रीयल स्टेट के क्षेत्र में पहले ही महंगाई के बोझ तले दबे फ्लैट खरीदारों को अब एक और झंझट का साथ सामना करना पड़ रहा है। बीते एक महीने से शहर के बिल्डर फ्लैट खरीदारों को यह बताने से नहीं चूक रहे हैं कि उन्हें केंद्रीय बजट के तहत 2.5 फीसदी सर्विस टैक्स का भी भुगतान करना होगा। उदाहरण के तौर पर यदि फ्लैट का की कीमत एक करोड़ दर्शाई गई है, तो खरीदारों को सर्विस टैक्स के रूप में ढाई लाख रुपये चुकाने होंगे। निर्माण उद्योग की सिफारिशों के बावजूद वित्त मंत्रालय अपने फैसले पर अटल है। हालांकि, इस बाबत आधिकारिक सूचना की उम्मीद किसी भी दिन की जा सकती है। सर्विस टैक्स केवल उन आवासीय परियोजनाओं पर लागू हो रहा है, जिनके निर्माण अभी जारी हैं। सूत्रों के मुताबिक बिल्डर अभी से खरीदारों सर्विस टैक्स के भुगतान की जानकारी देने लगे हैं, जिससे मार्केट में समस्या पैदा हो रही है। खरीदारों कहना है कि वे जब फ्लैट बुक किए थे, तो उन्हें इस अतिरिक्त कर भार की सूचना नहीं दी गई थी। ऐसे में, खरीदारों व बिल्डरों में नोकझोंक भी हो रही है, पर कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है। एक सूत्र के अनुसार वैसे भी, बिल्डर भारी पार्किंग शुल्क, सोसाइटी फीस, डेवलपमेंट चार्ज तथा अन्य चार्ज कब्जा से पहले खरीदारों को भुगतान करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। इस बाबत महाराष्ट्र चैंबर ऑफ हाउसिंग इंडस्ट्री के अध्यक्ष सुनील मंत्री ने कहा कि डेवलपर्स द्वारा इस टैक्स का संग्रह कर इसे एस्क्रो अकाउंट में डाल रहे हैं। जबकि, इस राशि को समायोजित करने का प्रयास किया जाना चाहिए। उनके मुताबिक आजकल बुक किए जाने वाले 80 फीसदी अपार्टमेंट्स का निर्माण चल रहा होता है। हालांकि, रियल एस्टेट डेवलपर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया के द्वारा सर्विस टैक्स लागू किए जाने का विरोध किया गया था। इसके पीछे तर्क दिया गया था कि इससे फ्लैट खरीदारी पर असर पड़ेगा और और औसत आय वाले खरीदारों के लिए घर खरीदना अधिक कठिन होगा। संस्था अध्यक्ष कुमार गेरा के मुताबिक यह बिल्डर का कर्तव्य है कि खरीदार से सर्विस टैक्स लेता है, तो उसे संबंधित विभाग में जमा करे।
Wednesday, May 26, 2010
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