बॉम्बे हाई कोर्ट ने वरिष्ठ
नागरिकों के लिए लोकल ट्रेनों में सीटें आरक्षित रखने का आदेश दिया है। लोकल
ट्रेनों में भीड़ ज्यादा होने के कारण उन्हें कई घंटे ट्रेनों में खड़े होकर सफर
करना पड़ता है।
कोर्ट ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए हर लोकल ट्रेन में 14 सीटें रिजर्व रखने का आदेश दिया है, जिस पर 15 अप्रैल से अमल करना होगा। कोर्ट ने रेलवे अधिकारियों से यह भी कहा है कि वे यह सुनिश्चित करें कि रिजर्व की हुई सीटें केवल वरिष्ठ नागरिकों के लिए ही उपयोग हों।
कोर्ट ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए हर लोकल ट्रेन में 14 सीटें रिजर्व रखने का आदेश दिया है, जिस पर 15 अप्रैल से अमल करना होगा। कोर्ट ने रेलवे अधिकारियों से यह भी कहा है कि वे यह सुनिश्चित करें कि रिजर्व की हुई सीटें केवल वरिष्ठ नागरिकों के लिए ही उपयोग हों।
गौरतलब है कि लोकल ट्रेनों में महिलाओं के लिए अलग डिब्बे
होते हैं और अपंग यात्रियों के लिए भी अलग डिब्बा होता है लेकिन वरिष्ठ नागरिक के
लिए दोपहर में कुछ सीटें रिजर्व होती हैं। जबकि ज्यादा परेशानी पीक टाइम में होती
हैं। हालांकि कई भले पैसेंजर अपने पास किसी सीनियर सिटीजन के खड़े होने पर अपनी
सीट दे देते हैं लेकिन यह हर बार संभव नहीं होता है।
न्यायाधीश अभय ओक ने कहा कि द्वितीय श्रेणी डिब्बे में उनके लिए कुछ सीटें रिजर्व होती हैं लेकिन यह देखा गया है कि उनका उपयोग वे नहीं कर पाते। उन्होंने यह भी कहा कि सीटों पर साफ-साफ लिखा होना चाहिए कि वे सीनियर सिटीजन के लिए हैं। कोर्ट को यह निर्णय स्वतंत्रता सैनानी और सीनियर सिटीजन ए. बी. ठक्कर की याचिका पर देना पड़ा है।
न्यायाधीश अभय ओक ने कहा कि द्वितीय श्रेणी डिब्बे में उनके लिए कुछ सीटें रिजर्व होती हैं लेकिन यह देखा गया है कि उनका उपयोग वे नहीं कर पाते। उन्होंने यह भी कहा कि सीटों पर साफ-साफ लिखा होना चाहिए कि वे सीनियर सिटीजन के लिए हैं। कोर्ट को यह निर्णय स्वतंत्रता सैनानी और सीनियर सिटीजन ए. बी. ठक्कर की याचिका पर देना पड़ा है।
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