मुंबई मेट्रो को लेकर उठे बवंडर के बाद केंद्र सरकार ने इसका
किराया तय करने के लिए कमिटी बना दी है। बढ़े हुए मेट्रो किराए पर इसका कोई भी असर
होने की संभावना नहीं है। आगे भविष्य में अगर आगे कभी फिर किराया बढ़ता है, तब जाकर इस 'टैरिफ फिक्सेशन
कमिटी' का काम शुरू होगा।
'एनबीटी' ने किराया वृद्धि को लेकर सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए थे। विशेषज्ञों की यह राय है कि अगर ये कमिटी पहले बना दी गई होती तो मेट्रो का किराया बढ़ाना इतना आसान नहीं होता। ताजा तथ्य ये उभरे हैं कि कम से कम दो बार महाराष्ट्र सरकार ने इस किराया समिति के लिए नाम भेजे थे। मगर केंद्र सरकार ने इस बारे में निर्णय ही नहीं किया। पहले सुबोध कुमार का नाम महाराष्ट्र सरकार ने इस कमिटी की अध्यक्षता के लिए भेजा था। मगर यह प्रस्ताव प्रलंबित पड़ा रहा। फिर केंद्र की नई बीजेपी सरकार को यह नाम पसंद नहीं आया। इसके बाद, दूसरी बार मुख्य सचिव रहे जयंत बांठिया का नाम कमिटी की अध्यक्षता के लिए भेजे जाने की खबर है। इस नियुक्ति पर भी दिल्ली ने किसी तरह की खास रुचि नहीं दिखाई।
'एनबीटी' ने किराया वृद्धि को लेकर सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए थे। विशेषज्ञों की यह राय है कि अगर ये कमिटी पहले बना दी गई होती तो मेट्रो का किराया बढ़ाना इतना आसान नहीं होता। ताजा तथ्य ये उभरे हैं कि कम से कम दो बार महाराष्ट्र सरकार ने इस किराया समिति के लिए नाम भेजे थे। मगर केंद्र सरकार ने इस बारे में निर्णय ही नहीं किया। पहले सुबोध कुमार का नाम महाराष्ट्र सरकार ने इस कमिटी की अध्यक्षता के लिए भेजा था। मगर यह प्रस्ताव प्रलंबित पड़ा रहा। फिर केंद्र की नई बीजेपी सरकार को यह नाम पसंद नहीं आया। इसके बाद, दूसरी बार मुख्य सचिव रहे जयंत बांठिया का नाम कमिटी की अध्यक्षता के लिए भेजे जाने की खबर है। इस नियुक्ति पर भी दिल्ली ने किसी तरह की खास रुचि नहीं दिखाई।
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