Thursday, April 29, 2010

'फादर बांबूजा' वसई के बाभोला स्थित अपने आश्रम में मृत

वसई के बाभोला स्थित अपने आश्रम में व्यसन मुक्ति का अभ्यासक्रम चलाने वाले फादर पीटर बारबोज, जिन्हें लोग 'फादर बांबूजा' के नाम से जानते थे, गुरुवार की सुबह आश्रम स्थित अपने आवास पर मृत पाए गए। बुधवार की रात उनकी बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी गई। 72 साल के फादर का पूरा शरीर तेज धार वाली कैंची और चाकुओं से गुदा था। कैंची का आखिरी वार उनके खुले मुंह में किया गया था, जो उनके गले से बाहर निकल आया था। हत्या की कोई वजह फिलहाल किसी की समझ में नहीं आ रही है, क्योंकि उनकी किसी से दुश्मनी का किसी को अंदेशा नहीं है। हां, आसपास के लोगों ने दबे स्वर में यह कहा कि जिस प्लॉट पर उन्होंने अपना आश्रम बनाया था, उस पर बिल्डर लॉबी की नजर थी, पर फादर किसी भी कीमत पर वह जगह छोड़ने को तैयार नहीं थे। फादर पीटर वसई के कोली समाज से थे और जड़ी-बूटियों तथा विभिन्न वानस्पतिक औषधियों के अच्छे जानकार थे। अपनी दवाओं से लोगों की शराब की लत छुड़ाने लिए वे पूरे ठाणे जिले में प्रसिद्ध थे। इसके अलावा मधुमेह के रोगियों में भी उनकी अच्छी पकड़ थी। फादर का काम करने का तरीका यहां के कैथलिक समाज को मान्य नहीं था, अत: वे आमतौर पर एकाकी जीवन बिताते थे। उनकी छवि एक धर्मनिरपेक्ष इनसान की थी और इसलिए उनके पास आने वालों में सभी धर्म के लोग शामिल थे। बाभोला नाका से गिरीज की ओर जाने वाले रास्ते पर सड़क के किनारे उनका आश्रम था, जो पहले सिर्फ बांस से बना हुआ था। इसी वजह से वे फादर बांबूजा के नाम से जाने जाते थे। अब वहां एक दो मंजिला बंगला बना है। अमूमन वे रात के आठ बजे अपने बंगले के ग्रिल में ताला लगा कर पहले मंजिल पर बने अपने कमरे में चले जाते थे। देर रात तक प्रार्थना और फिर विभिन्न तरह की चिकित्सा संबंधी पुस्तकों का अध्ययन करना उनकी हॉबी थी। अगर कोई देर रात उनसे मिलने आता, तो वे स्वयं नीचे आ कर उसे अपने साथ ले जाते थे। रात में आने वाले प्राय: उनके मरीज हुआ करते थे। उनके आश्रम के पास सड़क के किनारे बनी हैं कुछ दुकानें जहां मार्बल, टाइल्स और बिल्डिंग निर्माण से जुड़ी चीजें बिकती हैं। ये दुकानें रात 10 बजे तक बंद हो जाती हैं। फिर पूरा इलाका सुनसान हो जाता है। उस रात कौन फादर से मिलने आया था, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। फादर घटना के वक्त चीखे-चिल्लाए होंगे, जिसे सुनने वाला कोई नहीं था। उस जगह दीवार पर कई जगह फादर के खून सने पंजे के निशान मिले, जिससे लगता है कि उन्होंने बचने के लिए दीवार का सहारा लिया होगा।

Sunday, April 25, 2010

लोकल ट्रेनों के आकर लोगों की जीवन लीला चुटकियों में समाप्त

तारीख: 27 जून 2007। समय: सुबह 7.53 मिनट। स्थान: भाईंदर स्टेशन। अंधेरी जाने के लिए 27 साल के नव-विवाहित चंदन मिश्रा स्टेशन पर धक्का-मुक्की के बीच ट्रेन में चढ़ने की जद्दोजहद करता है। भीड़ के मारे वह घुस नहीं पाता है। कुछ ही पल बाद वो प्लैटफार्म के आगे गिरा हुआ मिलता है। घायल अवस्था में पड़ा चंदन आते-जाते लोगों से कराहते हुए याचना करता है कि कोई उसे अस्पताल पहुंचा दे, मगर कोई नहीं सुनता है। वहां से जब 8.25 की लोकल गुजरी तो मोटरमैन ने ट्रेन रोकी और उससे चंदन को बोरिवली स्टेशन ले जाया गया। बताने वाले बताते हैं कि बोरिवली स्टेशन पर लिखा-पढ़ी करने में इतनी देरी कर दी गई कि चंदन भगवती अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ चुका था। चंदन तो बस एक उदाहरण मात्र है कि किस तरह से यहां लोकल ट्रेनों के आकर लोगों की जीवन लीला चुटकियों में समाप्त होती जा रही है। इसकी वजह क्या है, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, मगर जो सबसे बड़ा कारण यह है कि अपना एक-दो मिनट बचाने के चक्कर के में यात्री या तो ट्रैक क्रास करने लगते हैं या फिर ट्रेनों की छत पर चढ़ जाते हैं। दोनों ही परिस्थितियों में भुगतना यात्रियों को ही पड़ता है। सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे यानी कि सीएसटी से लेकर खोपोली-पनवेल-कर्जत-कसारा और चर्चगेट से लेकर विरार तक दौड़ने वाली लाइफलाइन पर कुल मिलाकर रोजाना 5 लोग ऑफिशली कट जाते हैं। जबकि एक अनुमान के मुताबिक यह संख्या 10 तक है। इनमें से अधिकांश मर जाते हैं या फिर जीवन भर के लिए अपाहिज हो जा रहे हैं। यूं तो रेलवे ऐसे यात्रियों को जागरूक बनाने के लिए समय-समय पर अभियान चलाती रहती है, मगर ट्रेसपासिंग की घटनाएं हैं कि रुकने का नाम नहीं लेती हैं। लोकल ट्रेनों की चपेट में आकर साल-दर-साल मरने और घायल होने वालों का ब्यौरा हमने चार्ट के माध्यम से समझाने की कोशिश की है। हालांकि ये तथ्य जानकर आपको हैरानी हो सकती है कि ट्रैक से कटकर मरने वालों में दिल्ली शहर के सबसे ज्यादा लोग हैं बावजूद इसके कि उस शहर का सबर्बन नेटवर्क मुम्बई की अपेक्षा काफी छोटा है। दिल्ली में रोजाना औसतन 12 लोग सबर्बन रेलवे की चपेट में आकर या ते दम तोड़ देते हैं या अपाहिज हो जाते हैं। आरटीआई से प्राप्त आंकड़ों से पता चला है कि 5 सालों में (2004 से 2008 तक) 18,768 लोग लोकल ट्रेनों से कटकर मरे जबकि दिल्ली में 21,137 लोग कटकर मर गए। दिल्ली में ज्यादा होने वाली घटनाओं के बारे में जानकारों का कहना है कि वहां पटरियों के आसपास एनक्रोचमेंट, जन-जागरुकता की कमी और ठंड में कुहासों की मौजूदगी ऐसी घटनाओं का कारण बनती हैं। जबकि मुम्बई में रेलमपेल गदीर् और यात्रियों द्वारा अपना एक-दो मिनट बचाने के लिए ट्रैक-क्रॉस करना, बड़ी वजह बताई जाती है। यही नहीं, इससे बड़ा अचरजकारी तथ्य यह है कि इसमें से कटकर मर जाने वालों में से कई लोगों को लावारिस मानकर उन्हें या तो दफना दिया जाता है या उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। क्योंकि उनकी लाशों को क्लेम करने वाला कोई आगे नहीं आ पाता। खुद जीआरपी से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि करीब 38 प्रतिशत लाशों को क्लेम करने कोई नहीं आ पाता। मसलन साल 2008 में 3,782 लोग लोकल के चलते विभिन्न कारणों से मरे, मगर उनमें से 1,434 लाशों का कोई वारिस आगे नहीं आया। इसके बारे में जीआरपी यही कहती आई है कि ज्यादातर यात्रियों का कोई पहचान नहीं होता और कई दफा शव इतनी बुरी तरह से क्षत-विक्षत हो जाता है कि उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है, ऐसे में मरने वाले के कपड़े और साजो-सामान ही पहचानने की मुख्य वजह बनती हैं। इनमें से ज्यादातर लोग या तो कचरा बीनने वाले होते हैं या फिर भिखारी। हालांकि लाशों को पहचानने के लिए उन्हें तीन महीने तक मुर्दाघर में रखा जाता है और इस अवधि तक कोई क्लेम करने को नहीं आता है तो हम उसका अंतिम संस्कार कर देते हैं। यह पूछने पर कि अंतिम संस्कार आप कैसे करते हैं, जीआरपी के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि अक्सर हम मरने वाले के शरीर और मुख्यतया उनके गुप्तांगों का सहारा लेते हैं।

Thursday, April 15, 2010

सभी गांवों व शहरों में पानी की किल्लत नहीं होने देंगे

मंगलवार को विधान परिषद में जल आपूर्ति राज्य मंत्री रणजीत काम्बले ने घोषणा किया कि महाराष्ट्र के सभी गांवों व शहरों में पानी की किल्लत नहीं होने देंगे और इसके लिए सरकार ने मास्टर प्लान तैयार किया है। उन्होंने कहा कि 15 जुलाई तक मुम्बई के लोगों के लिए पीने का पानी उपलब्ध है और मुम्बई के पानी की पाइपों पर बसें 15 हजार 790 झोपड़ों को 2013 तक शिफ्ट कर दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि मुम्बई की सभी पुरानी पाइप लाइनों को बदल दिया जाएगा। एनसीपी के सदस्य गुरुनाथ कुलकर्णी ने महाराष्ट्र व मुम्बई में पानी किल्लत की समस्या उठाई। उन्होंने कहा कि राज्य में सबसे ज्यादा बारिश कोकण में होती है जबकि वहां पर सिंचाई के मात्र सात फीसदी सुविधा ही उपलब्ध है। इन दिनों कोकण का पूरा क्षेत्र की पानी की किल्लत से जूझ रहा है। पानी के इस विषय पर दूसरे अन्य सदस्यों ने भी उठाया।

Tuesday, April 13, 2010

राज कपूर सम्मान शाहरुख खान को दिए जाने की खबर गलत


मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार का प्रतिष्ठित राज कपूर सम्मान अभिनेता शाहरुख खान को दिए जाने की खबर गलत है। ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है। विधानसभा में सोमवार को बीजेपी सदस्य देवेंद्र फडणवीस ने सम्मान का मुद्दा उठाया था। उनका तर्क था कि शाहरुख भले ही अच्छे अभिनेता हों, मगर ये सम्मान मराठी कलाकारों को दिया जाना चाहिए। उन्होंने दलील दी कि 'जोगवा' जैसे मराठी फिल्म को पांच-पांच राष्ट्रीय एवार्ड मिले हैं। वहीं, 'मी शिवाजी राजे बोलतोय' और 'नटरंग' जैसी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की है। मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करते हुए साफ किया कि सरकार वैसे भी इन पुरस्कारों का फैसला नहीं करती। इसके लिए अलग से समिति है, जो सम्मान के बारे में प्रस्ताव सरकार को भेजती है। फिलहाल, सरकार को ऐसा कोई प्रस्ताव मिला ही नहीं है। कुछ चैनलों ने शाहरुख को सम्मान दिए जाने की खबर चलाई, मगर इसमें सत्यता नहीं है। महाराष्ट्र सरकार हर साल हिन्दी सिनेमा में श्रेष्ठ योगदान के लिए राज कपूर सम्मान और मराठी सिनेमा में श्रेष्ठ योगदान के लिए वी. शांताराम सम्मान फिल्मी दुनिया की हस्तियों को प्रदान करती है।

Wednesday, April 7, 2010

लोक शक्ति एक्सप्रेस के खाली डिब्बे में बलात्कार

धार्मिक यात्रा पर दिल्ली से मुम्बई आई एक युवती के साथ दो लोगों ने बांद्रा टर्मिनस पर खड़ी लोक शक्ति एक्सप्रेस के खाली डिब्बे में बलात्कार किया। पीड़ित युवती के बयान के आधार पर जीआरपी ने शब्बीर हुसैन और इमरान खान को गिरफ्तार कर लोकल कोर्ट में पेश किया, जिसके बाद दोनों को 17 अप्रैल तक कोर्ट ने पुलिस हिरासत में भेज दिया। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक 19 वर्षीय यह युवती हाजी अली के दर्शन करने के इरादे से शुक्रवार को मुम्बई आई थी। दरगाह से लौटने के बाद उसने अपने दोस्त के बगैर अकेले ही शनिवार की सुबह दिल्ली लौटने का फैसला किया। जब वह बांद्रा टर्मिनस पर ट्रेन का इंतजार कर रही थी, तब दोनों आरोपी उसके पास आए और उससे दोस्ती कर ली। दोनों ने उसे नाश्ता कराने के बाद टर्मिनस पर खड़ी लोकशक्ति एक्सप्रेस के खाली डिब्बे में ले गए, जहां बारी-बारी से उसके साथ बलात्कार किया। घटना के बाद युवती ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस की टीम युवती के साथ टर्मिनस पहुंची तथा दोनों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया। शब्बीर और इमरान बांद्रा पाइपलाइन स्लम के रहने वाले हैं।

Tuesday, April 6, 2010

महाराष्ट्र के 450 से अधिक सरकारी डॉक्टर सोमवार को दो दिवसीय सामूहिक अवकाश पर

ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानांतरण और अपने पदों के उन्मूलन के मुद्दे पर महाराष्ट्र के 450 से अधिक सरकारी डॉक्टर सोमवार को दो दिवसीय सामूहिक अवकाश पर चले गए। इस बाबत महाराष्ट्र स्टेट गजटेड मेडिकल ऑफिसर्स ऑर्गनाइजेशन (एमएजीएमओ) के अध्यक्ष डॉ. महादेव चिंचोले ने बताया कि हमारी मांगों में डाइरेक्टोरेट ऑफ हेल्थ सविर्सेज (डीएचएस) के तहत पदों का उन्मूलन करने तथा रिक्तियों को सीधी भतीर् आदि शामिल है। उनका कहना है कि हमारा विरोध ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानांतरण को लेकर नहीं है, बल्कि हम सभी क्षेत्रों में रिक्त पदों पर भर्तियां चाहते हैं, क्योंकि यदि डॉक्टरों का स्थानांतरण ग्रामीण क्षेत्रों में कर काम चलाया जाने लगा, तो नए पदों पर भर्तियों का रास्ता बाधित हो जाएगा।

महाराष्ट्र के 450 से अधिक सरकारी डॉक्टर सोमवार को दो दिवसीय सामूहिक अवकाश पर

ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानांतरण और अपने पदों के उन्मूलन के मुद्दे पर महाराष्ट्र के 450 से अधिक सरकारी डॉक्टर सोमवार को दो दिवसीय सामूहिक अवकाश पर चले गए। इस बाबत महाराष्ट्र स्टेट गजटेड मेडिकल ऑफिसर्स ऑर्गनाइजेशन (एमएजीएमओ) के अध्यक्ष डॉ. महादेव चिंचोले ने बताया कि हमारी मांगों में डाइरेक्टोरेट ऑफ हेल्थ सविर्सेज (डीएचएस) के तहत पदों का उन्मूलन करने तथा रिक्तियों को सीधी भतीर् आदि शामिल है। उनका कहना है कि हमारा विरोध ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानांतरण को लेकर नहीं है, बल्कि हम सभी क्षेत्रों में रिक्त पदों पर भर्तियां चाहते हैं, क्योंकि यदि डॉक्टरों का स्थानांतरण ग्रामीण क्षेत्रों में कर काम चलाया जाने लगा, तो नए पदों पर भर्तियों का रास्ता बाधित हो जाएगा।