बीएमसी अस्पतालों में गंदगी का ऐसा आलम होता है कि बीमार
व्यक्ति को सही कराने गए लोग खुद भी बीमार हो जाते हैं। लेकिन अपने ऊपर लगे इस दाग
को धोने के लिए बीएमसी अस्पताल जोरशोर से देश भर में चल रहे 'स्वच्छ भारत अभियान' को चलाने पर लग गए हैं। पिछले कुछ
दिनों में बीएमसी के कई अस्पतालों में नए डस्टबिन लगाने से लेकर, गंदगी फैलाने वाले मरीजों को
पकड़ने और जुर्माना लगाने जैसे कई कठोर कदम उठाए गए हैं। अपनी सफाई की इस कोशिश पर
अस्पताल प्रशासन अब मरीजों से अस्पताल साफ रखने की उम्मीद कर रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन
(डब्ल्यूएचओ) के अनुसार अस्पतालों में इलाज के लिए आए मरीजों में 10 में से 1 मरीज को इंफेक्शन का नुकसान झेलना
पड़ता है। आंकड़ों के मुताबिक हर समय दुनिया भर में 14 लाख लोग अस्पतालों में संक्रमित
होते है। बीएमसी के मेजर हॉस्पिटलों की प्रमुख, डॉ़ सुहासिनी जे. नागदा बताती हैं
कि पिछले एक महीने सायन, केईएम और
नायर तीनों ही बड़े अस्पतालों में सभी अहम जगह नए डस्टबिन लगाए गए हैं। इसके साथ
ही सुबह शाम सफाई कर अस्पताल परिसरों को साफ रखने की पूरी कोशिश की जा रही है।
सामान्य कचरे के साथ ही हम बायोमेडिकल वेस्ट को भी निपटाने और अस्पतालों को
संक्रमण मुक्त करने की कोशिश में लगे हैं।
डॉ़ नागदा बताती हैं कि हमें इस
काम के लिए अस्पताल में आने वाले मरीजों और उनके रिश्तेदारों के सहयोग की जरूरत
है। हम बीएमसी अस्पतालों को भी प्राइवेट अस्पतालों की तरह साफ रख सकते हैं।
अस्पताल में जो मरीज या लोग कचरा फैलाते पकड़े जा रहे हैं हम उनपर 200 रुपये जुर्माना लगा रहे हैं।
लेकिन यदि कोई व्यक्ति यह राशि नहीं दे पाता है, तो हम उन्हें कुछ समय रोक कर छोड़
रहे हैं। इससे लोगों में अस्पताल में कचरा फैलाने पर डर बढ़ेगा। इसके साथ ही हमने
काफी मुश्किलों के बाद अस्पताल में पास प्रणाली फिर से शुरू की है, ताकि बिना काम के कोई न घूमे।
हमारे सभी डॉक्टर और अस्पताल स्टाफ अपनी इच्छा से हर शुक्रवार कुछ घंटे से श्रमदान
भी कर रहे हैं।
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