महाराष्ट्र में खुद को बीजेपी के हाथों ठगा गया महसूस कर
रही शिवसेना बीजेपी से अपना बदला चुकाने के लिए दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के
विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवार उतार सकती है। इसके अलावा राजस्थान में भी 74 स्थानीय निकाय चुनावों
में भी शिवसेना अपने उम्मीदवार उतार रही है। दिल्ली और जम्मू कश्मीर के विधानसभा
चुनावों में शिवसेना उम्मीदवार उतारेगी और उनमें से कितने जीत पाएंगे यह तो वक्त
ही बताएगा, लेकिन
शिवसेना के उम्मीदवार जितने भी वोट पाएंगे वे बीजेपी के उम्मीदवार को ही नुकसान
पहुंचाएंगे। शिवसेना का मत है कि बीजेपी का रुख हिंदुत्व के मुद्दे पर
दिन-ब-दिन कमजोर पड़ता जा रहा है। ऐसे में यह सोच जोर पकड़ रही है कि शिवसेना अपने
उम्मीदवार खड़े करती है तो आक्रामक हिंदुत्व के मुद्दे पर उसे अच्छा समर्थन
मिलेगा। उत्तर भारत के कई राज्यों में वर्षों से शिवसेना की यूनिटें काम कर रही
हैं। यह बात अलग है कि शिवसेना नेतृत्व ने उन्हें कभी गंभीरता से नहीं लिया है।
दिल्ली, यूपी, एमपी और राजस्थान में
शिवसेना को मानने वाले अपने स्तर पर ही पार्टी का कामकाज चला रहे हैं। हालांकि
शिवसेना ने अपने संगठन में राज्य संपर्क प्रमुखों को नियुक्त कर रखा है। अब जब
शिवसेना-बीजेपी के बीच गठबंधन खत्म हो चुका है राज्यों में कार्यरत शिवसेना के
कार्यकर्ता शिवसेना नेतृत्व से चुनाव लड़ने की अनुमति मांग रहे हैं।
शिवसेना भवन के एक सूत्र का कहना है कि दिल्ली और जम्मू
से रोज फोन और फैक्स आ रहे हैं। जिनमें कार्यकर्ता चुनाव का टिकट देने की मांग कर
रहे हैं। सूत्र का तो यहां तक कहना है कि ज्यादातर कार्यकर्ता सीधे उद्धव ठाकरे और
आदित्य ठाकरे से बात करना चाहते हैं।
शिवसेना के एक पूर्व
संपर्क प्रमुख ने कहा कि दूसरे राज्यों में कार्यरत शिवसैनिक 'एकलव्य' की तरह निस्वार्थ
शिवसेना का काम कर रहे हैं। वे आंदोलन करते हैं, अपने पैसों से केस
लड़ते हैं और जब टिकट मांगने मुंबई आते हैं तो उनके हाथ निराशा लगती है। इसकी वजह
शिवसेना का बीजेपी प्रेम था। दिवंगत बीजेपी नेता प्रमोद महाजन हर बार हिंदुत्व की
एकजुटता का हवाला देकर शिवसेना को चुनाव न लड़ने के लिए राजी कर लेते थे, लेकिन अब वैसी स्थिति
नहीं है। कहने वाले तो यहां तक कहते हैं कि बीजेपी नेताओं ने सुरक्षा का हवाला
देकर बालासाहेब को महाराष्ट्र से बाहर नहीं निकलने दिया।
खबर है कि युवा सेना के
अध्यक्ष आदित्य ठाकरे इस दिशा में काम कर रहे हैं। वे शिवसेना को राष्ट्रीय स्तर
पर सक्रिय करने के पक्ष में बताए जाते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर दौरा करने की भी
उनकी तैयारी है। अगर आदित्य के प्रयासों को पार्टी समर्थन देती है तो हो सकता है
उद्धव ठाकरे भी अन्य राज्यों में शिवसेना के चुनाव लड़ने की अधिकृत घोषणा कर दें।
सूत्रों की जानकारी है कि उद्धव ठाकरे शिवसेना के ही एक कार्यक्रम में दिसंबर में
माउंट आबू (राजस्थान) जाने वाले हैं हो सकता है वहीं से पार्टी के राष्ट्रीय
विस्तार की कोई बड़ी घोषणा करें।
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