कि इस बात को इग्नोर नहींकिया जा सकता कि जिया में आत्महत्या की प्रवृत्ति थी। पहले भी वह आत्महत्या की कोशिश कर चुकी थी औरसूरज ने ही जब उसकी देखभाल की थी।
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि जिया की मां को तो इस घटना का पता भी नहीं था। अदालत ने कहा , ' ऐसालगता है कि घटना वाले दिन जिया और सूरज के बीच कुछ गलतफहमी हो गई थी , जिसके चलते जिया बेहदरोष में आ गई। ' सूरज की जमानत मंजूर करते हुए अदालत ने कहा कि 22 वर्षीय यह लड़का 21 दिन जेल मेंकाट चुका है। उसे और ज्यादा जेल में रखने की जरूरत नहीं है।
बॉम्बे हाईकोर्ट की जज साधना जाधव ने साफ - साफ शब्दों मेंकहा कि जिया खान द्वारा ' आवेग ' में आकर की गई आत्महत्या के लिए सूरज को अकेले दोषी नहीं ठहराया जासकता। जिया खान ने 3 जून को जुहू स्थित सागर संगीत बिल्डिंग के अपने घर में खुदकुशी कर ली थी , पुलिस नेएक हफ्ते बाद 10 जून को सूरज को तब गिरफ्तार कर लिया था , जब जिया की मां रबिया ने जिया के कमरे मेंमिले छह पेज के एक लेटर को पुलिस को सौंपा था , जिसमें न तो जिया के दस्तखत थे और न ही कोई तारीखलिखी हुई थी।
जज ने पूछा , ' जो लिखित प्रति जिया के घर से बरामद की गई है वह सूरज के लिए लिखी गई है या वह उसकीडायरी का कुछ अंश मात्र है ? क्या इसे सूइसाइड नोट माना भी जा सकता है ? जब उस पर कोई तारीख ही नहींहै तो क्या इसे उस दिन से जोड़कर देखा जा सकता है , जिस दिन उसने आत्महत्या की ?'
अदालत ने यह भी कहा कि जिया द्वारा लिखा गया लेटर कभी भी सूरज तक पहुंचा ही नहीं। इसलिए यह नहींकहा जा सकता कि लेटर में जाहिर की गई भावनाएं कभी सूरज तक पहुंची भी थीं। जज ने यह भी कहा कि सूरजका ऐसा उद्देश्य कभी नहीं रहा कि जिया आत्महत्या कर ले। न्यायाधीश जाधव ने कहा कि इस बात को इग्नोर नहींकिया जा सकता कि जिया में आत्महत्या की प्रवृत्ति थी। पहले भी वह आत्महत्या की कोशिश कर चुकी थी औरसूरज ने ही जब उसकी देखभाल की थी।
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि जिया की मां को तो इस घटना का पता भी नहीं था। अदालत ने कहा , ' ऐसालगता है कि घटना वाले दिन जिया और सूरज के बीच कुछ गलतफहमी हो गई थी , जिसके चलते जिया बेहदरोष में आ गई। ' सूरज की जमानत मंजूर करते हुए अदालत ने कहा कि 22 वर्षीय यह लड़का 21 दिन जेल मेंकाट चुका है। उसे और ज्यादा जेल में रखने की जरूरत नहीं है।
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