Tuesday, November 30, 2010

एंटिलिया ' का नाम बदल कर आनंदम

दुनिया के सबसे महंगे घर ' एंटिलिया ' का नाम बदल कर आनंदम हो सकता है। इस संभावना का खुलासा 25 नवंबर को नए घर में मुकेश और नीता अंबानी द्वारा दी गई पार्टी के बाद हुआ। एंटिलिया में दी गई पार्टी में कॉरपोरेट वर्ल्ड के अलावा समाज और सिनेमा की कई जानी मानी हस्तियों को आमंत्रित किया गया था। अल्टामाउंट रोड पर स्थित अंबानी एडोब के बारे में कहा जा रहा है कि आने वाले समय में लैंडमार्क भरे इस शहर को इस अद्वितीय लैंडमार्क के लिए दुनिया भर में जाना जाएगा। इस 27 मंजिला स्टेटमेंट आर्किटेक्चर में टॉप फ्लोर पर हैलीपैड की जगह को लॉन में तब्दील करने की योजना है। लोग तो इसे 21वीं सदी का ताजमहल तक कह रहे हैं। इस नायाब नमूने में सब कुछ स्वप्निल है। ग्राउंड फ्लोर पर श्री कृष्ण मंदिर को जगह दी गई है। टॉप फ्लोर पर 19 अप्रैल 1957 को जन्मे मुकेश ने अपने लिए लाइब्रेरी बनवाई है। मां कोकिला बेन को पूरा का पूरा एक फ्लोर दिया गया है। 25 तारीख की पार्टी को मीडिया से बचाने के लिए जानबूझ कर गुप्त रखा गया। पार्टी प्योर वेजिटेरियन थी। खिलाड़ियों के बीच से मुंबई इंडियन के कैप्टन सचिन और उनकी पत्नी के अलावा बॉलिवुड से शेखर कपूर, प्रीति जिंटा, आमिर खान, करण जौहर और विधू विनोद चोपड़ा आदि आमंत्रित थे। पेंटरों की दुनिया से फैमिली के साथ सतीश गुजराल तो थे ही, सुबोध गुप्ता, अतुल और अनुज दोहिया आदि थे। कॉरपोरेट वर्ल्ड से दीपक पारेख, कुमारमंगलम बिड़ला, आनंद महिन्द्रा, गौतम सिंघानिया, परमेश्वर गोदरेज ने पल पल का मजा लिया। डिनर में मां कोकिला बेन भी सीधे अनिल अंबानी की पार्टी से पहुंची थीं। मुकेश फिलहाल दुनिया के सबसे चौथे अमीर हैं। फोर्ब्स का फोरकास्ट है कि 2014 में यह दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति होंगे।

Monday, November 22, 2010

आंदोलन कई मायनों में खुद यात्रियों को काफी परेशानी दे गया।

कहने को भले से ही रविवार को विक्रोली स्टेशन पर किया गया आंदोलन स्वत: प्रेरित रहा हो और इसकी भूमिका में रेल प्रशासन की इस स्टेशन के प्रति उपेक्षा रही हो, मगर इसका दूसरा सच यह भी है कि यह आंदोलन कई मायनों में खुद यात्रियों को काफी परेशानी दे गया। चूंकि रविवार बाकी दिनों से इतर अपने नाते-रिश्तेदारों के यहां अपने परिवार के साथ घूमने फिरने का दिन था, सो सभी लोग जब अपने घरों के बाहर अपने परिवार के साथ निकले थे तो उन्होंने सोचा नहीं था कि उनकी आज की यात्रा आंदोलन में चौपट हो जाएगी। एम. व्यंकटेशन जैसे ही कल्याण जाने के लिए अपना कूपन पंच कर 10 साल के बेटे के साथ प्लेटफॉर्म नं. 1 पर बढ़ीं तो उन्हें नारेबाजी की आवाज सुनाई दी। इससे पहले वो कुछ समझ पातीं, उन्होंने देखा कि दूसरे प्लेटफॉर्म पर कई लोग मोटरमैन की केबिन के ऊपर चढ़ गए हैं। रेल प्रशासन मुर्दाबाद के नारों और भीड़ के मनोविज्ञान ने श्रीमती व्यंकटेशन के शक को बहुत जल्द ही यकीन में बदल दिया। पहले तो एक घंटे तक उन्होंने इंतजार किया, फिर कोई रास्ता न सूझा तो उन्होंने टिकट खिड़की पर अपना कूपन (टिकट) रद्द कर पैसा वापस लेने का फैसला किया। उन्हें यहां भी निराशा ही हाथ लगी जब उन्हें टका सा जवाब मिला कि कूपन के पैसे वापस नहीं किए जाते। इस संवाददाता के माध्यम से उन्होंने रेलवे से सवाल पूछा कि ऐसी सूरत में रेलवे टिकट के रिफंड की व्यवस्था क्यों नहीं करती। दरअसल, ऐसे आंदोलनों का असली साइड इफेक्ट ऐसा ही होता है। रविवार की अपराह्न जब लोगों को समझा-बुझाकर आंदोलन खत्म कराया गया तो इसका असर रेल सेवाओं पर पड़ा। लोकल ट्रेनों के ऑपरेशन में बंचिंग की समस्या आ गई और एक के पीछे एक लोकल की सर्पाकार लंबी लाइन लग गई। शाम सवा चार बजे विक्रोली से छूटी लोकल सीएसटी 6.30 बजे पहुंची। इस दरमियान हर स्टेशनों के बाहर लोगों का जमावड़ा लग गया। रिक्शा और टैक्सी वालों की बादशाहत दिखने लगी। बेस्ट की बसों पर ऐक्स्ट्रा बोझ आ गया। कईयों ने मीलों पटरियों पर ही अपना रास्ता पूरा किया। सबसे ज्यादा मुसीबत गर्भवती महिलाओं को हुई जिन्हें भीड़ से बचने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। ट्रेन में फंसी ऐसी महिलाओं की मानों सांस ही अटक गई थी। आंदोलन का स्पॉट बने विक्रोली पर महिला यात्रियों को भारी भीड़ के बीच ईस्ट से वेस्ट आने और वेस्ट से ईस्ट जाने में मानो अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ा। हमारा सिस्टम ऐसे क्राइसिस मैनेजमेंट से निबटने का आदी नहीं है, सो रविवार को भीड़ का 'जंगलराज' देखा गया। ऐसे आंदोलन में नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यही सिलसिला रविवार को भी देखा गया। घाटकोपर से मनसे विधायक राम कदम तो ट्रैक के बीचोबीच बैठकर अपने समर्थकों के साथ नारेबाजी करने लगे। खबर लगते एनसीपी के स्थानीय सांसद संजय दीना पाटील पहुंचे तो स्थानीय नगरसेवक ताउजी गोरुले भी अपने दल-बल के साथ आंदोलनकारियों का नेतृत्व करते दिखे। हाल ही में मध्य रेल के एनआरयूसीसी मेंबर चुने गए रेल कार्यकर्ता सुभाष गुप्ता कहते हैं कि विक्रोली के इस जनांदोलन को एक 'वेक-कप कॉल' के तौर पर लिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि अभी हाल में संपन्न जेडआरयूसीसी की मीटिंग में मैनें इस स्टेशन की बदहाली का मुद्दा उठाया था जिस पर ध्यान देते हुए जीएम ने इस स्टेशन पर विशेष नजर रखने का आश्वासन दिया था। रेलवे बोर्ड को जनता की परेशानियों को पहुंचाने वाले श्री गुप्ता का सुझाव था कि अब वक्त आ गया है कि रेलवे वादे करना बंद करे और काम करना चालू करे। वादे बंद करने और काम चालू करने का ही नारा इससे पहले घंटो विक्रोली स्टेशन पर लगाया गया था।

Friday, November 19, 2010

राज्यसभा चुनाव के दौरान यहां एक फ्लैट के स्वामित्व की जानकारी नहीं देकर कानून का उल्लंघन

हाई कोर्ट में शुक्रवार को दाखिल की गई एक जनहित याचिका नए मुख्यमंत्री के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने राज्यसभा चुनाव के दौरान यहां एक फ्लैट के स्वामित्व की जानकारी नहीं देकर कानून का उल्लंघन किया है। जनहित याचिका में आरोप है कि चव्हाण के पास वडाला में वीनस कापरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में एक फ्लैट है, जिसका निर्माण अजमेरा बिल्डर्स ने आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्गों के लिए कराया था। भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष कर रहे संगठन 'राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी जन शक्ति' के अध्यक्ष हेमंत पाटिल ने जनहित याचिका दाखिल की है जिसमें कहा गया है कि चव्हाण ने इस फ्लैट का स्वामित्व हासिल करते वक्त जो दस्तावेज दिए थे वे दिखाते हैं कि वह आर्थिक तौर पर पिछड़े थे और वार्षिक आय 76 हजार रुपए थी। पीआईएल में यह आरोप भी है कि चव्हाण ने राज्यसभा चुनावों के समय उम्मीदवार के तौर पर जब पर्चा भरा उसके साथ अपनी संपत्ति की घोषणा करते समय फ्लैट के मालिक होने की जानकारी छिपा गए। जनहित याचिका कहती है, 'इस तरह कांग्रेस नेता ने जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 के प्रावधानों के अनुसार तय आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन किया।' इसमें कहा गया है कि चव्हाण ने यह भी झूठी घोषणा की थी कि वह आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। आरोप है कि इस तरह का रुख अपनाकर उन्होंने आईपीसी के तहत दंडनीय अपराध किया है। याचिका पर अभी सुनवाई होनी है जिसमें मुख्यमंत्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है। जनहित याचिका में यह मांग भी की गई है कि सुनवाई लंबित होने और अंतिम फैसला आने तक चव्हाण के किसी भी सरकारी पद पर बने रहने पर रोक लगाई जाए। पीआईएल में हाई कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि केंद्र और राज्य सरकारों को चव्हाण के खिलाफ कार्रवाई करने का और राज्यसभा में उनके चुनाव को खारिज करते हुए छह साल की अवधि के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का निर्देश दिया जाए। पीआईएल में यह मांग भी की गई है कि चुनाव आयोग को चव्हाण के खिलाफ जांच कराने और उनके खिलाफ लगाये गये आरोपों के संबंध में अदालत में एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाए। इस बीच मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि वे याचिकाकर्ता के आरोपों का जवाब अदातल में देंगे।

Wednesday, November 17, 2010

वह जिस भी क्राइम ब्रांच की यूनिट या पुलिस स्टेशन में प्रभारी बनकर गए, उसे चमाचम कर दिया।

जब कोई एलटीमार्ग पुलिस स्टेशन जाता है, तो उसकी खूबसूरती देखकर पहले-पहल तो उसे लगता है कि कहीं वह किसी कॉर्पोरेट हाउस तो नहीं आ गया है, लेकिन जब वह हकीकत जानता है, तो उसे विश्वास नहीं होता है कि वह किसी पुलिस स्टेशन में बैठा है। अरुण बोरूडे का यह शौक है कि वह जिस भी क्राइम ब्रांच की यूनिट या पुलिस स्टेशन में प्रभारी बनकर गए, उसे चमाचम कर दिया। पुलिस स्टेशन और क्राइम ब्रांच की इस चमक पर कई बार कुछ पुलिस कमिश्नर या मुंबई क्राइम ब्रांच चीफ तक फिदा हो गए और अन्य पुलिस स्टेशनों के सीनियर इंस्पेक्टरों से कह बैठे कि तुम खुद इस तरह से अपना पुलिस स्टेशन क्यों नहीं सुंदर रखते। लेकिन इस चमक के पीछे जो रिश्वत को पैसा लगा होता था, कभी किसी पुलिस कमिश्नर या क्राइम ब्रांच चीफ ने इस पर सवाल नहीं उठाया। अरुण बोरूडे के घमंड के अतीत और वर्तमान की कहानी इसी से जुड़ी हुई है। इस अधिकारी ने एक निहायत सज्जन अंग्रेजी पत्रकार को कुछ साल पहले उसी बिल्डिंग में थप्पड़ मार दिया था, जिस बिल्डिंग में बोरूडे का वर्तमान में घर है और जिस बिल्डिंग में उस पर नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार का आरोप लगा है। इस घमंडी पुलिस अधिकारी ने पिछले साल पहले सेंधमारी में गिरफ्तार कुछ आरोपियों की पूरे कालबादेवी इलाके में नंगे पैर और खुले सिर परेड कराई थी, जबकि नियम यह है कि बिना पहचान परेड के (जो जेल में होती है) किसी आरोपी की खुली सड़क पर परेड नहीं कराई जा सकती। यह मामला बाद में अदालत में गया। एक महिला पत्रकार को इसमें विटनेस भी बनाया गया, लेकिन पुलिस के आला अधिकारियों ने बोरूडे पर तब कोई कार्रवाई नहीं की। बोरूडे के लिए यह इशारा ही काफी था। उसके बाद बोरूडे ने ड्रंक्कन ड्राइविंग में नूरिया हवेलीवाला को पकड़ा, फिर उसे अलग-अलग जगह ले जाने से पहले उसका फोटो खींचने के लिए मीडिया को फोन कर दिया गया, ताकि किसी खास कारण से नूरिया और उसके परिवार पर दबाव पड़े। दबाव पड़ा भी और फिर दो महीने बाद इस आधार पर नूरिया जमानत पर छूट गई, क्योंकि अरुण बोरूडे ने निर्धारित 60 दिनों में उसके खिलाफ चार्जशीट ही दाखिल नहीं की। जब बोरूडे गिरफ्तार होंगे, तो इस बात की भी छानबीन होगी कि नूरिया के खिलाफ समय पर चार्जशीट दाखिल न करने के पीछे असली वजह क्या थी। अरुण बोरूडे इस बात के लिए काफी बदनाम रहे हैं कि वह किसी का काम करवाने के बदले में उससे गलत और कई बार अश्लील फेवर तक लेते हैं। कुछ साल पहले जब वह मुंबई क्राइम ब्रांच में थे, तो बॉलिवुड की एक नामी अभिनेत्री को किसी अंडरवर्ल्ड सरगना ने फोन किया। इस अभिनेत्री ने बोरूडे की मदद मांगी। क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के अनुसार बोरूडे ने मदद की भी, लेकिन बदले में उस अभिनेत्री से अश्लील फेवर लिया। बोरूडे 1983 के उस बैच के हैं, जिसे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का बैच माना जाता है। इसी बैच से विजय सालसकर भी जुड़े रहे और प्रदीप शर्मा व प्रफुल्ल भोंसले भी। इन तीनों अधिकारियों ने वाकई में एनकाउंटर किए भी, पर चूंकि बोरूडे ने प्रदीप शर्मा के साथ ज्यादातर समय काम किया, इसलिए उनके नाम के साथ भी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट शब्द जुड़ गया। प्रदीप शर्मा से अलग होने के बाद बोरूडे पहले अंधेरी की तेली गली क्राइम ब्रांच के और फिर पवई यूनिट के मुखिया बने। इसी पवई यूनिट ने उस ख्वाजा यूनुस को गिरफ्तार किया था, जिसके बारे में आरोप है कि बाद में उसका पुलिस हिरासत में मर्डर कर दिया गया। बोरूडे बड़े पुलिस अधिकारियों की मेहरबानी से उस केस में बच गए और रिवॉर्ड के तौर पर उन्हें एलटीमार्ग जैसा महत्वपूर्ण पुलिस स्टेशन भी मिल गया, लेकिन कहते हैं कि यदि आपने कोई पाप किया है, तो उसकी सजा आपको एक न एक दिन मिलेगी ही। हर अपराध से बचने वाले इस बर्खास्त अधिकारी के साथ आज यही हुआ है। शर्मनाक बात यह है कि जिस 15 साल की उम्र की लड़की के साथ बोरूडे ने रेप किया, उतनी ही उम्र की उनकी खुद की भी लड़की है। अपने बाप के इस घिनौने पाप की सजा उस बेचारी बेटी को भी आज मिल रही है।

Thursday, November 11, 2010

दिल्ली ने महाराष्ट्र पर पृथ्वी मिसाइल छोड़ी

महाराष्ट्र की राजनीति में हुए नाटकीय राजनीतिक परिवर्तन के दौरान कुछ नए जुमले और नए नारे गढ़े गए हैं। नए सीएम पृथ्वीराज चव्हाण के बारे में कहा गया कि दिल्ली ने महाराष्ट्र पर पृथ्वी मिसाइल छोड़ी है। यह कहा जा रहा है कि वह सरकार में फैले भ्रष्टाचार को हटाने आए हैं। चव्हाण के गृह क्षेत्र कराड़ में उन्हें 'बाबा' के नाम से पुकारा जाता है। ऐसे में कहा जा रहा है कि अब 'बाबा ' संभालेंगे महाराष्ट्र को। एनसीपी नेता और उपमुख्यमंत्री अजित दादा पवार अपने तल्ख तेवर और बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। कार्यकर्ता उन्हें प्यार से 'दादा' कहते हैं। उन्हें उपमुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाने के लिए उत्सुक समर्थकों ने बुधवार सुबह से ये नारे लगाना जारी रखा, 'एक ही वादा, अजित दादा', यह सुनकर एक पत्रकार ने आगे जोड़ा 'एक ही वादा, अजित दादा, मुख्यमंत्री आधा।' चव्हाण हिंदी बहुत अच्छी बोल लेते हैं, जबकि अजित ने अभी-अभी हिंदी बोलना शुरू किया है।