नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ कुंभ में वैष्णव संन्यासियों के तीन अखाड़ों का
अंतिम शाही स्नान शुक्रवार को रामकुंड पर संपन्न होगा। इसी शाही स्नान के साथ तीन
वैष्णव अखाड़ों निर्मोही, निर्वाणी एवं दिगंबर के लिए सिंहस्थ कुंभ समाप्त हो जाएगा।
शैव, उदासीन एवं सिख संन्यासियों का कुंभ 25 सितंबर को त्र्यंबकेश्वर के कुशावर्त कुंड में होने वाले अंतिम शाही स्नान
के साथ समाप्त होगा।
देश में 12 वर्षों के अंतराल पर प्रयाग, हरिद्वार,
उज्जैन एवं नासिक में कुंभ का आयोजन होता है। उज्जैन एवं नासिक के
कुंभ को सिंहस्थ कुंभ कहा जाता है। नासिक देश का एकमात्र ऐसा कुंभ स्थल है,
जहां न सिर्फ शैव एवं वैष्णव संन्यासियों के स्नान घाट अलग-अलग हैं,
बल्कि अंतिम शाही स्नान की तिथियां भी भिन्न होती हैं। अन्य तीनों
कुंभ स्थलों पर सभी अखाड़े एक ही तिथि एवं एक ही घाट पर क्रम से स्नान करते हैं।
नासिक पुरोहित संघ के अध्यक्ष पंडित सतीश शुक्ल के अनुसार सिंहस्थ कुंभ में
वैष्णव एवं शैव, दोनों अखाड़े प्रमुख शाही स्नान श्रावणी अमावस्या के दिन ही
करते हैं। सबसे पहले होनेवाला उप-शाही स्नान भी दोनों अखाड़े श्रावणी पूर्णिमा के
दिन ही करते हैं। लेकिन अंतिम शाही स्नान दोनों का अलग-अलग तिथियों पर होता है।
वैष्णव अखाड़ों का अंतिम शाही स्नान ऋषि पंचमी के दिन होता है, जबकि
शैव, उदासीन एवं निर्मल अखाड़ों का अंतिम शाही स्नान वामन
द्वादशी के दिन होता है। इस बार ऋषि पंचमी 18 सितंबर को एवं
वामन द्वादशी 25 सितंबर को पड़ रही है। इसलिए नासिक के
रामकुंड पर वैष्णव अखाड़ों के स्नान की शुरुआत शुक्रवार सुबह सात बजे दिगंबर अखाड़े
के शाही स्नान से होगी। उसके बाद निर्वाणी और निर्मोही अखाड़े स्नान करेंगे।
महाराष्ट्र में गुरुवार से 11 दिनों तक चलने वाले
गणेशोत्सव की शुरुआत हो चुकी है। इस त्यौहार में महाराष्ट्र में सार्वजनिक मंडलों
में बड़ी-बड़ी गणपति प्रतिमाएं स्थापित करने के साथ ही ज्यादातर घरों में भी डेढ़ दिन,
पांच दिन और सात दिनों के लिए गणपति प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं।
इसलिए तीसरे एवं अंतिम शाही स्नान में स्थानीय लोगों की सहभागिता की उम्मीद कम है।
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