Tuesday, October 21, 2014

एनसीपी को निशाने पर लिया

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए बीजेपी के साथ सरकार में शामिल होने के संकेत दे रही एनसीपी को अपने निशाने पर लिया है। सामना के ताजे संपादकीय में शिवसेना ने एनसीपी को अवसरवादी बताया है।
सामना में कहा गया है कि एनसीपी के लिए कल तक बीजेपी एक सांप्रदायिक ताकत थी और इसके नेताओं का हाफ पैंट पहनने वाले कहकर मजाक उड़ाया जाता था। एनसीपी ने संघ की वेशभूषा का मजाक उड़ाकर हिंदुत्व का अपमान किया था। क्या अब वे वाकई महाराष्ट्र को स्थायित्व देना चाहते हैं। एनसीपी सिर्फ घोटालों में शामिल रहे अपने नेताओं को बचाने की कोशिश कर रही है। और महाराष्ट्र की 13वीं विधानसभा के चुनावों में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने का कई पार्टियां फायदा उठाने की कोशिश कर रही हैं।
सामना में एनसीपी प्रमुख शरद पवार समेत प्रफुल्ल पटेल को भी निशाने पर लिया गया है। शिवसेना के मुताबिक एनसीपी जब कांग्रेस के साथ गठबंधन में थी तो बीजेपी को सांप्रदायिक पार्टी कहती थी। अब एनसीपी का बीजेपी को लेकर बदलाव समझ में नहीं आ रहा है।
पीएम मोदी ने भी महाराष्ट्र की चुनाव रैलियों में एनसीपी के खिलाफ जमकर प्रचार किया था और उसे राज्य को लूटने वाली 'नैचरली करप्ट पार्टी' बताया था। बीजेपी के नेता विनोद तावड़े ने तो कांग्रेस-एनसीपी के भ्रष्ट नेताओं को जेल भेजने का वादा किया था। और जो पार्टी विपक्ष का दर्जा हासिल करने लायक सीटें भी नहीं ला सकी वह इतना अवसरवाद दिखा रही है।
हालांकि शिवसेना का रुख बीजेपी पर थोड़ा नरम हुआ है और उसने अपनी पूर्व सहयोगी पार्टी को शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल की पॉलिटिक्स से बचने को कहा है। शिवसेना ने कहा है कि बीजेपी को विदर्भ में काफी समर्थन मिला है लेकिन हम मानते हैं कि यह समर्थन विदर्भ को अलग राज्य बनाने के लिए नहीं है।
बीजेपी के पास सरकार बनाने के लिए जरूरी सीटों से 22 सीटें कम हैं। चुनाव से ठीक पहले अलग हुए शिवसेना और बीजेपी के भी साथ आने के आसार हैं लेकिन एनसीपी भी सरकार को बाहर से समर्थन देने के संकेत दे चुकी है।

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