मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ कर दिया है कि मुंबई के विकास के
लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक समिति गठित होगी, किसी सीईओ को नियुक्ति नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुंबई
के विकास से सबंधित 100 से ज्यादा
प्रॉजेक्ट मंजूरी के लिए केंद्र के पास लंबित हैं। इनकी जल्द से जल्द मंजूरी के
लिए किसी को तो पहल करनी होगी। मुंबई, देश का
चेहरा है इसलिए इसका विकास जरूरी है। उन्होंने इशारे ही इशारे में शिवसेना से कहा
कि वह इसे राजनीति का मुद्दा न बनाए।
मंगलवार को सीएम ने कहा कि मेरा मानना है कि यह सिर्फ राजनीतिक
विवाद है जिसे कुछ लोग भड़का रहे हैं। हम मुंबई के विकास की बात करते हैं जिस पर
राजनीतिक नहीं होनी चाहिए। फिर भी कोई ऐसा करता है कि वह मुंबई के साथ खिलवाड़ कर
रहा है। होता यह है कि जब भी हम मुंबई के लिए नई योजना शुरू करते हैं, सबसे पहले उसे मंजूरी के लिए दिल्ली भेजना पड़ता है। मुंबई की
ज्यादातर योजनाएं सीआरजेड, पर्यावरण
जैसी कई कानूनी अड़चनों के कारण लटक जाती हैं। मुंबई ट्रांस हार्बर की फाइल पिछले 30 साल से केंद्र के पास पड़ी है। मैंने मोदी जी से आग्रह किया कि
अगर उनके नेतृत्व में कोई समिति बने तो सरकारी बाबू फाइलों को तेजी से आगे
बढ़ाएंगे। इस पर विवाद क्यों होना चाहिए? अगर मैं
प्रधानमंत्री से मुंबई की परियोजनाओं में तेजी लाने को कहता हूं तो विवाद की कोई
गुंजाइश ही नहीं है।
वैसे, इस बात को
नकारा नहीं जा सकता है कि मुंबई की विकास योजनाओं को दिल्ली जल्दी मंजूरी नहीं
करती। यही वजह है कि बहुचर्चित शिवड़ी-न्हावा सेवा ट्रांस हार्बर योजना 30 साल से अधर में है। मेट्रो और मोनो रेल योजना को दिल्ली से
मंजूरी लेने के बहुत कुछ पापड़ बेलने पड़े थे। इसी तरह मुंबई की कॉस्टल रोड, ट्रांसहार्बर, सी-लिंक
जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाएं दिल्ली की तिजोरी में धूल खा रही हैं। इन फाइलों से
धूल हटाने के लिए ऐसा कोई सिस्टम होना ही चाहिए जिससे मुंबई की योजनाओं को समय पर
हरी झंडी मिल सके। अन्यथा दिल्ली यू ही मुंबई की विकास-गति पर ब्रेक लगाती रहेगी।
फडणवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री के समिति का अध्यक्ष होने से फाइलें कभी नहीं रुक
सकेंगी। फडणवीस ने कहा कि उन्हें मुंबई के विकास के लिए वे हर संभव कोशिश करेंगे।
इससे पहले स्व. विलासराव देशमुख की सरकार ने मुंबई, राज्य और केंद्र में तालमेल बिठाने के लिए संजय ऊबाले को
नियुक्ति किया था, मगर ऊबाले
महाराष्ट्र सरकार की सेवा को बाय-बाय कर निजी क्षेत्र में चले गए। इससे पूरा मामला
जहां था, वहीं पर थम गया। मुख्यमंत्री फडणवीस
ऊबाले की जगह पर फिर से किसी सीनियर अधिकारी को नियुक्ति करना चाहते हैं, ताकि वह मुंबई, राज्य और
केंद्र सरकार के बीच तालमेल बिठा सके।
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