पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद अजमल कसाब मुंबई पर पिछले साल 26 नवंबर को हुए हमलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत से आग्रह किया कि उसे पढ़ने के लिए कुछ किताबें मुहैया कराई जाएं। कसाब का कहना था कि वह जेल के जीवन से बोर हो गया है।
\कवि की चुटकी :
कातिल है तो क्या हुआ आखिर है महमान कसाब ने जस्टिस टाहिलियानी से कहा कि मैं जेल में बोर हो गया हूं और पढ़ने के लिए मुझे किताबें चाहिए। हाई सिक्योरिटी वाली आर्थर रोड जेल में बंद कसाब ने कहा कि या तो अदालत उसे किताबें मुहैया कराए या गिरफ्तारी के समय पुलिस द्वारा उसके पास से जब्त पैसे से उसे किताबें खरीदने की इजाजत दे। इस पर अदालत ने कहा कि जब तक मुकदमे का फैसला नहीं हो जाता , वह पैसा कोर्ट की प्रॉपर्टी है। कसाब ने पहले भी उर्दू अखबार मांगे थे , लेकिन कोर्ट ने उसकी अपील नहीं मानी थी। तब उसके वकील अब्बास काजमी ने उसे कुछ किताबें दी थीं। कसाब का कहना था कि ये किताबें वह पढ़ चुका है और अब और किताबें चाहिए। काजमी ने कहा कि वह कसाब को कुछ और किताबें देंगे।
Thursday, July 9, 2009
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