शिव सेना-बीजेपी के बीच रिश्तों की सबसे बड़ी
अड़चन बनी एनसीपी पर रविवार को शिव सेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने जमकर निशाना
साधा। एनसीपी के समर्थन के बल पर शिव सेना को दरकिनार कर रही बीजेपी को घेरने के
लिए उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व के अजेंडा को आगे करते हुए बीजेपी से सवाल किया कि
क्या वह उस एनसीपी से समर्थन लेना चाहती है जिसके नेता हिंदुत्व को 'भगवा आतंकवाद' कहते हैं?
उद्धव ने कहा कि एनसीपी नेता शरद पवार ही वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने सबसे पहले भगवा
आतंकवाद कहकर हिंदुत्व की तौहीन की थी। उद्धव ठाकरे ने बीजेपी नेताओं को यह भी याद
दिलाया कि अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार गिराने वालों
में शरद पवार ही प्रमुख थे। उद्धव ने कहा कि आज जब सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं
बल्कि पूरे देश में हिंदुत्व विरोधी शक्तियां एकजुट हो रही हैं, शिव सेना सिर्फ सत्ता पाने के
लिए हिंदुत्व का साथ नहीं छोड़ सकती। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुत्ववादी शक्तियों
को विभाजित नहीं होना चाहिए।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिव सेना कभी भी सत्ता के लिए लाचार नहीं है। अगर हम सत्ता के लिए लाचारी दिखाते तो जो मंत्री पद मिल रहे थे उन्हें चुपचाप स्वीकार कर लेते। केंद्र में मंत्री पद न ठुकराते। उद्धव ने कहा कि सत्ता के लिए बीजेपी के हर फैसले का हम समर्थन नहीं कर सकते। मुंबई को अलग करने और महाराष्ट्र के विभाजन जैसे मुद्दों पर हमारा विरोध है और हमेशा रहेगा। अगर सम्मान के साथ सत्ता में हिस्सेदारी नहीं मिली तो हम विपक्ष में बैठेंगे और विपक्ष की भूमिका को अंजाम देंगे। शिव सेना महाराष्ट्र के अधिकारों और न्याय के लिए लड़ती रहेगी।
विधानसभा अध्यक्ष के पद के लिए होने वाले चुनाव के बाद शिव सेना बीजेपी को समर्थन देने ये न देने का फैसला लेगी। उद्धव ठाकरे ने कहा कि बीजेपी किसका नाम अध्यक्ष पद के लिए आगे करती है इस पर बहुत कुछ निर्भर होगा। उन्होंने यह संकेत भी दिया कि हो सकता है अध्यक्ष पद के लिए शिव सेना अपना उम्मीदवार भी उतारे। इसका मतलब यह है कि शिव सेना चाहती है कि बीजेपी विधानसभा का अध्यक्ष पद शिव सेना को दे।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिव सेना कभी भी सत्ता के लिए लाचार नहीं है। अगर हम सत्ता के लिए लाचारी दिखाते तो जो मंत्री पद मिल रहे थे उन्हें चुपचाप स्वीकार कर लेते। केंद्र में मंत्री पद न ठुकराते। उद्धव ने कहा कि सत्ता के लिए बीजेपी के हर फैसले का हम समर्थन नहीं कर सकते। मुंबई को अलग करने और महाराष्ट्र के विभाजन जैसे मुद्दों पर हमारा विरोध है और हमेशा रहेगा। अगर सम्मान के साथ सत्ता में हिस्सेदारी नहीं मिली तो हम विपक्ष में बैठेंगे और विपक्ष की भूमिका को अंजाम देंगे। शिव सेना महाराष्ट्र के अधिकारों और न्याय के लिए लड़ती रहेगी।
विधानसभा अध्यक्ष के पद के लिए होने वाले चुनाव के बाद शिव सेना बीजेपी को समर्थन देने ये न देने का फैसला लेगी। उद्धव ठाकरे ने कहा कि बीजेपी किसका नाम अध्यक्ष पद के लिए आगे करती है इस पर बहुत कुछ निर्भर होगा। उन्होंने यह संकेत भी दिया कि हो सकता है अध्यक्ष पद के लिए शिव सेना अपना उम्मीदवार भी उतारे। इसका मतलब यह है कि शिव सेना चाहती है कि बीजेपी विधानसभा का अध्यक्ष पद शिव सेना को दे।
No comments:
Post a Comment