अल्पमत वाली बीजेपी की नैया एनसीपी के बिना पार नहीं होगी।
उपरी सदन यानी विधान परिषद में एनसीपी सबसे बड़े दल के रूप में है। बिना उसके
सहयोग से ऊपरी सदन में बीजेपी कुछ भी नहीं कर सकेगी इसलिए चुनावों में भले ही वह
एनसीपी को खोटी सुना रही थी, लेकिन
सरकार बनाने के बाद बीजेपी खामोश रहेगी। वैसे भी नीचले सदन में वह बहुमत सिद्ध
करने के लिए एनसीपी की मदद अपरोक्ष तरीके से ही ले ही रही है।
विधानपरिषद में कुल 78 सदस्य है। एनसीपी के 26 सदस्य, कांग्रेस के 22, बीजेपी के 11, शिवसेना के 6 और निर्दलीय 7 सदस्य है। बीजेपी शिवसेना के साथ
भी लेती है जो भी वह एनसीपी के कम ही रहेगी। गौर करने की बात यह है कि एनसीपी में
अजित पवार, सुनील
तटकरे और छगन भुजबल ही बीजेपी के निशाने पर रहे हैं और उन्हीं सुनील तटकरे के
सहयोग से बीजेपी का कमल उपरी सदन में खिलेगा क्योंकि माना जा रहा है कि एनसीपी
विरोधी दल नेता के रूप में तटकरे को नियुक्त करने वाली है।
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