Saturday, May 30, 2015

पुलिस हिरासत में मौत होना पुलिस के लिए समस्या

कल्याण पूर्व में सौतेली बेटी के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में कोलसेवाडी पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था, जिसकी अचानक मौत हो गई। उसकी इस तरह पुलिस हिरासत में मौत होना पुलिस के लिए समस्या बन गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, कोलसेवाडी पुलिस स्टेशन ने सोमवार को एक व्यक्ति को अपनी सौतेली बेटी के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में बेटी की शिकायत पर गिरफ्तार किया था। कल्याण कोर्ट ने उसे 28 मई तक पुलिस हिरासत में रखने का आदेश दिया था। 28 मई को जब कोलसेवाडी पुलिस पेशी के लिए उसे कोर्ट ले जा रही थी तो वह बेहोश हो गया और पुलिस ने उसे बेहोशी की हालत में मनपा के रूक्मिणी बाई अस्पताल में भर्ती करा दिया, जहां उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई।
आरोपी की मां का आरोप है कि उसके बेटे को कोई बीमारी नहीं थी। वह एकदम ठीक-ठाक था तो उसकी मौत कैसे हुई? महिला ने आरोप लगाया है कि उसके बेटे की मौत पुलिस की मारपीट के चलते हुई है, साथ ही उन्होंने मामले की सीआईडी जांच कराने की मांग भी की है।
कल्याण परिमंडल-3 के डीसीपी संजय जाधव का कहना है कि आरोपी को बुधवार की रात काफी बुखार था। उसे अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था। फिलहाल आरोपी व्यक्ति का शव पोस्टमॉर्टम के लिए जेजे अस्पताल में भेजा गया है। फिलहाल उसकी मौत का राज सामने नहीं आया है।

Thursday, May 28, 2015

नेवी ऑफिसर पर दिल्ली की एक पत्रकार का कई बार रेप करने का आरोप

मुंबई के कफ परेड पुलिस स्टेशन में बुधवार को एक नेवी ऑफिसर के खिलाफ रेप का मामला दर्ज कराया गया है। नेवी ऑफिसर पर दिल्ली की एक पत्रकार का कई बार रेप करने का आरोप है। दर्ज FIR के अनुसार नेवी ऑफिसर लेफ्टिनेंट एमएस किरण ने कथित तौर पर महिला पत्रकार पर दो बार पर अबॉर्शन कराने के लिए दबाव डाला। किरण और महिला पत्रकार का संपर्क इंटरनेट पर बढ़ा था।
पीड़िता की शिकायत में कहा गया है कि पिछले साल अक्टूबर से लेकर इस साल मार्च तक नेवी ऑफिसर ने विशाखापत्तनम और मुंबई में शादी का झांसा देकर कथित तौर पर कई बार रेप किया। पीड़िता के अनुसार 27 मार्च को कफ परेड के सागरिका आर्मी हॉस्पिटल में नेवी ऑफिसर ने आखिरी बार उसका यौन शोषण किया। पुलिस ने किरण के खिलाफ IPC के सेक्शन 376 (रेप) और सेक्शन 312 (गर्भपात कराने) के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
पुलिस ने किरण से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनका कोई पता नहीं चल पाया। पीड़िता के अनुसार किरण घरवालों की रजामंदी न होने का बहाना करके शादी की बात को लगातार टाल रहा था लेकिन शारीरिक संबंध भी बनाए रखे हुए था।

Wednesday, May 27, 2015

'अच्छे दिनों' की पुण्यतिथि

एक तरफ जहां बीजेपी ने अपने एक साल के शासन की उपलब्धियां गिनाने के लिए देश भर में कार्यक्रम आयोजित किए, वहीं महाराष्ट्र कांग्रेस ने पूरे राज्य में जिला मुख्यालयों पर 'अच्छे दिनों' की पुण्यतिथि मनाई। बीजेपी सरकार पर जनता से झूठा वादा करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मुंडन करवाकर 'अच्छे दिनों' का श्राद्ध किया।
मुंबई कांग्रेस ने भी मोदी सरकार के खिलाफ गिरगांव चौपाटी से आजाद मैदान तक एक बड़ा मोर्चा निकाला। चुनावों में मिली करारी हार के बाद पहली बार मुंबई में कांग्रेस का यह अब तक का सबसे बड़ा मोर्चा था। मोर्चे में बड़ी संख्या में कांग्रेसी कार्यकर्ता शामिल हुए। मोर्चे से पहले गिरगांव चौपाटी पर 26/11 के आतंकी हमले में शहीद हुए पुलिस वालों के स्मारक पर शहीद पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी गई। मोर्चा जब आजाद मैदान पहुंचा, तो एक जनसभा में बदल गया।
मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरुपम ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने पुलिस के माध्यम से कांग्रेस के विशाल मोर्चे को फ्लॉप करने की पूरी कोशिश की। उन्होंने कहा कि हमने गिरगांव से आजाद मैदान तक विरोध मोर्चा निकालने की मंजूरी पुलिस से ली थी। इसके बावजूद पुलिस ने मोर्चे को रोकने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि पुलिस ने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को जबरन पुलिस वैन में भरकर आजाद मैदान में लाकर छोड़ दिया, ताकि मोर्चा फ्लॉप हो जाए।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी के जनता से किए गए सारे वादे झूठे निकले। पेट्रोल-डीजल सस्ता करने, जरूरी वस्तुओं की महंगाई रोकने, हर साल ढाई करोड़ रोजगार पैदा करने, विदेश में जमा काला धन 100 दिन में वापस लाने, उसमें से हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये जमा करने, कृषि उत्पादन की लागत पर 50 पर्सेंट मुनाफा देने, फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने, सूखाग्रस्त किसानों को अभूतपूर्व मदद करने, दवाएं सस्ती करने, आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और चीन को रास्ते पर लाने में से एक भी वादा पूरा नहीं हुआ है।

Monday, May 25, 2015

मुंबई एयरपोर्ट के एयरस्पेस में 5 अज्ञात चीज़ें दिखने से सनसनी

शनिवार शाम को मुंबई एयरपोर्ट के एयरस्पेस में 5 अज्ञात चीज़ें दिखने से सनसनी फैल गई। बताया जा रहा है कि ये चीज़ें दरअसल रिमोट रेडियो से कंट्रोल किए जा रहे पैराशूट थे। हमारे सहयोगी अखबार 'मुंबई मिरर' को तीन अलग-अलग एजेंसियों ने इस बात की जानकारी दी है। मगर अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि उन्हें कौन और किस कमसद से उड़ा रहा था।
सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने एकसाथ कई एजेंसीज़ को इसकी जांच के लिए कहा है। पीएमओ ने इंडियन एयरफोर्स, नेवी, इंटेलिजेंस ब्यूरो, सीआईएसएफ और मुंबई पुलिस से घटना की रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों का कहना है कि सभी एजेंसियों के प्रतिनिधि आज मुंबई में मिलकर एक-दूसरे के साथ इन्फर्मेशन शेयर करेंगे।
सबसे पहले जेट एयरवेज के पायलट कैप्टन दिनेश कुमार ने शनिवार शाम 5.55 बजे पैराशूट देखे थे। कुमार और एटीसी ने शुरुआती रिपोर्ट में कहा है कि पैराशूट एक तय फॉरमेशन में करीब 6 मिनट तक हवा के रुख के खिलाफ उड़ रहे थे। इससे पता चलता है कि वे रिमोट कंट्रोल से चलाए जा रहे थे। वे साउथ से नॉर्थ की तरफ जा रहे थे, जबकि उस वक्त हवा साउथ वेस्ट की तरफ बह रही थी।
इंडियन एयरफोर्स के सूत्र ने बताया कि ऑनलाइन मिलने वाले शौकिया पैराशूटों से ये थोड़े बड़े थे, मगर प्रफेशल जंपर्स के पैराशूट्स से छोटे थे। एसीटी के रेकॉर्ड्स से पता चलता है कि टेकऑफ के लिए क्लियरेंस मिलने के बाद पायलट की नजर इन पैराशूट्स पर गई थी। जैसे ही एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के ऑफिशल्स को इसकी जानकारी मिली, एटीसी ने जुहू कॉल करके पूछा। उन्हें भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। फिर कोलाबा में INS कुंजाली से संपर्क किया गया, जो तटीय एयरस्पेस पर नजर रखता है। उन्होंने कहा कि न तो वे कुछ उड़ा रहे हैं और न ही उनके रडार्स में कुछ दिखा है।
इस घटना को गंभीर माना जा रहा है, क्योंकि जेय एयरवेज का प्लेन टेक ऑफ करने वाला था। ये पैराशूट उससे टकरा सकते थे और इंजन में फंसकर बड़े हादसे की वजह बन सकते थे। जॉइंट कमिश्नर लॉ ऐंड ऑर्डर देवेन भारती ने कहा, 'पायलट से हमारी बात हुई है। शुरुआती जांच में यह साफ नहीं हो पाया है कि वे चीज़ें क्या थीं।'
मौसम विभाग ने भी कहा है कि ये चीज़ें मौसम का अनुमान लगाने वाले उपकरण नहीं थे। ऑफिशल्स ने कहा कि वे हर सुबह 5.30 बजे एक बलून छोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि शाम में सिर्फ 150 मीटर पर इसका पाया जाना संभव नहीं। उन्होंने कहा, 'हमारे बलून इस तरह से बने होते हैं कि वे सीधे ऊपर जाते हैं। हमारे रडार तब तक उन्हें ट्रैक करते हैं, जब तक कि वे वायुमंडर में ऊंचाई पर जाकर नष्ट न हो जाएं।'

Friday, May 22, 2015

जमीन अधिग्रहण के लिए राज्य सरकार ने नया फॉर्म्युला

विकास योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए राज्य सरकार ने नया फॉर्म्युला तैयार किया है। राजस्व व कृषि मंत्री एकनाथ खडसे ने गुरुवार को बताया कि शहरों में शहरों में रेडीरेकनर मूल्य का ढाई गुना और ग्रामीण क्षेत्रों में रेडीरेकनर दर का पांच गुना मुआवजे के तौर पर दिया जाएगा।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नए भूमि अधिग्रहण के प्रस्ताव को देश का सबसे बेहतर अधिग्रहण प्रस्ताव करार दिया था। गुरुवार को राजस्व मंत्री खडसे ने इसका खुलासा करते हुए बताया कि यदि ग्रामीण क्षेत्र में जमीन का बाजार भाव 100 रुपए है तो इसके लिए मुआवजा दो गुना यानी 200 रुपए दिया जाएगा। साथ ही 100 फीसदी स्वेच्छा रकम यानि 200 रुपए और दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त मोलभाव में 25 फीसदी अतिरिक्त रकम दी जाएगी। यानी ग्रामीण इलाकों में बाजार भाव से पांच गुना अधिक मुआवजा मिलेगा।
शहरी क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के बारे में कहा कि वहां पर बाजार भाव से ढाई गुना अधिक मुआवजे के तौर पर जाएगा। इसका सरकार ने जीआर भी निकाल दिया है। नए प्रस्ताव के बारे में खडसे ने उम्मीद की है कि अब जमीन मालिकों को परियोजनाओं के लिए अपनी जमीन देने पर एतराज नहीं होगा।
मुआवजा तय करने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तर की समिति गठित की जाएगी। उस समिति में जलसंसाधन, पीडब्लूडी, नगर रचना विभाग, संबंधित उपजिलाधिकारी और जिला सरकारी वकील सदस्य के रुप में होंगे।

Thursday, May 21, 2015

यह हाउजिंग पॉलिसी आम मुंबईकरों के हित में नहीं

फडणवीस सरकार की नई हाउजिंग पॉलिसी के खिलाफ मुंबई कांग्रेस ने विरोध का बिगुल बजा दिया है। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम ने आरोप लगाया कि यह हाउजिंग पॉलिसी आम मुंबईकरों के हित में नहीं है। यह पूरी तरह से बिल्डरों के फायदे के लिए बनाई जा रही है। उन्होंने नई हाउजिंग पॉलिसी को सार्वजनिक करने की मांग रखी।
निरुपम के अनुसार, सरकार ने हाउजिंग नीति बनाकर सभी विधायक और सांसदों को भेजी है और उनसे सुझाव मांगा है। उस नीति में कई तरह की खामियां है। उदाहरण देते हुए निरुपम ने बताया कि रेंट कंट्रोल ऐक्ट के तहत आने वाले 800 वर्ग फुट के मकान और 500 वर्ग फुट से ज्यादा बड़ी दुकानों को मुक्त कर दिया है। यानी उनसे भारी किराया वसूल किया जाएगा। निरुपम ने नई हाउजिंग पॉलिसी को बीजेपी सरकार का नया षडयंत्र करार दिया। उन्होंने इसकी सिरे से जांच कराने की मांग की।

Wednesday, May 20, 2015

पद्मा अपने बेटे के लिए 'गे मैट्रिमनी ऐड

हर मां की तरह पद्मा अय्यर भी उम्र की उस दहलीज पर कदम रख चुकी हैं, जब एक मां अपने बेटे की शादी होते देखना चाहती है। हालांकि, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पद्मा अपने बेटे के लिए लड़की नहीं बल्कि एक लड़का तलाश रही हैं। 
सोमवार को पद्मा ने अपने बेटे 'हारिश अय्यर' की शादी के लिए एक 'गे मैट्रिमनी ऐड' देकर तमाम लोगों को हैरान कर दिया। जहां समाज का एक बड़ा तबका इसे अब भी 'टैबू' मानता है, वहीं पद्मा के इस कदम की सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ भी हुई। कई लोगों ने कहा कि यह देश का पहला 'गे ऐड' है।

हालांकि, हारिश अय्यर मुंबई के लिए कोई नया नाम नहीं है। हारिश 'युनाइटेड वे' नाम का एक एनजीओ चलाते हैं और लंबे समय से समलैंगिकों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। उनके कैंपेन अक्सर अलग किस्म के होते हैं और लोगों के दिलों में रह जाते हैं।
पद्मा ने बताया कि उनकी उम्र 58 साल हो गई है और हारिश भी 36 साल के हो गए हैं। ऐसे में, वह चाहती हैं कि हारिश को एक अच्छा जीवनसाथी मिल जाए। इसी चाहत में पद्मा ने ऐड में साफ तौर पर लिखा, 'अपने बेटे के लिए 25 से 40 साल के नौकरीपेशा, जानवरों को प्यार करने वाले और शाकाहारी दूल्हे की तलाश है।'

Tuesday, May 19, 2015

अरुणा शानबाग

अरुणा शानबाग, एक ऐसी 'शख्सियत' जिसने जिंदा रहकर मौत को जिया है। 'शख्सियत' इसलिए, क्योंकि उनसे जुड़े रहे लोगों का उनके प्रति लगाव उनको एक शख्सियत होने का अहसास कराता रहा।
27
नवंबर 1973 को अपने साथ हुए भयावह बलात्कार के बाद से असीम नींद (वेजिटेटिव स्टेट) में खोईं अरुणा आखिरकार 18 मई 2015 को सीधे महिलाओं के लिए इस बेहद असुरक्षित जगह को छोड़कर जहां से आई थीं वहीं लौट गईं।
पिछले कुछ दिनों से न्यूमोनिया और सांस की तकलीफ से जूझ रहीं अरुणा की सोमवार सुबह तबियत बिगड़ गई जिसके बाद उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
42 साल पहले मुंबई के परेल स्थित किंग एडवर्ड मेमोरियल (केईएम) हॉस्पिटल की जूनियर नर्स रहीं अरुणा शानबाग के साथ वहीं के एक वॉर्ड बॉय ने 27 नवंबर 1973 में बलात्कार की कोशिश करने के बाद जान से मारने का प्रयास किया था।
सोहनलाल भरथा वाल्मीकि नामक इस वॉर्ड बॉय ने कुत्ते के गले में बांधने वाली चेन से अरुणा का गला घोंटने की कोशिश की थी, जिससे अरुणा के मस्तिष्क में ऑक्सिजन की आपूर्ति बाधित हो गई थी और वह निष्क्रिय अवस्था में चली गई थीं।
इस हादसे के बाद से अरुणा वेजिटेटिव स्टेट में ही रहीं। वेजिटेटिव स्टेट यानी अर्द्ध चेतन अवस्था। ऐसी अवस्था में इंसान चीजों को महसूस कर सकता है, यहां तक कि भावों से अपनी प्रतिक्रिया जाहिर भी कर सकता है, लेकिन आम इंसान की तरह हंस-बोल, चल-फिर नहीं सकता। अरुणा भी 42 सालों से कुछ ऐसी ही अवस्था में थीं।

उस समय अरुणा की शादी केईएम हॉस्पिटल के ही एक डॉक्टर से होने वाली थी। इस हादसे के बाद वहां के डॉक्टर्स ने उस वक्त के डीन डॉ. देशपांडे के नेतृत्व में अरुणा को बदनामी से बचाने के लिए वॉर्ड बॉय सोहनलाल के खिलाफ पुलिस के पास चोरी और हत्या के प्रयास की शिकायत दर्ज कराई, जिससे अरुणा की होने वाली शादी पर प्रभाव न पड़े।
सोहनलाल पकड़ा गया और उसे बाद में दोषी भी करार दे दिया गया। उसने छेड़खानी और चोरी के लिए संयुक्त रूप से 7 साल की दो सजाएं भुगतीं। उस पर बलात्कार, यौन शोषण या अप्राकृतिक यौन अपराध की धाराएं नहीं लगाई गई थीं (जिनसे उसे कम से कम 10 साल तक की सजा होती)।
बता दें कि सोहनलाल ने सजा पूरी करने के बाद अपना नाम बदल कर दिल्ली के एक हॉस्पिटल में काम करना शुरू कर दिया था। न ही केईएम हॉस्पिटल ने और न ही कोर्ट ने सोहनलाल की कोई फाइल फोटो अपने पास रखी थी। इस वजह से अरुणा की दोस्त पिंकी वीरानी (पत्रकार एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता) चाहकर भी सोहनलाल का पता न लगा पाईं।

Saturday, May 16, 2015

डीजल चोरी के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़

मुंबई क्राइम ब्रांच ने समुद्र के रास्ते डीजल चोरी के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है। सीनियर इंस्पेक्टर जगदीश साइल ने एनबीटी को बताया कि इस मामले में हमने सात लोगों को गिरफ्तार किया है।
क्राइम ब्रांच को गुरुवार रात इस रैकेट के बारे में टिप मिली थी। इसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम भाउचा धक्का जेटी से समुद्र में गई और वहां से उस वक्त यह डीजल जब्त किया, जब यह बार्ज से छोटी-छोटी बोट्स में ट्रांसफर किया जा रहा था।

क्राइम ब्रांच सूत्रों को कहना है कि विदेश से जो शिप भारत में आते हैं या विदेश जो शिप जाते हैं, इस रैकेट से जुड़े लोग उनके कैप्टन से सेटिंग कर यह डीजल 20 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से खरीद लेते हैं।
बाद में इन्हीं डीजल को बाजार से कम रेट पर 35 से 40 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेच दिया जाता है। शिप के लिए जो डीजल दिया जाता है, वह सरकार सबसिडी पर सिर्फ 4 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से देती है।

Friday, May 15, 2015

मोनो रेल - तिजोरी खाली

मोनो रेल का सफेद हाथी रोजाना सरकारी तिजोरी खाली कर रहा है। इसे चलाने वाले ऑपरेटरों, बिजली और रख-रखाव का खर्च अलग है पर इसकी सुरक्षा के नाम पर ही हर महीने लगभग 76 लाख रुपये महाराष्ट्र स्टेट सिक्युरिटी कॉर्पोरेशन को अदा किए जा रहे हैं। यह रकम ही महीने भर की कुल कमाई की रकम से दोगुना है। टिकटों से जितनी कमाई नहीं होती, उससे डबल पैसे उसकी सुरक्षा में लग रहे हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को उपलब्ध ताजा जानकारी में यह चौंका देने वाले तथ्य उजागर हुए हैं। फरवरी 2014 में शुरू की गई मोनो रेल सेवा ने मार्च 2015 में 32 लाख 24 हजार 342 रुपये की कमाई की। इससे पहले, जनवरी में 33,88,136 रुपये और फरवरी में 32,16,526 रुपये की कमाई दर्ज की थी। एकाध महीना छोड़ दिया जाए तो फरवरी 2014 से महीने की कमाई का यही औसत रहा है। गाड़ियां चलाने वालों का वेतन, बिजली का खर्च, रखरखाव, साफ-सफाई आदि का खर्च अलग है। केवल सुरक्षा पर होने वाला खर्च आंख खोल देता है।
बीते अप्रैल महीने में महाराष्ट्र स्टेट सिक्युरिटी कॉर्पोरेशन को 75,96,077 रुपये अदा किए गए। मोनो रेल के जनसूचना अधिकारी डेप्युटी इंजिनियर वैश्य ने बताया हर महीने इस सरकारी कॉर्पोरेशन को सु्रक्षा के नाम पर लगभग 71 लाख 14 हजार रुपये अदा किए जाते हैं। टैक्स की रकम इसमें शामिल नहीं है। सात स्टेशनों और एक डिपो की सुरक्षा का जिम्मा इस कॉर्पोरेशन को दिया गया है।

वह भी स्थिति तब है, जबकि मोनोरेल अभी पूरी तरह कार्यरत नहीं हुई है। लगभग 20 प्रतिशत काम अभी बकाया है। अब तक हुए निर्माण के लिए 'लार्सन ऐंड टूब्रो' और 'स्कोमी इंजिनियरिंग बीएचडी', मलेशिया ग्रुप (LTSE) को 2290 करोड़ रुपये सरकारी तिजोरी से अदा कर दी गई है। दिसंबर तक सात रास्ता तक की पूरी लाइन कार्यरत होने का अनुमान है।
इसकी लागत कुल 2716 करोड़ रुपये आने का अनुमान है। वैसे, मोनो रेल की एक फेरी पर 3131 रुपए ऑपरेटिंग खर्च आ रहा है। दिन भर में लगभग 131 फेरी मोनो रेल लगाती है। मोनो में महीने भर में लगभग साढ़े चार लाख यात्राएं दर्ज हो रही हैं।

Thursday, May 14, 2015

म्यूनिसिपल कमिशनर ने पिछले साल अगस्त महीने में 2400 फायर ब्रिगेड कर्मचारियों की दो साल की वेतनवृद्धि रोकने का आदेश दिया

एक तरफ तो कालबादेवी अग्निकांड में जान पर खेलकर कर्तव्य निभाने के लिए मुंबई फायर ब्रिगेड की जयजयकार हो रही है। इस अग्निकांड में फोर्स के दो वरिष्ठ अधिकारी जान गंवा चुके हैं, और दो अधिकारी नवी मुंबई के बर्न सेंटर में मृत्यु से जूझ रहे हैं। ऐसे में फायरमैनों को दंडित करने की खबर आए, तो कैसा लगेगा? दो-चार नहीं, लगभग पूरी फायर ब्रिगेड की दो साल की वेतन वृद्धि रोक ली गई है। मुंबई के म्यूनिसिपल कमिशनर ने पिछले साल अगस्त महीने में 2400 फायर ब्रिगेड कर्मचारियों की दो साल की वेतनवृद्धि रोकने का आदेश दिया था। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि यह आदेश अब जाकर लागू किया जा रहा है। ऐसे वक्त जबकि फायर ब्रिगेड को उसके काम के लिए ईनाम दिया जाना चाहिए था।
वैसे, अगस्त 2014 में किया गया अपराध गंभीर था। उसके लिए निर्धारित सजा को नाजायज नहीं कहा जा सकता था। फायर ब्रिगेड को सूट सप्लाई करने वाले ठेकेदार ने सूट सप्लाई किया ही नहीं। इसके बदले बाजार से खरीदने के लिए हर फायर ब्रिगेड कर्मचारी को ठेकेदार ने नकद पैसे दे दिए। लगभग 2700 कर्मचारियों की फोर्स में 300 कर्मचारियों को छोड़कर सभी ने ठेकेदार से पैसे ले लिए। मामला खुल गया और जांच हुई। अतिरिक्त आयुक्त की सिफारिश पर आयुक्त सीताराम कुंटे ने 28 अगस्त 2014 को दंड का आदेश पारित कर दिया।
वक्त के इस मोड़ पर मामला दंड के सही-गलत का न होकर, इसकी 'टाइमिंग' का है। साथ ही उस शर्मनाक वेतन का भी है, जो इस कर्मचारियों को दिया जाता है। फायर ब्रिगेड में उच्चतम स्तर पर भी मूल वेतन 6000 रुपये महीने से ज्यादा नहीं है। ऐसे में खुद की जान बचाने वाली पोषाक के बदले पैसे कबूलने का आकर्षण कैसे रोक पाए होंगे? ठेकेदार को बीएमसी के अधिकृत स्टोर में सामान जमा करना होता है। पोशाकें आई ही नहीं, और ठेकेदार को पैसे अदा कर दिए गए। ठेकेदारों के मकड़जाल में फंसी बीएमसी में ऊपर के स्तर तक जेबें गरम हुए बिना क्या यह संभव है?
पोशाक सप्लाई किए बिना एक मामूली हिस्सा गरीब फायर ब्रिगेड कर्मियों को टिकाने वाले ने केवल इनके साथ नहीं, पूरी मुंबई की सुरक्षा के साथ मजाक किया। बिना उच्चतम स्तर के संबंधों के क्या यह हिम्मत कोई जुटा सकता है? जो कुछ हुआ, उसके बाद बीएमसी और पूरे शहर में हंगामा मच जाना चाहिए था। इतना करने के बाद भी ठेका पास करके उसमें हिस्सा बंटाने वालों का कुछ नहीं बिगड़ा। जिनका ठेके या ठेकेदार से कुछ लेनादेना नहीं था, उन फायर ब्रिगेड कर्मचारी को दंड भुगतना पड़ रहा है। एक अंदाज के मुताबिक हर कर्मचारी का 35 हजार रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा।



Wednesday, May 13, 2015

फडणवीस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बेहतर बताया

आंदोलनकारी नेता और समाजसेवक अन्ना हजारे ने महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बेहतर बताया है। अन्ना हजारे ने लातूर में एक कार्यक्रम में कहा कि देश की सत्ता चला रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार का कामकाज बेहतर ढंग से चला रहे हैं। अन्ना का यह बयान ऐसे समय में आया है जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस 14 मई से प्रधानमंत्री मोदी के साथ चीन के दौरे पर जा रहे हैं।
अन्ना हजारे ने फडणवीस की तारीफ करते हुए कहा कि मुझे पॉलिटिकल पार्टियों से कुछ लेना-देना नहीं है, पर फडणवीस ने राज्य की सत्ता संभालने के बाद कुछ अच्छे फैसले किए हैं। अन्ना ने फडणवीस सरकार द्वारा शुरू की गई पानी बचत की योजना और सेवा का अधिकार कानून योजना का उल्लेख किया। अन्ना ने कहा कि लोगों का काम तय समय में होने की गारंटी देने वाला और समय पर काम न करने वाले अधिकारियों को दंडित करने वाला यह अच्छा कानून है।

अन्ना हजारे द्वारा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तारीफ की खबर जैसे ही प्रसार माध्यमों के जरिए लातूर से मुंबई पहुंची, मुंबई के राजनीतिक वर्तुल में इसके निहितार्थ खोजे जाने लगे। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि अन्ना हजारे धीरे-धीरे अप्रासंगिक होते जा रहे हैं। इसलिए अब वे खुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए परेशान हैं। इस नेता का कहना था कि सुरेश दाद जैन ने अन्ना के खिलाफ मानहानि का मुकदमा वापस ले लिया, इसके बावजूद अन्ना अपना मुकदमा वापस नहीं ले रहे। जाहिर है कि वे इसके जरिए चर्चा में बने रहना चाहते हैं। वहीं मुंबई बीजेपी के एक पदाधिकारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह तो 'किसी ने फडणवीस का काम लगा दिया है।' पदाधिकारी के मुताबिक 'फडणवीस को मोदी से श्रेष्ठ बताकर फडणवीस को मोदी के ग्रुप का दुश्मन बनाने का यह प्रयास हो सकता है।' ऐसा कौन कर सकता है? इस सवाल के जबाब में उपरोक्त पदाधिकारी का कहना था कि 'क्या पॉलिटिक्स में दुश्मनों की कमी होती है, मंत्रिमंडल में बीजेपी के आधा दर्जन मंत्री मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं।'

Monday, May 11, 2015

चारों साथी दलों को जल्द ही सरकार में शामिल करने का आश्वासन

महाराष्ट्र में 'महायुति' के नाराज साथी दलों को मनाने की जिम्मेदारी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को निभानी पड़ी। उन्होंने चारों साथी दलों को जल्द ही सरकार में शामिल करने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री ने उन्हें विधानसभा के वर्षाकालीन सत्र से पहले सरकार में हिस्सेदारी देने का आश्वासन दिया है। जुलाई महीने से महाराष्ट्र विधानमंडल का वर्षाकालीन सत्र शुरू हो रहा है। आश्वासन से संतुष्ट चारों घटक दलों- आरपीआई, स्वाभिमानी शेतकरी पार्टी, राष्ट्रीय समाज पार्टी और शिवसंग्राम ने बागी तेवर शांत कर दिए।
बीजेपी के साथ इन चारों दलों ने पिछले विधानसभा चुनाव में महायुति बनाई थी। चुनाव में अपने खिलाफ लड़ने वाली शिवसेना को बाद में बीजेपी ने महायुति और सरकार में शामिल कर लिया। इसके बाद से चुनाव के समय बीजेपी का साथ देने वाली चारों पार्टियां नजरअंदाज किए जाने का आरोप लगा रही हैं। बीजेपी नेताओं ने सरकार के अंदरूनी मतभेद निपटाने के लिए शिवसेना के साथ मिलकर समन्वय समिति बनाई मगर उसमें बचे हुए साथी दलों को स्थान नहीं दिया। मुख्यमंत्री ने इस समन्वय समिति में भी सभी दलों को जगह देकर छह घटक दलों की नई समिति बनाने का आश्वासन दिया है।
चारों घटक दलों ने दोपहर को बांद्रा में मिलकर बैठक की। इसमें सरकार का साथ छोड़ने की प्रछन्न धमकी भी दी गई। हालांकि आठवले ने स्पष्ट किया कि सरकार को अस्थिर करने का कोई इरादा नहीं है। चेतावनी की भाषा कुछ अलग थी। उन्होंने कहा, हमारी नहीं सुनी गई तो 'हमें अलग विचार करना पड़ेगा'। चारों पार्टियों के नेताओं रामदास आठवले (आरपीआई), राजू शेट्टी (स्वाभिमानी शेतकरी), महादेव जानकर (राष्ट्रीय समाज पार्टी) और विनायक मेटे (शिवसंग्राम) ने बीजेपी सरकार के खिलाफ आक्रामक बयान दिए। छह महीने बाद भी सरकार में देवेंद्र फडणवीस सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली, इसको लेकर गुस्सा जताया गया। मुख्यमंत्री ने दोपहर को मिलने का समय दिया। तब तक गुस्सा काफी हद तक कमजोर पड़ चुका था।
मुख्यमंत्री के सामने साथी दलों के नेताओं ने पूरा पहाड़ा बांच डाला। सरकार में केवल नाम को हैं। कोई काम तक नहीं करता। नीतियां तय करते समय विश्वास में लेना जरूरी नहीं समझा जाता। बातचीत तक के लिए कोई नहीं बुलाता। बताया जाता है मुख्यमंत्री ने नाराज साथी दलों की शिकायते ध्यान से सुनीं। एक के बाद एक आश्वासन देते चले गए। सरकार में स्थान मिलेगा, इस आश्वासन से साथी दलों की बांछें खिल गईं। इसका मतलब यह लगाया जा रहा है कि इन चारों दलों के कम से कम एक विधायक को मंत्री का दर्जा दिया जाएगा। मेटे को छोड़कर चूंकि बाकी चार दलों का एक भी विधायक नहीं है, इसलिए एक-एक विधायक पद भी इन दलों को मिलेगा। कम से कम साथी दलों का यही अनुमान है। वाकई मंत्री पद दिया जाएगा, या फिर मंत्री दर्जे का कोई समिति अध्यक्ष पद, यह अभी देखा जाना है।
चारों पार्टियों के पास मिलकर एक विधायक है। मुंबई के वरसोवा इलाके से जीतीं भारती लव्हेकर ने भी मेटे की पार्टी का चुनाव चिह्न इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने बीजेपी के चुनाव चिह्न पर, उसके पार्टी अध्यक्ष का '' और 'बी' फॉर्म लेकर चुनाव लड़ा। इसलिए वे मराठा महासंघ की बजाए बीजेपी की विधायक गिनी जाएंगी। जब जब विधानसभा में बीजेपी उन्हें नोटिस देकर किसी मुद्दे पर मतदान करने को कहेगी, उन्हें मजबूरन पालन करना होगी। वरना विधायक पद गंवाने का खतरा है।
हम साथ न आए होते तो बीजेपी को यह सफलता नहीं मिलती। मित्र दलों के राज्य में मौका नहीं दिया गया। चुनाव से पहले सत्ता में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी देने का वादा किया पर पूरा नहीं किया।
गोपीनाथ मुंडे पर विश्वास करके महायुति में शामिल हुए थे। बीजेपी में हर व्यक्ति मुंडे के दिए वचन से हाथ झटक रहा है। जिनके पास अधिकार हैं, उन्हें हमारे साथ बातचीत करनी चाहिए।
हमें सत्ता में हिस्सा मिलना ही चाहिए। एनसीपी और कांग्रेस नहीं चाहिए थी, इसलिए बढ़कर तुम्हारे साथ हाथ मिलाया था। हमारी पार्टियों को मंत्रिमंडल में शामिल किया ही जाना चाहिए।


Friday, May 8, 2015

सलमान को मिली बेल

सलमान खान की जमानत पर बॉम्बे हाई कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान करीब दो घंटे तक बचाव और अभियोजन पक्ष के वकीलों के बीच तगड़ी बहस चली। सलमान खान के वकीलों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस मामले में रविंद्र पाटिल को मुख्य गवाह बनाए जाने पर सवाल खड़े किए। सलमान के वकील अमित देसाई ने सवाल उठाया कि रविंद्र पाटिल उस रात होटल से लेकर घटनास्थल तक कार का रूट नहीं बता सके थे। इसके साथ ही वह टायर फटने के मामले पर भी कोई जानकारी नहीं दे सके थे। इन सबके बावजूद उन्हें मुख्य गवाह क्यों बनाया गया।
अमित देसाई का कहना था कि पुलिस रेकॉर्ड के मुताबिक जे डब्ल्यू मैरियट से हादसे का स्पॉट महज 14 किमी दूर था, जिसे आधे घंटे में तय किया गया, जबकि मुख्य गवाह रविंद्र पाटिल के मुताबिक तब कार की स्पीड 90-100 किमी प्रति घंटा थी। इस पर जज ने कहा कि वह रविंद्र पाटिल का बयान देखना चाहते हैं।

इसके साथ ही अमित देसाई का कहना था कि हादसे के समय कार में चार लोग मौजूद थे। उन्होंने कहा कि हादसे के दिन कार में कमाल खान भी मौजूद थे। पुलिस ने उनका बयान लिया, लेकिन इसके बाद उनसे कोई पूछताछ नहीं की गई। बचाव पक्ष ने सलमान खान को मिली सजा को निलंबित करने की मांग की।
इसके बाद जज ने सरकारी पक्ष के वकीलों से अपना पक्ष रखने को कहा और पूछा कि सजा सस्पेंड करने में उन्हें क्या दिक्कत है?
सरकारी वकील ने कमाल खान से पूछताछ न करने के मामले पर कहा कि कमाल खान ब्रिटिश नागरिक हैं। वह उपलब्ध नहीं थे, इसलिए उनसे पूछताछ नहीं हो सकी।
कार में चार लोगों के सवार होने के सवाल पर सरकारी वकील ने कहा कार में महज तीन ही लोग मौजूद थे।
सरकारी वकील ने कहा कि सेशन कोर्ट से फैसला आने से पहले हाई कोर्ट ने कैसे सलमान की जमानत की अपील की सुनवाई कर दी। इस पर जज ने कहा कि कोर्ट के अधिकारी की ओर से कोई गड़बड़ हुई है तो इस पर सवाल किया जाएगा।
ड्राइवर अशोक सिंह के कार चलाने के मामले पर सरकारी वकील ने कहा कि रविंद्र पाटिल ने बताया था कि अशोक सिंह सिर्फ दिन में गाड़ी चलाता था, रात में नहीं।
जज ने पूछा कि जब अभियुक्त की जमानत की अपील पर सुनवाई हो रही है तो उसे जेल क्यों भेजा जाए। हालांकि, इसके साथ ही जज ने कहा कि यह उनका आदेश नहीं बस उनका आकलन है।
जज ने पूछा सरकारी वकील से पूछा कि इस मामले में 304 (2) यानी कि गैर इरादतन हत्या की धारा क्यों लगाई गई, जबकि यह धारा पहले किसी दुर्घटना के मामले में नहीं लगाई गई, लेकिन इस मामले में ही क्यों लगाई गई?
इसके बाद जज ए थिप्से ने सलमान खान की जमानत की अवधि बढ़ा दी। उन्हें विदेश जाने के लिए हाई कोर्ट से इजाजत लेनी होगी। सलमान को मिली अंतरिम जमानत की अवधि आज खत्म हो रही थी और उन्हें सेशन कोर्ट से ही जमानत लेनी होगी। शुक्रवार होने की वजह से सलमान को आज ही सेशन कोर्ट में जाकर सरेंडर करेंगे और नया बेल बॉन्ड भरकर जमानत लेंगे।

Wednesday, May 6, 2015

जस्टिस डी.डब्ल्यू. देशपांडे का तबादला सतारा कर दिया गया

साल 2002 के कुख्यात 'हिट ऐंड रन' केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस डी.डब्ल्यू. देशपांडे का तबादला सतारा कर दिया गया है। इस केस में मुख्य आरोपी बॉलिवुड स्टॉर सलमान खान हैं और उन पर आरोप है कि 28 सितंबर, 2002 की रात उनकी कार बांद्रा वेस्ट में एक बेकरी में घुस गई थी जिससे वहां फुटपाथ पर सो रहे लोगों में से 1 की मौत हो गई और 4 अन्य घायल हो गए थे।
अब इस केस में 6 मई को श्री देशपांडे अपना फैसला देंगे। इस केस से जुड़ी अडवोकेट आभा सिंह का कहना है कि इस ट्रांसफर से इस केस में जज श्री देशपांडे के फैसले का असर नहीं होगा, क्योंकि उनके ही कोर्ट में ट्रॉयल हुआ है इसलिए फैसला होने तक वे यहीं बने रहेंगे।
बॉम्बे हाई कोर्ट के रजिस्ट्रॉर जनरल मंगेश पाटील के अनुसार मई के दूसरे सप्ताह में कोर्टों में छुट्टियां रहेंगी और फिर जून में कोर्ट खुलेंगे। उसी के बाद देशपांडे सतारा में नया पदभार संभालेंगे। जानकारों का कहना है कि यदि सलमान खान इस केस में दोषी पाए गए तो उन्हें 10 साल तक की जेल हो सकती है।

उधर, सलमान खान को दोषी ठहराने और कितने साल की सजा उन्हें हो सकती है, पर बड़े पैमाने पर सट्टा खेला जा रहा है।

Tuesday, May 5, 2015

केंद्र सरकार के लोकसभा में दिए गए लिखित बयान पर काफी अचंभित

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर एमएन सिंह डॉन दाऊद इब्राहिम पर केंद्र सरकार के लोकसभा में दिए गए लिखित बयान पर काफी अचंभित हैं । सरकार ने मंगलवार सुबह लोकसभा में जानकारी दी थी कि उसके पास भारत के मोस्ट वॉन्टेड डॉन दाऊद इब्राहिम के ठिकाने के बारे में जानकारी नहीं है।
सिंह ने एनबीटी से कहा कि सरकार का यह बयान भ्रमित करने वाला भी है और अचंभित करने वाला भी। सरकार के इस बयान के अलग-अलग अर्थ लगाए जा सकते हैं। इसका एक मतलब यह हो सकता है कि सरकार को यह तो पता है कि दाऊद पाकिस्तान में है, पर वह पाकिस्तान में किस ठिकाने पर है, इसकी लोकेशन शायद सरकार को पता नहीं। इस बयान का दूसरा मतलब यह निकाला जा सकता है कि सरकार को दाऊद के असल ठिकाने के बारे में कुछ भी पता नहीं। इसका एक अर्थ यह भी हो सकता है कि सरकार की नजर में दाऊद पाकिस्तान में ही नहीं है। सिंह के अनुसार, पिछले 2 दशक से केंद्र सरकार का दाऊद के पाकिस्तान में ही होने का जो स्टैंड रहा है, मंगलवार को सरकार का ताजा बयान उस स्टैंड से एकदम अलग है।
दाऊद 12 मार्च, 1993 को मुंबई में हुए धारावाहिक बम धमाकों का मास्टरमाइंड है और इसलिए मुंबई पुलिस की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में उसका नाम सबसे ऊपर है। सिंह कहते हैं, 'उस ब्लास्ट की साजिश दुबई में रची गई थी। दाऊद, अनीस, टाइगर मेमन सहित तमाम आरोपी इस ब्लास्ट के होने के बाद पांचवें दिन 17 मार्च को पाकिस्तान भाग गए थे। तब से मेरी जानकारी के अनुसार, ये सब लोग पाकिस्तान में ही हैं।'

1993 के मुंबई बम धमाकों के दौरान एमएन सिंह मुंबई क्राइम ब्रांच चीफ थे। उन्हीं के अंडर इस केस की जांच हुई थी। तब मुंबई के वर्तमान पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया क्राइम ब्रांच के डीसीपी थे।

Monday, May 4, 2015

फैमली प्रफेशन यानी डॉक्टरी को ज्यादा महत्व

राज्य के हेल्थ मिनिस्टर डॉ. दीपक सांवत के बेटे डॉ. स्वप्नेश सावंत ने अपने पिता की तरह पॉलिटिक्स में आने के बजाए अपने फैमली प्रफेशन यानी डॉक्टरी को ज्यादा महत्व दिया है।
उनके इस फैसले पर चुटकी लेते हुए शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि पॉलिटिक्स में तो परिवारवाद का हमेशा विरोध होता है, लेकिन डॉक्टरी में परिवारवाद का स्वागत होना चाहिए। इससे महाराष्ट्र को अच्छे डॉक्टर मिलेंगे। बता दें कि हेल्थ मिनिस्टर डॉ. दीपक सांवत की पत्नी अनिला सावंत भी डॉक्टर ही हैं।

हेल्थ मिनिस्टर के बेटे ने विलपार्ले में 'अनिदीप आई हॉसिप्टल ऐंड इंस्टिट्यूट' नाम से आंखों का अस्पताल खोला है। असप्ताल जितना हाइटेक है उसका उद्‌घाटन भी उतना ही हाईटेक हुआ। विलपार्ले के भाईदास हॉल में नेत्र चिकित्सा क्षेत्र के कई जानी-मानी हस्तियों के साथ बैठकर सीएम देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे ने पहले डिजिटल उद्‌‌घाटन किया बाद में जाकर अस्पताल का जायजा लिया। इस मौके पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में जागरुकता और पर्याप्त चिकित्सा ढांचे के अभाव पर चिंता जताई है।
तकरीबन 75 फीसदी आंख से संबंधित बीमारियों का इलाज किया जा सकता है, लेकिन अगर हमारे पास पर्याप्त जागरुकता और पर्याप्त आधारभूत संरचना हो तो। कार्यक्रम में उद्योग मंत्री सुभाष देसाई, परिवहन मंत्री दिवाकर रावते, महापौर स्नेहल आंबेकर, राहुल शेवाले और सासंद अनिल देसाई भी मौजूद थे।