Friday, February 27, 2015

दिल्ली-मुंबई रूट्स पर यात्रा एक रात में

ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने और ट्रैवल में लगने वाला समय घटाने के मकसद से सुरेश प्रभु की अगुवाई वाला रेल मंत्रालय जल्द ही बुलेट ट्रेनों की तर्ज पर बिना इंजन के खुद चलने वाली ट्रेनों की शुरुआत करेगा। इससे मेट्रो शहरों के बीच ट्रैवल का समय 20 पर्सेंट कम किया जा सकेगा और हवाई जहाज से सफर करने वाले बहुत से लोग भी ट्रेनों की सवारी करना पसंद करेंगे।
इस प्रोजेक्ट की लागत 100 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। इसके लिए अगले दो वर्षों में देश में इम्पोर्टेड ट्रेनें चलाई जा सकती हैं। प्रभु ने गुरुवार को अपना पहला रेल बजट पेश करने के दौरान बताया, 'यात्रा का बेहतर अनुभव देने और ट्रैवल टाइम में लगभग 20 पर्सेंट की कटौती करने के मकसद से ट्रेन सेट्स के नाम से एक मॉडर्न ट्रेन सिस्टम शुरू करने का प्रपोजल है। ये डिजाइन में बुलेट ट्रेनों जैसी होंगी और बिना इंजन के मौजूदा ट्रैक्स पर चल सकेंगी।'
उन्होंने कहा कि इससे रेलवे की कपैसिटी बढ़ेगी, एनर्जी की बचत होगी और आउटपुट में इजाफा किया जा सकेगा। प्रभु के मुताबिक, 'हमें इन ट्रेनों के पहले सेट के हमारे सिस्टम पर अगले दो वर्षों के अंदर चलने की उम्मीद है। अनुभव के आधार पर इन ट्रेन सेट्स की भारत में मैन्युफैक्चरिंग पर विचार किया जाएगा।'
रेलवे मिनिस्ट्री के अधिकारियों ने इकॉनमिक टाइम्स को बताया कि एक ट्रेन सेट में आठ कोच होंगे, जिन्हें 100 करोड़ रुपये की कीमत पर आयात किया जाएगा। ये मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर पर चलेंगे। फीडबैक वेंचर्स के विनायक चटर्जी ने कहा, 'ट्रेन सेट्स ईएमयू (इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट्स) का बेहतर वर्जन हैं।'
उनका कहना था कि ये ट्रेनें राजधानी और शताब्दी की जगह ले सकती हैं। भारतीय रेलवे ने नौ रेलवे कॉरिडोर की स्पीड मौजूदा 110 और 130 किलोमीटर प्रति घंटा से बढ़ाकर 160 और 200 किलोमीटर प्रति घंटा करने का प्रपोजल दिया है जिससे दिल्ली-कोलकाता और दिल्ली-मुंबई रूट्स पर यात्रा एक रात में पूरी की जा सकेगी। इसके लिए ट्रैक को अपग्रेड करना होगा, जिसमें रोलिंग स्टॉक में सुधार करना और ट्रैक रिकॉर्डिंग, मॉनिटरिंग और मेंटेनेंस के लिए बेहतर तरीके अपनाना शामिल होगा। इसके साथ ही ट्रेन सेट्स की भी शुरुआत की जाएगी।
सीआईआई की रेल कमिटी के को-चेयरमैन तिलक राज सेठ ने कहा, 'मेट्रो शहरों के बीच यात्रा का समय कम करने की योजना केवल बिना लोकोमोटिव के खुद चलने वाले कोचों से ही संभव है। इसके शुरू होने पर एयर ट्रैवलर्स को भी खींचने में मदद मिलेगी।' मुंबई और अहमदाबाद के बीच हाई-स्पीड रेल या बुलेट ट्रेन के बारे में प्रभु ने कहा, 'इसके लिए फिजिबिलिटी स्टडी अंतिम दौर में है और इसके इस वर्ष के मध्य तक पूरा होने की उम्मीद है। रिपोर्ट आने के बाद इस पर तुरंत काम किया जाएगा।'
बुलेट ट्रेनें भले ही भारत के लिए अभी दूर की कौड़ी हैं, लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार ट्रेन सेट्स के तौर पर इनका एक छोटा वर्जन शुरू करने की तैयारी कर रही है। बुलेट ट्रेन की तर्ज पर चलने वाले ट्रेन सेट्स में कोचों को खींचने के लिए लोकमोटिव या इंजन नहीं होता। इसके नतीजे में पावर पूरे सिस्टम में समान तौर पर डिस्ट्रीब्यूट होती है और ट्रैवल का समय काफी कम हो जाता है। हालांकि, बुलेट ट्रेन की तरह इनके लिए अलग से ट्रैक बिछाने की जरूरत नहीं होती। शुरुआत में इन ट्रेन सेट्स का इम्पोर्ट किया जाएगा। बाद में इनकी मैन्युफैक्चरिंग देश में ही की जा सकती है।

Wednesday, February 25, 2015

शिवसेना के पांच नेता बैठक में पहुंचे

रात को टेलिविजन पर हेडलाइन गूंज रही थी कि दिल्ली में एनडीए की बैठक का शिवसेना बहिष्कार करेगी। शिवसेना के पांच नेता बैठक में पहुंचे और 'ब्रेकिंग न्यूज' धीरे से टीवी स्क्रीन से एकाएक गायब हो गई। शिवसेना के मंत्री अनंत गीते ने स्पष्ट किया कि भूमि अधिग्रहण विधेयक पर आयोजित बैठक का उनकी पार्टी ने बहिष्कार नहीं किया है। गीते लोकसभा में शिवसेना के दल नेता भी हैं। उन्होंने बताया कि शिवसेना के प्रतिनिधि के तौर पर सांसद गजानन कीर्तिकर, विनायक राऊत, अरविंद सावंत, रवी गायकवाड, राहुल शेवाले बैठक में मौजूद थे।
वास्तव में शिवसेना के सांसद बैठक में जिस तरह 'प्रकट' हुए उससे बीजेपी के नेता भी हैरान रह गए। राज्यसभा में शिवसेना के दल नेता संजय राऊत ने शिवसेना के बहिष्कार के बारे में दिन में बयान दिया था। टीवी चैनलों से उन्होंने कहा था, 'एनडीए की बैठक हो रही हो, तो उसे होने दो। इस बैठक में शिवसेना के प्रतिनिधि शामिल नहीं होंगे। आज देशभर से किसान राजधानी में आए हैं। उनकी बात सरकार सुने यह हमारी अपेक्षा है। हम सरकार में हैं मगर हम किसानों के साथ हैं। उनके हितों से हम बंधे हुए हैं।' इधर बीजेपी ने किसानों की सुनवाई करने के लिए समिति बनाने की घोषणा की और बैठक में 'लेट' ही सही, शिवसेना के प्रतिनिधि पहुंच गए।
इसी सप्ताह, बीजेपी और शिवसेना के बीच मीरा-भाइंदर महानगरपालिका में सत्ता के बंटवारे को लेकर समझौता हुआ था। महापौर पद बीजेपी को और उपमहापौर पद शिवसेना को देने का फैसला मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में तय हुआ था। इधर मुंबई में दोनों पार्टियों की समन्वय समिति बनाई गई है, इसकी प्राथमिक बातचीत शुरु होने के कगार पर केंद्र के कानून पर दोनों के बीच विवाद फिर सामने आया है।
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मोदी सरकार को आगाह किया है कि वह किसानों का गला घोंटने का पाप न करे। केंद्र की सरकार याद रखे कि किसानों ने बड़ी उम्मीद से उसे चुनकर दिया है। देर रात जारी बयान में उद्धव ने भूमि अधिग्रहण कानून के लेकर पार्टी की कठोर भूमिका स्पष्ट की है।
उद्धव ने कहा, उद्योग और विकास को लेकर सरकार के फैसलों का शिवसेना विरोध नहीं करेगी। मगर किसानों की जमीनों की जबरदस्ती बलि लेकर अगर यह विकास होगा, तो इस कानून पर पुनर्विचार होने की जरूरत है शिवसेना अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी हमेशी ही किसानों के साथ खड़ी है। उनके हितों के आड़े आने वाले किसी भी कानून का समर्थन करने का सवाल ही नहीं उठता।

Monday, February 23, 2015

सीएम देवेंद्र फडणवीस को मुंह की खानी पड़ी

मुंबई के विकास के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में समिति बनाए जाने के प्रस्ताव पर सीएम देवेंद्र फडणवीस को मुंह की खानी पड़ी है। मुंबई से उठे विरोध के बाद खुद पीएम इस प्रस्ताव को लेकर पॉजेटिव नहीं हैं। पिछले दिनों पीएम ने अपनी बारामती यात्रा के दौरान रहस्योद्‌घाटन किया था कि वे महत्वपूर्ण मसलों पर शरद पवार की सलाह मानते हैं। इस मामले में भी शरद पवार ने पीएम को चिट्ठी लिखकर इस तरह की किसी भी समिति से दूर रहने और राज्य के विकास के मुद्दे राज्य को संभालने देने की सलाह दी थी। इसलिए अब यह कहा जा रहा है कि पीएम ने अपने सीएम का प्रस्ताव मानने के बजाए शरद पवार की सलाह को ज्यादा अहमियत दी है।
मुंबई के विकास में बिना किसी अड़चन के केंद्र की मदद मिलती रहे इसलिए सीधे पीएम को इस प्रक्रिया में शामिल किए जाने के अपने क्रांतिकारी विचार का यह हश्र देख सीएम देवेंद्र फडणवीस खासे आहत हैं। उनकी मंशा तो मुंबई के विकास की अड़चनों को कम करने की थी, लेकिन उनके विचार का जिस बड़े स्तर पर विरोध हुआ और मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने के आरोप लगने शुरू हुए उससे उनका कॉन्फिडेंस भी हिल गया। अपने खास लोगों से सीएम ने कहा कि बिना वजह के विरोध के चलते उन्होंने इस विशेष समिति के गठन के प्रस्ताव का फॉलो-अप करना छोड़ दिया है।
भले ही पीएम की अध्यक्षता में मुंबई के विकास की उच्च स्तरीय समिति का सीएम का प्रस्ताव लटक गया हो, लेकिन सीएम ने इसके लिए नया तोड़ निकाला है। उन्होंने मुंबई के विकास से जुड़े प्रॉजेक्ट्स को मॉनिटर करने के लिए सीएमओ में एक विशेष मॉनिटरिंग रूम बनाने की बात कही है। इस काम में सीएम अपने विश्वासपात्र नौकरशाहों को लगाने का प्लान बना रहे हैं।

Friday, February 20, 2015

एक फ्लाइट से 1.49 करोड़ रुपये का सोना जब्त

बीते कुछ दिनों से मुंबई एयरपोर्ट पर गोल्ड तस्करी के मामले सामने आते जा रहे हैं। इसी कड़ी में मुंबई से छूटने वाली एक फ्लाइट से 1.49 करोड़ रुपये का सोना जब्त किया गया है। यह सोना मस्कट जाने वाली फ्लाइट के शौचालय में छिपाकर रखा गया था। सोना किसका था, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।
विशेष सूचना मिलने पर मुंबई से बुधवार रात 8 बजे मस्कट के लिए छूटने वाली इंडिगो एयरलाइंस की एक फ्लाइट 6-81 को कस्टम की एयर इंटेलिजेंस यूनिट (एआईयू) ने रोका। तलाशी लेने पर विमान के शौचालय के वॉश बेसिन के पीछे से 6 किलोग्राम सोने की ईंटें मिलीं। यह विमान दुबई से मुंबई एयरपोर्ट आया था। एआईयू को इस विमान के शौचालय में सोना छिपे होने की टिप मिली थी। बरामद सोना का बाजार भाव 1.49 करोड़ रुपये बताया जा रहा है।
बेल्ट, साबुन, बुर्के से लेकर मलाशय तक गोल्ड छिपाने के पारंपरिक तरीके डिटेक्ट हो जाने के चलते तस्कर गोल्ड तस्करी के लिए नई और अनोखी तरकीबों की खोज में रहते हैं। ऐसे ही कुछ मामले बुधवार देर रात पकड़े गए।

अब्दुल रहमान अब्दुल गफ्फार के पास से 17,25,568 रुपये मूल्य का गोल्ड मिला। गफ्फार ने सोना मोजों में छिपा कर रखा था। इसके अलावा शाहजहान बेगम बशीर खान नाम की एक महिला के पास से 20,13,163 रुपये मूल्य का गोल्ड मिला। उन्होंने सोना बुर्के में छिपाकर रखा था। मुनीर नहेरलात नाम के शख्स के पास से 8,62 784 रुपये मूल्य का गोल्ड पकड़ा गया। उन्होंने सिगरेट के बॉक्स में सोना छिपाया हुआ था।

Wednesday, February 18, 2015

'सिर्फ उद्योगपतियों के अच्छे दिन आए'- अन्ना हजारे

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ जंतर-मंतर पर अपने विरोध प्रदर्शन से पहले प्रख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि वह उद्योगपतियों के लिए तो सोच रहे हैं, लेकिन किसानों और गरीबों के लिए नहीं। मोदी पर निशाना साधते हुए अन्ना ने कहा कि उनके सत्ता में आने के बाद से 'सिर्फ उद्योगपतियों के अच्छे दिन आए' हैं।
उन्होंने दावा किया कि इन नीतियों का पालन करने से भारत का भविष्य उज्ज्वल नहीं रहेगा। लोकसभा चुनावों के दौरान 'अच्छे दिन' का नारा बीजेपी की प्रचार थीम था। पिछली यूपीए सरकार के दौरान भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन कर चुके अन्ना ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तारीफ की और उम्मीद जताई कि उनके पूर्व सहयोगी राजधानी को एक 'आदर्श शहर' बनाने की उनकी कुछ योजनाएं लागू करेंगे।
अन्ना ने 'हेडलाइंस टुडे' न्यूज चैनल से बातचीत में कहा, 'मोदीजी उद्योगपतियों की बेहतरी के बारे में सोचते हैं, गरीबों और किसानों के लिए नहीं। उनके सत्ता में आने के बाद ऐसा लगा था कि 'अच्छे दिन' आएंगे, लेकिन 'अच्छे दिन' तो सिर्फ उद्योगपतियों के आए हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में कमी आई है।
आगामी 23 और 24 फरवरी को अन्ना दिल्ली में किसान संगठनों के साथ मिलकर भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के विरोध में प्रदर्शन करने वाले हैं। अन्ना ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के उस प्रावधान का विरोध किया जिसमें कहा गया है कि किसानों की जमीन लेने से पहले उनकी सहमति लेने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार औद्योगिक घरानों के इशारे पर काम कर रही है।

Monday, February 16, 2015

प्रॉपर्टी टैक्स में बढ़ोतरी करने के प्रस्ताव पर आपसी सहमति

बीएमसी कमिश्नर सीताराम कुंटे ने प्रॉपर्टी टैक्स में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को मंजूर कराने के लिए नेताओं को 'धमकी' दी  है। कुंटे ने कहा कि प्रस्ताव आगामी स्थायी समिति की बैठक में मंजूर करें वरना इस साल के विकास कार्यों के लिए विशेष आर्थिक निधि नहीं दी जाएगी।
बीएमसी सूत्रों के मुताबिक, बीएमसी प्रशासन ने हाल ही में प्रॉपर्टी टैक्स में बढ़ोतरी करने का निर्णय किया है। परंतु पिछले पांच-छह हफ्तों से लगातार इस प्रस्ताव पर विपक्ष समेत बीजेपी का विरोध होने के कारण अकेली शिवसेना को यह प्रस्ताव मंजूर कराना भारी पड़ रहा है। इसके चलते प्रशासन द्वारा इस प्रस्ताव को लागू करने का कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका है। कई हफ्तों से अटके हुए इस प्रस्ताव को मंजूरी दिलाने के लिए अब बीएमसी कमिश्नर कुंटे ने नेताओं को धमकी दी है कि जल्दी से जल्दी प्रॉपर्टी टैक्स में बढ़ोतरी करने के इस प्रस्ताव को आपसी सहमति से मंजूर करें।
बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बीएमसी प्रशासन हर साल आर्थिक बजट पेश करता है। बजट में नगरसेवकों द्वारा सुझाए गए विकास कार्यों को पूरा करने के लिए विशेष आर्थिक निधि का प्रबंध किया जाता है। पिछले साल 2014-15 के बजट में बीएमसी प्रशासन की ओर से सदस्यों द्वारा सुझाए गए विकास कार्यों को अमली जामा पहनाने के लिए करीब 540 करोड़ रुपये की विशेष आर्थिक निधि दी गई थी। इस कारण प्रत्येक नगरसेवक को एक-एक करोड़ रुपये, गटनेताओं को 5-5 करोड़ रुपये, स्थायी समिति के सदस्यों और मेयर को 2-2 करोड़ रुपये दिए गए थे।
पर इस साल 2015-16 की विशेष आर्थिक निधि नगरसेवकों और सदस्यों को मिलना लगभग मुश्किल ही दिखाई दे रहा है क्योंकि बीएमसी कमिश्नर कुंटे ने अब प्रॉपर्टी टैक्स में बढ़ोतरी करने के इस प्रस्ताव पर कड़ा रुख अपनाया है। आगामी बुधवार को होने वाली स्थायी समिति की बैठक में यह मामला उठाए जाने की संभावना है।
बता दें कि बीएमसी प्रशासन की सबसे बड़ी कमाई का जरिया यानि कि ऑक्ट्रॉय जल्द ही बंद होने वाला है। बीएमसी इसकी जगह अन्य विकल्प तलाश रही है। इसके तहत नागरिकों पर कई नए टैक्स लगाए जाएंगे। दूसरी ओर प्रॉपर्टी टैक्स में बढ़ोतरी करने के इस प्रस्ताव को स्थायी समिति में मंजूरी नहीं दी जा रही है। हालांकि सत्ताधारी पक्ष में से शिवसेना ने पहले ही इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। परंतु बीजेपी ने शुरू से ही इस प्रस्ताव का विरोध किया है। इसके चलते बीएमसी प्रशासन को इस प्रस्ताव को मंजूर कराने के मामले में बार-बार नाकामयाबी मिल रही है

Friday, February 13, 2015

आम आदमी पार्टी पर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने निशाना साधा

दिल्ली विधानसभा जीतने की उम्मीद पाले बैठी आम आदमी पार्टी पर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने निशाना साधा है. पवार ने कहा, 'दिल्ली में कांग्रेस का प्रभाव कम होने से पैदा हुए स्पेस को आम आदमी पार्टी ने पूरा किया है, 'आप' पार्टी देश में पर्याय नहीं हो सकती.' इसके साथ ही एनसीपी सुप्रीमो ने बीजेपी, हिंदुत्ववादी शक्तियों पर एमआईएम को बढ़ावा देने का आरोप लगाया.

पवार ने सवाल उठाते हुए कहा, 'एक तरफ घर वापसी अभियान शुरू है और दूसरी तरफ एआईएमआईएम अन्य राज्यों में अपना किला मजबूत बना रही है. इससे सवाल पैदा होता है कि कहीं वीएचपी जैसी शक्तियां एआईएमआईएम को जानबूझकर तो बढ़ावा नहीं दे रही है.' पुणे में आयोजित प्रतिनिधि सम्मेलन को संबोधित करते हुए एनसीपी सुप्रीमो ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में एनसीपी की हार का मुख्य कारण शहरी इलाकों के लोगों से पार्टी का संवाद कम होने को जिम्मेदार ठहराया. इसी सम्मलेन में एनसीपी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कार्यकर्ताओं को गुटखा और तम्बाकू छोड़ने की अपील की. अजित पवार ने कहा कि इसी लत का खामियाजा पार्टी के बड़े नेताओं को भुगतना पड़ रहा है.  एनसीपी की ओर से पुणे के बालेवाड़ी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में दो दिन का प्रतिनिधि सम्मेलन का आयोजन हुआ. इस सम्मलेन में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार , नेता छगन भुजबल, अजित पवार, सुप्रिया सुले, डीपी त्रिपाठी जैसे कई बड़े नेता शामिल हुए.

Wednesday, February 11, 2015

मुंबई भी दूर नहीं रही

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) को मिली ऐतिहासिक जीत का जश्न मनाने से मुंबई भी दूर नहीं रही। दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटों पर अपनी पैंठ बनाने वाली इस पार्टी की दिल्ली में चली क्लीन स्वीप झाड़ू चलने पर न सिर्फ इसके नेता, कार्यकर्ता, बल्कि समर्थक भी झूम उठे। इस गूंज की आहट मुंबई समेत, ठाणे, नवी मुंबई तक भी पहुंची।
आप को मिली जबरदस्त सफलता पर ठाणे शहर में पार्टी कार्यकर्ताओं ने खुशी मनाते हुए आप की तरफ से सदस्यों को जोड़ने का अभियान शुरू किया। आप के ठाणे संयोजक संजीव साने ने ठाणे रेलवे स्टेशन पर आयोजित कार्यक्रम में पार्टी की तरफ से पत्रक बांटे और साफ-सुथरी छवि वाले लोगों से अधिक से अधिक संख्या में पार्टी से जुड़ने का आवाहन किया।
'
आप' को मिली जीत से नवी मुंबई के पार्टी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों में जश्न का माहौल है। 'आप' के नवी मुंबई प्रमुख रवि श्रीवास्तव ने बताया कि नवी मुंबई के सैकड़ों कार्यकर्ता व पदाधिकारी मुंबई के दादर में जश्न मनाने हेतु मंगलवार सुबह से ही इकठ्ठा थे। आप के एक अन्य नेता सुंदर बालाकृष्णन ने बताया कि वे जल्द ही विजय जुलूस का प्लान बनाएंगे।
दिल्ली विधानसभा में आप की जीत पर भिवंडी के कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह आतिशबाजी की और मिठाइयां बांटीं। भिवंडी शहर अध्यक्ष डॉ. रमीज मोमिन ने कहा कि केजरीवाल ने दिल्ली में झाड़ू नहीं चलाया, बल्कि उन्होंने वैक्यूम क्लीनर ही चला दिया जिसमें कांग्रेस पार्टी का पूरा सफाया हो गया और बीजेपी 3 सीट पर आकर सिमट गई।

Saturday, February 7, 2015

2.50 एफएसआई

सिडको निर्मित और अब जर्जर हो चुकी इमारतों के पुनर्निर्माण के लिए बीजेपी-शिवसेना सरकार द्वारा 2.50 चटाई क्षेत्र निर्देशांक (एफएसआई) देने की घोषणा के बाद नवी मुंबई स्थित इन इमारतों में रहने वाले हजारों लोगों में खुशी की लहर भी दौड़ गई है। इनके साथ ही शहर के बिल्डरों व सर्वदलीय नेताओं में भी प्रसन्नता देखी जा रही है। सरकार ने इस संदर्भ में अधिसूचना भी जारी कर दी है। अब इस फैसले का श्रेय लेने के लिए बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना आदि दलों में होड़ लग गई है। इसी अप्रैल में होने जा रहे मनपा के आम चुनावों की आचारसंहिता घोषित होने से कुछ समय पहले राज्य सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले का लाभ व श्रेय लेने में कोई भी नेता या दल पीछे नहीं रहना चाहता।
नवी मुंबई शहर के निर्माण के दौरान सिडको ने 25 से 35 साल पहले जिन इमारतों का निर्माण किया था उनमें से अधिकांश बेहद जर्जर अवस्था में हैं। इन इमारतों के फ्लैटों की छतें आए दिन ढहती रहती हैं। इनमें रहने वाले करीब 55 हजार परिवारों के सदस्यों को अपनी जान पर खतरा महसूस होता रहता है। अब सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर दिए जाने से इन सभी इमारतों के पुनर्निर्माण का मार्ग खुल गया है। हालांकि पुनर्निर्माण के लिए सोसायटियों को सिडको से एनओसी लेना होगा।
जर्जर हो चुकी इन इमारतों का पुनर्निर्माण एक साथ होगा या अलग-अलग किया जा सकेगा। इमारतों के पुनर्निर्माण के लिए अगर कुछ शर्तें पूरी कर दी गईं तो इनमें वाणिज्यिक या व्यापारी उपयोग की भी अनुमति मिल सकेगी। इसके लिए डिवेलपर्स की तरफ से मनपा को सेवाशुल्क अदा करना पड़ेगा। इस योजना में कम से कम 1000 वर्गमीटर के भूखंड पर ही इमारतों का पुनर्निर्माण हो सकेगा। जिन इमारतों के पास 15 मीटर चौड़ी सड़क होगी उन्हें 2.50 एफएसआई मिलेगी। जहां 9 मीटर की सड़क होगी उन इमारतों को 2 एफएसआई मिलेगी। जहां 9 मीटर से कम चौड़ी सड़क होगी वहां सिर्फ 1.80 एफएसआई या अधिकृत तरीके से उपयोग में लाए गए एफएसआई के साथ 50 पर्सेंट इंसेंटिव में से जो भी कम होगा वह मिलेगा।
इस योजना के तहत निम्नतम 300 वर्गमीटर का (एफएसआई) घर अनिवार्य होगा। अगर इमारत में व्यापारी गाला है तो उन्हें 20 पर्सेंट अधिक जगह देना होगा। सिडको के हिस्से में आने वाली जगह या घर का निःशुल्क हस्तांतरण होगा। अगर सिडको या निवासियों ने खुद ही इमारत का निर्माण किया तो 15 पर्सेंट अधिक चटई क्षेत्र मिलेगा। जहां भी 1000 वर्गमीटर का भूखंड होगा और 20 मीटर चौड़ी सड़क होगी तो वहां की 5 पर्सेंट जगह व्यापारी उपयोग के लिए रहेगी। भूखंड के कुल हिस्से का 5 पर्सेंट भाग नागरी सुविधाओं को उपलब्ध कराने हेतु मनपा को निःशुल्क हस्तांतरित कराना होगा।
राज्य सरकार के इस फैसले से नवी मुंबई के रियल इस्टेट मार्केट में उत्साह है। पर, अभी कोई बिल्डर खुलकर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है। एक बड़े बिल्डर ने नाम न लिखने के अनुरोध पर बताया कि निश्चित तौर पर सरकार के इस निर्णय का रियल इस्टेट मार्केट पर सकारात्मक असर पड़ेगा। उम्मीद है कि नवी मुंबई मनपा क्षेत्र में, जहां अब बहुत कम खाली भूखंड बचे हैं, इस निर्णय से कई स्थानों पर ऊंचे-ऊंचे टॉवर्स बनते हुए जल्द ही नजर आने लगेंगे।

सरकार द्वारा एफएसआई की अधिसूचना जारी करते ही नवी मुंबई के दिग्गजों में इस निर्णय का श्रेय लेने की होड़ लग गई। एक तरफ जहां बीते 10 वर्षों से नवी मुंबई मनपा में एकछत्र राज्य कर रही और राज्य सरकार की प्रमुख घटक रही एनसीपी के कद्दावर नेता गणेश नाईक व उनके विधायक बेटे संदीप नाईक ने इस सफलता का श्रेय सिर्फ और सिर्फ एनसीपी को दिया है तो दूसरी तरफ नवी मुंबई कांग्रेस ने भी दावा किया है कि यह उनकी पार्टी के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे पृथ्वीराज चव्हाण द्वारा लिए गए प्राथमिक निर्णय से ही यह संभव हुआ है। शिवसेना भी इस निर्णय की सफलता का श्रेय अभी की राज्य सरकार की सत्ता में शामिल अपने नेताओं को दे रही है। इन सबसे अलग बेलापुर से इस बार बीजेपी से जीती विधायक मंदाताई म्हात्रे ने दावा किया है कि यह सिर्फ उनकी मेहनत व उनके सीएम देवेंद्र फडनवीस का त्वरित फैसले का फल है। मंदाताई म्हात्रे ने कहा कि जब राज्य में कांग्रेस-एनसीपी की 15 वर्षों तक सत्ता थी तब यह अधिसूचना क्यों नहीं जारी की गई थी।

Thursday, February 5, 2015

राणे ने सीधे-सीधे अपना नाम नहीं लिया

नारायण राणे एक बार फिर बेचैन हैं। इसी बेचैनी में उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को एक और पत्र लिखा है। लेकिन, दिल्ली दरबार में उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। पहले तो उनकी सुनी ही नहीं जाती थी, अब सुनी भी जाती है तो उस पर अमल नहीं होता।
यही कारण है कि एक-एक करके उनके करीबी साथी साथ छोड़कर जा रहे हैं। नौ साल पहले कांग्रेस के पीछे जो कारवां उन्होंने खड़ा किया था, उसमें दर्जन भर से ज्यादा विधायक स्तर के नेता उन्हें राम-राम कह गए। अधिकांश ने अपनी पुरानी पार्टी शिवसेना का दामन थामा है। पहले महाराष्ट्र के दूसरे इलाकों के पूर्व विधायकों ने साथ छोड़ा। अब यह भगदड़ उनके खुद के विधानसभा क्षेत्र पर मंडराने लगी है।
लोकसभा चुनाव के ठीक बाद राणे ने पार्टी को चेताया था। पृथ्वीराज चव्हाण को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करते हुए राहुल को पत्र लिखा था। दिल्ली बुलाकर राणे की बात सुनी गई और बैरन लौटा दिया गया। राणे पर तब मुख्यमंत्री बनने का जोश सवार था। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बनने के आलाकमान के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। बाद में तो खुद विधानसभा चुनाव हार गए। विधानसभा में विपक्ष का नेता पद भी नसीब नहीं हुआ।
सदा सरवणकर, जयंत परब, राजन तेली, सुभाष बने ने जैसे पूर्व विधायक चुनाव के पहले ही डगमगाती नैया के कूद निकले थे। बेहद करीबी माने जने वाले रवि फाटक शिवसेना में पहुँचकर विधायक बन गए। विनायक निम्हाण जैसे विधायकों की नींद चुनाव हारने के बाद खुली है। मुंबई से कांग्रेस के टिकट पर चुने गए कालिदास कोलंबकर जैसे गिने-चुने साथी ही राणे से निष्ठा निभाते दिखाई दे रहे हैं।

ऐसे में राणे की मनोदशा समझी जा सकती है। पिछली बार उनके आक्रामक तेवर को कांग्रेस में बगावत के तौर पर पेश किया गया। इसलिए राणे ने इस दफे बेहद संयमित सलीकेदार भाषा में '129 बरसों की विसारत' वाली पार्टी के उपाध्यक्ष को तार्किक ढंग से सलाह दी है। दिल्ली के नेताओं का महाराष्ट्र में कोटा खत्म करने का सुझाव रखा है।
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जनाधार वाले नेताओं' और 'सच्चे कार्यकर्ताओं' को पार्टी संगठन में स्थान देने की सलाह दी गई। राणे ने सीधे-सीधे अपना नाम नहीं लिया है। मगर उन्हें यह उम्मीद होगी कि इस बार पार्टी उनकी बात समझेगी।
शिकायतकर्ता वर्ग की शिकायतों की पड़ताल करके उन पर कार्रवाई करने की मश्विरा वे देना नहीं भूले हैं। कांग्रेस को महाराष्ट्र में पिछले लोकसभा चुनाव में दो ही सीटें मिल सकीं, इन दोनों जगहों पर मोर्चा संभाल रहे अशोक चव्हाण का नाम पार्टी ने प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए लगभग तय कर रखा है।
लेकिन जैसे ही चव्हाण का नाम चलता है, 'आदर्श सोसाइटी' में उनके रोल को लेकर खबरें मीडिया के एक वर्ग में शुरू हो जाती हैं। चव्हाण समर्थकों का आरोप है कि पार्टी की भीतर से इस तरह की 'प्रायोजित खबरें' प्लांट की जा रही हैं। कहीं राणे उनका पत्ता काटने की तो नहीं सोच रहे?

Tuesday, February 3, 2015

पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम होने पर भी किराया क्यों बढ़ाया गया

बेस्ट बसों के किराए में की गई बढ़ोतरी के खिलाफ एनसीपी सड़क पर उतर आई है। कांग्रेस ने भी आंदोलन करने की चेतावनी दी है। किराए को लेकर सोमवार को कई जगहों पर बेस्ट के कंडक्टर और यात्रियों के बीच कहा-सुनी की बात भी सामने आई है।
एनसीपी की महिला विंग ने किराया बढ़ाने का विरोध करते हुए सीएसटी के स्टॉप के सामने प्रदर्शन किया। मुंबई एनसीपी के महिला विंग की अध्यक्ष चित्रा वाघ ने प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए बढ़ा किराया तुरंत वापस लेने की चेतावनी दी।
मुंबई और महाराष्ट्र कांग्रेस ने भी बेस्ट और बीएमसी के खिलाफ बिगुल बजा दिया है। मुंबई अध्यक्ष जनार्दन चांदूरकर ने आंदोलन की चेतावनी दी है। महाराष्ट्र कांग्रेस ने बेस्ट के इस कदम को अन्यायकारी बताया है। प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी कमी आई है। ऐसे में बेस्ट को किराया कम करना चाहिए था, लेकिन यहां तो उल्टी गंगा बह रही है। शिवसेना-बीजेपी के नियंत्रण वाली स्थानीय निकाय जनता पर जुल्म कर रही है। हमारी पार्टी हर स्तर पर इसका विरोधी करेगी।' पार्टी ने इस मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
बेस्ट ने रविवार से न्यूनतम किराया 6 रुपये से बढ़ाकर 7 रुपये और अधिकतम किराया 60 रुपये (सामान्य बस) और 70 रुपये (एक्सप्रेस बस) कर दिया है। सीएसटी से चलाई जाने वाली फोर्ट फेरी का किराया 6 रुपये से 16 रुपये कर दिया है। कई और रूट्स पर किराए में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी की गई है।
बीएमसी में विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र आंबेरकर (कांग्रेस) ने तर्क दिया है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम होने पर भी किराया क्यों बढ़ाया गया। एनसीपी ग्रुप लीडर धनंजय पिसाल का कहना है, 'महंगाई के बोझ तले दबे यात्रियों पर बेस्ट ने एक और भार डाल दिया है। बीएमसी के 40,000 हजार करोड़ रुपये बैंकों में जमा हैं। फिर किराया क्यों बढ़ाया गया?'

सोमवार को बेस्ट समिति की हुई बैठक में डेप्युटी जनरल मैनेजर ट्रांसपोर्ट आर.आर. देशपांडे ने कहा, 'दो बस रूट (वडाला से कलंबोली) पर बस चलाना आर्थिक रूप से कठिन हो गया है, क्योंकि उस रूट पर 1100 रुपये प्रति बस प्रति महीना टोल अदा करना पड़ता है।' गौरतलब है कि इस रूट पर खारघर में नया टोल बनाया गया है।