रात को टेलिविजन पर हेडलाइन गूंज रही थी कि दिल्ली में एनडीए की बैठक का
शिवसेना बहिष्कार करेगी। शिवसेना के पांच नेता बैठक में पहुंचे और 'ब्रेकिंग न्यूज' धीरे से टीवी स्क्रीन
से एकाएक गायब हो गई। शिवसेना के मंत्री अनंत गीते ने स्पष्ट किया कि भूमि
अधिग्रहण विधेयक पर आयोजित बैठक का उनकी पार्टी ने बहिष्कार नहीं किया है। गीते
लोकसभा में शिवसेना के दल नेता भी हैं। उन्होंने बताया कि शिवसेना के प्रतिनिधि के
तौर पर सांसद गजानन कीर्तिकर, विनायक राऊत, अरविंद सावंत, रवी गायकवाड, राहुल शेवाले बैठक में मौजूद थे।
वास्तव में शिवसेना के सांसद बैठक में जिस तरह 'प्रकट' हुए उससे बीजेपी के नेता भी हैरान रह गए। राज्यसभा में शिवसेना के दल नेता संजय राऊत ने शिवसेना के बहिष्कार के बारे में दिन में बयान दिया था। टीवी चैनलों से उन्होंने कहा था, 'एनडीए की बैठक हो रही हो, तो उसे होने दो। इस बैठक में शिवसेना के प्रतिनिधि शामिल नहीं होंगे। आज देशभर से किसान राजधानी में आए हैं। उनकी बात सरकार सुने यह हमारी अपेक्षा है। हम सरकार में हैं मगर हम किसानों के साथ हैं। उनके हितों से हम बंधे हुए हैं।' इधर बीजेपी ने किसानों की सुनवाई करने के लिए समिति बनाने की घोषणा की और बैठक में 'लेट' ही सही, शिवसेना के प्रतिनिधि पहुंच गए।
इसी सप्ताह, बीजेपी और शिवसेना के बीच मीरा-भाइंदर महानगरपालिका में सत्ता के बंटवारे को लेकर समझौता हुआ था। महापौर पद बीजेपी को और उपमहापौर पद शिवसेना को देने का फैसला मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में तय हुआ था। इधर मुंबई में दोनों पार्टियों की समन्वय समिति बनाई गई है, इसकी प्राथमिक बातचीत शुरु होने के कगार पर केंद्र के कानून पर दोनों के बीच विवाद फिर सामने आया है।
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मोदी सरकार को आगाह किया है कि वह किसानों का गला घोंटने का पाप न करे। केंद्र की सरकार याद रखे कि किसानों ने बड़ी उम्मीद से उसे चुनकर दिया है। देर रात जारी बयान में उद्धव ने भूमि अधिग्रहण कानून के लेकर पार्टी की कठोर भूमिका स्पष्ट की है।
उद्धव ने कहा, उद्योग और विकास को लेकर सरकार के फैसलों का शिवसेना विरोध नहीं करेगी। मगर किसानों की जमीनों की जबरदस्ती बलि लेकर अगर यह विकास होगा, तो इस कानून पर पुनर्विचार होने की जरूरत है शिवसेना अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी हमेशी ही किसानों के साथ खड़ी है। उनके हितों के आड़े आने वाले किसी भी कानून का समर्थन करने का सवाल ही नहीं उठता।
वास्तव में शिवसेना के सांसद बैठक में जिस तरह 'प्रकट' हुए उससे बीजेपी के नेता भी हैरान रह गए। राज्यसभा में शिवसेना के दल नेता संजय राऊत ने शिवसेना के बहिष्कार के बारे में दिन में बयान दिया था। टीवी चैनलों से उन्होंने कहा था, 'एनडीए की बैठक हो रही हो, तो उसे होने दो। इस बैठक में शिवसेना के प्रतिनिधि शामिल नहीं होंगे। आज देशभर से किसान राजधानी में आए हैं। उनकी बात सरकार सुने यह हमारी अपेक्षा है। हम सरकार में हैं मगर हम किसानों के साथ हैं। उनके हितों से हम बंधे हुए हैं।' इधर बीजेपी ने किसानों की सुनवाई करने के लिए समिति बनाने की घोषणा की और बैठक में 'लेट' ही सही, शिवसेना के प्रतिनिधि पहुंच गए।
इसी सप्ताह, बीजेपी और शिवसेना के बीच मीरा-भाइंदर महानगरपालिका में सत्ता के बंटवारे को लेकर समझौता हुआ था। महापौर पद बीजेपी को और उपमहापौर पद शिवसेना को देने का फैसला मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में तय हुआ था। इधर मुंबई में दोनों पार्टियों की समन्वय समिति बनाई गई है, इसकी प्राथमिक बातचीत शुरु होने के कगार पर केंद्र के कानून पर दोनों के बीच विवाद फिर सामने आया है।
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मोदी सरकार को आगाह किया है कि वह किसानों का गला घोंटने का पाप न करे। केंद्र की सरकार याद रखे कि किसानों ने बड़ी उम्मीद से उसे चुनकर दिया है। देर रात जारी बयान में उद्धव ने भूमि अधिग्रहण कानून के लेकर पार्टी की कठोर भूमिका स्पष्ट की है।
उद्धव ने कहा, उद्योग और विकास को लेकर सरकार के फैसलों का शिवसेना विरोध नहीं करेगी। मगर किसानों की जमीनों की जबरदस्ती बलि लेकर अगर यह विकास होगा, तो इस कानून पर पुनर्विचार होने की जरूरत है शिवसेना अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी हमेशी ही किसानों के साथ खड़ी है। उनके हितों के आड़े आने वाले किसी भी कानून का समर्थन करने का सवाल ही नहीं उठता।
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