Thursday, September 30, 2010

पति को खोजने में पुलिस भी नाकाम साबित हुई तो आखिरकार पत्नी ने झाड़-फूंक करने वाले एक बाबा की शरण ली।

लगातार चार महीने से लापता पति को खोजने के बाद परेशान पत्नी ने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करा दी, पर जब उसके पति को खोजने में पुलिस भी नाकाम साबित हुई तो आखिरकार पत्नी ने झाड़-फूंक करने वाले एक बाबा की शरण ली। बाबा ने यह सुनते ही उस महिला को कहा कि तू तो पागल है, अरे तेरा पति तो कब का मर चुका है, वह वापस कहां से आएगा। अब तो उसकी मुक्ति के लिए तुम्हें उसका श्राद्ध करना पड़ेगा। महिला ने आंख मूंद कर बाबा की बात मान ली और 24 सितंबर को अपने माथे पर लगे कुमकुम को पोंछते हुए हिंदू धर्म की रीतियों के अनुसार पूरे विधि-विधान से अपने पति का श्राद्ध करा दिया। पर श्राद्ध के दो दिन के बाद जैसे चमत्कार ही हो गया। बाबा के दावे को झुठलाते हुए महिला का पति हाजिर हो गया। तब विधवा बन चुकी पत्नी को जितनी खुशी फिर से सुहागिन बनने में हुई उतना ही गुस्सा उसे ढोंगी बाबा पर भी आया। यह घटना ठाणे जिले के मुरबाड तालुका के साखेर-धारगांव की है। इस गांव का निवासी अनंता माहादू पवार कल्याण में नाका मजदूर का काम करता था। वहां उसे चौकीदारी की नौकरी मिली और उसे कहीं और जाकर ड्यूटी करनी पड़ी। चौकीदारी के काम में छुट्टी न मिलने से वह अपने घर से न तो संपर्क ही कर पाया और न किसी से संदेश ही दे पाया। इधर अचानक पति के गायब होने से उसकी पत्नी बुरी तरह से परेशान हो गई। तमाम खोज-बीन और पुलिस में शिकायत के बाद भी निराशा मिलने से अंतत: बाबा की सलाह पर गांव में अनंता पवार का श्राद्ध कर दिया गया। उधर चार महीनों से दूर रहे अनंता पवार ने अपनी नौकरी से छुट्टी ली और सीधे अपने घर आया। वह अपने साथ तीनों बेटों के लिए खिलौने और अन्य सामान भी ले आया था। उसके गांव में घुसते ही हंगामा हो गया। सभी ने उसे घेर लिया और उसका हाल-चाल लेने लगे। उसे स्वस्थ देखकर सबने राहत की सांस ली। अनंता ने देखा कि उसकी पत्नी की मांग बिना सिंदूर के है और तीनों बेटों ने मुंडन करा रखा था। घर में उसकी तस्वीर पर फूलों की माला चढ़ाई हुई थी। यह सब देखकर वह खुद भी परेशान हो गया। अपने पति को साक्षात अपने सामने पाकर पत्नी अपने पति के गले लगकर खूब रोई और फिर तुरंत खुश होकर अपने माथे पर फिर से कुमकुम लगा लिया। थोड़ी देर के बाद गांव वालों को ढोंगी बाबा रमेश मांगले की याद आई। वे मुरबाड गए और बाबा को पकड़कर गांव में ले आए और जमकर पिटाई की।

सरकार ने फैसले के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी

तीस सितंबर को आने वाले अयोध्या विवाद के फैसले के मद्देनजर देश की निगाहें पर लखनऊ पर गड़ गई हैं। सेंटर पॉइंट लखनऊ होने के कारण इसे यूपी की सीएम मायावती की अग्निपरीक्षा माना जा रहा है। सरकार ने फैसले के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी है। अयोध्या की तरह ही वेस्टर्न यूपी में लॉ एंड ऑर्डर पर नजर रखने के लिए मेरठ में एक प्लेन/हेलिकॉप्टर तैनात किया जा चुका है जबकि एक अन्य प्लेन/हेलिकॉप्टर ईस्ट यूपी के लिए रिजर्व है। जरूरत पड़ने पर लखनऊ में एयरफोर्स के प्लेन-हेलिकॉप्टर कुछ वक्त के भीतर उपलब्ध हो जाएंगे। इसी तरह 10 मिनट के नोटिस पर सुरक्षाबल कहीं भी पहुंच सकेंगे। इमरजेंसी प्लान के तहत नेपाल बॉर्डर सहित यूपी के एयर-रेल और रोड ट्रांसपोर्ट पर केंद्रीय और राज्य की खुफिया एजेंसियों की सीधी नजर होगी। मायावती को मालूम है कि अगर फैसला आने के बाद कानून-व्यवस्था से जुड़ी कोई समस्या पैदा होती है तो विपक्षी पाटिर्यां इसे तूल देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी। ऐसे में सरकार किसी तरह की कोताही बरतते नहीं दिखना चाहती। बंद रहेंगी वाइन शॉप : अयोध्या विवाद पर आने वाले फैसले के मद्देनजर प्रदेश में शराब की दुकानों को बंद रखने के निर्देश दिए गए हैं। किसी तरह की खुशी मनाने या आतिशबाजी करने पर भी रोक होगी। जहां तक मीडिया का सवाल है तो कलेक्ट्रेट परिसर में बनाए गए मीडिया सेंटर में ही अयोध्या केस से जुड़े पक्षकारों और वकीलों से बातचीत की जा सकेगी।

Saturday, September 18, 2010

मोरबे बांध लबालब

इस वर्ष लगातार हुई अच्छी बरसात से नवी मुंबई का खुद के स्वामित्व वाला मोरबे बांध लबालब हो गया है। अब मनपा क्षेत्र के सभी रहिवासियों को पूरे साल बिना किसी कटौती के लगातार पीने का पानी मिलता रहेगा। इस बांध की लंबाई 3250 मीटर, चौड़ाई 450 और गहराई 88 मीटर है। इससे नवी मुंबई मनपा में रोज 334.47 एम.एल.डी. पानी की आपूतिर् होती है। मुंबई महानगर क्षेत्र में अकेले नवी मुंबई में ही 24 घंटे पीने के पानी की सप्लाई होती है। वैसे, अभी पानी की पाइप लाइनें बिछाने और जोड़ने का काम पूरा न होने से शहर के कुछ हिस्सों में 24 घंटे पानी की सप्लाई नहीं की हो पा रही है। जैसे ही यह काम पूरा हो जाएगा, उन इलाकों में भी 24 घंटे पानी की सप्लाई शुरू कर दी जाएगी। शहर भर में 52 हजार उपभोक्ताओं के यहां पानी के मीटर लगा दिए गए हैं। मनपा आयुक्त विजय नाहटा ने पहले से ही 'पानी बचाओ' अभियान चला रखा है। मनपा प्रशासन ने पानी चोरों के खिलाफ भी मुहिम चला रखी है।

Tuesday, September 14, 2010

काजोल ने आज दूसरे बच्चे को जन्म दिया।

बॉलिवुड ऐक्ट्रेस काजोल ने आज दूसरे बच्चे को जन्म दिया। करीब 09 बजकर 50 मिनट पर जन्मे इस बच्चे से काजोल और अजय की बेटे की ख्वाहिश भी पूरी हो गई। दोनों की पहले से ही एक बेटी न्यासा है। सूत्र के मुताबिक : काजोल ने आज मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल में एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया। काजोल प्रेगनेंट होने की वजह पिछले कई महीनों से कोई फिल्म नहीं साइन कर रही थी। काजोल फिलहाल हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद अपनी मां तनुजा के घर चली जाएगी , क्योंकि अजय शूटिंग में बिजी है। काजोल को बेटे के जन्म पर बधाई मिलने का सिलसिला शुरू हो गया है। बॉलिवुड ऐक्टर अजय देवगन और काजोल को सबसे पहले रितेश देशमुख ने ट्विटर के जरिए बधाई दी है। रितेश ने अपने ट्वीट में लिखा है - कॉन्ग्रैचुलेशन अजय ऐंड काजोल ... ए बेबी बॉय अरावइस ... उसके बाद प्रियंका चोपड़ा , शाहरुख खान और मधुर भंडारकर ने दोनों को बधाई देते हुए ट्वीट किए। गौरतलब है कि काजोल की सही - सलामत डिलीवरी के लिए उनकी मां तनुजा और बहन तनीषा ने हाल ही में सांता क्रूज में अपने घर पर पूजा रखी थी। काजोल का परिवार अपने पुराने घर में वापस लौट आया है। गृह प्रवेश की पूजा के मौके पर ही काजोल की मां ने उनकी सेहत के लिए भी पूजा की। हालांकि पूजा में काजोल शामिल नहीं हुईं क्योंकि उन्हें डॉक्टर ने चलने फिरने के लिए मना किया था। काजोल की बहन तनीषा ने बताया - हमनें काजोल के लिए प्रार्थना की।

Friday, September 10, 2010

विदेश में बसे भारतीय मूल के लोग भी काफी धूमधाम से गणेशोत्सव

विदेश में बसे भारतीय मूल के लोग भी काफी धूमधाम से गणेशोत्सव मनाते हैं। गणपति की मिट्टी की मूर्ति मिलने में होने वाली परेशानी और मूर्ति विसर्जन की राह में पेश आने वाली कानूनी बाधा का अब उन्होंने एक नया उपाय खोज निकाला है। पूजा-अर्चना के लिए अब वे मुंबई से इको-फ्रेंडली गणेश की पेंटिंग मंगाने लगे हैं। मुंबई के नामी पेंटर के. प्रकाश ने गणपति की ऐसी ही एक पेंटिंग इस हफ्ते लंदन भेजी है। अमेरिका और कनाडा में बसे गणेश भक्तों ने भी उन्हें 'एलिफैंट गॉड' की पेंटिंग का ऑर्डर भेजा है। सिद्धिविनायक मंदिर के निकट रहने वाले के. प्रकाश ने बताया कि बचपन से वह खुद गणपति के अनन्य भक्त हैं। उन्होंने बताया, 'पिछले दिनों मेरी पेंटिंग्स की एक प्रदर्शनी लंदन में आयोजित हुई थी। वहां बसे भारतीय समुदाय के लोगों ने मेरे चित्रों को काफी सराहा। खासकर शिव, पार्वती और गणपति के चित्रों को। गणपति को मैंने विविध रूपों और विविध रंगों में कैनवास पर उतारा है, जिसकी प्रेरणा मुझे सिद्धिविनायक मंदिर के विघ्नहर्ता-सुखकर्ता गणपति देवा से मिलती रही है। लंदन में बसे मराठीभाषी गणेशभक्तों ने मेरी एक पेंटिंग वहीं खरीद ली। बाद में एक और पेंटिंग का ऑर्डर मिला, जो मैंने मुंबई से इस सप्ताह वहां भेजी है। अमेरिका और कनाडा से भी गणपति की पेंटिंग का ऑर्डर है।'

Friday, September 3, 2010

तीन बड़ी राजनीतिक पार्टियों की मुंबई की कमान हिंदी भाषियों के हाथ में

ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि तीन बड़ी राजनीतिक पार्टियों की मुंबई की कमान हिंदी भाषियों के हाथ में है। मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष पद पर राज पुरोहित की नियुक्ति के बाद मुंबई के राजनीतिक हलकों में इस 'हिंदी त्रिमूर्ति' के बढ़े हुए कद के कई अर्थ लगाए जा रहे हैं। जिसमें से एक यह है कि मुंबई में मराठी राज की पकड़ ढीली पड़ रही है। मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह, एनसीपी के मुंबई अध्यक्ष नरेन्द्र वर्मा और अब पुरोहित का चयन ने महानगर के बदले चरित्र पर मुहर लगाई है। यह बात शिवसेना, खास कर मनसे के लिए चुनौतीपूर्ण है और इसी घटना को ये दोनों पार्टियां मराठी मन को उकसाने के लिए भुना सकती है। सिंह, वर्मा और पुरोहित का छिपा एजेंडा राज ठाकरे का सामना करना हैं, हालांकि बीएमसी के चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी की रणनीति अलग हो सकती है। गत लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने शिवसेना-बीजेपी के वोट काटने के लिए मनसे का खुलकर उपयोग किया। आगामी बीएमसी के चुनाव में यही रणनीति अपनाई जाने के आसार है। मुंबई के लिए कांग्रेस अक्सर गैर मराठी नेता चुनती रही है। श्री मुरली देवड़ा 25 साल मुंबई के अध्यक्ष थे और स्व. रजनी पटेल मुंबई कांग्रेस के बहुत काबिल अध्यक्षों में गिने जाते थे। उसके बावजूद मुंबई के कांग्रेसी वोट बैंक पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है क्योंकि वह झोपड़पट्टी और दलित बस्तियों में केंद्रित है। पर सन् 1980 से मराठी मुद्दे ने जोर पकड़ा हैं। मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने के मुद्दे ने ही बीएमसी में शिवसेना-बीजेपी को बीएमसी में सत्ता दिलाई है। एनसीपी और बीजेपी ने अनेक बार मुंबई का नेतृत्व इसलिए मराठी शख्स को सौंपा है कि वही उसकी राजनीतिक जरूरत थी। पर अब मुंबई का राजनीतिक मैप मराठी पटरी से खिसक रहा है। सिंह, वर्मा और पुरोहित के चयन ने इसके संकेत दिए है।