इन दिनों शिवसेना के कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे और मनसे के प्रमुख राज ठाकरे के बीच की दुश्मनी पिघलने के आसार मिले है। सारी कड़वाहट भुलाकर उद्धव ने उनकी किताब 'महाराष्ट्र देशा' का उपहार राज को भेजा है। इस घटना से पहले एक समारोह में राज ने उद्धव की फोटोग्राफी की तारीफ की थी। राज के इस अनपेक्षित रवैये से शिवसैनिकों को सुखद आश्चर्य हुआ है। यह सिलसिला बढ़ाने के इरादे से ही शायद उद्धव ने राज को किताब भेजी है। उन्होंने पूर्व शिवसैनिक नारायण राणे एवं छगन भुजबल को भी यह उपहार भेजा है ताकि अकेले राज को भेजने के औचित्य पर सवाल न उठे। शिवसेना में फूट पड़ने के बाद इस तरह की पॉजिटिव घटना पहली बार हुई है। राणे एवं राज से उद्धव की दुश्मनी बहुत तीखी है। इन नेताओं के बीच कई बार निचले स्तर का वाक् युद्ध हो चुका है। चुनाव में उद्धव और राज एक दूसरे पर निशाना साधे हुए थे। इसके बावजूद बीएमसी के महापौर चुनाव एवं अंबरनाथ नगरपालिका में सत्ता काबिज करने के लिए मनसे ने शिवसेना को मदद की है। इन ताज घटनाओं का यह अर्थ लगाया जा रहा है कि शिवसेना और मनसे निकट आ रहे हैं, हालांकि राजनीतिक पंडितों को यह बिल्कुल संभव नहीं लग रहा है। एक मत यह है कि अब राज ठाकरे को लगने लगा है कि शिवसेना को खत्म करना उतना आसान नहीं है जितना उन्हें शुरू में लग रहा था। हो सकता है
Tuesday, May 18, 2010
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