नोबेल
पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने खुलकर तो नहीं लेकिन इशारों इशारों में पीएम मोदी की
तारीफ की है। 102वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस से इतर उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि देश
अभी सक्षम हाथों में है।
शांति का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सत्यार्थी ने कहा कि वह भारत की युवा वैज्ञानिक प्रतिभाओं से प्रभावित हैं और इस बात को मानते हैं कि देश सक्षम हाथों में है। उन्होंने कहा, 'विज्ञान और प्रौद्योगिकी का महत्व बढ़ रहा है तथा समय की जरूरत है कि इससे गरीबी में जीवन बिता रहे बच्चों की मदद की जाए।' गरीबी में जीवन बिता रहे बच्चों को परेशानियों से निकालने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में मानव संपर्क सतही रह गया है। सत्यार्थी ने कहा, 'विज्ञान, ज्ञान का सबसे शुद्ध रूप है और ज्ञान सार्वभौमिक है। डिजिटल विषमता और असमानता बढ़ रही है। डिजिटल संपर्क के युग में हम मानवीय संपर्क तथा एक दूसरे के प्रति दया और सम्मान की भावना खो रहे हैं। डिजिटल युग में मानव संपर्क सतही रह गया है।'
सत्यार्थी ने बच्चों की शिक्षा में निवेश बढ़ाने की जरूरत बताते हुए कहा, 'दुनिया में 17 करोड़ से ज्यादा बाल श्रमिक हैं। छह करोड़ बच्चे कभी स्कूल नहीं गए तो15 करोड़ बच्चों ने प्राइमरी स्कूल के बाद पढ़ाई नहीं की।' उन्होंने कहा, 'हम मंगल के बारे में संभवत: सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान कर रहे हो सकते हैं लेकिन अब भी लाखों बच्चे हैं जिन्हें पशुओं से कम दाम पर खरीदा और बेचा जाता है।'
शांति का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सत्यार्थी ने कहा कि वह भारत की युवा वैज्ञानिक प्रतिभाओं से प्रभावित हैं और इस बात को मानते हैं कि देश सक्षम हाथों में है। उन्होंने कहा, 'विज्ञान और प्रौद्योगिकी का महत्व बढ़ रहा है तथा समय की जरूरत है कि इससे गरीबी में जीवन बिता रहे बच्चों की मदद की जाए।' गरीबी में जीवन बिता रहे बच्चों को परेशानियों से निकालने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में मानव संपर्क सतही रह गया है। सत्यार्थी ने कहा, 'विज्ञान, ज्ञान का सबसे शुद्ध रूप है और ज्ञान सार्वभौमिक है। डिजिटल विषमता और असमानता बढ़ रही है। डिजिटल संपर्क के युग में हम मानवीय संपर्क तथा एक दूसरे के प्रति दया और सम्मान की भावना खो रहे हैं। डिजिटल युग में मानव संपर्क सतही रह गया है।'
सत्यार्थी ने बच्चों की शिक्षा में निवेश बढ़ाने की जरूरत बताते हुए कहा, 'दुनिया में 17 करोड़ से ज्यादा बाल श्रमिक हैं। छह करोड़ बच्चे कभी स्कूल नहीं गए तो15 करोड़ बच्चों ने प्राइमरी स्कूल के बाद पढ़ाई नहीं की।' उन्होंने कहा, 'हम मंगल के बारे में संभवत: सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान कर रहे हो सकते हैं लेकिन अब भी लाखों बच्चे हैं जिन्हें पशुओं से कम दाम पर खरीदा और बेचा जाता है।'
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