केंद्रीय मंत्री रह चुके मिलिंद देवड़ा मुंबई कांग्रेस के अगले
अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की शर्मनाक हार
के बाद से ही मुंबई और महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष बदले जाने की चर्चा चल रही थी।
सूत्रों के अनुसार, विधायक
आरिफ नसीम खान, पूर्व
सांसदों संजय निरुपम और एकनाथ गायकवाड़ के नाम इस पद के लिए जा रहे थे। बताया जाता
है कि कि खान का नाम इस पद के लिए लगभग निश्चित किया जा चुका था। अब चर्चा है कि
खान ने पद लेने से इनकार करते हुए मिलिंद देवड़ा का नाम आगे बढ़ा दिया था।
मिलिंद के दिवंगत पिता मुरली
देवड़ा ने मुंबई अध्यक्ष के तौर पर 24 वर्षों की रेकॉर्ड पारी पूरी की
थी। सीनियर देवड़ा की मृत्यु के बाद 'जूनियर' देवड़ा का नाम इसी पद के लिए
उबरना इत्तेफाक से कम नहीं है। मुंबई कांग्रेस की राजनीति पिछले कुछ दशकों से
देवड़ा गुट और देवड़ा-विरोधी गुट की धुरियों पर बंटी रही है। कांग्रेस के केंद्रीय
महासचिव गुरुदास कामत पिछले दो दशकों से देवड़ा-विरोधी गुट का नेतृत्व करते रहे
हैं। बहरहाल, सीनियर
देवड़ा की लंबी पारी के बाद से यह पद बारी-बारी दोनों गुटों में बांटा जाता रहा है।
देवड़ा के बाद कामत ने खुद मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद संभाला। फिर देवड़ा गुट के समर्थन से कृपाशंकर सिंह और उनके बाद कामत गुट के समर्थन से मौजूदा अध्यक्ष जनार्दन चांदूरकर इस पद पर आसीन हुए। वैसे, बीच में इन दोनों गुटों की परिधि के बाहर प्रिया दत्त, कृपाशंकर और निरुपम ने अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाने का प्रयास किया। मगर रस्साकशी में लगभग सभी छोटे गुट बड़ी विभाजन रेखा में किसी एक तरफ का पल्ला पकड़ने को मजबूर हो गए।
देवड़ा के बाद कामत ने खुद मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद संभाला। फिर देवड़ा गुट के समर्थन से कृपाशंकर सिंह और उनके बाद कामत गुट के समर्थन से मौजूदा अध्यक्ष जनार्दन चांदूरकर इस पद पर आसीन हुए। वैसे, बीच में इन दोनों गुटों की परिधि के बाहर प्रिया दत्त, कृपाशंकर और निरुपम ने अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाने का प्रयास किया। मगर रस्साकशी में लगभग सभी छोटे गुट बड़ी विभाजन रेखा में किसी एक तरफ का पल्ला पकड़ने को मजबूर हो गए।
एक आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि कामत
के अध्यक्ष पद के कार्यकाल में बनाए गए पदाधिकारी बदले नहीं गए है। कृपाशंकर को
पुरानी लिस्ट को छुए बिना दो-चार पदाधिकारी जोड़ने का मौका मिला। चर्चा है कि
मौजूदा अध्यक्ष चांदूरकर को तो यह मौका भी नसीब नहीं हुआ। मुंबई कांग्रेस मुख्यालय
'राजीव
गांधी सदन' में खुले
आम ही यह चर्चा है कि अधिकांश पदाधिकारी पिछले कुछ महीनों से इस दिशा में फिरके तक
नहीं है। कामत की 'कोर टीम' ही अकेले दम पर कार्यालय का
रोजमर्रा का कामकाज संभाले हुए है। कामत गुट के नेतृत्व में बुधवार को आजाद मैदान
में हुए प्रदर्शन को उनका 'व्यक्तिगत
शक्ति प्रदर्शन' ठहराते हुए
देवड़ा गुट और फिलहाल उनके साथ जुड़े गुटों के बड़े नेता शामिल नहीं हुए।
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