Monday, November 26, 2012

कन्हैयालाल गिडवानी का मंगलवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पीटल में हार्ट अटैक से निधन


 आदर्श हाउसिंग सोसायटी के मुख्य आरोपियों में से एक कन्हैयालाल गिडवानी का मंगलवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पीटल में हार्ट अटैक से निधन हो गया। कांग्रेस के पूर्व एमएलसी रह चुके गिडवानी आदर्श सोसायटी के प्रमोटर भी थे। गिडवानी को चार दिन के अंदर आए दूसरे हार्ट अटैक के बाद ब्रीच कैंडी में एडमिट कराया गया था।

विवादों में फंसे आदर्श हाउसिंग सोसायटी में आरोपी कन्हैयालाल गिडवानी और उनके पारिवारिक सदस्यों के नाम प्लैट हैं। कन्हैयालाल गिडवानी पर आरोप था कि उन्होंने आदर्श हाउसिंग सोसायटी केस की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए फाइनेंशियल कंसल्टेंट जेके जगैसी को 1.25 करोड़ रुपए दिए। पूछताछ में सामने आया कि जगैसी ने आग्रह करके यह घूस हासिल की थी।
 

आदर्श सोसायटी घोटाला मामले में दक्षिणी मुंबई के कोलाबा में 31 स्टोरी बिल्डिंग का निर्माण सामने आया जो कि कथित तौर पर अवैध तरीके से बनाई गई।

Tuesday, November 20, 2012

अजमल आमिर कसाब के शव को यरवदा जेल में दफना दिया गया


 आतंकी अजमल आमिर कसाब के शव को यरवदा जेल में दफना दिया गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने बताया कि कसाब के शव को पाकिस्तान को न सौंपकर जेल के अंदर ही दफन कर दिया गया। इससे पहले कयास लग रहे थे कि कसाब के शरीर को या तो पाकिस्तान के हवाले किया जाएगा, या ओसामा-बिन-लादेन की ही तरह पर समंदर में दफन किया जाएगा।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान ने जानकारी दी कि कसाब को यरवदा जेल के अंदर ही दफनाया गया है। इस बात के लिए खास इंतजाम किए गए हैं कि कसाब की कब्र की कोई पहचान न हो। मुंबई हमले के दौरान मार गिराए गए कसाब के साथियों के शवों को भी गुमनाम जगह पर दफन किया गया था। उस वक्त समस्या यह थी कि पाकिस्तान ने शव लिए नहीं और भारत में मुस्लिम धर्म गुरुओं ने अपील की थी आतंकियों को यहां न दफनाया जाए। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सुबह बताया था कि पाकिस्तान को इस बारे में एक लेटर भी भेजा गया था, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया।

कुछ लोग मांग कर रहे थे कि कसाब के शरीर को भारत में दफनाने के बजाए समंदर में दफन कर दिया जाए। आशंका थी कि अगर कसाब को भारत में दफन किया जाता है, तो कट्टरपंथी और राष्ट्र विरोधी लोग उसे हीरो बना सकते हैं। इसी तरह की आशंका के डर से अमेरिका ने 9/11 के गुनहगार ओसामा बिना लादेन को मार गिराने के बाद उसकी डेड बॉडी को समंदर में दफन कर दिया था। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कसाब के शरीर को जेल में दफनाने का फैसला किया, ताकि वहां कोई पहुंच न सके।

Sunday, November 18, 2012

राज चाचा की चिता के बगल में काफी देर तक सुबकते रहे


 शिवाजी पार्क में रविवार देर शाम जब उद्धव ठाकरे ने बाल ठाकरे की चिता को मुखाग्नि दी, तो पास ही खड़े उनके चचेरे भाई और एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे बेहद भावुक हो गए। हमेशा बेहद सख्त नजर आने वाले राज चाचा की चिता के बगल में काफी देर तक सुबकते रहे। राज रोते हुए घुटने के बल बैठ गए और उन्होंने बाल ठाकरे की जलती चिता को हाथ जोड़कर प्रणाम किया। बाल ठाकरे के अंतिम संस्कार के वक्त पूरा शिवाजी पार्क खचाखच भरा था। हर किसी की आंखें नम थीं। पुलिस के मुताबिक शिवाजी पार्क में करीब 20 लाख लोग बाल ठाकरे के अंतिम दर्शन के लिए मौजूद थे।

अंतिम दर्शन के लिए लौटेः इससे पहले शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की शवयात्रा को बीच में छोड़कर घर गए एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे अंतिम संस्कार से ठीक पहले शिवाजी पार्क पहुंचे। शाम करीब साढ़े चार बजे वह एमएनएस के नेताओं के साथ शिवाजी पार्क में पहुंचे। वहां वह उद्धव ठाकरे के साथ बातचीत करते देखे गए। राज ठाकरे के शवयात्रा से जाने पर कयास लगाए जा रहे थे कि भले ही बाला साहेब राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे को एक साथ मिलना चाहते थे, लेकिन दोनों के बीच की दूरी कम नहीं हुई है। जिस वक्त उद्धव बिलखते हुए दिखाई दे रहे थे, तब उन्हें सहारा देने के लिए राज ठाकरे आसपास मौजूद नहीं थे।

शवयात्रा बीच में छोड़ीः अंतिम यात्रा के दौरान जहां उद्धव और परिवार के करीबी लोग बाला साहेब के पार्थिव शरीर के साथ ट्रक पर सवार थे, वहीं राज ठाकरे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के समर्थकों के साथ पैदल चल रहे थे।बाद में अपने समर्थकों के साथ राज ठाकरे ने अलग रास्ता पकड़ लिया। वह उस रास्ते से नहीं गए, जहां से अंतिम यात्रा गुजर रही थी। कुछ देर बाद वह शव यात्रा को बीच में छोड़कर घर की ओर रवाना हो गए।

पूरा होगा बाल ठाकरे का सपना?: राज के अचानक शव यात्रा से लौटने से कयास लगाए जाने लगे कि राज और उद्धव को एक करने का बाल ठाकरे का सपना क्या पूरा होगा। कई मौकों पर बाल ठाकरे के भाषणों से इस तरह के संकेत मिले थे कि वह राज ठाकरे के अलग होकर नई पार्टी बनाने के फैसले से दुखी थे। वह चाहते थे किदोनों भाई एक साथ आ जाएं। उन्होंने दोनों को साथ मिलकर काम करने की सलाह भी दी थी। बताया जा रहा है कि उन्होंने राज और उद्धव से कहा था कि एक हो जाओ, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। राज ठाकरे ने भले ही अलग पार्टी बना ली हो, लेकिन वह बाला साहेब के नक्शे कदम पर ही चले। पार्टी के नाम से लेकर पार्टी के काम करने का तरीका और मुद्दे भी एक जैसे ही थे। बाल ठाकरे की तरह राज ने भी 'मराठी माणुस' की राजनीति की। काफी हद तक राज ठाकरे ने शिवसेना के वोट बैंक में भी सेंध लगाई। लोग राज ठाकरे में बाला साहेब की छवि देखते हैं।

भले ही राज ने बाला साहेब से नाराज होकर अलग पार्टी बनाई हो, लेकिन उनके दिल में अपने चाचा और भाई के प्रति प्यार और सम्मान कम नहीं हुआ था। पिछले दिनों जब उद्धव हॉस्पिटल में ऐडमिट हुए थे, तब भी राज ठाकरे खुद उन्हें अपनी कार से घर लाए थे। हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ को दिए इंटरव्यू में राज ठाकरे कहा था, 'परिवार का मामला अलग है और राजनीति का अलग। मैं हर मोड़ पर अपने परिवार के साथ हूं।' साथ ही भविष्य में एक साथ आने के सवाल को लेकर भी उन्होंने कहा था कि भविष्य की बात भविष्य में देखेंगे।

बाला साहेब के जाने के बाद उनके और राज ठाकरे के समर्थकों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या राज ठाकरे की शिवसेना में वापसी होगी और क्या राज और उद्धव दोनों साथ मिलकर काम करेंगे? लेकिन जानकारों का मानना है बाला साहेब के रहते हुए ही राज और उद्धव एक हो सकते थे, लेकिन अब यह 'प्रैक्टिकली' संभव नहीं दिखता।

Thursday, November 15, 2012

अमिताभ बच्चन पुत्र अभिषेक के साथ खुद मातोश्री


शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के स्वास्थ्य का ताजा हाल जाने को बेताब बॉलिवुड के सितारों ने गुरुवार सुबह से ही मातोश्री पहुंचना शुरू कर दिया, जो दिन भर जारी रहा। सलमान खान पिता सलीम खान और भाइयों अरबाज तथा सोहैल खान के साथ आए, तो मनोज कुमार पत्नी शशि गोस्वामी के साथ। इनका ठाकरे परिवार से पुराना नाता रहा है। पहले जब ये लोग उनसे मिलने आते थे, तो उनके चेहरे खिले होते थे, लेकिन आज सबके माथे पर चिंता की लकीरें थीं। 

मातोश्री जाकर बालासाहेब के स्वास्थ्य की जानकारी लेने पहुंची फिल्मी हस्तियों में मधुर भंडारकर, अशोक पंडित, सतीश शाह और कैलाश खेर के अलावा कपूर खानदान से रणधीर कपूर, ऋषि कपूर और राजीव कपूर शामिल थे। संजय दत्त भी पत्नी मान्यता के साथ आए और बालासाहेब के परिवार के साथ काफी देर तक रहे। गौरतलब है कि मुंबई विस्फोट कांड में जेल गए संजू बाबा को जमानत पर रिहा कराने में शिवसेनाप्रमुख ने अहम भूमिका निभाई थी। संजय दत्त जेल से बाहर आने पर सिद्धिविनायक मंदिर के बाद सीधे मातोश्री पहुंचे थे और बालासाहेब के पैर छूकर उनका आभार व्यक्त किया था। बालासाहेब को पिता समान मानने वाले और दीवाली पर हर साल व्यक्तिगत रूप से बधाई देने वाले अमिताभ बच्चन इस बार ऐसा नहीं कर पाए और बीमार बालासाहेब का हालचाल जाने के इरादे से बुधवार की शाम पुत्र अभिषेक के साथ खुद मातोश्री जा पहुंचे।


Sunday, November 11, 2012

तीसरे जिले की मांग पूरी करना सरकार के लिए असंभव हो सकता है और मामला एक बार फिर ठंडे बस्ते में जा सकता है।


देश के सबसे बड़े जिले ठाणे के विभाजन की 27 साल पुरानी मांग ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ी है। कोकण के विभागीय कमिश्नर विजय नाहटा ने नए जिले का मुख्यालय पालघर को बनाने पर सहमति जताई है। कमिश्नर ने विभागीय अधिकारियों तथा विभिन्न राजनीतिक दलों के स्थानीय नेताओं के साथ बैठक के बाद पालघर को नया मुख्यालय बनाने की सहमति से जुड़ी रिपोर्ट राज्य सरकार के पास भेजी है। इस रिपोर्ट के बाद जिला विभाजन को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। कई लोगों ने जिले को 3 भागों में बांटने की मांग की है, जिससे विभाजन की सरकारी हलचल पर एक बार फिर ब्रेक लगने की आशंका जताई जा रही है। ठाणे का विभाजन कर दूसरा जिला बनाने पर करीब 500 करोड़ रुपये का खर्च है, जिसका बोझ राज्य सरकार पर पडे़गा। ऐसे में, तीसरे जिले की मांग पूरी करना सरकार के लिए असंभव हो सकता है और मामला एक बार फिर ठंडे बस्ते में जा सकता है। 
करीब सवा करोड़ आबादी वाला ठाणे जिला 9558 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जिसमें शहरी, ग्रामीण, आदिवासी, सागरीय क्षेत्र शामिल हैं। इनमें ग्रामीणों, आदिवासियों की अलग समस्या है, तो मछुआरों का अपना अलग प्रश्न है, शहरी भागों के लोगों की अपनी अलग समस्या है। फिलहाल ठाणे जिले में ठाणे, डोंबिवली-कल्याण, उल्हासनगर, भिवंडी, वसई, पालघर, डहाणु, तलासरी, जव्हार, मोखाडा, वाडा, शहापुर, मुरबाड आदि 13 तालुकाएं शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार को भेजी रिपोर्ट में कोंकण विभागीय कमिश्नर ने नए बनाए जाने वाले जिले पालघर में जव्हार, वाडा, मोखाडा, तलासरी, विक्रम गढ़, वसई, पालघर को शामिल करने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में ठाणे जिले में ठाणे, डोंबिवली-कल्याण, मीरा-भाईंदर, भिवंडी, अंबरनाथ, शहापुर को रखने की बात कही गई है। 
ठाणे विभाजन की पहली बार चर्चा तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार ने 1985 में शहापुर की जनसभा में की थी। 1993 में ठाणे के आदिवासी परिसर में कुपोषण के चलते कई मौतें हुईं थी, जिसके बाद जिला विभाजन की मांग ने जोर पकड़ा। इसके बाद विभाजन की मांग को लेकर कई बार आंदोलन और मोर्चे हुए। बीते कुछ सालों में कई बार नेताओं द्वारा विभिन्न अवसरों पर जिला को शीघ्र विभाजित करने की घोषणा की गई। विगत 15 अगस्त को जिले का विभाजन किए जाने की प्रबल संभावना बनी थी, लेकिन मुंबई स्थित मंत्रालय में लगी भीषण आग और मुख्यालय को लेकर हुए विवाद के चलते अंतिम समय में विभाजन टल गया था। 
पहले जिले को दो भागों में बाटने की मांग की गई थी, जिसके तहत एक भाग में सभी मनपा तथा नपा क्षेत्र और दूसरे भाग में आदिवासी तथा ग्रामीण परिसर को रखा जाना था। बाद में शहरी, सागरीय तथा पहाड़ी भागों को लेकर जिले को तीन भागों में बाटने की मांग उठी। पालघर के अलावा आदिवासी परिसर जव्हार को भी मुख्यालय बनाने की चर्चा चली। जानकारों के मुताबिक जव्हार के आदिवासी परिसर होने तथा रेलवे नेटवर्क से सीधे नहीं जुड़े होने से चर्चा आगे नहीं बढ़ी। कुछ राजनेताओं ने कल्याण को मुख्यालय बनाकर उसमें आदिवासी परिसर समाहित करने की चर्चा छेड़ दी है। 

Tuesday, November 6, 2012

'महिलाओं को दरगाह के गर्भगृह में जाने की इजाजत नहींमिलेगी।


 मुंबई की मशहूर दरगाह हाजी अली पर महिलाओं काप्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है जिसके बाद इस निर्णय कीकड़ी आलोचना हो रही है  सूफी संत की दरगाह का निर्माण15 वीं सदी में हुआ था  बहरहाल दरगाह के प्रबंधन ने आजकहा कि महिलाओं को दरगाह के बड़े एवं खुले परिसर में जानेकी आजादी होगी लेकिन वे गर्भगृह में नहीं जा सकेंगी  प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन को आते हैं। 

हाजी अली दरगाह ट्रस्ट के ट्रस्टी रिजवान मर्चेंट ने कहा , 'महिलाओं को दरगाह के गर्भगृह में जाने की इजाजत नहींमिलेगी। ' मर्चेंट ने निर्णय का बचाव करते हुए कहा , ' इस्लामी शरिया कानून के मुताबिक अगर इस्लामीविद्वानों ने फतवा जारी किया है और मांग की है कि महिलाओं को दरगाह के अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जाएतो हमने केवल इसमें सुधार किया है। ' 

मर्चेंट ने दावा किया कि महिला श्रद्धालुओं के लिए इस तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है  उन्होंने कहा , ' वे प्रार्थनाकर सकती हैं , नमाज पढ़ सकती हैं और शॉल एवं चादर चढ़ा सकती हैं। हम अपनी बहनों से सिर्फ इतना हीआग्रह करते हैं कि वे दरगाह के अंदर नहीं घुसे। ' हाजी अली दरगाह के ट्रस्टी और माहिम मखदूम शाह बाबादरगाह के प्रबंध ट्रस्टी सुहैल खांडवानी ने कहा , ' शरिया कानून दावा करता है कि कोई भी महिला कब्र , कादौरा नहीं कर सकती। ' खांडवानी ने कहा , ' हम दरगाहशरीफ में महिलाओं को जाने की अनुमति देते हैं लेकिनअस्तना ( जिस जगह पर संत को दफनाया जाता है ) में नहीं  ' यह मकबरा पीर हाजीअली शाह बुखारी की कब्र है ।उन्होंने कहा , ' अधिकतर महिलाएं करीब 80 फीसदी इस निर्णय से सहमत हैं  '