Tuesday, December 30, 2014

100 करोड़ रुपये की रिश्वत का ऑफर

महाराष्ट्र के जल संपदा मंत्री गिरीश महाजन ने रहस्योद्‌घाटन किया है कि उनके मंत्री बनते ही जल संपदा विभाग के ठेकेदारों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये की रिश्वत का ऑफर दिया था। यह ऑफर दलालों के मार्फत उन ठेकों को जारी रखने के लिए दिया गया, जो पिछली कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने दिए थे। मंत्री ने कहा कि किसी का खाऊंगा नहीं, किसी को खाने दूंगा नहीं। मेरे मंत्रालय का काम पारदर्शी तरीके से किया जाएगा।
गिरीश महाजन ने जामनेर में अपने एक सत्कार समारोह में रिश्वत के ऑफर का भंडाफोड़ करते हुए कहा, 'कांग्रेस-एनसीपी सरकार के कार्यकाल में जल संपदा विभाग में बड़े पैमाने पर करप्शन हुआ। काम केवल 70 करोड़ रुपये के थे और टेंडर 372 करोड़ रुपये के दिए गए। बीजेपी की सरकार ने इस करप्शन को रोकने के लिए 1100 करोड़ रुपये के अनेक काम रोक दिए। इन रोके गए कामों को फिर शुरू करने की मंजूरी देने के लिए 10% के हिसाब से 100 करोड़ रुपये रिश्वत का ऑफर ठेकोदारों के दलालों ने दिया।'
हालांकि, गिरीश महाजन के इस रहस्योद्‌घाटन को विपक्ष स्टंटबाजी करार दे रहा है। विपक्ष का सवाल है कि मंत्री ने रिश्वत देने वाले ठेकेदारों और उनके दलालों के खिलाफ पुलिस या ऐंटि करप्शन ब्यूरो में शिकायत दर्ज क्यों नहीं करवाई। कांग्रेस नेता ऐडवोकेट संदीप पाटिल ने कहा, 'किसी को भी रिश्वत की पेशकश करना कानूनन गुनाह है। यह गुनाह तब और ज्यादा गंभीर हो जाता है, जब कोई मंत्री पद पर बैठे एक संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने वाले व्यक्ति को भ्रष्ट आचरण करने के लिए उकसा रहा हो।'
उन्होंने कहा, 'ऐसे गुनहगारों को खिलाफ शिकायत न करना भी कानूनन जुर्म ही है। मंत्री को रिश्वत ऑफर करने वाले लोगों के खिलाफ तत्काल ऐंटि करप्शन ब्यूरो में शिकायत दर्ज करानी चाहिए, ताकि कोई दोबारा ऐसा दुस्साहस न करे।'
एनसीपी के नेता डॉ. सतीश पाटिल ने सवाल उठाया, 'अगर मंत्री को 100 करोड़ रुपये रिश्वत की पेशकश की गई थी, तो वे इतने दिन चुप क्यों रहे और नागपुर में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन को इसकी सूचना क्यों नहीं दी। इतनी गंभीर बात उजागर करने के लिए उन्होंने जामनेर जैसे खेडे गांव में आयोजित एक छोटे से कार्यक्रम का मंच ही क्यों चुना।'

Monday, December 29, 2014

सरकार जल्द से जल्द पुराने लोगों को हटाकर अपने लोगों को नियुक्त करना चाहेगी

राज्य सरकार के तमाम सरकारी बोर्डों और समितियों के अध्यक्ष अपना बोरिया-बिस्तर बांधकर कुर्सी छोड़ने को तैयार बैठे हैं। उन्हें अंदेशा है कि किसी भी दिन उनके पास कुर्सी खाली करने का फरमान पहुंच सकता है। अगर उच्चस्तरीय सरकारी सूत्रों पर भरोसा करें, तो 30 से ज्यादा सरकारी बोर्डों और कई सरकारी समितियों को बर्खास्त करने पर इन दिनों मंत्रिमंडल में विचार चल रहा है। 
सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने सामान्य प्रशासन विभाग से सभी सरकारी बोर्डों की आर्थिक स्थिति और उनके कामकाज के बारे में रिपोर्ट मांगी है। खबर यह भी है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने सरकार बदलते ही इस रिपोर्ट पर काम शुरू कर दिया था, क्योंकि मंत्रालय के अफसर और बाबू जानते हैं कि सरकार जल्द से जल्द पुराने लोगों को हटाकर अपने लोगों को नियुक्त करना चाहेगी। नए साल में सबसे पहले उन 30 सरकारी बोर्डों पर गाज गिरेगी, जिनमें करप्शन के मामले उजागर हुए हैं। 
राज्य में तकरीबन 70 सरकारी बोर्ड हैं। इनमें से कई बोर्डों के अध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है। इसलिए ये बोर्ड प्रतिष्ठा और कमाई का जरिया हैं। सत्ताधारी पार्टियां इनका इस्तेमाल असंतुष्टों को संतुष्ट करने और अपने लोगों को उपकृत करने के लिए करती रही हैं। पिछली सरकार में भी कांग्रेस और एनसीपी ने सरकारी बोर्ड के अध्यक्ष पद आपस में बांट लिए थे। 
सरकार में शामिल पार्टियों में सबसे ज्यादा क्रेज जिन बोर्डों का कब्जा पाने के लेकर हैं उनमें म्हाडा, सिडको, स्लम बोर्ड, वन विकास बोर्ड, अर्बन इंडस्ट्रीज डिवेलपमेंट बोर्ड, ऐग्रिकल्चर मार्केंटिग बोर्ड, पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और महिला आयोग के अध्यक्ष शामिल हैं। इसके अलावा, देवस्थान समितियां और विविध पुरस्कार चयन समितियों के लिए भी लॉबिंग चल रही है।

Friday, December 26, 2014

हर दो ऑटो रिक्शा के बाद तीसरी ऑटो रिक्शा महिला यात्रियों के लिए

बीकेसी इलाके में बने दफ्तरों में नौकरी करने वाली महिलाओं के लिए शिवसेना से संलग्न संस्था 'शिव वाहतूक सेना' ने विशेष व्यवस्था करने का ऐलान किया है। शिव वाहतूक सेना के नेता हाजी अराफात शेख के मुताबिक बीकेसी परीसर, कुर्ला स्टेशन और बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर लगने वाली ऑटो रिक्शा की लाइन में हर दो ऑटो रिक्शा के बाद तीसरी ऑटो रिक्शा महिला यात्रियों के लिए होगी।
कामकाजी महिला यात्रियों को राहत
शिव वाहतूक सेना की इस पहल से बीकेसी इलाके में बने ऑफिसों में काम करने वाली कामकाजी महिलाओं को बड़ी राहत मिलेगी। इतना ही नहीं अब तीन महिलाएं ग्रुप बनाकर एक ही रिक्शा में यात्रा भी कर सकेंगी। हाजी अराफात शेख ने बताया कि कुर्ला स्टेशन के बाहर रिक्शा स्टैंड है, लेकिन स्टैंड पर कोई रिक्शा की प्रतीक्षा नहीं करता, इसलिए कई बार महिलाओं को भी रिक्शा पकड़ने के लिए रिक्शा के पीछे भागना पड़ता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
पुरुष यात्रियों की शिकायतें
सुबह काम पर जाने की जल्दी और शाम को वापस घर लौटने की जल्दी के कारण महिला यात्रियों को पुरुष यात्रियों के साथ ही जो रिक्शा मिले उसमें सफर करना पड़ता था। इस स्थिति में कई बार उन्हें असहज परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ता था। शिव वाहतूक सेना के पास कई बार महिला यात्रियों की ओर से इस तरह की शिकायतें आई थीं। इन पर विचार करने के बाद शिव वाहतूक सेना ने अपनी ओर से यह पहल की है।
हर स्टैंड पर नजर
शिव वाहतूक सेना की ओर से महिलाओं के लिए कतार की हर तीसरी ऑटो रिक्शा महिला यात्रियों के लिए रिजर्व रहे और इसमें पुरुष यात्री जबरन न चढ़े इसके लिए बीकेसी, कुर्ला और बांद्रा स्टेशनों के रिक्शा स्टैंडों पर शिव वाहतूक सेना अपने कार्यकर्ता तैनात करेगी। यह कार्यकर्ता महिलाओं के रिजर्व रिक्शा के नियम का उल्लघंन करने वाले रिक्शा चालकों पर भी नजर रखेंगे और ऐसा करते पाए जाने पर उन पर कार्रवाई की जाएगी।

Tuesday, December 23, 2014

जल्दी ही मोबाइल टिकट सेवा की शुरुआत

सब-अर्बन स्टेशनों के टिकट काउंटर्स पर मुंबई की रफ्तार को ब्रेक लग जाता है। मुंबईकरों की रफ्तार बरकरार रखने के लिए जल्दी ही मोबाइल टिकट सेवा की शुरुआत होने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक रेलमंत्री सुरेश प्रभु 26 दिसंबर यानी क्रिसमस के अगले दिन मोबाइल टिकट सेवा को लॉन्च करेंगे। इसके लिए पहली मशीन दादर स्टेशन पर इंस्टॉल की जा रही है। इस योजना से जुड़े सूत्रों के अनुसार मौजूदा ऑटोमैटिक टिकट वेंडिंग मशीन (एटीवीएम) में ही मोबाइल टिकट निकालने का ऑप्शन दिया जाएगा। किसी उद्घाटन के लिए पिछले 30 दिनों में मंत्री जी का मुंबई में यह तीसरा दौरा होगा। नई योजना की शुरुआत के लिए सेंट्रल रेलवे पर तैयारियां चल रही हैं। दादर स्टेशन को भी चकाचक बनाया जा रहा है।
मोबाइल से टिकट निकालने के लिए स्मार्टफोन पर ऐप्लिकेशन डाउनलोड करनी होगी। इस ऐप्लिकशेन पर टिकट संबंधी सारी जानकारी दर्ज करने के बाद आर-वॉलेट के जरिए पैसे का भुगतान करना होगा। इस प्रक्रिया के बाद रेलवे की तरफ से एक वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) मिलेगा। स्टेशन पहुंचने के बाद मोबाइल टिकट के लिए इंस्टॉल मशीन पर मोबाइल नंबर और ओटीपी दर्ज करने के बाद टिकट का प्रिंट आउट मिलेगा।
इंडियन रेलवे की वेबसाइट utsonmobile.indianrail.gov.in के जरिए मोबाइल टिकटिंग की सेवा दी जाएगी। इंडियन रेलवे से आपके मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट लिंक करने के बाद आर-वॉलेट सेवा शुरू की जा सकती है। वॉलेट में मनी रीचार्ज करने के लिए utsonmobile वेबसाइट का इस्तेमाल करना होगा। मोबाइल टिकट बुक करते वक्त इसी आर-वॉलेट से राशि का भुगतान करना होगा। आर-वॉलेट सेवा की शुरुआत जीरो बैलेंस से की जा सकती है। utsonmobile के अलावा निर्धारित स्टेशनों पर भी आर-वॉलेट में मनी रीचार्ज की जा सकती है।
बहरहाल, इस सेवा का परीक्षण किया जा रहा है। सबसे पहले दादर और बाद में सीएसटी, कुर्ला, ठाणे, कल्याण, चर्चगेट, अंधेरी और बोरिवली स्टेशन पर कुल दस मशीन लगाई जाएंगी। इससे पहले भी रेलवे ने परीक्षण के तौर पर चर्चगेट पर दो और सीएसटी पर एक कॉइन टिकट वेंडिंग मशीन इंस्टॉल की थी, लेकिन कुछ समय बाद इन सभी मशीनों को हटाना पड़ा था। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार कॉइन ऑपरेट वेंडिंग मशीन के सॉफ्टवेयर में कुछ बदलाव किए जा रहे हैं। सभी परिवर्तन किए जाने के बाद मशीनों को फिर से इंस्टॉल किया जाएगा। नई कॉइन टिकट वेंडिंग मशीन से टिकट खरीदने के बाद शेष राशि भी मिलेगी।
सेंट्रल रेलवे पर कुल 288 एटीवीएम मशीनें इंस्टॉल करनी थीं। एक महीने पहले स्टेशनों पर मशीनें आ चुकी थीं। इनमें से अब तक 112 मशीनें इंस्टॉल कर दी गई हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 15 मशीनें ठाणे स्टेशन पर इंस्टॉल की गई हैं। वेस्टर्न रेलवे पर कुल 278 एटीवीएम मशीनें मौजूद हैं। निकट भविष्य में 52 और मशीनें लगाई जानी हैं। इनमें से कुछ मशीनें आ चुकी हैं।

Monday, December 22, 2014

कांग्रेस के कुछ विधायक महाराष्ट्र बीजेपी के संपर्क में थे

महाराष्ट्र बीजेपी में दूसरे नंबर के नेता एकनाथ खडसे ने खुलासा किया है कि सरकार बनाने से पहले कांग्रेस के कुछ विधायक उनके संपर्क में थे, जो बीजेपी सरकार को समर्थन देने के लिए तैयार थे। खडसे यह भी दावा किया है कि कांग्रेस के विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी के टिकट पर फिर से चुनाव लड़ने के लिए भी तैयार थे, लेकिन अब खडसे को वह सभी विधायक अनुपयोगी लगने लगे हैं। खडसे कहते हैं कि हमें उनकी अब कोई आवश्यकता नहीं है। सरकार के पास पूर्ण बहुमत है, इसलिए कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने में हमें कोई दिलचस्पी नहीं है। हालांकि, खडसे यह बताने से नहीं चूके कि कांग्रेस के उन विधायकों के साथ आज भी उनके अच्छे संबंध हैं।
खडसे का यह बयान उस समय आया है, जब कांग्रेस के 3 विधायकों के बगावत की खबर गरम है। कांग्रेस के बगावत का फायदा अब बीजेपी को नहीं, बल्कि एनसीपी को हो सकता है। एनसीपी अपने नेता अजित पवार को विरोधी पक्ष नेता की लालबत्ती दिलाने के लिए हर तरह की जोड़तोड़ में लगी है, क्योंकि विधानसभा में कांग्रेस के 42 विधायक हैं, जबकि एनसीपी के 41 विधायक हैं। दादा को लालबत्ती लेने के लिए कांग्रेस को फोड़ना होगा। माना जा रहा है कि खडसे के व्यक्तिगत संपर्क में रहने वाले कांग्रेस के वे विधायक एनसीपी के संपर्क में हैं। नागपुर के ठंडे मौसम में कांग्रेस से उठ रही बगावत की खबर ने यहां की राजनीति में गर्मी पैदा कर दी है।
गौर करने की बात यह है कि कांग्रेस और एनसीपी के विधायकों की संख्या में महज एक का अंतर है। कांग्रेस के बागी बनने का फायदा एनसीपी को मिलेगा। खडसे भले ही उन विधायकों में दिलचस्पी नहीं लेने की बात कर रहे हों, पर माना जा रहा है कि दादा (अजित पवार) को लालबत्ती गाड़ी दिलाने के लिए खडसे के व्यक्तिगत संपर्क का उपयोग किया जा रहा है।
राज्य कैबिनेट में दूसरे नंबर के मंत्री एकनाथ खडसे ने साफ किया कि उनकी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। उन्होंने यह जरूर कहा कि वे भी मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन पार्टी को जो सही लगा, उसने किया। खडसे ने कहा कि उन्होंने देवेंद्र को हमेशा प्रोत्साहित किया है। उनके और मुख्यमंत्री के बीच तालमेल था और आज भी है। प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बारे में उनका कहना है कि पार्टी ने तीन बार उन्हें अध्यक्ष बनने का मौका दिया, लेकिन हर बार उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से मना कर दिया। सुधीर मुनगंटीवार को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से पहले पार्टी ने उनसे पूछा था। उनके मुताबिक देवेंद्र को भी प्रदेश अध्यक्ष बनाते वक्त तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने उनसे बात की थी।

नागपुर का यह सत्र बिना विरोधी पक्ष नेता के ही चल रहा है। इस बारे में खडसे का कहना है कि इसके लिए पूरी तरह से कांग्रेस-एनसीपी ही जिम्मेदार हैं। खडसे के मुताबिक इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है, कांग्रेस ने विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता पद पर दावा किया है और एनसीपी ने परिषद और सभा में दोनों जगहों पर यह पद मांग रखा है। इस संबंध में सरकार ने महाधिवक्ता से कानूनी राय मांगी है, जिसका बहुमत हो उसे नेता विपक्ष का पद मिलना चाहिए।

Saturday, December 20, 2014

घूस का रेट कार्ड

बीते साल में महाराष्ट्र की राजनीति को हिलाने वाले सिंचाई विभाग के घोटाले में डैम बनाने के लिए दी जाने वाली घूस का रेट कार्ड सामने आया है। विभाग के ही एक ठेकेदार ने पहली बार राज्य में डैम बनाने का ठेका हासिल करने के लिए अलग-अलग अधिकारियों को दी जाने वाली घूस का खुलासा किया है। इसमें क्लर्क से लेकर विधायक तक की जेब में जाने वाले हिस्से को दिखाया गया है। सभी का हिस्सा प्रॉजेक्ट की लागत से ही निकलता है और सबको हिस्सा देने पर ही ठेका मिल पाता है। ठेकेदार के मुताबिक सबका हिस्सा ही प्रॉजेक्ट की कुल लागत का 22 फीसदी बैठ जाता है।
पुणे के इस ठेकेदार ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उसने हाल ही में राज्य सरकार और गवर्नर को एक लेटर लिखा है। इसमें बताया गया है कि कई घोटाले कर चुके सिंचाई विभाग के ठेके हासिल करने के लिए किस-किस अधिकारी को घूस दी जाती है। इस लेटर के मुताबिक, एक प्रॉजेक्ट हासिल करने के लिए क्लर्क, विभाग के अकाउंटेंट और स्टाफ, एग्जेक्युटिव इंजिनियर, सूपरिटेंडिंग इंजिनियर, उसके स्टाफ, चीफ इंजिनियर, एग्जेक्युटिव डायरेक्टर, सेक्रटरी, कॉर्पोरेशन के चेयरमैन और स्थानीय विधायक तक को घूस पहुंचती है।

लेटर के मुताबिक किसी भी टेंडर की बोली लगाने वाले को डिपार्टमेंट की ओर से फिक्स की गई रकम सभी हिस्सेदारों को कैश में देनी होती है। बिल क्लियर करने वाले अधिकारी भी अपना हिस्सा मांगते हैं। बिल का करीब 10 फीसदी हिस्सा तो एग्जिक्युटिव अधिकारियों को ही जाता है। इसके अलावा एक अजस्टमेंट अमाउंट भी होता है जो ठेकेदार और अधिकारियों के बीच बराबर बंटता है। जो भी विभाग के इस अलिखित कायदे को मानने से मना करता है सिंचाई विभाग के अधिकारी उससे 'कड़ाई से निपटते' हैं।
इस पर विभाग के ही एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि प्रॉजेक्ट्स काफी ऊंची लागत पर दिए जाते हैं। राजनेताओं के परिचित ठेकेदार घटिया काम करते हैं और प्रफेशनल ठेकेदारों को तो नेता अपने हस्तक्षेप से बाहर कर देते हैं। राजनेता भी छोटे-मोटे ठेकेदारों के पार्टनर बन जाते हैं और बदले में ठेकेदारों को राजनीति में जगह मिल जाती है।

Thursday, December 18, 2014

'शिवतीर्थ' के आसपास बालासाहेब का स्मारक

दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे का स्मारक बनाने के लिए मुंबई में चार जगह चिह्नित की गई है। इनमें दो जगह ऐतिहासिक शिवाजी पार्क के आसपास ही है। इसलिए पूरी संभावना है कि बालासाहेब का स्मारक उसी शिवाजी पार्क के आसपास बनेगा जिसे वे  'शिवतीर्थ' के नाम से संबोधित किया करते थे।
बालासाहेब के स्मारक के लिए जो चार जगहें चिह्नित की गई हैं उनका चयन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति ने किया है। इनमें से एक शिवाजी पार्क के सामने और दूसरा महापौर बंगले के नजदीक है। जबकि दो अन्य जगहों में से एक परेल में और दूसरा वडाला में है। शिवाजी पार्क के पास चिह्नित दोनों भूखंड मुंबई महानगरपालिका के हैं। इनमें से किसी भी जगह पर स्मारक बनाने में कोई अड़चन नहीं होगी।
बालासाहेब के प्रस्तावित स्मारक की देखरेख और संचालन के मुद्दे पर भी समिति में विचार विमर्श हुआ है। इसके लिए दो तरीकों पर बात चल रही है। पहला यह कि सरकार यह जिम्मेदारी अपने हाथ में ले और दूसरा, ट्रस्ट बनाकर उसे जिम्मदारी दे। अगर ट्रस्ट बनता है, तो उसमें ठाकरे परिवार के लोगों के अलावा कुछ अन्य लोगों को भी शामिल करना होगा। समिति की बैठक में शामिल हुए राज्य के उच्च पदस्थ अफसरों में से कई की राय थी कि स्मारक का कामकाज यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान की तर्ज पर हो।

स्मारक के लिए निधि जुटाने के तीन विकल्पों पर भी चर्चा हुई। पहला,ट्रस्ट के माध्यम से चंदा जमा किया जाए, दूसरा सरकारी खजाने से पैसे का इंतजाम हो और तीसरा, बीएमसी के फंड से स्मारक बने। इन सभी सुझावों को समिति एक रिपोर्ट के रूप में मुख्यमंत्री के समक्ष रखेगी। अंतिम फैसला मुख्यमंत्री करेंगे।

Monday, December 15, 2014

मुंबई से सूरत तक भूमिगत मार्ग बनाने की योजना

मुंबई से सूरत के बीच 277 किलोमीटर की दूरी को तय करने के लिए इन दोनों शहरों के बीच भूमिगत मार्ग बनाने की योजना बनाई जा रही है। प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक इस योजना की लागत 90 हजार करोड़ रुपए होगी। मुंबई अहमदाबाद हाइवे को जोड़कर इसे एक रिंग रोड के रूप में भी विकसित किया जाएगा। वर्तमान में मुंबई से सूरत तक का सफर तय करने में साढ़े चार घंटे का समय लगता है। भूमिगत मार्ग बनने से इसमें कमी आएगी।
यह महत्पूर्ण घोषणा केंद्रीय सड़क परिवहन और हाइवे मंत्री नितिन गडकरी ने की। वे शनिवार को मुंबई में आयोजित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ब्रिज इंजिनियर्स (आईआईबीई) के रजत जयंती समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि फिलहाल यह योजना विचार के स्वरूप हैं और जल्दी ही इस परियोजना के तमाम पहलूओं का अध्ययन करने के लिए सलाहकारों की नियुक्ति की जाएगी। इसके बाद वास्तविक प्रारूप तैयार कर परियोजना शुरू की जाएगी। गडकरी ने कहा कि यातायात प्रणाली में सुधार लाने और यह सुनिश्चित करने कि पुलों, सडकों का निर्माण करते समय शहर की खूबसूरती न बिगड़े, भूमिगत मार्ग की संकल्पना सामने आई है।
गडकरी ने कहा कि इस परियोजना में लगने वाला कच्चे माल तैयार करने के लिए अलीबाग में एक कारखाना बनाने का विचार है। इस बात का अध्ययन किया जा रहा है कि क्या यहां कच्चे माल का ट्रांसपोर्टेशन समुद्र मार्ग से किया जा सकता है। अगर यह संभव हो गया तो परियोजना की लागत में 30 हजार करोड़ रुपए की कमी आ जाएगी।
इस अवसर पर नितिन गडकरी ने कहा कि भारत में हर साल 5 लाख रोड ऐक्सिडेंट होते हैं। इसकी वजह है ट्रैफिक की समस्या। इस पर उपाय तलाशने की दृष्टि से मुंबई में जमीन और पानी दोनों पर चलने वाली 'डैक बस' शुरू करने पर विचार हो रहा है। आने वाले कुछ महीनों में प्रायोगिक तौर पर डैक बस शुरू की जाएगी। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो लोगों को रेल किराए से कम पैसे में सफर करने को मिलेगा। इससे समय, ईंधन और पैसे तीनों की बचत होगी।

इस अवसर पर आईआईबीई के संस्थापक माधव भिडे, रेल्वे इंजिनियरिंग बोर्ड के सदस्य इंजिनियर वी. के. गुप्ता, सड़क विकास विभाग के संचालक और विशेष सचिव एस. एन. दास, आईआईबीई के अध्यक्ष वी. के. अग्निहोत्री और बड़ी संख्या में इंजिनियर्स उपस्थित थे।

Friday, December 12, 2014

बायोमेडिकल वेस्ट को भी निपटाने और अस्पतालों को संक्रमण मुक्त करने की कोशिश

बीएमसी अस्पतालों में गंदगी का ऐसा आलम होता है कि बीमार व्यक्ति को सही कराने गए लोग खुद भी बीमार हो जाते हैं। लेकिन अपने ऊपर लगे इस दाग को धोने के लिए बीएमसी अस्पताल जोरशोर से देश भर में चल रहे 'स्वच्छ भारत अभियान' को चलाने पर लग गए हैं। पिछले कुछ दिनों में बीएमसी के कई अस्पतालों में नए डस्टबिन लगाने से लेकर, गंदगी फैलाने वाले मरीजों को पकड़ने और जुर्माना लगाने जैसे कई कठोर कदम उठाए गए हैं। अपनी सफाई की इस कोशिश पर अस्पताल प्रशासन अब मरीजों से अस्पताल साफ रखने की उम्मीद कर रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार अस्पतालों में इलाज के लिए आए मरीजों में 10 में से 1 मरीज को इंफेक्शन का नुकसान झेलना पड़ता है। आंकड़ों के मुताबिक हर समय दुनिया भर में 14 लाख लोग अस्पतालों में संक्रमित होते है। बीएमसी के मेजर हॉस्पिटलों की प्रमुख, डॉ़ सुहासिनी जे. नागदा बताती हैं कि पिछले एक महीने सायन, केईएम और नायर तीनों ही बड़े अस्पतालों में सभी अहम जगह नए डस्टबिन लगाए गए हैं। इसके साथ ही सुबह शाम सफाई कर अस्पताल परिसरों को साफ रखने की पूरी कोशिश की जा रही है। सामान्य कचरे के साथ ही हम बायोमेडिकल वेस्ट को भी निपटाने और अस्पतालों को संक्रमण मुक्त करने की कोशिश में लगे हैं।

डॉ़ नागदा बताती हैं कि हमें इस काम के लिए अस्पताल में आने वाले मरीजों और उनके रिश्तेदारों के सहयोग की जरूरत है। हम बीएमसी अस्पतालों को भी प्राइवेट अस्पतालों की तरह साफ रख सकते हैं। अस्पताल में जो मरीज या लोग कचरा फैलाते पकड़े जा रहे हैं हम उनपर 200 रुपये जुर्माना लगा रहे हैं। लेकिन यदि कोई व्यक्ति यह राशि नहीं दे पाता है, तो हम उन्हें कुछ समय रोक कर छोड़ रहे हैं। इससे लोगों में अस्पताल में कचरा फैलाने पर डर बढ़ेगा। इसके साथ ही हमने काफी मुश्किलों के बाद अस्पताल में पास प्रणाली फिर से शुरू की है, ताकि बिना काम के कोई न घूमे। हमारे सभी डॉक्टर और अस्पताल स्टाफ अपनी इच्छा से हर शुक्रवार कुछ घंटे से श्रमदान भी कर रहे हैं।

Wednesday, December 10, 2014

मुंबई के विकास के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक समिति गठित होगी

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ कर दिया है कि मुंबई के विकास के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक समिति गठित होगी, किसी सीईओ को नियुक्ति नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुंबई के विकास से सबंधित 100 से ज्यादा प्रॉजेक्ट मंजूरी के लिए केंद्र के पास लंबित हैं। इनकी जल्द से जल्द मंजूरी के लिए किसी को तो पहल करनी होगी। मुंबई, देश का चेहरा है इसलिए इसका विकास जरूरी है। उन्होंने इशारे ही इशारे में शिवसेना से कहा कि वह इसे राजनीति का मुद्दा न बनाए।
मंगलवार को सीएम ने कहा कि मेरा मानना है कि यह सिर्फ राजनीतिक विवाद है जिसे कुछ लोग भड़का रहे हैं। हम मुंबई के विकास की बात करते हैं जिस पर राजनीतिक नहीं होनी चाहिए। फिर भी कोई ऐसा करता है कि वह मुंबई के साथ खिलवाड़ कर रहा है। होता यह है कि जब भी हम मुंबई के लिए नई योजना शुरू करते हैं, सबसे पहले उसे मंजूरी के लिए दिल्ली भेजना पड़ता है। मुंबई की ज्यादातर योजनाएं सीआरजेड, पर्यावरण जैसी कई कानूनी अड़चनों के कारण लटक जाती हैं। मुंबई ट्रांस हार्बर की फाइल पिछले 30 साल से केंद्र के पास पड़ी है। मैंने मोदी जी से आग्रह किया कि अगर उनके नेतृत्व में कोई समिति बने तो सरकारी बाबू फाइलों को तेजी से आगे बढ़ाएंगे। इस पर विवाद क्यों होना चाहिए? अगर मैं प्रधानमंत्री से मुंबई की परियोजनाओं में तेजी लाने को कहता हूं तो विवाद की कोई गुंजाइश ही नहीं है।
वैसे, इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि मुंबई की विकास योजनाओं को दिल्ली जल्दी मंजूरी नहीं करती। यही वजह है कि बहुचर्चित शिवड़ी-न्हावा सेवा ट्रांस हार्बर योजना 30 साल से अधर में है। मेट्रो और मोनो रेल योजना को दिल्ली से मंजूरी लेने के बहुत कुछ पापड़ बेलने पड़े थे। इसी तरह मुंबई की कॉस्टल रोड, ट्रांसहार्बर, सी-लिंक जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाएं दिल्ली की तिजोरी में धूल खा रही हैं। इन फाइलों से धूल हटाने के लिए ऐसा कोई सिस्टम होना ही चाहिए जिससे मुंबई की योजनाओं को समय पर हरी झंडी मिल सके। अन्यथा दिल्ली यू ही मुंबई की विकास-गति पर ब्रेक लगाती रहेगी। फडणवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री के समिति का अध्यक्ष होने से फाइलें कभी नहीं रुक सकेंगी। फडणवीस ने कहा कि उन्हें मुंबई के विकास के लिए वे हर संभव कोशिश करेंगे।

इससे पहले स्व. विलासराव देशमुख की सरकार ने मुंबई, राज्य और केंद्र में तालमेल बिठाने के लिए संजय ऊबाले को नियुक्ति किया था, मगर ऊबाले महाराष्ट्र सरकार की सेवा को बाय-बाय कर निजी क्षेत्र में चले गए। इससे पूरा मामला जहां था, वहीं पर थम गया। मुख्यमंत्री फडणवीस ऊबाले की जगह पर फिर से किसी सीनियर अधिकारी को नियुक्ति करना चाहते हैं, ताकि वह मुंबई, राज्य और केंद्र सरकार के बीच तालमेल बिठा सके।

Monday, December 8, 2014

मुंबई निवासी अरीब मजीद एक ट्रेन्ड सूइसाइड बॉम्बर

आईएस के साथ काम करने वाला मुंबई निवासी अरीब मजीद एक ट्रेन्ड सूइसाइड बॉम्बर है। उसने सीरिया में कम-से-कम तीन बार सुरक्षा बलों को उड़ाने की नाकाम कोशिश की थी। इस बात का खुलासा उससे कड़ी पूछताछ के बाद हुआ है। सोमवार को अदालत में पेशी के बाद मजीद की एनआईए हिरासत 22 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है। 
उसने इसी साल अगस्त के इराक के मोसुल डैम पर कब्जे के लिए हुई लड़ाई के अलावा भी अमेरिकी और इराकी सेनाओं के खिलाफ कई जगहों पर लड़ाई में हिस्सा लिया था। उसके शरीर पर इन लड़ाइयों के दौरान लगी गोलियों के निशान भी मौजूद हैं।
मजीद से पूछताछ जारी है और वह लगातार नई बातें बता रहा हैं। इससे सुरक्षा एसेंजियों की आशंका सही साबित हो रही है कि यह इंजिनियर सिर्फ रास्ता भटक गया मासूम लड़का नहीं है। इससे पहले मजीद ने कहा था कि उसने आईएस की किसी भी लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया था और उसके शरीर पर दो गोलियों के निशान आईएस के ट्रेनिंग कैंप में फायरिंग की प्रैक्टिस के दौरान बने थे।
लेकिन, उससे पूछताछ कर रही सुरक्षा एजेंसियों को उस पर भरोसा नहीं था इसलिए उसका लाइ डिटेक्टर टेस्ट लिया गया। जानकारी के मुताबिक, इस टेस्ट के बाद झूठ बोलता पकड़े जाने पर वह रोने लगा और उसने नई बातें बताईं।
मजीद से आईबी और एनआईए एक हफ्ते से ज्यादा समय से पूछताछ कर रही हैं। अधिकारियों के मुताबिक उसे गोलियां लगने के बाद अच्छा इलाज और 2 हजार अमेरिकी डॉलर दिए गए और घर भेज दिया गया। अधिकारियों का कहना है कि उसके नए दावों की भी जांच की जा रही है।

Saturday, December 6, 2014

मोरानी की वह फोटो निकाली, जिसमें उनके साथ कटरीना कैफ भी

इंटरनेट पर फिल्म निर्माता अली मोरानी की सैकड़ों फोटो मिल जाएंगी, पर जब डॉन रवि पुजारी ने कुछ महीने पहले अपने पंटरों को मोरानी की सुपारी दी, तो एक आरोपी ने इंटरनेट से मोरानी की वह फोटो निकाली, जिसमें उनके साथ कटरीना कैफ भी थीं। खास बात यह है कि कटरीना की मोरानी के साथ यह फोटो रवि पुजारी के पंटर के पास वारदात के कई पखवाड़े बाद भी रखी रही। यह एक फिल्म समारोह की फोटो थी, जिसमें कटरीना और अली मोरानी एक दूसरे को देखकर मुस्करा रहे हैं।
रवि पुजारी ने मोरानी ब्रदर्स के जुहू स्थित घर पर 23 अगस्त को गोलियां चलवाई थीं। करीब दो दिन तक बाद पुलिस को इस गोलीबारी की तब खबर मिली, जब डॉन रवि पुजारी ने मोरानी के परिवार में और फिर किसी मीडिया कर्मी को इस बारे में जानकारी दी। मीडिया से जब पुलिस को खबर की पुष्टि के लिए फोन किया गया , तो उसी के बाद जैसा कि सूत्रों का दावा है कि पुलिस ने इस केस में एफआईआर दर्ज की। पर यह केस डिटेक्ट पिछले पखवाड़े ही हो पाया, जब मुंबई क्राइम ब्रांच ने महेश भट्ट और उनके परिवार की हत्या की साजिश में कुछ लोगों को गिरफ्तार किया।

उनसे पूछताछ में फिर सुफियान, अरमान व फैज नामक तीन वे लोग भी मिले, जिन्होंने मोरानी के जुहू स्थित घर की रेकी की थी। मुंबई क्राइम ब्रांच ने जब इन तीनों के नालासोपारा स्थित घर की तलाशी ली, तो उनमें फैज के घर पर अली मोरानी और कटरीना की संयुक्त फोटो मिली। इसी फोटो के पीछे अली मोरानी के जुहू स्थित घर का अड्रेस भी लिखा हुआ पाया गया। इस फोटो को फिर उस अनीस को दिखाया गया, जिसने रवि पुजारी के कहने पर मोरानी की सुपारी ली थी।
अनीस ने अपने साथी इशरत के साथ फिर कटरीना के अली मोरानी के साथ की इस फोटो को आजम खान, अशफाक रशीद और आशिफ खान नामक अपने उन साथियों को दिखाया, जो वारदात वाले दिन गोली चलाने मोरानी के घर के बाहर गए थे, और वहां तीन राउंड गोलियां चला कर भाग गए थे। क्राइम ब्रांच सूत्रों के अनुसार, जब गोलियां चलाई गईं, तो बाइक आजम खान चला रहा था, आसिफ बीच में बैठा था और अशफाक गोलियां चला रहा था।
वारदात के बाद आरोपी चाहता, तो वह मोरानी की फोटो फेंक सकता था या नष्ट कर सकता था, पर मोरानी की इस फोटो में रेकी करनेवाले को कटरीना की फोटो इतनी खूबसूरत लगी कि उसने इस फोटो को अपने घर में रखना ही बेहतर समझा। यही फोटो अब रवि पुजारी के पूरे गैंग के खिलाफ इसलिए भी सबसे बड़ा सबूत बन गई है, क्योंकि इस फोटो के पीछे मोरानी के घर का हाथ से लिखा अड्रेस भी मिला है।
मुंबई क्राइम ब्रांच ने फिलहाल महेश भट्ट केस में रवि पुजारी के 11 लोगों पर मकोका लगा दिया है। मोरानी केस में रेकी करने वालों की पुलिस कस्टडी पूरी हो चुकी है, जबकि कुछ और आरोपियों की क्राइम ब्रांच इस केस में तभी कस्टडी लेगी, जब महेश भट्ट केस में उनकी कस्टडी पूरी हो जाएगी। मोरानी केस में भी क्राइम मकोका लगा सकती है।

Friday, December 5, 2014

शिवसेना भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में अंतत: शामिल

विभागों के बंटवारे को लेकर हुई तकरार के कुछ सप्ताह बाद आज मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही शिवसेना भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में अंतत: शामिल हो जाएगी। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, 'बीजेपी के 10 नए मंत्रियों के साथ-साथ शिवसेना से पांच कैबिनेट स्तर के मंत्री और पांच ही राज्य मंत्री बनाए जाने की संभावना है।'
बीजेपी के साथ चर्चाओं में शामिल रहे शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, 'बीजपी और शिवसेना ने मिलकर तय किया है कि कैबिनेट स्तर के पांच और राज्य मंत्री स्तर के भी पांच मंत्री शिवसेना के होंगे। लेकिन अभी के लिए हम दो राज्य मंत्रियों के शपथग्रहण को रोककर रख रहे हैं। यह विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद होगा।' शिवसेना के जिन नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की संभावना है, उनमें दिवाकर राउत, दीपक सावंत, सुभाष देसाई, एकनाथ शिंदे और रामदास कदम के नाम हैं।

राउत को परिवहन मंत्रालय मिलने की उम्मीद है जबकि सावंत को स्वास्थ्य का प्रभार मिल सकता है। फिलहाल उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी बीजेपी नेता प्रकाश मेहता के पास है लेकिन इसे फेरबदल के बाद सुभाष देसाई को दिया जाएगा। नेता प्रतिपक्ष का पद संभालने वाले एकनाथ शिंदे अब एमएमआरडीसी की कमान संभालेंगे। शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के करीबी माने जाने वाले रामदास कदम को पर्यावरण मंत्रालय मिल सकता है।
राज्यमंत्रियों के रूप में जिन्हें शामिल किया जाना है, उनमें शिवसेना के विधायक संजय राठौड़, रविंद्र वईकर, दादा भूसे विजय शिवतारे और दीपक केसरकर के नाम हैं। लंबे समय तक सहयोगी रहने के बाद इन दोनों दलों ने अपने-अपने रास्ते अलग कर लिए थे। इन दोनों दलों के अलग होने की यह घटना महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से महज तीन सप्ताह पहले यानी बीते 15 दिसंबर को हुई।
288
सदस्यों वाली विधानसभा के चुनावों में एक खंडित जनादेश आया था। 122 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी जबकि शिवसेना के हिस्से में 63 सीटें आईं। 42 सीटों के साथ कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही और एनसीपी के खाते में 41 सीटें आईं।

Monday, December 1, 2014

किसानों मुद्दे पर विपक्ष ने अपने आक्रामक रुख का संकेत

देवेंद्र फडणवीस सरकार को आगामी विधानसभा सत्र में राज्य को सूखा ग्रस्त इलाकों में किसानों की आत्महत्या, जवाखेडा का दलित हत्याकांड जैसे भावनात्मक मुद्दों पर विपक्ष के तीव्र विरोध का सामना करना होगा। किसानों मुद्दे पर विपक्ष ने अपने आक्रामक रुख का संकेत दे दिया है।
शिवसेना विधायकों ने पिछले महीने भर में महाराष्ट्र के सूखा ग्रस्त इलाकों का दौरा करके और किसानों से मिलकर सरकार को घेरने के लिए काफी मुद्दे जमा कर लिए हैं। सरकार पर शिवसेना का सबसे बड़ा आक्रमण सूखाग्रस्त मराठवाडा के किसानों की आत्महत्या और वहां की समस्याओं पर होगा। इन समस्याओं के संदर्भ में शिवसेना राज्यपाल को ज्ञापन भी दे चुकी है। इसे अलावा शिवसेना के टारगेट पर रहेंगे, राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे। शिवसेना किसानों के मामले में खडसे के हालिया बयान को मुद्दा बानएगी।

कांग्रेस ने भी किसानों के मुद्दे पर ही सरकार को घेरने की योजना बनाई है। कांग्रेस के ऐक्शन प्लान के मुताबिक पार्टी सरकार के खिलाफ 1 और 2 दिसंबर को तहसील और जिला कार्यालयों पर मोर्चा निकालेगी। 4 दिसंबर को राज्यभर में रास्ता रोको करेगी और पिर 8 दिसंबर को नागपुर में विधानभवन पर विशाल मोर्चा की तैयारी की जा रही है। इस मोर्चे का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, अशोक चव्हाण, नारायण राणे और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल वासनिक और विलास मुत्तेमवार को सौंपा गया है। एनसीपी नेताओं ने रविवार को सूखाग्रस्त इलाके के किसानों की समस्याओं के संदर्भ में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की और सीएम को तीन पेज का एक ज्ञापन सौंपा है। पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व में सीएम से मिलने गए प्रतिनिधि मंडल ने सीएम से सूखाग्रस्त किसानों की समस्याओं और जवखेडा दलित हत्याकांड के बारे में चर्चा की। बाहर निकलने के बाद अजित पवार ने कहा कि जल्द ही वे सूखाग्रस्त इलाके का दौरा करेंगे और सरकार के खिलाफ उनकी पार्टी इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अख्तियार करेगी।
इन तामाम मुद्दों से निपटने के लिए सरकार भी अपनी तरफ से तैयारी कर रही है। सरकार ने सूखाग्रस्त किसानों की मदद के लिए केंद्र सरकार से 45000 करोड़ रुपये का पैकेज मांगा है। इसके अलावा जवखेड़ा दलित हत्याकांड के प्रभावितों से खुद सीएम ने रविवार को मुलाकात की। सीएम ने पीड़ित परिवार को आश्वासन दिया है कि इस मामले में कोई गलत कार्रवाई नहीं होने दी जाएगी, अगर पुलिस हत्यारों को पकड़ने में नाकाम रहती है तो वह इस केस की जांच सीबीआई को सौंप देंगे।