उद्योग मंत्री पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस को
अड़चन में डालने वाले नारायण राणे को पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव में प्रचार
समिति का प्रमुख बनाया दिया है। इसके अलावा आदर्श मामले में फंसे पूर्व
मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को समन्वय समिति प्रमुख की जिम्मेदारी दी है। पूर्व
केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को घोषणा पत्र बनाने वाली समिति का प्रमुख
नियुक्त किया है।
पार्टी ने तीनों प्रमुख नेताओं को जिम्मेदारी देकर एक तरह से पार्टी के अंदर तालमेल बिठाने की कोशिश की है। चंद दिन पहले ही नारायण राणे ने कांग्रेस छोड़ने की धमकी दी थी। उस वक्त पार्टी ने उनकी दो प्रमुख मांगे मानने का वादा किया था। उनकी पहली मांग थी कि उन्हें आगामी चुनाव में प्रचार प्रमुख बनाया जाए। बुधवार को पार्टी ने उन्हें प्रचार प्रमुख बना दिया। राणे की दूसरी मांग बेटे को विधानसभा चुनाव टिकट देना था। यह मांग अभी भी कायम है।
लोकसभा चुनाव जीतकर महाराष्ट्र की राजनीति में दमदार उपस्थित दर्ज कराने वाले अशोक चव्हाण को भी पार्टी ने सेट कर दिया है। उन्हें चुनाव में समन्वय की जिम्मेदारी दी है। यानी पार्टी ने एक तरह से राणे और सीएम पर नकेल लगाने के लिए चव्हाण की नियुक्त की है। दलित वर्ग पार्टी से नाराज नहीं हो, इसके लिए पार्टी ने सुशील कुमार शिंदे को चुनावी घोषणा पत्र बनाने वाली समिति की जिम्मेदारी दी है।
पार्टी ने तीनों प्रमुख नेताओं को जिम्मेदारी देकर एक तरह से पार्टी के अंदर तालमेल बिठाने की कोशिश की है। चंद दिन पहले ही नारायण राणे ने कांग्रेस छोड़ने की धमकी दी थी। उस वक्त पार्टी ने उनकी दो प्रमुख मांगे मानने का वादा किया था। उनकी पहली मांग थी कि उन्हें आगामी चुनाव में प्रचार प्रमुख बनाया जाए। बुधवार को पार्टी ने उन्हें प्रचार प्रमुख बना दिया। राणे की दूसरी मांग बेटे को विधानसभा चुनाव टिकट देना था। यह मांग अभी भी कायम है।
लोकसभा चुनाव जीतकर महाराष्ट्र की राजनीति में दमदार उपस्थित दर्ज कराने वाले अशोक चव्हाण को भी पार्टी ने सेट कर दिया है। उन्हें चुनाव में समन्वय की जिम्मेदारी दी है। यानी पार्टी ने एक तरह से राणे और सीएम पर नकेल लगाने के लिए चव्हाण की नियुक्त की है। दलित वर्ग पार्टी से नाराज नहीं हो, इसके लिए पार्टी ने सुशील कुमार शिंदे को चुनावी घोषणा पत्र बनाने वाली समिति की जिम्मेदारी दी है।
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