महाराष्ट्र के जल संपदा मंत्री गिरीश महाजन ने रहस्योद्घाटन किया है कि उनके
मंत्री बनते ही जल संपदा विभाग के ठेकेदारों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये की रिश्वत का
ऑफर दिया था। यह ऑफर दलालों के मार्फत उन ठेकों को जारी रखने के लिए दिया गया, जो पिछली कांग्रेस-एनसीपी
सरकार ने दिए थे। मंत्री ने कहा कि किसी का खाऊंगा नहीं, किसी को खाने दूंगा नहीं।
मेरे मंत्रालय का काम पारदर्शी तरीके से किया जाएगा।
गिरीश महाजन ने जामनेर में अपने एक सत्कार समारोह में रिश्वत के ऑफर का भंडाफोड़ करते हुए कहा, 'कांग्रेस-एनसीपी सरकार के कार्यकाल में जल संपदा विभाग में बड़े पैमाने पर करप्शन हुआ। काम केवल 70 करोड़ रुपये के थे और टेंडर 372 करोड़ रुपये के दिए गए। बीजेपी की सरकार ने इस करप्शन को रोकने के लिए 1100 करोड़ रुपये के अनेक काम रोक दिए। इन रोके गए कामों को फिर शुरू करने की मंजूरी देने के लिए 10% के हिसाब से 100 करोड़ रुपये रिश्वत का ऑफर ठेकोदारों के दलालों ने दिया।'
हालांकि, गिरीश महाजन के इस रहस्योद्घाटन को विपक्ष स्टंटबाजी करार दे रहा है। विपक्ष का सवाल है कि मंत्री ने रिश्वत देने वाले ठेकेदारों और उनके दलालों के खिलाफ पुलिस या ऐंटि करप्शन ब्यूरो में शिकायत दर्ज क्यों नहीं करवाई। कांग्रेस नेता ऐडवोकेट संदीप पाटिल ने कहा, 'किसी को भी रिश्वत की पेशकश करना कानूनन गुनाह है। यह गुनाह तब और ज्यादा गंभीर हो जाता है, जब कोई मंत्री पद पर बैठे एक संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने वाले व्यक्ति को भ्रष्ट आचरण करने के लिए उकसा रहा हो।'
उन्होंने कहा, 'ऐसे गुनहगारों को खिलाफ शिकायत न करना भी कानूनन जुर्म ही है। मंत्री को रिश्वत ऑफर करने वाले लोगों के खिलाफ तत्काल ऐंटि करप्शन ब्यूरो में शिकायत दर्ज करानी चाहिए, ताकि कोई दोबारा ऐसा दुस्साहस न करे।'
एनसीपी के नेता डॉ. सतीश पाटिल ने सवाल उठाया, 'अगर मंत्री को 100 करोड़ रुपये रिश्वत की पेशकश की गई थी, तो वे इतने दिन चुप क्यों रहे और नागपुर में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन को इसकी सूचना क्यों नहीं दी। इतनी गंभीर बात उजागर करने के लिए उन्होंने जामनेर जैसे खेडे गांव में आयोजित एक छोटे से कार्यक्रम का मंच ही क्यों चुना।'
गिरीश महाजन ने जामनेर में अपने एक सत्कार समारोह में रिश्वत के ऑफर का भंडाफोड़ करते हुए कहा, 'कांग्रेस-एनसीपी सरकार के कार्यकाल में जल संपदा विभाग में बड़े पैमाने पर करप्शन हुआ। काम केवल 70 करोड़ रुपये के थे और टेंडर 372 करोड़ रुपये के दिए गए। बीजेपी की सरकार ने इस करप्शन को रोकने के लिए 1100 करोड़ रुपये के अनेक काम रोक दिए। इन रोके गए कामों को फिर शुरू करने की मंजूरी देने के लिए 10% के हिसाब से 100 करोड़ रुपये रिश्वत का ऑफर ठेकोदारों के दलालों ने दिया।'
हालांकि, गिरीश महाजन के इस रहस्योद्घाटन को विपक्ष स्टंटबाजी करार दे रहा है। विपक्ष का सवाल है कि मंत्री ने रिश्वत देने वाले ठेकेदारों और उनके दलालों के खिलाफ पुलिस या ऐंटि करप्शन ब्यूरो में शिकायत दर्ज क्यों नहीं करवाई। कांग्रेस नेता ऐडवोकेट संदीप पाटिल ने कहा, 'किसी को भी रिश्वत की पेशकश करना कानूनन गुनाह है। यह गुनाह तब और ज्यादा गंभीर हो जाता है, जब कोई मंत्री पद पर बैठे एक संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने वाले व्यक्ति को भ्रष्ट आचरण करने के लिए उकसा रहा हो।'
उन्होंने कहा, 'ऐसे गुनहगारों को खिलाफ शिकायत न करना भी कानूनन जुर्म ही है। मंत्री को रिश्वत ऑफर करने वाले लोगों के खिलाफ तत्काल ऐंटि करप्शन ब्यूरो में शिकायत दर्ज करानी चाहिए, ताकि कोई दोबारा ऐसा दुस्साहस न करे।'
एनसीपी के नेता डॉ. सतीश पाटिल ने सवाल उठाया, 'अगर मंत्री को 100 करोड़ रुपये रिश्वत की पेशकश की गई थी, तो वे इतने दिन चुप क्यों रहे और नागपुर में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन को इसकी सूचना क्यों नहीं दी। इतनी गंभीर बात उजागर करने के लिए उन्होंने जामनेर जैसे खेडे गांव में आयोजित एक छोटे से कार्यक्रम का मंच ही क्यों चुना।'
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