महाराष्ट्र विधानसभा
में बीजेपी की 12 दिन पुरानी फडणवीस सरकार ने ध्वनि मत से विश्वास मत
हासिल कर लिया। शिवसेना के विधायक इस दौरान वेल में हंगामा करते दिखे। जानकारी के
मुताबिक एनसीपी के विधायकों ने ध्वनि मत में हिस्सा नहीं लिया। शिवसेना के विधायक
एकनाथ शिंदे विधानसभा में विपक्ष के नेता हो सकते हैं।
शिवसेना से समझौता नहीं होने की वजह से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के लिए विश्वास मत हासिल करने को लेकर कई तरह के कयास थे। शिवसेना सुबह ही साफ कर चुकी थी कि वह विश्वास मत के विरोध में वोट करेगी। हालांकि, एनसीपी 'बिन मांगी मदद' के साथ तैयार थी और इसलिए इस बात की पूरी संभावना थी कि फडणवीस सरकार विश्वास मत हासिल कर लेगी।
दोपहर साढ़े बारह बजे के करीब बीजेपी विधायक आशीष शेलार ने विधानसभा में विश्वास मत पेश किया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष हरिभाऊ बागडे ने सदस्यों से ध्वनि मत के जरिए मत विभाजन करवाया और विश्वास मत के पारित होने की घोषणा कर दी है। किसी भी पार्टी की ओर से विश्वास मत पर वोटिंग की मांग नहीं की गई। हालांकि, अध्यक्ष की ओर से प्रस्ताव पारित होने के बाद शिवसेना विधायक वेल में आकर जोरदार हंगामा करने लगे।
इससे पहले वरिष्ठ बीजेपी विधायक हरिभाऊ बागडे सर्वसम्मति से महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष चुन लिए गए। नवगठित महाराष्ट्र विधानसभा में बागडे के नाम की घोषणा अस्थायी अध्यक्ष जिवा पांडु गावित ने की। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने देर रात शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से फोन कर विश्वासमत और अध्यक्ष पद के चुनाव में समर्थन की अपील की थी।
सुबह इसका आंशिक असर दिखा शिवसेना के विजय कुमार औटी ने अपना नाम वापस ले लिया और बाद में कांग्रेस की वर्षा गायकवाड़ भी रेस से हट गईं। इस तरह बीजेपी विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में शक्ति परीक्षण से बच गई और परंपरा के मुताबिक हरिभाऊ बागडे सर्वसम्मति से विधानसभा अध्यक्ष चुन लिए गए। विश्वास मत को लेकर सुबह भी बीजेपी और शिवसेना की बातचीत जारी रही, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला।
शिवसेना के विरोध और एनसीपी के समर्थन के बिना विश्वास मत हासिल करके मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने फिलहाल बड़ी राहत पा ली है। अगर बीजेपी को एनसीपी का समर्थन लेना पड़ता तो उसके लिए अजीब स्थिति पैदा हो सकती थी। बीजेपी ने पूरे चुनाव अभियान के दौरान एनसीपी के खिलाफ तीखा हमला बोला था और उसे नैचरल करप्ट पार्टी बताया था।
शिवसेना से समझौता नहीं होने की वजह से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के लिए विश्वास मत हासिल करने को लेकर कई तरह के कयास थे। शिवसेना सुबह ही साफ कर चुकी थी कि वह विश्वास मत के विरोध में वोट करेगी। हालांकि, एनसीपी 'बिन मांगी मदद' के साथ तैयार थी और इसलिए इस बात की पूरी संभावना थी कि फडणवीस सरकार विश्वास मत हासिल कर लेगी।
दोपहर साढ़े बारह बजे के करीब बीजेपी विधायक आशीष शेलार ने विधानसभा में विश्वास मत पेश किया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष हरिभाऊ बागडे ने सदस्यों से ध्वनि मत के जरिए मत विभाजन करवाया और विश्वास मत के पारित होने की घोषणा कर दी है। किसी भी पार्टी की ओर से विश्वास मत पर वोटिंग की मांग नहीं की गई। हालांकि, अध्यक्ष की ओर से प्रस्ताव पारित होने के बाद शिवसेना विधायक वेल में आकर जोरदार हंगामा करने लगे।
इससे पहले वरिष्ठ बीजेपी विधायक हरिभाऊ बागडे सर्वसम्मति से महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष चुन लिए गए। नवगठित महाराष्ट्र विधानसभा में बागडे के नाम की घोषणा अस्थायी अध्यक्ष जिवा पांडु गावित ने की। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने देर रात शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से फोन कर विश्वासमत और अध्यक्ष पद के चुनाव में समर्थन की अपील की थी।
सुबह इसका आंशिक असर दिखा शिवसेना के विजय कुमार औटी ने अपना नाम वापस ले लिया और बाद में कांग्रेस की वर्षा गायकवाड़ भी रेस से हट गईं। इस तरह बीजेपी विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में शक्ति परीक्षण से बच गई और परंपरा के मुताबिक हरिभाऊ बागडे सर्वसम्मति से विधानसभा अध्यक्ष चुन लिए गए। विश्वास मत को लेकर सुबह भी बीजेपी और शिवसेना की बातचीत जारी रही, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला।
शिवसेना के विरोध और एनसीपी के समर्थन के बिना विश्वास मत हासिल करके मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने फिलहाल बड़ी राहत पा ली है। अगर बीजेपी को एनसीपी का समर्थन लेना पड़ता तो उसके लिए अजीब स्थिति पैदा हो सकती थी। बीजेपी ने पूरे चुनाव अभियान के दौरान एनसीपी के खिलाफ तीखा हमला बोला था और उसे नैचरल करप्ट पार्टी बताया था।
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