एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा है कि वह महाराष्ट्र
में सरकार गठन में न तो बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं और न ही विरोध। उन्होंने कहा
कि बहुमत साबित करने के लिए होने वाली वोटिंग में एनसीपी हिस्सा नहीं लेगी।
पवार ने उन खबरों को बेबुनियाद बताया है कि महाराष्ट्र में बीजेपी को बिना शर्त समर्थन का प्रस्ताव देने के पीछे उनकी मंशा कथित वित्तीय अनियमितताओं में शामिल अपनी पार्टी के नेताओं को नई सरकार की जांच से बचाना था। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के पीछे एक ही वजह थी क्योंकि वह महाराष्ट्र में एक स्थाई सरकार देखना चाहते थे।
हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को दिए इंटव्यू में जब पवार से पूछा गया कि क्यों एनसीपी ने बीजेपी को एकतरफा और समर्थन देने की घोषणा की, तो पवार ने कहा, 'हम न ही (बीजेपी का) समर्थन कर रहे हैं और न ही विरोध।' पवार ने कहा कि अगर ऐसी स्थिति आई कि विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए वोटिंग हो तो उनकी पार्टी इसमें हिस्सा नहीं लेगी।
उन्होंने कहा कि हम ऐसा करने के लिए मजबूर हैं अन्यथा महाराष्ट्र में सरकार का गठन नहीं हो पाएगा और छह महीने में ही यहां फिर से चुनाव कराने पड़ेंगे। हमें महाराष्ट्र में एक स्थाई सरकार के गठन पर खुशी होगी लेकिन शिवसेना और बीजेपी नई सरकार के गठन के लिए साथ आते दिखाई नहीं दे रहे हैं।
जब उनसे पूछा गया कि पृथ्वीराज चव्हाण ने एनसीपी और बीजेपी के बीच साठगांठ का आरोप लगाया था ताकि एनसीपी नेताओं को वित्तीय अनियमितताओं के आरोपो से बचाया जा सके, इस पर पवार ने कहा, 'पृथ्वीराज तीन साल तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। तब वह क्या कर रहे थे? क्या वह सो रहे थे?'
यह पूछे जाने पर कि कुछ एनसीपी नेताओं ने हाल ही में कहा था कि बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए कांग्रेस आपकी पार्टी के साथ मिलकर शिवसेना को समर्थन देना चाहती है। क्या आप ऐसे किसी समझौते की तरफ बढ़ रहे हैं?
इस पर पवार ने कहा, 'मैं यहां इस तरह की संभावनाओं क जवाब देने के लिए नहीं हूं। हो सकता है कि कुछ कांग्रेसी नेताओं ने ऐसा सोचा हो, लेकिन पार्टी ऐसा नही सोचती है। अगर वे (कांग्रेसी नेता) इस बात के प्रति गंभीर हैं तो उन्हें सार्वजनिक तौर पर इसे बोलने दीजिए। इसके बाद हम इस पर चर्चा करेंगे। मुझे नहीं लगता कि उस स्थिति में भी हमें पर्याप्त संख्याबल मिल पाएगा।'
पवार ने उन खबरों को बेबुनियाद बताया है कि महाराष्ट्र में बीजेपी को बिना शर्त समर्थन का प्रस्ताव देने के पीछे उनकी मंशा कथित वित्तीय अनियमितताओं में शामिल अपनी पार्टी के नेताओं को नई सरकार की जांच से बचाना था। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के पीछे एक ही वजह थी क्योंकि वह महाराष्ट्र में एक स्थाई सरकार देखना चाहते थे।
हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को दिए इंटव्यू में जब पवार से पूछा गया कि क्यों एनसीपी ने बीजेपी को एकतरफा और समर्थन देने की घोषणा की, तो पवार ने कहा, 'हम न ही (बीजेपी का) समर्थन कर रहे हैं और न ही विरोध।' पवार ने कहा कि अगर ऐसी स्थिति आई कि विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए वोटिंग हो तो उनकी पार्टी इसमें हिस्सा नहीं लेगी।
उन्होंने कहा कि हम ऐसा करने के लिए मजबूर हैं अन्यथा महाराष्ट्र में सरकार का गठन नहीं हो पाएगा और छह महीने में ही यहां फिर से चुनाव कराने पड़ेंगे। हमें महाराष्ट्र में एक स्थाई सरकार के गठन पर खुशी होगी लेकिन शिवसेना और बीजेपी नई सरकार के गठन के लिए साथ आते दिखाई नहीं दे रहे हैं।
जब उनसे पूछा गया कि पृथ्वीराज चव्हाण ने एनसीपी और बीजेपी के बीच साठगांठ का आरोप लगाया था ताकि एनसीपी नेताओं को वित्तीय अनियमितताओं के आरोपो से बचाया जा सके, इस पर पवार ने कहा, 'पृथ्वीराज तीन साल तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। तब वह क्या कर रहे थे? क्या वह सो रहे थे?'
यह पूछे जाने पर कि कुछ एनसीपी नेताओं ने हाल ही में कहा था कि बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए कांग्रेस आपकी पार्टी के साथ मिलकर शिवसेना को समर्थन देना चाहती है। क्या आप ऐसे किसी समझौते की तरफ बढ़ रहे हैं?
इस पर पवार ने कहा, 'मैं यहां इस तरह की संभावनाओं क जवाब देने के लिए नहीं हूं। हो सकता है कि कुछ कांग्रेसी नेताओं ने ऐसा सोचा हो, लेकिन पार्टी ऐसा नही सोचती है। अगर वे (कांग्रेसी नेता) इस बात के प्रति गंभीर हैं तो उन्हें सार्वजनिक तौर पर इसे बोलने दीजिए। इसके बाद हम इस पर चर्चा करेंगे। मुझे नहीं लगता कि उस स्थिति में भी हमें पर्याप्त संख्याबल मिल पाएगा।'
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